ऐसी कोई भी वस्तु जिसे खाने, छूने या साँस लेने पर कुछ लोग बीमार हो जाते हैं उसको एलर्जेंस कहते हैं और एलर्जेंस से होने वाले असर को एलर्जी कहते हैं।
हमारे शरीर में एक रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है जो हमारे शरीर के सम्पर्क में आने वाले कुछ पदार्थ या किसी कीड़े से निकलने वाले केमिकल के प्रति संवेदनशील होती है इसी को हम एलर्जी कहते हैं।
मई और जून के महीने में भारत में पाया जाने वाला यह जामुनी रंग का फल न सिर्फ देखने में ही आकर्षक होता है बल्कि औषधीय गुणों से भी भरपूर होता है। जामुन का सिर्फ बीज ही नहीं बल्कि गुठली भी बहुत उपयोगी होती है। यह सयज़ीगिम क्यूमिनी नामक पेड़ से प्राप्त फल होता है जो स्वाद में खट्टा और मीठा दोनों फ्लेवर लिए हुए होता है। आज हम इसके कुछ फ़ायदों के बारे में जानेंगे।
भारत में योग की परंपरा हज़ारों साल पुरानी है। योग आत्मा और शरीर के बीच सामंजस्य रखने का विज्ञान है। सन् 2015 से ही 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित करके सम्पूर्ण विश्व को योग के बारे में जागरूक करने की मुहिम चल रही।
योग शरीर के साथ-साथ मन को भी मज़बूत करता है। श्वसनतंत्र को मज़बूत करने में योग का महत्वपूर्ण योगदान होता है। ऐसे में जब सम्पूर्ण विश्व कोरोना नामक महामारी से जूझ रहा है, योग एक अच्छा विकल्प हो सकता है क्योंकि कोरोना भी श्वसन संबंधी बीमारी है।
योग कई प्रकार के होते हैं प्रत्येक अंग को ध्यान में रखते हुए योग क्रियाएँ विकसित की गई हैं लेकिन अगर आपने इससे पहले योग नहीं किया है तो योग शुरू करने से पहले कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें।
योग करने के लिए सूर्योदय और सूर्यास्त का समय उपयुक्त होता है। वैसे तो योग किसी भी समय किया जा सकता है बशर्ते योग करने से 2 घण्टे पहले ही कुछ खाया हो। पेट खाली रहना अनिवार्य होता है योग शुरू करने से पहले।
योग ज़मीन पर दरी या चटाई बिछाकर ही करना चाहिए और ज़मीन समतल होना चाहिए।
शुरुआत में हो सकता है कि आपके शरीर में उतना लचीलापन और दृढ़ता न हो जितना योग की मुद्रा के लिए चाहिए तो शुरुआत आसान मुद्राओं से करें।
योग के लिए शांत मन और एकाग्रचित्त होना बहुत ही ज़रूरी है।
योग के लिए संयम और निरंतरता भी उतनी ही आवश्यक है। अगर पहली बार में कोई आसन नहीं बन रहा तो उसका निरंतर अभ्यास करते रहें, उसको छोड़ें नहीं।
योग का परिणाम दूरगामी होता है उसका असर तुरन्त नहीं दिखता तो धैर्य बनाएं रखें।
किसी एक्सपर्ट की निगरानी में और अपने शरीर के मेडिकल कंडीशन को ध्यान में रखकर ही योगाभ्यास करें नहीं तो उसके दुष्परिणाम भी मिल सकते हैं।
सबका शरीर एक जैसा नहीं होता तो एक योग सबको एक जैसा परिणाम दे ऐसा भी सम्भव नहीं, इसलिए किसी की नकल से बचें।
योग बच्चे, बूढ़े, जवान सभी के लिए उपयोगी है बस केवल कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए।
10 जून 2021 कोसालकापहलासूर्यग्रहणलगरहा। भारतीय समयानुसार दोपहर 1.43 पर यह खगोलीय घटना होने वाली है जिसका असर शाम 6 बजकर 41 मिनट पर खत्म होगा। भारत में यह ग्रहण नहीं दिखाई देगा।ये ग्रहण मुख्य रूप से उत्तरी अमेरिका, यूरोप और एशिया में आंशिक व उत्तरी कनाडा, ग्रीन लैंड और रूस में पूर्ण रूप से दिखाई देगा।
फिलहाल तो कोरोना नामक ग्रहण पूरी दुनिया पर ही लगा हुआ है इसलिए अपना और अपने परिवार को हानिकारक विकिरणों और बैक्टीरिया वायरस से सुरक्षित रखना हमारा प्रथम कर्तव्य है। सब खुश और स्वस्थ रहें यही ईश्वर से प्रार्थना है।
माँ होने का अहसास ही कितना खास होता है ये उस दिन पता चलता है जब आप खुद माँ बनती हैं। एक छोटा नन्हा सा मेहमान जिसको छूने में ही डर लगता हो उसका ध्यान हम रख पाएंगे कि नहीं, कहीं कुछ गलती न हो जाए ये सब सोचकर ही दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं। ये सब सुनने में बड़ा आसान लगता है लेकिन जिस दिन मैंने अपनी गुड़िया को अपनी गोद में लिया उस दिन एक सुकून के साथ-साथ ये डर मुझे भी सता रहा था। उस बात को 8 साल हो गए लेकिन मुड़कर देखती हूँ तो लगता है जैसे कल की ही बात हो। आज मेरी बेटी जब तरह-तरह के सवाल पूछती है और कभी-कभी जब मुझे ही कुछ नया सिखा जाती है तो सोचती हूँ क्या ये वही नन्हीं परी है जिसको छूने में मुझे डर लगता था। डर लगता था कि क्या मैं एक माँ की ज़िम्मेदारी कायदे से उठा पाऊंगी। ऐसे में कुछ चीजें जो मेरी माँ ने बताया और उन्हें उनकी माँ ने, मुझे भी काफी आराम मिला इनको इस्तेमाल करके अपने मातृत्व के सफर में वो आपसे शेयर करना चाहती हूँ, खासकर उनसे जिनकी इस सफर में शुरुआत हो रही और जो शुरुआत करने वाले हैं।
कुछ चीजें जो एक्सपेरिएंस से ही आती आप कितने भी एजुकेटेड हो मैटर नहीं करता। जैसे आजकल मार्केट में diapers के ढेरों ऑप्शन हैं लेकिन कई बार diapers साइड इफ़ेक्ट्स भी छोड़ देते जैसे रैशेस,रेड स्पॉट्स आदि। इसलिए कपड़े की नैपी भी एक बढ़िया ऑप्शन होता है।
बच्चों की मालिश भी उनके ग्रोथ के लिये बहुत ज़रूरी होती। इसके लिए मालिश करने के तरीके से लेकर मालिश के लिए प्रयोग होने वाला तेल भी उतना ही ज़रूरी होता है। वैसे तो प्राकृतिक रूप से निकला हुआ सरसों का तेल मालिश के लिए सबसे उपयुक्त होता है लेकिन कई बच्चों को सरसों का तेल एलर्जी भी कर देता क्योंकि सरसो की तासीर गर्म होती है ऐसे में नारियल का तेल बेस्ट ऑप्शन होता है क्योंकि इसमें भी मिलावट के चांस बहुत ही कम होते हैं और हर घर में इसका उपयोग होता है।
बच्चों के लिये हाइजीन का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। साफ-सफाई के साथ-साथ जर्म्स नियंत्रण भी उतना ही ज़रूरी होता है। उसके लिए आप बाजार से कोई भी कीटाणुनाशक ले सकते अपने घर के फर्श को साफ करने के लिए भी और बच्चों के कपडों को कीटाणुओं से बचाने के लिये भी।
कई बार बच्चों को पेट में दर्द होता है और वो अपना दर्द बोलके नहीं बता सकते तो सिर्फ रोकर ही बताते हैं ऐसे में घबराने की ज़रूरत नहीं बच्चे को गोद में लेकर अपने कंधे से चिपकाएं और पीठ पर हल्की थपकी दें साथ ही साथ बच्चे की नाभि पर हींग लगाएं इतना करने पर बच्चे को डेफिनेटली आराम मिलेगा।
प्रोटीन हमारी मांसपेशियों को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शायद इसलिए इसको शरीर का बिल्डिंग ब्लॉक भी कहा जाता है। मांसाहारी भोजन में तो प्रोटीन के बहुत से विकल्प हैं लेकिन शुद्ध शाकाहारी लोगों के लिए ये काफी सीमित हैं। वो भी ऐसे समय में जब काफी लोग भूख से मर रहे और कोरोना का आतंक फैलता ही जा रहा है, सभी पौष्टिक तत्वों से भरपूर भोजन आसानी से मिल पाना बहुत ही मुश्किल हो गया है। ऐसे में अपने को चुस्त- दुरुस्त रखते हुए परिवार और देश को स्वस्थ और सुरक्षित रखना सबकी नैतिक जिम्मेदारी है। आज हम शाकाहारी भोजन में प्रोटीन के अन्य विकल्पों पर चर्चा करेंगे।
सोयाबीन सोयाबीन प्रोटीन का बहुत ही उम्दा स्रोत है। थायराइड विकार से ग्रस्त लोगों को छोड़कर बाकी लोग इसका उपयोग ज़रूर करें।
राजमा राजमा भी प्रोटीन का बढ़िया स्रोत है और खाने में भी स्वादिष्ट होता है।
चिया चिया प्रोटीन का अच्छा विकल्प है और ये आसानी से मिल भी जाता है। बेकिंग में ये अंडे का अच्छा विकल्प है। पनीर, दूध और दूध से निर्मित चीजें प्रोटीन का अच्छा स्रोत होते हैं। इनको अपने आहार में ज़रूर शामिल करें।
टोफू आजकल ये भी बाज़ार में बड़ी आसानी से मिल जाता है और प्रोटीन से भरपूर होता है।
गर्मी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है इसलिए ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करने की कोशिश करें और बहुत ज़रूरी न हो तो घर से न निकलें। स्वस्थ रहें मस्त रहें।
As threat of corona is increasing day by day in every country all over the world, People are locked down in their home. In such worst condition who are most suffering, that are kids below 10 years and aged people who are more than 60 years. Small kids who are unaware of their well-being and can’t follow social distancing as well as sanitization and all they don’t want to listen why they are kept away from their favorite places like garden, malls etc. In such panic condition their mental as well as physical health will be affected for longer time. At this time almost every school has started online classes. Work from home is going on already so far, so it is tougher for parents to give quality time to their kids because domestic help is also closed. Then what is necessary to all parents:-
1- Whatever you are doing but always keep eyes on your little ones.
2- Try to give some quality time to them, it may be in form of indoor games or may be story telling.
3- Don’t shout or overreact on children as it is very tough situation for all of us.
4. Try to engage your kids in some fruitful work which they enjoy like art and craft, some toy making or take help from them in kitchen.
5. Handle kids very softly, because after lock down studies will be completed if child is mentally stable.
Ginger is a well known spice from our Indian kitchen. It is used in very small quantities but its presence is very necessary at least in our morning tea.
Ginger (Adarak) belongs to the same family of turmeric and cardamom, which is zingiberaceae. It’s a rhizome, a thick underground stem that sprouts roots and shoots.
Its uses
1. Ginger is commonly used for many types of nausea and vomiting like pregnancy nausea and surgical nausea.
2. Ginger is anti-inflammatory and anti-oxidant in nature. Consumption of ginger may help to decrease muscle soreness, inflammation and relieve osteoarthritis pain.
3. Ginger works by inhibiting serotonin receptors, exerting anti- nausea effects at both the brain and gut level.
4. It also contains an enzyme called zingibain that may assist in protein digestion.
5. On animal research, studies have shown that ginger might help to control high blood pressure.
Consumption of anything in high dose is harmful always. High dose of ginger may cause burning sensation and indigestion, diarrhea etc.
आमतौर पर हर भारतीय रसोईं में काले रंग का छोटा सा खुरदुरा मसाला जिसे हम काली मिर्च कहते हैं बड़े काम का है। यह सिर्फ खाने का स्वाद ही नहीं बढ़ाता बल्कि इसमें कई औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। वैसे तो सर्दी-खाँसी में हम सभी इसका इस्तेमाल करते हैं इसके अलावा कुछ और गुणों का भी ज़िक्र आज हम करेंगे।
काली मिर्च में विटामिन ए, सी, और सेलीनियम जैसे तत्व पाए जाते हैं जो संक्रमण से बचाते हैं और इम्युनिटी बूस्ट करने में मदद करते हैं।
फायदे
काली मिर्च कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है।
काली मिर्च पाचन में मदद करता है।
इसमें पिपरिन नामक तत्व होता है। यह सेरोटोनिन नामक रसायन स्रावित करता है जो मूड को ठीक करता है और तनाव कम करता है।
गुड़ के साथ काली मिर्च का सेवन करने से मेटाबोलिज्म बढ़ता है जो भूख बढ़ाने में मददगार है।
काली मिर्च सर्दी-जुकाम को ठीक करने में मदद करती है।
काली मिर्च का तेल त्वचा पर लगाने से शरीर को गर्माहट मिलती है जिससे रक्त संचार सुचारू रूप से होता है।
लौंग हम सब के लिए एक बहुत ही जाना पहचाना नाम है। खासकर भारतीय रसोईं में तो हर घर में ही मिल जाता है। अपनी दादी-नानी के समय से ही हम दाँत दर्द से लेकर जुकाम तक के लिए लौंग का उपयोग सुनते आए हैं, तो चलिए आज लौंग के कुछ और गुणों को जानते हैं जिससे हम अब तक अनजान थे।
लौंग “Myratecae” कुल के “यूजीनिया कैरियोफिलेटा” नामक मध्यम कद वाले सदाबहार वृक्ष की सूखी हुई पुष्प कलिका है। इसकी खुशबू बेमिसाल होती है, साथ ही साथ इसमें कई औषधीय गुण भी पाए जाते हैं।
लौंग के फायदे
लौंग आकार में बहुत छोटा होता है लेकिन इसमें कई चमत्कारी गुण पाए जाते हैं। कुछ फायदे नीचे दिए गए हैं ।
लौंग दाँत दर्द में रामबाण होता है। जिस दाँत में दर्द हो रहा हो उसके नीचे लौंग का एक फूल या उसके तेल को रुई में भिगोकर रख लेने मात्र से ही दाँत दर्द ठीक हो जाता है।
सर्दी-खांसी होने पर लौंग के साथ अदरक, तुलसी, हल्दी और गुड़ को पानी में उबालकर छान लें। यह काढ़ा सर्दी-जुकाम के लिए बड़ा फायदेमंद होता है।
लौंग हमारे पाचन को भी दुरुस्त करता है।
लौंग ब्लड शुगर लेवल भी कम करता है।
लौंग रक्त शोधक के रूप में कार्य करता है और रक्तप्रवाह को बेहतर करता है।
लौंग एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करता है ऐसे में तनाव से मुक्ति दिलाने में यह काफी मददगार होता है।
लौंग में एंटीफंगल, एंटीबैक्टीरियल और एंटीइंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं।
वैसे तो प्राकृतिक खाद्य पदार्थों के गम्भीर नुकसान नहीं होते लेकिन उनमें कुछ रासायनिक तत्व मिलते हैं जिनकी तासीर गर्म या ठंडी हो सकती है जो हमारे शरीर के अनुसार अपना असर दिखाता है। लौंग गर्म तासीर का होता है जिसके अत्यधिक सेवन से पुरुषों के प्रजनन तंत्र पर दुष्परिणाम हो सकता है। अत्यधिक सेवन से दाँत के मसूड़ों में सूजन भी देखी गई है।
पेरेंटिंग हमेशा एक चुनौती ही रही है। एक नन्हे से जीव को इस काबिल बनाना कि वो खुद अपने भले-बुरे का चुनाव करने के साथ-साथ उससे जुड़े लोगों के लिए भी सही फैसला ले सके, कभी भी आसान नहीं रहा। भारतीय समाज में पहले संयुक्त परिवार में ज़िम्मेदारियाँ बँटी होती थी और बच्चों के पास भी देखने-सीखने के लिए बहुत से विकल्प होते थे। माता-पिता भी अपनी और ज़िम्मेदारियों के साथ-साथ बच्चों को भी देख लेते थे। बच्चे भी माँ-बाप में भगवान वाली छवि ढूढ़ते थे और उनकी बात सुनते ज्यादा एवं बोलते कम थे। लेकिन अब जैसे-जैसे एकल परिवारों का चलन बढ़ा और एक-दो बच्चे का दौर शुरू हुआ, साथ-साथ लड़की हो या लड़का शिक्षा सबका अधिकार प्रभावी हुआ, तब से काफी कुछ बदल गया। चुनौतियां बढ़ी, ज़िम्मेदारी बढ़ी और बिखराव बढ़ा। जहाँ पहले बच्चे अपने पेरेंट्स से छोटी सी बात करने में हिचकते थे अब सवाल-जवाब खत्म ही नहीं होते। सफलता मिली तो ये बच्चों की मेहनत और असफलता मिली तो आपने मेरे लिए किया ही क्या? ऐसे में तनाव और चिंता का माहौल हो जाना कोई बड़ी बात नहीं। नए पेरेंट्स सब कुछ छोड़कर बच्चों का भविष्य बनाने में लगे हुए हैं। उनके चतुर्मुखी विकास में अपना सब कुछ झोंक दिया है। ऐसे में ये ज़रूर ध्यान देना चाहिए कि बच्चा हर बात के लिये आप ही पर तो निर्भर नहीं हो रहा। कोशिश करना चाहिए कि बचपन से ही बच्चों को सही-गलत में अंतर समझाया जाना ज़रूरी है, ताकि बड़ा होकर वो अपने जीवन के अहम फैसलों में आपसे सलाह तो ले लेकिन आखिरी फैसला खुद उसका हो और उसके लिए वो किसी पर दोषारोपण करता नजर न आए। बच्चों को समाज की बुरी नज़र से बचाते हुए आत्मनिर्भर बनाने में कहीं हम ये गलती तो नहीं कर रहे कि बच्चा हमसे तो बहस कर ले रहा लेकिन जहाँ समाज में बोलने की बारी आए तो वो कुछ बोल ही न पाए। इसके लिए उसको बचपन से ही छोटे-छोटे मामलों में निर्णय लेने का मौका दीजिये और गलत होने पर उसको प्यार से समझाइए भी। बच्चों को बचपन से ही आत्मनिर्भर बनाने में उनको अपना काम खुद करना भी आना चाहिए। इसलिए शुरुआत से ही छोटे कामों को करने की आदत डालने पर बाद में बड़े काम भी वो खुद करने लगते हैं। अगर आप यह सोचकर कि बच्चा अभी छोटा है, उनके सभी काम करते जाएंगे तो भविष्य में उसको आराम की आदत हो जाएगी। हमारे समाज में खासकर भारतीय समाज में लड़कियों को तो ससुराल जाने के नाम पर थोड़ा-बहुत काम करवाया भी जाता है, लेकिन लड़कों को एक गिलास पानी लेने को भी नहीं बोला जाता। ऐसे में एकल परिवारों में माँ के बीमार होने पर बड़ी समस्या हो जाती है और बाद में यही समस्या उस लड़के की पत्नी को भी झेलनी पड़ती है। आज के हमारे समाज की कड़वी सच्चाई ये है कि लड़का हो या लड़की सबको सब काम आने चाहिए ताकि ज़रूरत पड़ने पर वह हर परिस्थिति का डटकर सामना कर सके। लड़की को इतना काबिल बनाएं कि वो आर्थिक और मानसिक रूप से सशक्त होते हुए घर की ज़िम्मेदारियाँ बख़ूबी निभा सके और लड़के को इतना काबिल बनाएं कि आर्थिक और सामाजिक रूप से मज़बूत होते हुए भी घर के काम करने में वो संकोच या शर्म महसूस न करे और अकेले होने पर कभी भूखा रहने की नौबत न आए।