Month: June 2020

एलर्जी-और-एलर्जन्स

ऐसी कोई भी वस्तु जिसे खाने, छूने या साँस लेने पर कुछ लोग बीमार हो जाते हैं उसको एलर्जेंस कहते हैं और एलर्जेंस से होने वाले असर को एलर्जी कहते हैं।

हमारे शरीर में एक रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है जो हमारे शरीर के सम्पर्क में आने वाले कुछ पदार्थ या किसी कीड़े से निकलने वाले केमिकल के प्रति संवेदनशील होती है इसी को हम एलर्जी कहते हैं।

जामुन :- कुछ फायदे और नुकसान

मई और जून के महीने में भारत में पाया जाने वाला यह जामुनी रंग का फल न सिर्फ देखने में ही आकर्षक होता है बल्कि औषधीय गुणों से भी भरपूर होता है। जामुन का सिर्फ बीज ही नहीं बल्कि गुठली भी बहुत उपयोगी होती है। यह सयज़ीगिम क्यूमिनी नामक पेड़ से प्राप्त फल होता है जो स्वाद में खट्टा और मीठा दोनों फ्लेवर लिए हुए होता है। आज हम इसके कुछ फ़ायदों के बारे में जानेंगे।

योग से रहें निरोग

भारत में योग की परंपरा हज़ारों साल पुरानी है। योग आत्मा और शरीर के बीच सामंजस्य रखने का विज्ञान है। सन् 2015 से ही 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित करके सम्पूर्ण विश्व को योग के बारे में जागरूक करने की मुहिम चल रही।

21 जून को उत्तरी गोलार्ध में सबसे बड़ा दिन होता है इसलिए योग दिवस 21 जून को ही मनाया जाता है।

योग शरीर के साथ-साथ मन को भी मज़बूत करता है। श्वसनतंत्र को मज़बूत करने में योग का महत्वपूर्ण योगदान होता है। ऐसे में जब सम्पूर्ण विश्व कोरोना नामक महामारी से जूझ रहा है, योग एक अच्छा विकल्प हो सकता है क्योंकि कोरोना भी श्वसन संबंधी बीमारी है।

योग कई प्रकार के होते हैं प्रत्येक अंग को ध्यान में रखते हुए योग क्रियाएँ विकसित की गई हैं लेकिन अगर आपने इससे पहले योग नहीं किया है तो योग शुरू करने से पहले कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें।

  1. योग करने के लिए सूर्योदय और सूर्यास्त का समय उपयुक्त होता है। वैसे तो योग किसी भी समय किया जा सकता है बशर्ते योग करने से 2 घण्टे पहले ही कुछ खाया हो। पेट खाली रहना अनिवार्य होता है योग शुरू करने से पहले।
  2. योग ज़मीन पर दरी या चटाई बिछाकर ही करना चाहिए और ज़मीन समतल होना चाहिए।
  3. शुरुआत में हो सकता है कि आपके शरीर में उतना लचीलापन और दृढ़ता न हो जितना योग की मुद्रा के लिए चाहिए तो शुरुआत आसान मुद्राओं से करें।
  4. योग के लिए शांत मन और एकाग्रचित्त होना बहुत ही ज़रूरी है।
  5. योग के लिए संयम और निरंतरता भी उतनी ही आवश्यक है। अगर पहली बार में कोई आसन नहीं बन रहा तो उसका निरंतर अभ्यास करते रहें, उसको छोड़ें नहीं।
  6. योग का परिणाम दूरगामी होता है उसका असर तुरन्त नहीं दिखता तो धैर्य बनाएं रखें।
  7. किसी एक्सपर्ट की निगरानी में और अपने शरीर के मेडिकल कंडीशन को ध्यान में रखकर ही योगाभ्यास करें नहीं तो उसके दुष्परिणाम भी मिल सकते हैं।
  8. सबका शरीर एक जैसा नहीं होता तो एक योग सबको एक जैसा परिणाम दे ऐसा भी सम्भव नहीं, इसलिए किसी की नकल से बचें।
  9. योग बच्चे, बूढ़े, जवान सभी के लिए उपयोगी है बस केवल कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए।

 

 

सूर्य ग्रहण :- कुछ तथ्य कुछ मिथक

 

 

10 जून 2021 को साल का पहला सूर्य ग्रहण लग रहा। भारतीय समयानुसार दोपहर 1.43 पर यह खगोलीय घटना होने वाली है जिसका असर शाम 6 बजकर 41 मिनट पर खत्म होगा। भारत में यह ग्रहण नहीं दिखाई देगा।ये ग्रहण मुख्य रूप से उत्तरी अमेरिका, यूरोप और एशिया में आंशिक व उत्तरी कनाडा, ग्रीन लैंड और रूस में पूर्ण रूप से दिखाई देगा।

2021 का दूसरा सूर्यग्रहण 4 दिसंबर को दिखेगा।

क्या है सूर्यग्रहण

वैसे तो सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है जिसमें चंद्रमा अपनी धुरी पर घूमते हुए सूर्य एवं पृथ्वी के बीच में जाता है और आंशिक या पूर्ण रूप से सूर्य को ढंक लेता है जिससे पृथ्वी पर उसकी छाया दिखाई देती है और पृथ्वी पर कुछ देर के लिए अंधेरा हो जाता है।

सूर्यग्रहण का धार्मिक पक्ष

सूर्य ग्रहण का अपना धार्मिक महत्व भी है। हमारे पुराणों के अनुसार राहु और केतु नाम के दो असुर हैं जो चन्द्रमा और सूर्य के आसपास ही रहते हैं तथा समयसमय पर राहु चंद्रमा को और केतु सूर्य को खाने की कोशिश करते हैं, वही चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण के रूप में सामने आता है। हालांकि इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और जानकारी के अभाव में लोगों ने अपनी एक धारणा विकसित कर ली थी।

क्या करें क्या न करें और क्यों?

सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण के दौरान खाना, पीना, मलमूत्र त्याग करना, सोना आदि वर्जित माना जाता है।हालांकि इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि ग्रहण के दौरान हानिकारक विकिरण निकलते हैं जिनके बैक्टीरिया खाने को खराब कर देते हैं और वो पाचनतंत्र में जाकर अनेक रोगों को भी आमंत्रित करते हैं। इस दौरान खाद्य पदार्थों जैसे दूध, सूखे अनाज इन सबमें कुश या तुलसी पत्ता रखने का रिवाज है जिससे सब बैक्टीरिया इसी में चिपक जाएं और ग्रहण के बाद उनको निकाल कर बाहर कर देना चाहिए।

ग्रहण के बाद स्नान आदि करने का भी रिवाज़ है ताकि इस दौरान जो भी हानिकारक विकिरण या बैक्टीरिया हमारे शरीर पर चिपकें वो साबुन और पानी में मिलके बह जाएं।

फिलहाल तो कोरोना नामक ग्रहण पूरी दुनिया पर ही लगा हुआ है इसलिए अपना और अपने परिवार को हानिकारक विकिरणों और बैक्टीरिया वायरस से सुरक्षित रखना हमारा प्रथम कर्तव्य है। सब खुश और स्वस्थ रहें यही ईश्वर से प्रार्थना है।

 

 

स्वस्थ रहने के लिए स्वस्थ खान-पान के कुछ आसान टिप्स

अभी ऐसा समय चल रहा है जिसमें लगभग सबको ही ये अहसास हो गया है कि स्वस्थ रहने के लिए स्वास्थ्यवर्धक खाना वो भी जितना संभव हो घर में पका हुआ, हेल्दी लाइफस्टाइल, कुछ फिजिकल एक्सरसाइज और अपना घर एवं अपनी मिट्टी ही अंत तक साथ देती है, बाकी सब मोह माया है।

आज ये समझ में गया कि बिना शॉपिंग मॉल गए, बिना बाहर का खाना खाए और बिना जिम में पसीना बहाए, बिना थिएटर गए भी हम खुशीखुशी ज़िंदा रह सकते हैं और अपना समय और पैसा दोनो बचा सकते हैं।

 
 

 

 
 
 

आज हम कुछ ऐसे आसान टिप्स की चर्चा करेंगे जिनको इस्तेमाल करके हम अपने घर के खाने को हेल्दी और टेस्टी बना सकते हैं।

हम सभी जानते हैं कि सलाद स्वास्थ्य वर्धक होता है लेकिन उसको क्रीम, स्पाइस और चाट मसाला पाउडर डालकर हम उसकी वैल्यू कम कर देते हैं। इसलिए कोशिश करिए सलाद सिर्फ ओलिव ऑयल और काली मिर्च के साथ बहुत हल्का नमक डालकर ही ड्रेसिंग करें तभी वास्तव में यह हेल्दी ऑप्शन होगा।

बादाम फाइबर एवं प्रोटीन युक्त ड्राई फ्रूट है जो दिमाग को तेज रखने में मदद करता है। इसको कुछ घण्टे पानी में भिगोकर उसका छिलका उतारकर प्रयोग करने से ये उत्तम परिणाम देता है।

शाकाहारी भोजन सर्वोत्तम माना गया है। अगर आप मांसाहारी भी हैं तब भी कोशिश करें कि सप्ताह में 4 दिन शाकाहारी भोजन लें।

अगर आप मशरूम खाते हैं तो उसको अच्छे से पकाकर ही खाएं ताकि उसमें जो हानिकारक तत्व हों वह निकल जाएं।

कैल्शियम हमारी हड्डियों के लिए बहुत ही ज़रूरी है इसलिए अपने रोज़ के खाने में कैल्शियम युक्त भोजन जैसे दूध, दही, छांछ, पनीर और घी ज़रूर लें।

हरी सब्जियां आसानी से उपलब्ध और सभी स्वास्थ्य वर्धक गुणों से भरपूर होती हैं इसलिए रोज़ के खाने में इसे ज़रूर शामिल करें।

फल भी पोषण से भरपूर प्राकृतिक उपहार हैं उनको ऐसे खा पाएं तो स्मूथी या फ्रूट चाट भी अच्छा विकल्प हो सकता है।

घर पर आटे से बना और सब्जियों से भरपूर पिज़्ज़ा भी आपको कुछ टेस्ट चेंज करने के साथ हेल्दी रखने में मदद करेगा।

अगर ब्रेड उपयोग करना ही हो तो आटा ब्रेड का उपयोग करें।

मैदे और रसायन युक्त खाने से जितना हो सके परहेज़ रखें।

प्रोटीन के लिए मीट ही ज़रूरी नहीं है शाकाहारी भोजन में भी दाल, राज़मा, बीन्स और चना जैसे ढेरों ऑप्शन मिल जाएंगे।

आप अपना एक कदम हेल्दी खाने की तरफ बढ़ाएंगे तो आप उसके कई फायदे खुद देखेंगे। इन फायदों में निखरी त्वचा, पाचन में आसानी और चैन की नींद मुख्य हैं।

 

क्या करें जब बच्चा दूध पीने में करे आनाकानी

दूध हमारे शरीर के लिए कितना ज़रूरी है ये हम सब बहुत अच्छी तरह जानते हैं कोई भी इसके फायदे आसानी से गिना सकता है। यह अपने आप में एक संपूर्ण आहार होता है। शुरुआत में 6 महीने तो बच्चा माँ के दूध पर ही निर्भर रहता है। धीरेधीरे ठोस आहार शुरू होता है और शुरू होते हैं बच्चों के दूध पीने के हज़ार बहाने। हम आज दूध के पोषण विषय पर बात भी नहीं कर रहे हम तो इस विषय पर बात कर रहे कि सब कुछ जानते हुए भी हम अपने नन्हें मुन्नों को इसका पोषण कैसे दें। आज की पीढ़ी जो पिज़्ज़ा बर्गर से ऊपर ही नहीं उठ पा रही उनको हम हेल्दी खाना कैसे दें विशेष तौर पर दूध जिसको देखते ही बच्चे मुँह बना लेते हैं। जिनके आहार में प्रोटीन के और विकल्प हैं जैसे मीट, अंडा आदि। उनका तो फिर भी ठीक है लेकिन जो शुद्ध शाकाहारी हैं और जिनके बच्चे दूध में भी नाटक करें ऐसे बच्चों को संपूर्ण आहार देना नई माताओं की सबसे बड़ी समस्या है और मैं भी इस समस्या से अछूती नहीं हूँ। मेरे भी 2 बच्चे हैं और मेरा आधे से ज्यादा समय अपना खाने का मेनू डिसाइड करने में ही चला जाता है, कि ऐसा क्या बनाया जाए जिसमें सभी पौष्टिक तत्व भी मिल जाएं और बच्चे आसानी से खत्म भी कर लें।

अगर आपका बच्चा भी खानेपीने में ऐसे ही नाटक करता है और आप परेशान हैं कि ऐसे में उसका नैसर्गिक विकास कैसे होगा तो कुछ बातों का ध्यान रखें आप देखेंगे कि कुछ दिनों में ही फर्क पड़ रहा और बच्चा खाने में रुचि ले रहा है।

1 – अगर बच्चा सीधे दूध नहीं पी रहा तो दूध के प्रोडक्ट्स जैसे दही, पनीर, छांछ, लस्सी ट्राई करके देखिए हो सकता है बच्चे को ये चीजें ज्यादा पसंद आएं। आपको माथापच्ची भी करनी पड़े और दूध का पोषण भी मिल जाए।

2 – खाने में वेरिएशन ले आएं। एक ही प्रकार का खाना खाकर कोई भी उकता जाता है। दूध से कई मिठाइयां भी बनती हैं। अगर आपके बच्चे को मीठा ज्यादा पसंद हो तो आप वो भी ट्राई कर सकती हैं।

3 – बाजार में कई तरह के खाद्य पदार्थ उपलब्ध हैं जो दावा करते हैं कि उनको दूध में मिला लेने से दूध का पूरा पोषण मिल जाता है। उनके दावे में कितनी सच्चाई है मुझे ये तो नहीं मालूम लेकिन वो दूध का स्वाद ज़रूर बदल देते हैं और कई बच्चे तो अपनी मनपसंद रंग और स्वाद देखकर ही पूरा दूध खत्म कर लेते हैं जो पहले दूध की तरफ देखना भी नहीं चाहते थे।

4 – एक बार में ही एक गिलास दूध खत्म करवाने के बजाय आधाआधा गिलास करके 2,3 बार में दें।

5 – कभीकभी बच्चों को शामिल करके खाना बनाने या उसके इंग्रिडिएंट्स के फायदे नुकसान बताते रहें, जिससे उसको खाने में मिलने वाले पोषक तत्व की जानकारी मिलती रहे।

 

 

बच्चे और उनकी जिज्ञासा

एक अध्ययन से पता चलता है कि बच्चों की पसंद और उनके सवाल उनके आसपास के वातावरण और उनका समय किस उम्र के लोगों के साथ बीत रहा उस पर ही निर्भर करता है। अगर बच्चा अकेले या अपने हमउम्र बच्चों के साथ होगा तो उसको नए परीक्षण करने में ज्यादा रुचि होगी। उसके परीक्षण ज्यादातर उन बातों पर होंगे जिनके लिए उसको बड़े लोगों से डांट पड़ती होगी या मना किया जाता होगा। जैसे कि मिट्टी या रेत मुंह मे डालकर उसका स्वाद लेना या कोई खिलौना जो आवाज़ करता हो उसका एकएक भाग खोलकर अलग करना और देखना की वास्तव में उसके अंदर क्या है या फिर कोई इलेक्ट्रिक या आग वाली वस्तु से खेलने की कोशिश करना कि आखिर क्यूँ मम्मीपापा उससे दूर रहने को बोलते हैं ये कुछ ऐसे काम हैं जो हर बच्चा खुद करके देखना चाहता है।

आज की भागमभाग ज़िंदगी में बच्चे वास्तविकता से दूर होते जा रहें हैं। स्कूलिंग भी मेज़ और कुर्सी के इर्दगिर्द ही घूमती है। बच्चों को अनुशासित रखने के चक्कर में उनका बचपन और उनकी जिज्ञासा दोनों बाधित हो रहे।

अभी लॉकडाउन की वजह से रामायण दुबारा देखने का अवसर मिला वो भी अपने बच्चों के साथ, तो उनके सवालों ने मुझे कई बार शब्दहीन कर दिया। जैसे कि माता सीता धरती के अंदर बक्से में जिंदा कैसे थीं, वह साँस कैसे ले रहीं थीं। जब हनुमान जी और उनके पापा वानर प्रजाति के थे तो उनकी माँ मानव प्रजाति की कैसे हुईं। मंथरा तो दासी थी और कैकेयी रानी, रानी को तो अपनी बुद्धि से काम लेना चाहिए था वो अपनी दासी के बहकावे में आकर अपने प्रिय पुत्र को जंगल कैसे भेज सकती हैं। ये उन बच्चों की जिज्ञासा है जो अपने घर के बड़ेबुजुर्गों के साथ धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं।

बच्चों की जिज्ञासा चाहे जिस भी प्रकार की हो उसको शांत ज़रूर करना चाहिए नहीं तो वो इसको जानने के लिए किसी और माध्यम का सहारा लेंगे जो हो सकता है किसी के लिए ठीक हो और उनको डांट कर चुप करवा देने से उनके बौद्धिक और शारीरिक विकास पर गहरा असर पड़ता है।

 

 

 

संवेदनहीन और भावशून्य होता इंसान

माँ होने का अहसास

माँ होने का अहसास ही कितना खास होता है ये उस दिन पता चलता है जब आप खुद माँ बनती हैं। एक छोटा नन्हा सा मेहमान जिसको छूने में ही डर लगता हो उसका ध्यान हम रख पाएंगे कि नहीं, कहीं कुछ गलती न हो जाए ये सब सोचकर ही दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं। ये सब सुनने में बड़ा आसान लगता है लेकिन जिस दिन मैंने अपनी गुड़िया को अपनी गोद में लिया उस दिन एक सुकून के साथ-साथ ये डर मुझे भी सता रहा था। उस बात को 8 साल हो गए लेकिन मुड़कर देखती हूँ तो लगता है जैसे कल की ही बात हो। आज मेरी बेटी जब तरह-तरह के सवाल पूछती है और कभी-कभी जब मुझे ही कुछ नया सिखा जाती है तो सोचती हूँ क्या ये वही नन्हीं परी है जिसको छूने में मुझे डर लगता था। डर लगता था कि क्या मैं एक माँ की ज़िम्मेदारी कायदे से उठा पाऊंगी। ऐसे में कुछ चीजें जो मेरी माँ ने बताया और उन्हें उनकी माँ ने, मुझे भी काफी आराम मिला इनको इस्तेमाल करके अपने मातृत्व के सफर में वो आपसे शेयर करना चाहती हूँ, खासकर उनसे जिनकी इस सफर में शुरुआत हो रही और जो शुरुआत करने वाले हैं।

कुछ चीजें जो एक्सपेरिएंस से ही आती आप कितने भी एजुकेटेड हो मैटर नहीं करता। जैसे आजकल मार्केट में diapers के ढेरों ऑप्शन हैं लेकिन कई बार diapers साइड इफ़ेक्ट्स भी छोड़ देते जैसे रैशेस,रेड स्पॉट्स आदि। इसलिए कपड़े की नैपी भी एक बढ़िया ऑप्शन होता है।

बच्चों की मालिश भी उनके ग्रोथ के लिये बहुत ज़रूरी होती। इसके लिए मालिश करने के तरीके से लेकर मालिश के लिए प्रयोग होने वाला तेल भी उतना ही ज़रूरी होता है। वैसे तो प्राकृतिक रूप से निकला हुआ सरसों का तेल मालिश के लिए सबसे उपयुक्त होता है लेकिन कई बच्चों को सरसों का तेल एलर्जी भी कर देता क्योंकि सरसो की तासीर गर्म होती है ऐसे में नारियल का तेल बेस्ट ऑप्शन होता है क्योंकि इसमें भी मिलावट के चांस बहुत ही कम होते हैं और हर घर में इसका उपयोग होता है।

बच्चों के लिये हाइजीन का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। साफ-सफाई के साथ-साथ जर्म्स नियंत्रण भी उतना ही ज़रूरी होता है। उसके लिए आप बाजार से कोई भी कीटाणुनाशक ले सकते अपने घर के फर्श को साफ करने के लिए भी और बच्चों के कपडों को कीटाणुओं से बचाने के लिये भी।

कई बार बच्चों को पेट में दर्द होता है और वो अपना दर्द बोलके नहीं बता सकते तो सिर्फ रोकर ही बताते हैं ऐसे में घबराने की ज़रूरत नहीं बच्चे को गोद में लेकर अपने कंधे से चिपकाएं और पीठ पर हल्की थपकी दें साथ ही साथ बच्चे की नाभि पर हींग लगाएं इतना करने पर बच्चे को डेफिनेटली आराम मिलेगा।

 

शुद्ध शाकाहारी खाद्य में प्रोटीन विकल्प

 

प्रोटीन हमारी मांसपेशियों को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शायद इसलिए इसको शरीर का बिल्डिंग ब्लॉक भी कहा जाता है। मांसाहारी भोजन में तो प्रोटीन के बहुत से विकल्प हैं लेकिन शुद्ध शाकाहारी लोगों के लिए ये काफी सीमित हैं। वो भी ऐसे समय में जब काफी लोग भूख से मर रहे और कोरोना का आतंक फैलता ही जा रहा है, सभी पौष्टिक तत्वों से भरपूर भोजन आसानी से मिल पाना बहुत ही मुश्किल हो गया है। ऐसे में अपने को चुस्त- दुरुस्त रखते हुए परिवार और देश को स्वस्थ और सुरक्षित रखना सबकी नैतिक जिम्मेदारी है। आज हम शाकाहारी भोजन में प्रोटीन के अन्य विकल्पों पर चर्चा करेंगे।

सोयाबीन
सोयाबीन प्रोटीन का बहुत ही उम्दा स्रोत है। थायराइड विकार से ग्रस्त लोगों को छोड़कर बाकी लोग इसका उपयोग ज़रूर करें।

राजमा
राजमा भी प्रोटीन का बढ़िया स्रोत है और खाने में भी स्वादिष्ट होता है।

चिया
चिया प्रोटीन का अच्छा विकल्प है और ये आसानी से मिल भी जाता है। बेकिंग में ये अंडे का अच्छा विकल्प है। पनीर, दूध और दूध से निर्मित चीजें प्रोटीन का अच्छा स्रोत होते हैं। इनको अपने आहार में ज़रूर शामिल करें।

टोफू
आजकल ये भी बाज़ार में बड़ी आसानी से मिल जाता है और प्रोटीन से भरपूर होता है।


गर्मी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है इसलिए ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करने की कोशिश करें और बहुत ज़रूरी न हो तो घर से न निकलें। स्वस्थ रहें मस्त रहें।

Impact of lockdown on kids

1- Whatever you are doing but always keep eyes on your little ones.

2- Try to give some quality time to them, it may be in form of indoor games or may be story telling.

3- Don’t shout or overreact on children as it is very tough situation for all of us.

4. Try to engage your kids in some fruitful work which they enjoy like art and craft, some toy making or take help from them in kitchen.

5. Handle kids very softly, because after lock down studies will be completed if child is mentally stable.

 

 

Everything good found in ginger

Ginger is a well known spice from our Indian kitchen. It is used in very small quantities but its presence is very necessary at least in our morning tea.

Ginger (Adarak) belongs to the same family of turmeric and cardamom, which is zingiberaceaeIt’s a rhizome, a thick underground stem that sprouts roots and shoots.

Its uses

1. Ginger is commonly used for many types of nausea and vomiting like pregnancy nausea and surgical nausea.

2. Ginger is anti-inflammatory and anti-oxidant in nature. Consumption of ginger may help to decrease muscle soreness, inflammation and relieve osteoarthritis pain.

3. Ginger works by inhibiting serotonin receptors, exerting anti- nausea effects at both the brain and gut level.

4. It also contains an enzyme called zingibain that may assist in protein digestion.

5. On animal research, studies have shown that ginger might help to control high blood pressure.

Consumption of anything in high dose is harmful always. High dose of ginger may cause burning sensation and indigestion, diarrhea etc.

काली मिर्च (Black pepper)

आमतौर पर हर भारतीय रसोईं में काले रंग का छोटा सा खुरदुरा मसाला जिसे हम काली मिर्च कहते हैं बड़े काम का है। यह सिर्फ खाने का स्वाद ही नहीं बढ़ाता बल्कि इसमें कई औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। वैसे तो सर्दी-खाँसी में हम सभी इसका इस्तेमाल करते हैं इसके अलावा कुछ और गुणों का भी ज़िक्र आज हम करेंगे।

काली मिर्च में विटामिन ए, सी, और सेलीनियम जैसे तत्व पाए जाते हैं जो संक्रमण से बचाते हैं और इम्युनिटी बूस्ट करने में मदद करते हैं।

फायदे

काली मिर्च कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है।

काली मिर्च पाचन में मदद करता है।

इसमें पिपरिन नामक तत्व होता है। यह सेरोटोनिन नामक रसायन स्रावित करता है जो मूड को ठीक करता है और तनाव कम करता है।

गुड़ के साथ काली मिर्च का सेवन करने से मेटाबोलिज्म बढ़ता है जो भूख बढ़ाने में मददगार है।

काली मिर्च सर्दी-जुकाम को ठीक करने में मदद करती है।

काली मिर्च का तेल त्वचा पर लगाने से शरीर को गर्माहट मिलती है जिससे रक्त संचार सुचारू रूप से होता है।

 

 

 

 

इम्युनिटी, इम्यून बूस्टिंग

 

 

लौंग (Cloves) फायदे और नुकसान

 

पेरेंटिंग

Kids

पेरेंटिंग हमेशा एक चुनौती ही रही है। एक नन्हे से जीव को इस काबिल बनाना कि वो खुद अपने भले-बुरे का चुनाव करने के साथ-साथ उससे जुड़े लोगों के लिए भी सही फैसला ले सके, कभी भी आसान नहीं रहा। भारतीय समाज में पहले संयुक्त परिवार में ज़िम्मेदारियाँ बँटी होती थी और बच्चों के पास भी देखने-सीखने के लिए बहुत से विकल्प होते थे। माता-पिता भी अपनी और ज़िम्मेदारियों के साथ-साथ बच्चों को भी देख लेते थे। बच्चे भी माँ-बाप में भगवान वाली छवि ढूढ़ते थे और उनकी बात सुनते ज्यादा एवं बोलते कम थे। लेकिन अब जैसे-जैसे एकल परिवारों का चलन बढ़ा और एक-दो बच्चे का दौर शुरू हुआ, साथ-साथ लड़की हो या लड़का शिक्षा सबका अधिकार प्रभावी हुआ, तब से काफी कुछ बदल गया। चुनौतियां बढ़ी, ज़िम्मेदारी बढ़ी और बिखराव बढ़ा। जहाँ पहले बच्चे अपने पेरेंट्स से छोटी सी बात करने में हिचकते थे अब सवाल-जवाब खत्म ही नहीं होते। सफलता मिली तो ये बच्चों की मेहनत और असफलता मिली तो आपने मेरे लिए किया ही क्या? ऐसे में तनाव और चिंता का माहौल हो जाना कोई बड़ी बात नहीं। नए पेरेंट्स सब कुछ छोड़कर बच्चों का भविष्य बनाने में लगे हुए हैं। उनके चतुर्मुखी विकास में अपना सब कुछ झोंक दिया है। ऐसे में ये ज़रूर ध्यान देना चाहिए कि बच्चा हर बात के लिये आप ही पर तो निर्भर नहीं हो रहा। कोशिश करना चाहिए कि बचपन से ही बच्चों को सही-गलत में अंतर समझाया जाना ज़रूरी है, ताकि बड़ा होकर वो अपने जीवन के अहम फैसलों में आपसे सलाह तो ले लेकिन आखिरी फैसला खुद उसका हो और उसके लिए वो किसी पर दोषारोपण करता नजर न आए। बच्चों को समाज की बुरी नज़र से बचाते हुए आत्मनिर्भर बनाने में कहीं हम ये गलती तो नहीं कर रहे कि बच्चा हमसे तो बहस कर ले रहा लेकिन जहाँ समाज में बोलने की बारी आए तो वो कुछ बोल ही न पाए। इसके लिए उसको बचपन से ही छोटे-छोटे मामलों में निर्णय लेने का मौका दीजिये और गलत होने पर उसको प्यार से समझाइए भी।
बच्चों को बचपन से ही आत्मनिर्भर बनाने में उनको अपना काम खुद करना भी आना चाहिए। इसलिए शुरुआत से ही छोटे कामों को करने की आदत डालने पर बाद में बड़े काम भी वो खुद करने लगते हैं। अगर आप यह सोचकर कि बच्चा अभी छोटा है, उनके सभी काम करते जाएंगे तो भविष्य में उसको आराम की आदत हो जाएगी। हमारे समाज में खासकर भारतीय समाज में लड़कियों को तो ससुराल जाने के नाम पर थोड़ा-बहुत काम करवाया भी जाता है, लेकिन लड़कों को एक गिलास पानी लेने को भी नहीं बोला जाता। ऐसे में एकल परिवारों में माँ के बीमार होने पर बड़ी समस्या हो जाती है और बाद में यही समस्या उस लड़के की पत्नी को भी झेलनी पड़ती है। आज के हमारे समाज की कड़वी सच्चाई ये है कि लड़का हो या लड़की सबको सब काम आने चाहिए ताकि ज़रूरत पड़ने पर वह हर परिस्थिति का डटकर सामना कर सके। लड़की को इतना काबिल बनाएं कि वो आर्थिक और मानसिक रूप से सशक्त होते हुए घर की ज़िम्मेदारियाँ बख़ूबी निभा सके और लड़के को इतना काबिल बनाएं कि आर्थिक और सामाजिक रूप से मज़बूत होते हुए भी घर के काम करने में वो संकोच या शर्म महसूस न करे और अकेले होने पर कभी भूखा रहने की नौबत न आए।