Month: May 2020

भारतीय मसाले न सिर्फ खुशबू बढ़ाएँ बल्कि खाने में भी जान डाल दें

भारतीय मसाले जिनका नाम सुनते ही न सिर्फ रंग-बिरंगे मसाले आँखों के सामने नाचने लगते हैं, बल्कि मुँह में भी पानी आ जाता है। ये मसाले किसी बेस्वाद से खाने में भी जान डाल देते हैं। कोई भी भारतीय व्यंजन बिना मसालों के पूरा नहीं होता चाहे मसाले साबुत रूप में प्रयोग किये गए हों या फिर पाउडर के रूप में।

आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि भारत न केवल मसालों का प्रयोग करने में अग्रणी है, बल्कि इसके निर्यात में भी सबसे आगे है। विश्व के कुल मसालों का 70% भारत में पैदा होता है।

ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले पुर्तगाल ने भारत को मसालों की वजह से ही खोज निकाला था और सालों तक दूसरे देश भारत से मसालों का व्यापार करते रहे। हमारे देश के केरल राज्य को States of spice का दर्जा मिला हुआ है और वहाँ के एक शहर कोझिकोड को मसालों का शहर कहते हैं। भारतीय मसाला अनुसंधान केन्द्र (IISRC) भी कोझिकोड में ही है।

मसाले न सिर्फ भोजन का स्वाद बढ़ाते हैं बल्कि इनमें कई औषधीय और रासायनिक गुण भी होते हैं, जिनमें कुछ पर हम अपने लेख में बता रहे।

केसर को मसालों का राजा और धनिया को मसालों की रानी कहते हैं।

अदरक, इलायची, लौंग, काली मिर्च, ज़ीरा, जायफल, जावित्री, तेज़ पत्ता,धनिया, तुलसी, हल्दी, दालचीनी, केसर, लहसुन, सौंफ आदि। ये कुछ ऐसे मसालों के नाम हैं जिनसे हम सब परिचित हैं और अपने रोज़ के खाने में इनका प्रयोग करते हैं। क्या हम इनके सभी फ़ायदों और नुकसान से भी भली-भाँति परिचित हैं ?

मसालों का प्रयोग अगर उचित मात्रा में करें तो न केवल हम खुद और अपने परिवार को स्वस्थ रख पाएँगे बल्कि अपनी इम्युनिटी बढ़ाकर तमाम रोगों से बचे रहेंगे। इसके लिए हमें अपने मसालों में पाए जाने वाले तत्वों और उसके फायदों की जानकारी होना आवश्यक है। जिनके बारे में मैं एक-एक करके अपने ब्लॉग्स के द्वारा समय-समय पर लिखती रहूँगी। आपके सुझाव और सहयोग से मुझे भी सहायता मिलती रहेगी।

 

 

 

 

Bay leaves (Tez patta)

थायराइड

थायराइड हमारे गर्दन के निचले हिस्से में तितली के आकार की ग्रन्थि होती है, जो हमारे शरीर के मेटाबोलिक नियंत्रण में अहम भूमिका निभाती है। इस ग्रन्थि से थायरॉक्सिन नाम का हार्मोन निकलता है जो हमारे शरीर में कई गतिविधियों के नियंत्रण में अहम भूमिका निभाता है – जैसे कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण, शरीर के तापमान का नियंत्रण, वज़न नियंत्रण और याददाश्त को ठीक रखना आदि।

हमारे आज की जीवनशैली और रहन-सहन ने बहुत कुछ बदलाव ला दिया है और इस वजह से कई बीमारियों को हम अनायास ही न्यौता दे देते हैं और हमें खुद भी इसका एहसास नहीं होता, थायराइड भी उन्हीं बीमारियों में एक है।

प्रकार

जब थायरॉक्सिन हार्मोन का लेवल कम या ज्यादा होने लगता है तभी इसकी शुरुआत हो जाती है। यह दो तरह का होता है।

1 – जब हार्मोन का स्राव ज्यादा होता है, उसको हाइपर थायराइड कहते हैं।

2 – जब हार्मोन का स्राव कम होता है, उसको हाइपो थायराइड कहते हैं।

कारण

अनियमित जीवन शैली, असंतुलित खानपान, गर्भावस्था के समय हार्मोनल असन्तुलन इसके मुख्य कारणों में है। कई बार व्यक्ति को पता भी नहीं चलता कि वो थायराइड विकार से ग्रस्त है।

लक्षण

वज़न का अचानक से घटना या बढ़ना, हाथ-पैर ठंडे पड़ जाना, हृदयगति ज्यादा या कम होना, घबराहट होना, पसीना ज्यादा होना या बिल्कुल न होना, मितली जैसा लगना, बाल झड़ना, असमय बाल सफेद होना, चक्कर आना इसके प्रमुख लक्षण हैं।

बचाव

अगर आपको इन लक्षणों में से कुछ भी दिख रहे हों तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें, खासकर इंडोक्रिनोलॉजिस्ट से, खुद से कोई प्रयोग न करें नहीं तो इसके परिणाम गम्भीर हो सकते हैं।

अपनी जीवनशैली नियमित रखें। संतुलित भोजन ग्रहण करें और व्यायाम या कम से कम आधे घण्टे के लिए नियमित रूप से पैदल ज़रूर चलें।

समय-समय पर अपना टेस्ट करवाते रहें और डॉक्टर से सलाह लेते रहें।

आयोडीन युक्त नमक ही खाएं।

क्या न करें

जितना सम्भव हो सोयायुक्त चीजों से परहेज़ करें।

गोभी, ब्रोकली, मोमोज़ और तले हुए खाद्य पदार्थ से परहेज़ करें।

साधारण सफेद नमक न ग्रहण करें।

अपना उपचार स्वयं न करें। बिना विशेषज्ञ के सलाह से कुछ भी न लें।

भारत! कोरोना! लॉकडाउन

आज विश्व के सभी देशों में कोरोना का कहर फैला हुआ है। अमेरिका, इटली, चीन जैसे विकसित और हर तरह से सम्पन्न देश भी इस वायरस के सामने पानी माँगते नज़र आ रहे। ऐसे में भारत जहाँ पहले से ही मूलभूत सुविधाओं के लिए जद्दोजहद मची हुई थी, इस विपदा से लड़ने के लिए कोशिश तो बहुत बढ़िया की, पर अभी हाल-फिलहाल स्थिति दिन-प्रतिदिन भयावह होती जा रही है। शुरुआत में ही जब हमारे यहाँ सरकारी आँकड़ों के हिसाब से मात्र 10 केस थे, 22 मार्च से ही लॉकडाउन का ऐलान कर दिया गया। लेकिन ऐलान करते समय इस बात का ध्यान नहीं दिया गया कि हमारे यहाँ आधे से ज्यादा आबादी उस तबके की है जो गाँव से शहर की ओर दो जून की रोटी के जुगाड़ में आई है और वही मजदूर आज अपने ही देश में प्रवासी बन कर रह गए हैं। उनको बहुत लंबे समय तक बैठाकर खिलाना हमारे देश की अर्थव्यवस्था मंज़ूर नहीं कर पाएगी। आज हर तरफ हमारे देश का मजदूर वर्ग परेशान होकर सड़कों पर उतर आया है क्योंकि शहरों में उनका गुजारा अब नामुमकिन हो गया है और गाँव के लिए पलायन करने के सारे रास्ते लॉकडाउन करके बंद कर दिए गए। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या हमारे स्वास्थ्य विभाग को कोरोना की भयावहता का अंदाजा नहीं था कि ये एक दो महीने के लॉकडाउन से खत्म नहीं होने वाला या फिर हमारे आँकड़े इतने कमज़ोर हैं कि सरकारी दफ्तरों में बैठे आला अधिकारियों को ये पता ही नहीं कि हमारी आधी से ज्यादा आबादी उनकी भाषा में “प्रवासी मज़दूरों” की है, जिनको या तो उनके जीवन-यापन के लिए मूलभूत सुविधाएँ उपलब्ध करवाई जाती या उनको पहले ही बता दिया गया होता कि कोरोना से जंग लम्बी चलने वाली है, इसलिए आप लोग अपने गाँव वापस चले जाएँ। अभी फिलहाल जब 2 महीने से लॉकडाउन चल रहा है और इस दौरान सारे कामकाज ठप पड़े हुए हैं, सभी लोग सोच रहे कि घर में बंद रहकर हमने कोरोना से आधी जंग जीत ली। ऐसे में हमारे मज़दूर भाइयों की ह्रृदय विदारक पीड़ा देखकर वाकई हम-आप जैसे लोग निःसहाय ही महसूस कर रहे। उन सभी मजदूरों की पीड़ा हमें आत्म-चिंतन करने को मजबूर कर रही कि किस युग में जी रहे हैं हम, जहाँ हमारे अपने ही चिलचिलाती धूप में परिवार सहित पैदल हज़ारों किलोमीटर के लिए निकल पड़े और हम मूकदर्शक बने हुए हैं। यह वही वोटर हैं जो चुनाव में न निकलें तो गाड़ी भेजकर उनको घर से निकाला जाता है तरह-तरह के लोकलुभावन वादों के साथ और आज जब उन्हें हमारी ज़रूरत है तो हम घर की बालकनी से ताली और थाली पीटने के बाद रामायण आदि में व्यस्त हैं।

Cardamom (Elaichi)

 

Want good digestion! Try Cumin

It is actually seed of a flowering plant in the family Apiaceae. It is an integral part of our kitchen spices especially in curries and vegetables.

It is very famous in our Indian houses and if you start your day from Jeera water you will never face problems related to digestive system and glowing face will be in free with this trick.From scientific view Jeera has thymol, a chemical which stimulates the pancreas to stimulate enzymes and bile.Jeera water is used for reducing weight as it stimulates our metabolism.

Jeera helps in constipation, bloating and detoxification of our body. It’s main benefit is that it can be taken in any form and any time as it is easily available in our home. In our home black salt is mixed with roasted Jeera powder is all time favourite for all from kids to old aged persons.

Jeera water is healthiest drink ever known. Jeera has a antiseptic, anti inflammatory as well as anti ageing properties with plenty of Iron and fibres.

 

लॉकडाउन : कोरोना से बचाव या सिर्फ कोरोना के साथ रहने के लिए खुद को मजबूत करने का तरीका

कोरोना जो कि वैश्विक महामारी के रूप में प्रचंड रूप लेता जा रहा है और तमाम देश जो कि स्वास्थ्य सुविधाओं में अव्वल हैं वो भी अपनी जनता को काल के गाल में समाने से नहीं रोक पा रहे। कुछ दवाइयों के मेल से कुछ लोगों को ठीक किया गया लेकिन अभी तक कोई भी कारगर दवा नहीं बन पाई जिसको बोला जाए कि कोरोना पर 100% काम करेगी।

ऐसे में लॉकडाउन ही एकमात्र विकल्प है भारत के साथ-साथ बाकी देशों में भी कोरोना को फैलने से रोकने का.. अब इसका ये बिल्कुल भी मतलब नहीं कि लॉकडाउन खत्म तो कोरोना खत्म..लॉकडाउन से ये खत्म नहीं होगा बस इसकी चेन टूटेगी और लोग घर से कम निकलेंगे तो कम से कम एक दूसरे के सम्पर्क में रहेंगे और इस दौरान कोरोना से लड़ने की अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा पाएँगे।

भारत में 22 मार्च से शुरु हुआ लॉकडाउन अभी 3rd स्टेज में चल रहा है लेकिन लॉकडाउन शुरू करने से पहले कुछ मुख्य बातों को ध्यान में न रखने की वजह से कोरोना मरीज़ों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी ही हो रही है।लॉकडाउन शुरू करने से पहले प्रवासी मज़दूरों को उनके घर वापस भेज देना चाहिए था।

दूसरा और सबसे ज़रूरी काम कि विदेश से आने वालों को सिर्फ थर्मल स्कैन करके नहीं छोड़ना चाहिए था बल्कि उनकी प्रॉपर जाँच होनी चाहिए थी।कुछ एहतियात के साथ सोशल डिस्टेंसिंग लागू होती तो शायद हम कोरोना की जंग में अब तक जीत चुके होते लेकिन अब भुखमरी और गरीबी,सुरसा की तरह हमारे सामने मुँह फैलाए खड़ी है I

कोरोना की वैक्सीन हो सकता है एक दो महीने में बन जाए और हो सकता है साल दो साल में भी न बन पाए और जब तक इसकी दवा नहीं बनेगी कोरोना जड़ से नहीं खत्म होने वाला I हमको इसके साथ ही जीने की आदत डालनी पड़ेगी..सरकार ने लगातार 3 लॉकडाउन करके कोरोना के बारे में सभी एहतियात बरतने की सलाह हमें दे दी साथ ही साथ इसके भयंकर परिणाम से भी हमें अवगत करा दिया..अब ये हम पर निर्भर है कि हम इस लॉकडाउन का उपयोग करके खुद को पहले से फिट,जागरूक और सभी सावधानियाँ अपनाते हुए स्वयं और अपने परिवार को सुरक्षित रखते हैं या इसकी भेंट चढ़ जाते हैं।

कोरोना और प्रकृति हमसे कुछ कहना चाहते हैं लेकिन क्या हम सुनना चाहते हैं

कोरोना जो कि वैश्विक महामारी के रूप में प्रचंड रूप लेता जा रहा है और तमाम देश जो कि स्वास्थ्य सुविधाओं में अव्वल हैं वो भी अपनी जनता को काल के गाल में समाने से नहीं रोक पा रहे।कुछ दवाइयों के मेल से कुछ लोगों को ठीक किया गया लेकिन अभी तक कोई भी कारगर दवा नहीं बन पाई जिसको बोला जाए कि कोरोना पर 100% काम करेगी।

ऐसे में लॉकडाउन ही एकमात्र विकल्प है भारत के साथ-साथ बाकी देशों में भी कोरोना को फैलने से रोकने का.. अब इसका ये बिल्कुल भी मतलब नहीं कि लॉकडाउन खत्म तो कोरोना खत्म..लॉकडाउन से ये खत्म नहीं होगा बस इसकी चेन टूटेगी और लोग घर से कम निकलेंगे तो कम से कम एक दूसरे के सम्पर्क में रहेंगे और इस दौरान कोरोना से लड़ने की अपनी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ा पाएँगे।

भारत में 22 मार्च से शुरु हुआ लॉकडाउन अभी 3rd स्टेज में चल रहा है लेकिन लॉकडाउन शुरू करने से पहले कुछ मुख्य बातों को ध्यान में न रखने की वजह से कोरोना मरीज़ों की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी ही हो रही है।लॉकडाउन शुरू करने से पहले प्रवासी मज़दूरों को उनके घर वापस भेज देना चाहिए था।

दूसरा और सबसे ज़रूरी काम कि विदेश से आने वालों को सिर्फ थर्मल स्कैन करके नहीं छोड़ना चाहिए था बल्कि उनकी प्रॉपर जाँच होनी चाहिए थी।कुछ एहतियात के साथ सोशल डिस्टेंसिंग लागू होती तो शायद हम कोरोना की जंग में अब तक जीत चुके होते लेकिन अब भुखमरी और गरीबी,सुरसा की तरह हमारे सामने मुँह फैलाए खड़ी है I

कोरोना की वैक्सीन हो सकता है एक दो महीने में बन जाए और हो सकता है साल दो साल में भी न बन पाए और जब तक इसकी दवा नहीं बनेगी कोरोना जड़ से नहीं खत्म होने वाला I हमको इसके साथ ही जीने की आदत डालनी पड़ेगी..सरकार ने लगातार 3 लॉकडाउन करके कोरोना के बारे में सभी एहतियात बरतने की सलाह हमें दे दी साथ ही साथ इसके भयंकर परिणाम से भी हमें अवगत करा दिया..अब ये हम पर निर्भर है कि हम इस लॉकडाउन का उपयोग करके खुद को पहले से फिट,जागरूक और सभी सावधानियाँ अपनाते हुए स्वयं और अपने परिवार को सुरक्षित रखते हैं या इसकी भेंट चढ़ जाते हैं।

यह जैविक आपदा जहाँ चारों ओर कहर ढ़ा रही है।सभी त्राहि-त्राहि कर रहे हैं और परेशान हैं कि अगर तनख्वाह नहीं मिली तो घर कैसे चलेगा।किसी को नौकरी जाने का गम है तो किसी को अकेलेपन से घबराहट l

मज़दूर वर्ग परेशान है कि अपने घर कैसे जाएँ,मध्यम वर्ग परेशान है कि घर कैसे चलाएँ।

इन सब ज़द्दोज़हद में क्या एक बार भी हमारा ध्यान इस तरफ गया कि ये महामारी हमें दे क्या रही है..

1 – अपने आस-पास देखिए इतनी शुद्ध वायु और वातावरण आपने अब तक की अपनी जिंदगी में तो नहीं ही देखा होगा।

2 – हमारी नदियाँ जिनकी साफ-सफाई के लिए हमने एड़ी चोटी लगा दी तब भी वो वैसी की वैसी ही रही आज बिना कुछ किए अपने आप ही साफ हो गईं।

3 – चिड़ियों की चहचहाहट,सूर्योदय एवं सूर्यास्त पर भी क्या हमने ध्यान दिया था l

4 – प्रीमियर लीग, मूवीज और न जाने कितने टूर्नामेंट के हीरोज़ में क्या कभी हम ये ढूँढ़ पाए कि एक दिन ऐसा भी आएगा जब ये डॉक्टर और नर्स ही असली सिपाही होंगे।

5 – क्या सुबह-सुबह ओस की बूँदों से नहाई हुई हरी घास पर अपने बच्चों के साथ टहलने का लुत्फ लिया आपने..आज एक बार आपको मौका मिला है़ l

6 – याद करिए आपने अपनी माँ अथवा अपने बच्चों को आखिरी बार इत्मीनान से गले कब लगाया था खासकर नौकरी वाले लोग।

7 – वायु प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग जैसी गम्भीर समस्याएँ अपने आप ही सीमित हो गईं।

8 – इस आपदा ने मनुष्य को ये समझा दिया कि सिर्फ पैसा ही सब कुछ नहीं होता,आपके पास कितना भी पैसा हो लेकिन आप घर में बंद हैं कोरोना के आतंक से ..उससे लड़ने में पैसा आपकी मदद नहीं कर सकता।

9 – काम में अपने आपको डुबाकर रखने वालों के लिए ये एक बढ़िया संदेश है कि अगर आप स्वस्थ और संयमित जीवन नहीं जी रहे एवं अपनी इम्युनिटी पर फोकस नहीं किया तो आपकी मर्सिडीज़ और बंगला कोई और एंज्वॉय करेगा l

कोरोना… कारण, लक्षण और बचाव

 

कोरोना आज के समय की मुख्य समस्या एवं एक गंभीर बीमारी है, जिसकी न तो कोई दवा है और न ही कोई उपचार,  न कोई खास लक्षण और न ही कोई खास उपाय जिससे हम और आप इस बीमारी से बच पाएँ । लोगों से दूर रहना यानि सोशल डिस्टेंसिंग या यूँ कहिए कि एक तरह की समाधि ले लेना ही इसका एकमात्र उपाय है । यह एक वैश्विक महामारी घोषित हो चुकी है। हम इस पर दो-तीन चरणों में बात करेंगे इसलिए लगातार संपर्क में बने रहिए मेरे ब्लॉग्स के माध्यम से ।

कारण

सबसे पहले आइए हम जानते हैं कि कोरोना होता कैसे है?

 कोरोना एक विषाणु (वायरस) जनित रोग है । कोरोना वायरस विषाणुओं का एक बड़ा समूह है, जो इंसानों में सामान्य जुकाम से लेकर श्वसन तंत्र की गंभीर समस्या तक पैदा कर सकता है। इसके अलावा कोरोना वायरस से कई और गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं। यह वायरस जानवरों से इंसानों तक पहुँचा यह शोध में सिद्ध हो चुका है। यह वायरस मुख एवं नाक के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश करता है और 3-4 दिनों तक हमारे गले में रहकर सर्वप्रथम अपनी संख्या बढ़ाता है। उसके पश्चात यह हमारे फेफड़ों की ओर बढ़ता है। इस प्रक्रिया के दौरान जब यह हमारे श्वासनली से होकर गुजरता है तो श्वासनली में सूजन आ जाती है, जिसकी वजह से फेफड़ों से वायु का आवागमन प्रभावित हो जाता है तथा व्यक्ति को साँस लेने में तकलीफ होने लगती है और वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है।

लक्षण

कोरोना बीमारी का मुख्य लक्षण सर्दी, सूखी खाँसी और बुखार ही है । शुरुआत इन्हीं लक्षणों से होती है, धीरे-धीरे यह भयावह रूप ले लेती है। कोरोना पॉजिटिव होने के कुछ लक्षण निम्न हैं –

1 – बुखार

2 – सूखी खाँसी

3 – ज्वाइंट पेन

4 – नाक बहना

5 – गले में खराश और दर्द

6 – थकान और उल्टी महसूस होना

7 – सिरदर्द

8 – निमोनिया

जैसे लक्षण कोरोना से सम्बन्धित हो सकते हैं, लेकिन यह ज़रूरी नहीं कि अगर ये लक्षण दिख रहे हैं तो कोरोना होगा ही। अभी तो कई ऐसे मरीज़ भी मिले हैं जिनके अन्दर इनमें से कुछ लक्षण दिखाई दिए लेकिन टेस्ट में कोरोना निगेटिव पाए गए।

 

बचाव

कोरोना के केस में अभी तक बचाव ही उपाय है क्योंकि अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बनी है जो इसको ठीक कर सके। कुछ बचाव के तरीके निम्न हैं –

1 – कोरोना छूने से फैलने वाला रोग है तो कोशिश कीजिए कि लोगों से सम्पर्क कम से कम हो और बाहर की कोई वस्तु या किसी व्यक्ति को न छुएं क्योंकि हमें नहीं पता कौन व्यक्ति अथवा वस्तु संक्रमित है।

2 – वायरस एक लिपिड तत्व है (लिपिड प्राकृतिक रूप से बने अणु होते हैं, जिनमें वसा, मोम, स्टेरॉल, वसा-घुलनशील विटामिन जैसे विटामिन ए, डी, ई एवं के तथा मोनोग्लिसराइड, डाईग्लिसराइड, फॉस्फोलिपिड एवं अन्य आते हैं) जो अघुलनशील होता है, इसको साबुन से धुल सकते हैं । इसलिए बार-बार अपने हाथों को साबुन और पानी से धुलते रहें। जहाँ पानी न मिले वहाँ सैनिटाइजर का प्रयोग करें।

3 – अपने हाथों से मुख एवं नाक को कदापि न छुएं अथवा हाथों को अच्छी तरह से साबुन और पानी से धोने के पश्चात ही स्पर्श करें।

4 – कोशिश करें कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट और पब्लिक प्लेसेस पर न जाएँ।

5 – मास्क और ग्लोव्स का उपयोग करें।

6 – कोरोना विषाणु है और विषाणुओं को बढ़ने के लिये ज़िंदा होस्ट (जीव-जन्तु एवं वनस्पति) की ज़रूरत होती है। किसी सतह या वस्तु पर ये कुछ घण्टों के लिये ही जीवित रह सकते हैं, इसलिए जब भी बाहर से कुछ लाएँ उसको बाहर ही कम से कम 10 घण्टे के लिये छोड़ दें जहाँ उसको कोई न छुए और अगर तुरंत प्रयोग करना है तो उसको साबुन के घोल से धोएं। इसके विपरीत खाने वाली वस्तुएँ जैसे सब्जी, फल आदि को गरम पानी अथवा पानी में थोड़ा सफेद सिरका डालकर धो लें।

 7 – छींकते या खाँसते समय अपनी कोहनी का प्रयोग करें। सीधे हाथों का प्रयोग कदापि न करें।

8 – गरम पानी में नमक डालकर गरारे करें एवं गरम पानी ही पिएं और ठंडे पेय पदार्थों से परहेज करें।

9 – घर के बड़े-बुजुर्गों और 10 साल से कम उम्र के बच्चों का ज्यादा ध्यान रखें और ज़रूरत पड़ने पर डॉक्टर से सम्पर्क करें।

10 – कोरोना बीमारी श्वास से सम्बन्धित है तो अस्थमा के रोगी और धूम्रपान करने वाले लोग ज्यादा सावधानी बरतें और अगर हो सके तो धूम्रपान छोड़ने की कोशिश करें.. आखिर जान है तो जहान है।

11 – सबसे ज़रूरी बात घबराएँ नहीं क्योंकि कोरोना होना ही मौत की वज़ह नहीं है, इसमें मृत्यदर काफी कम है और बहुत से लोग इस बीमारी से ठीक होकर घर जा चुके हैं।

यह विषय काफी बड़ा है और एक ब्लॉग में सब लिखना सम्भव नहीं है, इसलिए हम अपने अगले ब्लॉग में भी इसी विषय को आगे बढ़ाएँगे। तब तक स्वस्थ रहें, मस्त रहें और सकुशल घर में रहें।

 

मथुरा.. नगरी कंस की लेकिन जयकार कन्हैया की

अगर आप दिल्ली में रहते हैं और वीकेंड में कहीं घूमने की सोच रहे हैं एवं बजट भी ज्यादा नहीं है।साथ ही साथ घर में माता-पिता भी हैं तो पावन नगरी मथुरा ज़रूर होकर आइए l मथुरा दिल्ली से लगभग 300 km है वाया रोड एक्सप्रेस-वे से 3-4 घण्टे में अपनी गाड़ी से आराम से पहुँच सकते हैं।वाया ट्रेन भी मथुरा जंक्शन आराम से पहुंचा जा सकता है।

वहाँ पहुँच कर कोशिश करिए की 12 बजे से पहले गर्भगृह और द्वारिकाधीश दर्शन कर लीजिए क्योंकि 12 बजे से 4 बजे तक सभी मंदिर बन्द हो जाते हैं तब आपके पास मार्केट घूमने, जलपान वगैरह करने के अलावा वहाँ कोई अन्य विकल्प नहीं रहेंगे।

इस दौरान आप गोकुल या वृंदावन जा सकते हैं l इसमें आपको खाली बैठना नहीं पड़ेगा और जब तक मंदिर खुलने का समय होगा आप दूसरे गंतव्य तक पहुँच जाएँगे l

श्रीकृष्ण भगवान मथुरा के कारागार में पैदा हुए थे जिसको गर्भगृह कहा जाता है l जैसा कि ज्यादातर लोग जानते हैं कृष्ण जी,देवकी जी और वासुदेव जी की आठवीं संतान थे l कंस जो देवकी का भाई था उसको आकाशवाणी हुई कि जिस बहन को तुम इतने प्यार से शादी करके विदा कर रहे उसी का आठवां पुत्र तुम्हारी मृत्यु का कारण होगा l इस जानकारी का सचित्र विवरण गर्भगृह की दीवारों पर उकेरा हुआ है।

कंस इसी डर से दोनों लोगों को जेल में बंद कर देता है और एक-एक करके सब संतानों को खत्म करवा देता है।

जब कृष्ण जी पैदा हुए तो कारागार के सभी प्रहरियों को नींद आ गई और कारागार के सभी ताले स्वयं खुल गए।उसी समय वासुदेव कृष्ण को लेकर गोकुल के लिए निकल गए l गोकुल में उनके दोस्त नन्द और यशोदा जी के यहाँ एक कन्या हुई थी उसको ले आए और कृष्ण जी को छोड़ आए।

गोकुल की रज़ में खेलकर कान्हा बड़े हुए।वहाँ की रेत में लोटकर और खेलकर आज भी बड़ा सुकून मिलता है l आज भी वहाँ सब कुछ वैसा ही है शांत और प्राकृतिक l कहते हैं गोकुल में कलयुग का प्रवेश नहीं हो पाया l

वहाँ से निकलकर वृन्दावन जा सकते हैं l वृन्दावन राधा जी का निवास है।राधा-कृष्ण का प्यार आज भी बेमिसाल और अद्भुत है l इसमें न किसी को पाने की लालसा थी न किसी को खोने का डर।निःस्वार्थ प्यार क्या होता है ये सीखने को मिलता है l

मंदिर तो वहाँ बहुत हैं लेकिन बाँके बिहारी, प्रेम मंदिर आदि मुख्य हैं बाकी आपके पास जैसा समय हो उस हिसाब से प्लान कर सकते हैं।

निधिवन भी ज़रूर घूमें वहाँ जाकर आपको बड़ा सुकून मिलता है l लोगों का मानना है कि आज भी वहाँ राधा रानी का श्रृंगार होता है और रात में उस वन में कोई नहीं जा सकता l

 

मैं तुलसी तेरे आंगन की

तुलसी का हमारे भारतीय समाज खासकर हिन्दू धर्म में बड़ा ही महत्व है l हिन्दुओं में शायद ही कोई ऐसा घर मिले जिसके आँगन या बालकनी में तुलसी का पौधा न मिले। हिन्दुओं के प्रत्येक शुभ कार्य में, भगवान के प्रसाद में तुलसी-दल का प्रयोग होता है । पौराणिक महत्व के अलावा तुलसी वैज्ञानिक महत्व भी रखती है।

प्रचलित पौराणिक कथाओं के अनुसार देव और दानव द्वारा किए गए समुद्र मंथन के समय जो अमृत धरती पर छलका उसी से तुलसी की उत्पत्ति हुई।ब्रह्म देव ने उसे भगवान विष्णु को सौंपा। इसलिए ये विष्णु प्रिया भी कहलाती हैं। वैसे तो वर्ष भर ही तुलसी की पूजा की जाती है लेकिन कार्तिक मास में विशेष तौर से इनको पूजा जाता है और इसी माह में एकादशी को तुलसी विवाह भी सुहागन स्त्रियों द्वारा किया जाता है।

पौराणिक महत्व

1 – तुलसी की माला गले में धारण करने से शरीर में विद्युत शक्ति का संचार अच्छा होता है । जीवन शक्ति बढ़ती है, शरीर में ओज-तेज बना रहता है ।

2 – तुलसी की माला धारण करके किया गया शुभ कर्म अनंत फल देता है ।

3 – तुलसी के निकट रहने से मन शांत रहता है, क्रोध जल्दी नहीं आता ।

4 – मृतक व्यक्ति के मुँह में तुलसीदल और गंगाजल डालने से उसकी सद्गति होती है ।

5 – तुलसी की लकड़ी से शरीर का दाह संस्कार किया जाये तो उसका पुनर्जन्म नहीं होता ।

6 – ‘गरुड़ पुराण’ के अनुसार ‘तुलसी का वृक्ष लगाने, पालन करने, सींचने तथा ध्यान, स्पर्श और गुणगान करने से मनुष्यों के पूर्व जन्मार्जित पाप जलकर विनष्ट हो जाते हैं ।’

7 – मात्र भारत में ही नहीं वरन् विश्व के कई अन्य देशों में भी तुलसी को पूजनीय व शुभ माना गया है । ग्रीस में इस्टर्न चर्च नामक सम्प्रदाय में तुलसी की पूजा होती थी और सेंट बेजिल जयंती के दिन ‘नूतन वर्ष भाग्यशाली हो’ इस भावना से देवल में चढ़ाई गयी तुलसी के प्रसाद को स्त्रियाँ अपने घर ले जाती थीं ।

 

वैज्ञानिक महत्व

विज्ञान के अनुसार घर में तुलसी-पौधे लगाने से स्वस्थ वायुमंडल का निर्माण होता है । तुलसी का वैज्ञानिक नाम औसीमम सैंक्टम है।  मुख्य रूप से दो प्रकार की तुलसी मिलती है जिसे राम तुलसी और श्याम तुलसी कहते हैं। तुलसी से उड़ते रहने वाला तेल आपको अदृश्य रूप से कांति, ओज और शक्ति से भर देता है । अतः सुबह-शाम तुलसी के नीचे धूप-दीप जलाने से नेत्रज्योति बढ़ती है, श्वास का कष्ट मिटता है । तुलसी के बगीचे में बैठकर पढ़ने, लेटने, खेलने व व्यायाम करने वाले दीर्घायु व उत्साही होते हैं । तुलसी उनकी कवच की तरह रक्षा करती है ।

इसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं जिनमें से कुछ निम्न हैं:-

 1 – सर्दी-खांसी में तुलसी, काली मिर्च, गुड़, हल्दी एवं अदरक या सोंठ को पानी में अच्छे से उबालकर पीने से तुरंत असर दिखता है।

2 – तुलसी त्वचा के लिए काफी लाभदायक होती है। यह कील-मुँहासों में बहुत फायदेमन्द है।

3 – दस्त पड़ रही हो तो तुलसी में जीरा पीसकर पाउडर रूप में लेने से फायदा होता है।

4 – तुलसी की पत्तियों को चबाने से मुँह की बदबू गायब हो जाती है और चूँकि यह प्राकृतिक है तो किसी तरह का नुकसान भी नहीं होता।

5 – तुलसी माहवारी को भी नियमित करती है।

6 – कुछ शोधों में पाया गया है कि तुलसी कैंसर में भी लाभदायक है, हालांकि इसकी पूर्ण पुष्टि नहीं हुई है। कफजन्य रोग, दमा, अस्थमा आदि रोगों में भी तुलसी वरदानस्वरूप है ।

7 – तुलसी के पत्तों को जल में डालने से जल सुगंधित व तुलसी के समान गुणकारी हो जाता है । यदि पानी में उचित मात्रा में तुलसी-पत्ते डालकर उसे शुद्ध किया जाए तो उसके सारे दोष समाप्त हो जाते हैं । यह पानी शरीर को पुष्ट बनाता है तथा मुख का तेज, शरीर का बल एवं मेधा व स्मरण शक्ति बढ़ाता है ।

8 – फ्रेंच वैज्ञानिक डॉ. विक्टर रेसिन ने कहा कि इससे हिमोग्लोबिन बढ़ता है, लिवर नियंत्रित होता है, कोलेस्ट्रोल कंट्रोल होता है । कई प्रकार के बुखार मलेरिया, टाइफाइड आदि दूर होते हैं । हृदय रोगों में विशेष लाभकारी है ।

9 – एक अध्ययन के अनुसार ‘तुलसी का पौधा उच्छ्वास में ओजोन वायु छोड़ता है, जो विशेष स्फूर्तिप्रद है । तुलसी के पत्तों में एक विशिष्ट तेल होता है जो कीटाणुयुक्त वायु को शुद्ध करता है ।

10 – डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन के वैज्ञानिकों द्वारा किये गये अनुसंधानों से यह सिद्ध हुआ है कि ‘तुलसी में एंटी ऑक्सीडंट गुणधर्म है और वह आण्विक विकिरणों से क्षतिग्रस्त कोषों को स्वस्थ बना देती है । कुछ रोगों एवं जहरीले द्रव्यों, विकिरणों तथा धूम्रपान के कारण जो कोषों को हानि पहुँचाने वाले रसायन शरीर में उत्पन्न होते हैं, उनको तुलसी नष्ट कर देती है ।’

इस प्रकार तुलसी बड़ी पवित्र एवं अनेक दृष्टियों से महत्वपूर्ण है । यह माँ के समान सभी प्रकार से हमारा रक्षण व पोषण करती है ।  जहाँ तुलसी के पौधे होते हैं, वहाँ की वायु शुद्ध और पवित्र रहती है ।

Gluten..all About to know

7 Gluten Free Grains You Should Know About

 There is no shortage of grains which can provide healthy alternatives for a diet free in gluten, the problem lies in the cross contamination. Most people who suffer from Celiac disease can become uncomfortable even when a small amount of gluten is eaten. This may happen despite them buying and eating ‘gluten-free’ foods because most places of production do not exercise the highest standards of hygiene and the chances of cross-contamination remain high. A list of gluten free :

1.Rice. Rice has a large variety like brown rice, red rice, black rice and wild rice found in various parts of the world. In a gluten free diet rice is a mother grain and can be used as is or used to make flour that can be used to make rotis, cakes and cookies.
 
2. Sorghum
Sorghum is a genus of plants in the grass family. In India it is called ‘Jawar’ or ‘Jowar’ and it is easily available at a local store. Jowar can be milled to make flour to make rotis and it is used as a blend in the gluten free flour to make cookies and all.
 


3. Millet
Millets are a group of highly variable small-seeded grasses. Millet is found in three varieties – Pearl Millet is called Bajra, Finger Millet is called Ragiand Proso Millet is called Barri in Hindi. Millets can be cooked in the grain form and can be milled to make excellent flour that is multipurpose in nature from rotis to patties, breads.
 

4. Amaranth
Most of the Amaranthan species are summer annual weeds and are commonly referred to as pigweed. In India, Amaranth seed is called ‘ramdana’. It is very easily available and is an excellent grain that can be substituted as starch in a gluten free cooking. Replace corn-starch with powdered amaranth.


5. Buckwheat Buckwheat is not a grass and is not related to ‘wheat’. It is also referred as a pseudo cereal. Buckwheat in India is known as ‘kuttu’ and is eaten during the Navaratri festival. Buckwheat is used to make gluten free beer. The ways of using buckwheat are many – from roti to pancakes, cakes and cookies


6. Corn or Maize Maize kernels are often used in cooking as starch. Corn is known as ‘Bhutta’ in India, it is easily available as fresh, dried and can be milled to make flour. Corn is the most popular grain in the world. I love corn in all its forms, from the fresh ones to the milled.

7. Quinoa is the common name for Chenopodium Quinoa of the flowering plant family Amaranthaceous. It is grown as a grain crop primarily for its edible seeds. It is a pseudo cereal rather than a true cereal, due to the fact that quinoa is not a grass. Quinoa is closely related to the edible plants beetroot, spinach and amaranth. Quinoa is found in Peru, Bolivia and Chile.



Being gluten free, the biggest challenge isn’t the shortage of grains. Once you begin to see life beyond ‘roti’, there are many healthy alternatives available.

 

बारिश वेब सीरीज़ सीजन-2 क्यों देखें

 

हल्दी..फायदे और नुकसान

आमतौर पर हर भारतीय रसोई में मिलने वाला पीले रंग का पाउडर जिसको हम हल्दी कहते हैं एक भारतीय वनस्पति है।यह अदरक की प्रजाति का 5-6 फुट तक बढ़ने वाला पौधा है जिसमें जड़ की गाठों में हल्दी मिलती है।औषधि ग्रंथों में इसे हल्दी के अतिरिक्त हरिद्रा, कुरकुमा लौंगा, वरवर्णिनी, गौरी, क्रिमिघ्ना योशितप्रीया, हट्टविलासनी, हरदल, कुमकुम नाम दिए गए हैं।आयुर्वेद में हल्‍दी को एक महत्‍वपूर्ण औषधि कहा गया है।

  • लैटि‍न नाम : करकुमा लौंगा (Curcuma longa)
  • अंग्रेजी नाम : टर्मरि‍क (Turmeric)
  • पारि‍वारि‍क नाम : जि‍न्‍जि‍बरऐसे

हल्दी के कुछ मुख्य गुण:-

हल्दी में जीवाणुओं को मारने की अद्भुत क्षमता होती है, इसलिए इसको जीवाणुरोधी (Antibacterial) भी कहते हैं।यह सूजन रोधी (Anti inflammatory) और Antiseptic भी होती है।

हल्दी में पाए जाने वाले तत्व:-

हल्दी में एक विशेष प्रकार का उड़नशील तेल होता है जिसकी मात्रा 5.8% होती है।इसमें करक्यूमिन नामक पीत रंजक द्रव्य पाया जाता है,इसी की वजह से हल्दी का रंग पीला होता है।यह द्रव्य कैंसर कोशिकाओं पर जबरदस्त असर दिखाता है एवं रक्त की धमनियों में एकत्र कोलेस्ट्रॉल को घोलने की क्षमता रखता है।इसके अतिरिक्त हल्दी में विटामिन ए, प्रोटीन 6.3%, कार्बोहाइड्रेट 69.4% और खनिज तत्व 3.5% मात्रा में होते हैं।

हल्दी के फायदे:-

  1. इसको गर्म दूध में मिलाकर पीने से दर्द से निजात मिलती है चाहे जिस प्रकार का दर्द हो।
  2. दूध में हल्दी मिलाकर पीने से इम्युनिटी बढ़ती है साथ ही साथ शरीर में जमा चर्बी भी पिघलती है।
  3. हल्दी हमारे लिवर को फिट रखने में मदद करती है और हमारे शरीर को डिटॉक्स करती है।
  4. हल्दी गठिया रोगियों के लिए भी लाभकारी है।
  5. अभी खोज में पाया गया कि हल्दी कैंसर के उपचार में भी लाभदायक है।
  6. जैसा कि विदित है कि हल्दी की तासीर गर्म होती है तो उचित मात्रा में और सही तरीके से न ली जाए तो नुकसान भी करती है।
  7. हल्दी त्वचा सम्बन्धित उपचार में भी उपयोगी है।
  8. हल्दी सर्दी-जुकाम में भी काफी लाभकारी है।

हल्दी के नुकसान:-

सिर्फ प्राकृतिक और औषधीय गुणों से युक्त होना ही यह साबित नहीं करता कि यह पूरी तरह सुरक्षित है।गर्भवती महिलाओं एवं गॉल ब्लेडर / किडनी स्टोन वालों को हल्दी बहुत सावधानी से उपयोग करना चाहिए..

कई मामलों में हल्दी में उपस्थित ऑक्सलेट, पथरी का मुख्य कारण पाया गया है।

 

 

 

दालचीनी ..नाम के साथ गुण भी अनोखे

भारत देश आयुर्वेदिक औषधियों से भरपूर है l न जाने कितनी औषधियों को हम बिना उनके गुणों को जाने अपने रसोई के मसालों में प्रयोग करते हैं, उन्हीं में से एक है दालचीनी।इसको अंग्रेजी में Cinnamon बोलते हैं।

परिचय:-

दालचीनी एक छोटा सदाबहार पेड़ है जो 10-15 मीटर ऊंचा होता है।

अगर आपको रसोई का थोड़ा भी अनुभव है तो दालचीनी आपने ज़रूर देखी होगी।लकड़ी की छाल के जैसे दिखने वाली यह वस्तु कितनी गुणकारी है यह हम आज आपको बताते हैं।यह अपने अलग स्वाद और महक की वजह से कई खाद्य पदार्थों में मिलाया जाता है।

यह लौरेसिई परिवार का है।

दालचीनी के पौष्टिक गुण:-

दालचीनी में सबसे ज्यादा कार्बोहाइड्रेट 80.5% होता है साथ ही साथ प्रोटीन, वसा, शुगर, मिनरल्स, विटामिन्स भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।इसमें विटामिन ए,बी,सी,ई सभी थोड़ी-थोड़ी मात्रा में मिलते हैं।

दालचीनी के फायदे:-

1 – गर्म दूध में दालचीनी मिलाकर पीने से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता तो बढ़ती ही है साथ ही साथ नींद भी बहुत अच्छी आती है..आजकल नींद न आने की समस्या से ज़्यादातर लोग पीड़ित हैं।

2 – दालचीनी खूबसूरत बालों और त्वचा के लिए उपयोगी है।

3 – दूध में मिलाकर पीने से हड्डियाँ मजबूत होती हैं।

4 – दूध में दालचीनी मिलाकर पीने से पाचन शक्ति मज़बूत होती है।

5 – देखा गया है कि दूध में दालचीनी मिलाकर पीने से ब्लड शुगर लेवल भी नियंत्रित रहता है।

6 – दालचीनी में एन्टी फंगल गुण होता है तो यह हमारे शरीर को फंगल संक्रमण से बचाने में भी मदद करता है।

7 – दालचीनी के घरेलू उपयोग को मस्तिष्क के लिए काफी फायदेमंद पाया गया।यह ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करके मस्तिष्क को स्वस्थ बनाता है।

8 – चूहों पर किए गए एक शोध में पाया गया कि दालचीनी में कैंसर की कोशिकाओं के विकास को कम करने और फैलने से रोकने के तत्व मिलते हैं।

9 – दालचीनी वज़न नियंत्रण में भी काफी कारगर है।

10 – श्वसन संबंधित कई बीमारियों जैसे ब्रोंकाइटिस में इसके फायदे दिखे हैं।

दालचीनी के नुकसान:-

दालचीनी को ज्यादा मात्रा में खाने से कई नुकसान भी होते हैं।जिसमें से कुछ निम्न हैं –

1 – दालचीनी की ज्यादा मात्रा शरीर का ग्लूकोज स्तर कम कर सकती है जिससे व्यक्ति ऊर्जाहीन महसूस करता है।

2 – लिवर संबंधित समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है।

3 – पेट संबंधी बीमारियां भी हो सकती हैं।

4 – दालचीनी की तासीर अम्लीय होती है जिससे हमारे दाँत प्रभावित होते हैं।

5 – कई लोगों को दालचीनी से एलर्जी भी होती है।

एरोबिक्स …. कुछ अनछुई बातें

आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में जहाँ रुकना मना है वहीं लोग अपने लिए कोई समय नहीं निकाल रहे जिससे समय से पहले ही बहुत सी बीमारियों से घिर जा रहे।

इन सबसे बचने के लिये हमें अपनी शारीरिक गतिविधियों पर ज़रूर ध्यान देना चाहिए।उन्हीं गतिविधियों में से एक एरोबिक्स है।

एरोबिक व्यायाम एक शारीरिक गतिविधि है, जिसमें प्रत्येक अंग और कई मांसपेशियों का समूह एक साथ कार्य करते हैं। यह कार्डियोवैस्क्युलर एक्टिविटी होती है क्योंकि इसको करने से ऑक्सीजन तेज़ी से शरीर में अवशोषित होता है।

इसके विभिन्न प्रकार आपको फिट रहने में मदद करते हैं l रस्सी कूदना, डम्बल पुशअप, तैराकी, जॉगिंग, दौड़ना,स्टेपर पर स्क्वायर बनाना ये सब एरोबिक्स का ही हिस्सा है।

मैं खुद वीक में 5 दिन 1 घण्टे नियमित एरोबिक्स करती हूँ।

एरोबिक्स के फायदे:-

1 – इम्युनिटी बढ़ जाती है एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता तो कमाल की बढ़ती है।

2 – स्टेमिना में वृध्दि होती है। जहाँ मैं पहले सीढ़ी चढ़ने और घर के कामों में थक जाती थी अब बाहर के और काम भी कर लेती हूँ।

3 – वज़न नियंत्रण l ये एक मुख्य कारण था मुझे एरोबिक्स तक ले जाने का और आप यकीन नहीं करेंगे मैंने 3 महीनों में 10 किलो वजन कम किया l पेट की चर्बी भी पिघल गई।

4 – एरोबिक्स से हमारे शरीर के विषैले पदार्थ निकल जाते हैं तो नई ऊर्जा मिलती है।

5 – शरीर में लचीलापन आ जाता है।

6 – पसीना बहाने के बाद त्वचा पर जो निखार आता है वह किसी सौंदर्य प्रसाधन से नहीं मिलता।

7 – तनाव छूमंतर हो जाता है l आज की जीवन शैली में तनाव एक गंभीर समस्या है।

8 – कोलेस्ट्रॉल लेवल नियंत्रित करता है।

9 – बहुत सी समस्याओं से अपने आप छुटकारा मिल जाता है जैसे कि थायराइड, घुटने के दर्द, मांसपेशियों की समस्या।

एरोबिक्स शरीर के प्रत्येक अंग पर अलग-अलग कार्य करता है और इसका परिणाम आप खुद देख सकते हैं नहीं तो आपके आसपास रहने वाले तो ज़रूर आपको बता देंगे l भले तारीफ हो या ईर्ष्या।