Day: 12 June 2020

बच्चे और उनकी जिज्ञासा

एक अध्ययन से पता चलता है कि बच्चों की पसंद और उनके सवाल उनके आसपास के वातावरण और उनका समय किस उम्र के लोगों के साथ बीत रहा उस पर ही निर्भर करता है। अगर बच्चा अकेले या अपने हमउम्र बच्चों के साथ होगा तो उसको नए परीक्षण करने में ज्यादा रुचि होगी। उसके परीक्षण ज्यादातर उन बातों पर होंगे जिनके लिए उसको बड़े लोगों से डांट पड़ती होगी या मना किया जाता होगा। जैसे कि मिट्टी या रेत मुंह मे डालकर उसका स्वाद लेना या कोई खिलौना जो आवाज़ करता हो उसका एकएक भाग खोलकर अलग करना और देखना की वास्तव में उसके अंदर क्या है या फिर कोई इलेक्ट्रिक या आग वाली वस्तु से खेलने की कोशिश करना कि आखिर क्यूँ मम्मीपापा उससे दूर रहने को बोलते हैं ये कुछ ऐसे काम हैं जो हर बच्चा खुद करके देखना चाहता है।

आज की भागमभाग ज़िंदगी में बच्चे वास्तविकता से दूर होते जा रहें हैं। स्कूलिंग भी मेज़ और कुर्सी के इर्दगिर्द ही घूमती है। बच्चों को अनुशासित रखने के चक्कर में उनका बचपन और उनकी जिज्ञासा दोनों बाधित हो रहे।

अभी लॉकडाउन की वजह से रामायण दुबारा देखने का अवसर मिला वो भी अपने बच्चों के साथ, तो उनके सवालों ने मुझे कई बार शब्दहीन कर दिया। जैसे कि माता सीता धरती के अंदर बक्से में जिंदा कैसे थीं, वह साँस कैसे ले रहीं थीं। जब हनुमान जी और उनके पापा वानर प्रजाति के थे तो उनकी माँ मानव प्रजाति की कैसे हुईं। मंथरा तो दासी थी और कैकेयी रानी, रानी को तो अपनी बुद्धि से काम लेना चाहिए था वो अपनी दासी के बहकावे में आकर अपने प्रिय पुत्र को जंगल कैसे भेज सकती हैं। ये उन बच्चों की जिज्ञासा है जो अपने घर के बड़ेबुजुर्गों के साथ धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं।

बच्चों की जिज्ञासा चाहे जिस भी प्रकार की हो उसको शांत ज़रूर करना चाहिए नहीं तो वो इसको जानने के लिए किसी और माध्यम का सहारा लेंगे जो हो सकता है किसी के लिए ठीक हो और उनको डांट कर चुप करवा देने से उनके बौद्धिक और शारीरिक विकास पर गहरा असर पड़ता है।

 

 

 

संवेदनहीन और भावशून्य होता इंसान

माँ होने का अहसास

माँ होने का अहसास ही कितना खास होता है ये उस दिन पता चलता है जब आप खुद माँ बनती हैं। एक छोटा नन्हा सा मेहमान जिसको छूने में ही डर लगता हो उसका ध्यान हम रख पाएंगे कि नहीं, कहीं कुछ गलती न हो जाए ये सब सोचकर ही दिल की धड़कनें बढ़ जाती हैं। ये सब सुनने में बड़ा आसान लगता है लेकिन जिस दिन मैंने अपनी गुड़िया को अपनी गोद में लिया उस दिन एक सुकून के साथ-साथ ये डर मुझे भी सता रहा था। उस बात को 8 साल हो गए लेकिन मुड़कर देखती हूँ तो लगता है जैसे कल की ही बात हो। आज मेरी बेटी जब तरह-तरह के सवाल पूछती है और कभी-कभी जब मुझे ही कुछ नया सिखा जाती है तो सोचती हूँ क्या ये वही नन्हीं परी है जिसको छूने में मुझे डर लगता था। डर लगता था कि क्या मैं एक माँ की ज़िम्मेदारी कायदे से उठा पाऊंगी। ऐसे में कुछ चीजें जो मेरी माँ ने बताया और उन्हें उनकी माँ ने, मुझे भी काफी आराम मिला इनको इस्तेमाल करके अपने मातृत्व के सफर में वो आपसे शेयर करना चाहती हूँ, खासकर उनसे जिनकी इस सफर में शुरुआत हो रही और जो शुरुआत करने वाले हैं।

कुछ चीजें जो एक्सपेरिएंस से ही आती आप कितने भी एजुकेटेड हो मैटर नहीं करता। जैसे आजकल मार्केट में diapers के ढेरों ऑप्शन हैं लेकिन कई बार diapers साइड इफ़ेक्ट्स भी छोड़ देते जैसे रैशेस,रेड स्पॉट्स आदि। इसलिए कपड़े की नैपी भी एक बढ़िया ऑप्शन होता है।

बच्चों की मालिश भी उनके ग्रोथ के लिये बहुत ज़रूरी होती। इसके लिए मालिश करने के तरीके से लेकर मालिश के लिए प्रयोग होने वाला तेल भी उतना ही ज़रूरी होता है। वैसे तो प्राकृतिक रूप से निकला हुआ सरसों का तेल मालिश के लिए सबसे उपयुक्त होता है लेकिन कई बच्चों को सरसों का तेल एलर्जी भी कर देता क्योंकि सरसो की तासीर गर्म होती है ऐसे में नारियल का तेल बेस्ट ऑप्शन होता है क्योंकि इसमें भी मिलावट के चांस बहुत ही कम होते हैं और हर घर में इसका उपयोग होता है।

बच्चों के लिये हाइजीन का ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है। साफ-सफाई के साथ-साथ जर्म्स नियंत्रण भी उतना ही ज़रूरी होता है। उसके लिए आप बाजार से कोई भी कीटाणुनाशक ले सकते अपने घर के फर्श को साफ करने के लिए भी और बच्चों के कपडों को कीटाणुओं से बचाने के लिये भी।

कई बार बच्चों को पेट में दर्द होता है और वो अपना दर्द बोलके नहीं बता सकते तो सिर्फ रोकर ही बताते हैं ऐसे में घबराने की ज़रूरत नहीं बच्चे को गोद में लेकर अपने कंधे से चिपकाएं और पीठ पर हल्की थपकी दें साथ ही साथ बच्चे की नाभि पर हींग लगाएं इतना करने पर बच्चे को डेफिनेटली आराम मिलेगा।

 

शुद्ध शाकाहारी खाद्य में प्रोटीन विकल्प

 

प्रोटीन हमारी मांसपेशियों को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शायद इसलिए इसको शरीर का बिल्डिंग ब्लॉक भी कहा जाता है। मांसाहारी भोजन में तो प्रोटीन के बहुत से विकल्प हैं लेकिन शुद्ध शाकाहारी लोगों के लिए ये काफी सीमित हैं। वो भी ऐसे समय में जब काफी लोग भूख से मर रहे और कोरोना का आतंक फैलता ही जा रहा है, सभी पौष्टिक तत्वों से भरपूर भोजन आसानी से मिल पाना बहुत ही मुश्किल हो गया है। ऐसे में अपने को चुस्त- दुरुस्त रखते हुए परिवार और देश को स्वस्थ और सुरक्षित रखना सबकी नैतिक जिम्मेदारी है। आज हम शाकाहारी भोजन में प्रोटीन के अन्य विकल्पों पर चर्चा करेंगे।

सोयाबीन
सोयाबीन प्रोटीन का बहुत ही उम्दा स्रोत है। थायराइड विकार से ग्रस्त लोगों को छोड़कर बाकी लोग इसका उपयोग ज़रूर करें।

राजमा
राजमा भी प्रोटीन का बढ़िया स्रोत है और खाने में भी स्वादिष्ट होता है।

चिया
चिया प्रोटीन का अच्छा विकल्प है और ये आसानी से मिल भी जाता है। बेकिंग में ये अंडे का अच्छा विकल्प है। पनीर, दूध और दूध से निर्मित चीजें प्रोटीन का अच्छा स्रोत होते हैं। इनको अपने आहार में ज़रूर शामिल करें।

टोफू
आजकल ये भी बाज़ार में बड़ी आसानी से मिल जाता है और प्रोटीन से भरपूर होता है।


गर्मी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है इसलिए ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करने की कोशिश करें और बहुत ज़रूरी न हो तो घर से न निकलें। स्वस्थ रहें मस्त रहें।