Month: September 2020

Fabulous Five -5 मेडिसिनल प्लांट्स जो मच्छर को रखें घर के बाहर

आप हम सभी जानते हैं कि मच्छर को पनपने के लिए बारिश का मौसम बहुत अनुकूल होता है और इस मौसम में इनकी प्रजनन क्षमता भी तेजी से काम करती है और इनके बढ़ने के साथ ही बढ़ती हैं मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया जैसी अनेक बीमारियाँ। अपने और अपने परिवार को इन सबसे बचाने के लिए हम हर सम्भव प्रयास करते हैं और उसके लिए न जानें कितने रासायनिक सामानों को लेकर आते हैं और उसका इस्तेमाल भी करते हैं जो कहीं न कहीं हमें नुकसान भी करता है।

आज हम आपको बताने जा रहें हैं कुछ ऐसे पौधे जो आपके बागवानी के शौक को भी पूरा करते हैं साथ ही साथ अनचाहे मच्छरों (Mosquito Repellent) को भी एक हद तक हमारे घर से दूर रखते हैं। शुरुआत करते है हर घर में पाई जाने वाली सदाबहार तुलसी।

 

तुलसी (Tulsi)

तुलसी लामिएसी (Lamiaceae) परिवार का सदस्य और औषधीय गुणों से भरपूर पौधा है। यह हमारे शरीर को तमाम इंफेक्शन से बचाता है साथ ही साथ वायरस से लड़ने में भी मददगार होता है।

तुलसी का पौधा भी मच्छर भगाने वाला होता है। तुलसी का पौधा हर रूप में ही फायदे का होता है इसको दूध में उबालकर काढ़ा पीने से जुकाम, सर्दी ठीक होती है खासकर इस कोरोना टाइम में तो ये और रामबाण जैसा है।

 

मरुआ (Marua)

तुलसी लामिएसी (Lamiaceae) की ही प्रजाति का ये पौधा भी अपनी महक से मच्छरों को भगाने में भी मदद करते हैं। आम बोलचाल की भाषा में इसको मरुआ दोना भी बोलते हैं। इसमें भी कार्तिक अगहन के महीने में तुलसी के जैसे ही मंजरी निकलती है जिसमें सफ़ेद फूल निकलता है। मरुआ दो प्रकार का होता है काला मरुआ और सफ़ेद मरुआ । सफेद मरुआ अपनी औषधीय गुणों के कारण जाना जाता है। काला मरुआ में औषधीय गुण नहीं होता।

 

नीम्बू घास (lemon grass)

नीम्बू घास (Cymbopogon citratus) घास प्रजाति का एक पौधा होता है इसमें औषधीय गुण होते हैं। इसका प्रयोग सिट्रोनेला तेल बनाने में किया जाता है। इस तेल का प्रयोग साबुन, सेंट, मच्छर भगाने वाले अगरबत्ती बनाने में किया जाता है। नींबू घास की बनी चाय भी काफी लोग पसंद की जाती है।

 

गेंदा (Marigold)

गेंदें के फूल से हम सब भली भांति परिचित हैं  तजेतस (Tagetes) जीनस का सूरजमुखी परिवार का यह पौधा आसानी से मिलने वाला और काफी समय तक तरोताजा रहने वाला फूल है। अगर आपको थोड़ा भी बागवानी का शौक है तो आपने अपने गार्डेन में ज़रूर ये पौधा लगाया होगा ये सीजनल पौधा है लेकिन बहुत आसानी से और कम देखभाल में होने वाला पौधा है।

इन सब विशेषताओं के साथ गेंदें में औषधीय गुण भी काफी होते हैं। यह एंटीसेप्टिक होने के साथ-साथ एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लेमेटरी सभी गुण मिलते हैं।

अल्सर और त्वचा सम्बंधित बीमारियों को ठीक करने के साथ ही साथ ये मच्छर और मक्खियों को भी दूर रखता है।

 

लेवेंडर (Lavender)

पुदीने परिवार लामिएसी ( Lamiaceae) का ये खुशबूदार सदस्य न केवल खुशबू में लाजवाब है बल्कि औषधीय गुणों की भी खान है।

लैवेंडर अवसाद(डिप्रेशन), अनिद्रा की समस्याओं को भगाने के साथ ही आसान और प्रभावी कीट रक्षक भी है।

यह उगाने में आसान और देखभाल करने में भी आरामदायक होते हैं।

इसलिए अगली बार जब आप पौधों की खरीदारी के लिए बाहर जाएं या किसी नर्सरी में जाएँ, तो इन औषधीय पौधों की तलाश करें और अपने प्रियजनों के स्वास्थ्य के साथ-साथ हरियाली फैलाएं।

देवशयनी एकादशी: धर्म और विज्ञान साथ साथ

हिन्दू धर्म के अनुसार हिंदी कैलेंडर के आषाढ़ मास की एकादशी को देवशयनी एकादशी के रूप में जानते और मनाते हैं। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार मास के लिए क्षीरसागर में विश्राम करने चले जाते हैं और इसीलिए इसके बाद का श्रावण माह पूरी तरह से भोलेनाथ महादेव का माना जाता है कि सृष्टि का संचालन अब महादेव के हाथ में है।इस दिन से सभी मांगलिक कार्यक्रम जैसे विवाह, गृहप्रवेश आदि अगले चार महीनों के लिये वर्जित हो जाते हैं। 2021 में देवशयनी एकादशी 19  जुलाई की शाम से शुरू होकर 20 जुलाई की शाम तक  है और यह चातुर्मास लगने का संकेत है। चतुर्मास में श्रावण, भाद्रपद, अश्विन और कार्तिक महीने शामिल हैं।

प्राचीन काल में भी भारत का विज्ञान काफी आगे था। हमारे ऋषि मुनि जो भी करते थे उसके पीछे ठोस वैज्ञानिक आधार होता था। आषाढ़ मास यहाँ पर मानूसन यानी वर्षा ऋतु का मास है और एकादशी तक देश के सभी प्रांत तक मानसून पहुंच ही जाता है। हमारे देश में गाँव में आज भी मानसून आने के बाद मुख्य रूप से खेती ही की जाती है और तमाम रास्ते बारिश और जंगलों की वजह से अवरुद्ध हो जाते हैं। पहले यातायात के साधन भी पशुओं और ग्रामीण रास्तों को ध्यान में रखकर बनाए जाते थे इसलिए मानसून के चार महीने वैवाहिक कार्यक्रम बन्द कर दिए जाते थे ताकि किसी को परेशानी न हो।
हमारे यहाँ ऋषि मुनि जंगलों में तप करने जाते थे। वर्षा काल में जंगली और खूंखार जानवरों के डर से वो नगर या गाँव के आसपास ही अपना ठिकाना बना लेते थे और वर्षा काल बीतने के बाद वापस अपने ठिकानों पर चले जाते थे। हमारे यहाँ ऋषि मुनियों के स्थान भी देवतुल्य ही माना गया है । और ऋषि मुनि अपनी पूजा तप छोड़कर गांव नगर की तरफ प्रस्थान करते हैं इसलिए भी इसे देवशयन समय माना गया है।
देवशयनी एकादशी में वैसे तो व्रत पूजा पाठ किया जाता है लेकिन अगर व्रत वगैरह में विश्वास नहीं है तो भी वेद पुराण पढ़ने और अपना ज्ञान बढाने में किसी को भी दिक्कत नही होनी चाहिए। साथ ही साथ इस दिन चावल वर्जित माना गया है इसके पीछे वैज्ञानिक आधार यह है कि चावल खाकर बारिश के मौसम में आप शान्ति से ज्ञान अर्ज़न नहीं कर सकते और ध्यान मग्न भी नहीं हो सकते।

 

जिला मिर्ज़ापुर…….लिखने और देखने लायक यहाँ पर बहुत कुछ है

उत्तर प्रदेश का एक छोटा सा जिला मिर्ज़ापुर जो प्राकृतिक सौंदर्य से तो लबालब है लेकिन इसके पर्यटन पर सरकार कुछ खास ध्यान नहीं दे पाई है। यह धार्मिक रूप से भी काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि जगत जननी माँ विंध्यवासिनी का धाम भी यही है साथ ही साथ ये दोनों ओर से दो महत्वपूर्ण धार्मिक नगरों ( एक तरफ पवित्र संगम नगरी प्रयागराज तो दूसरी तरफ बाबा भोलेनाथ की नगरी काशी) से जुड़ा हुआ है।

लॉक डाउन के दौरान मिर्ज़ापुर सीरीज देखने का मौका मिला तो दिल दहल गया, सीरीज तो हमसे पूरी देखी भी नहीं गई। ये किस मिर्जापुर की बात कर रहे। जिस मिर्जापुर को मैं जानती हूँ और जहाँ अपना बचपन जिया है वो तो बिल्कुल ऐसा नहीं है।

हाँ, बेरोजगारी, अशिक्षा और गरीबी ज़रूर बहुत ज्यादा है वो भी माननीय लोगों की लापरवाही और भ्रष्टाचार की वज़ह से लेकिन उसको गुंडाराज नही बोल सकते। यहाँ कालीन और पीतल का व्यसाय मुख्य रूप से किया जाता है यह सच है। गरीबी और बेरोजगारी की वजह से नक्सलवाद को एक हद तक बढ़ावा मिला है लेकिन जिस तरह वेब सीरीज में मर्डर दिखांए गए ऐसा तो नही होता कहीं भी।

मिर्जापुर की प्राकृतिक छटा निराली है और बरसात में तो यह और भी खूबसूरत हो जाता है। कुछ प्राकृतिक सौंदर्य में सिरसी बाँध, लखनिया दरी, सिद्धनाथ दरी, कुशियरा फॉल, टाण्डा फाल, विंढम फॉल, ददरी-हलिया जंगल मुख्य हैं। अगर प्रशासन ध्यान दे तो इनको और भी खूबसूरत बनाकर पर्यटन बढ़ाया जा सकता है जिससे रोज़गार के अवसर बढेंगें।

विंध्याचल के नाम से काफी तीर्थयात्रियों का आना होता है लेकिन उनमें से कम को ही मालूम होगा कि माँ विंध्यवासिनी का दर्शन अकेले करने से पूरा पुण्य नहीं मिलता । पूरा पूण्य प्राप्त करने के लिए त्रिकोण पूरा करना होता है इस त्रिकोण में काली खोह और अष्टभुजा मंदिर शामिल हैं। काली खोह से करीब 8 km दूर ही IST सेन्टर है जहाँ से पूरे देश का समय निर्धारित होता है।

अगर आप 30 साल के आसपास उम्र समूह में हैं तो आपने देवकीनन्दन खत्री की चंद्रकांता सीरियल दूरदर्शन पर ज़रूर देखी होगी। तिलिस्म और मनोरंजन से भरपूर यह धारावाहिक चुनार के किले के बिना अधूरा है। और चुनार और चुनार का किला दोनो ही मिर्ज़ापुर जाकर देखा जा सकता है।

मिर्जापुर का नाम लो और गंगा घाट का नाम न आए ये तो जल बिन मछली वाली बात हो जाएगी। यहाँ तमाम गंगा घाट अपनी नक्काशीदार बनावट और खूबसूरती के लिए मशहूर हैं ये अलग बात है कि उचित रख रखाव न होने से फिलहाल धूल चाट रहे हैं। जिनमें कुछ प्रमुख घाट हैं पक्केघाट, बरियाघाट, नारघाटपक्केघाट का लेडीज मार्केट भी काफी फेमस हैं । सभी त्योहारों में से, कजरी महोत्सव संभवतह सबसे भव्य तरीके से मनाया जाता है।यहाँ का कालीन तो बहुत ही मशहूर है।

स्थानीय मिर्ज़ापुरी बोली ( भोजपूरी) के अलावा, ग्रामीण मिर्ज़ापुर की पोशाक भी काड़ा (ब्रेसलेट), बाजु बैंड (आर्म बैंड), हंसूली (मोटी गर्दन के छल्ले), बिछिया (पैर की अंगुली के छल्ले), करधनी (सिल्वर बेल्ट) जैसी पारंपरिक आभूषण पहनने वाली महिलाओं के साथ काफी अलग है। पुरुषों को ज्यादातर गमछा और कुर्ता में देखा जाता है।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, साउथ कैंपस (बरकछा), 1104 हेक्टेयर क्षेत्रफल के साथ राबर्ट्सगंज उच्च मार्ग (मानचित्र) पर मिर्जापुर शहर के लगभग 8 किमी दक्षिण पश्चिम में स्थित है। वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन ने उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े 101 मेगावाट के सौर ऊर्जा संयंत्र का मिर्जापुर जिले के दादर कला गांव में का उद्घाटन किया।

अन्त में यही हैं की मिर्जापुर पर लिखने और देखने लायक यहाँ पर बहुत कुछ है बशर्ते देखने वाले के पास समय और खूबसूरती देखने का नज़रिया और हुनर हो। तो अब अगली बार जब भी मौका मिले माँ विंध्यवासिनी धाम ज़रूर पधारें और खुद अपना नज़रिया बनाएँ मिर्ज़ापुर के लिए।

Traveling Blues-यात्रा से पहले की तैयारियां

बदलाव ही प्रकृति का नियम है खासकर इंसान जो कि सबसे बुद्धिमान और स्वार्थी जीव है और इन्सानों का एक जगह टिककर रहने की आदत कभी भी नहीं रही । घूम घूम के प्रकृति और व्यसाय में सामंजस्य बिठाने की जद्दोजहद आदिकाल से चली आ रही है।

काम कोई भी हो सुनियोजित और क्रमवार तरीके से किया गया काम आसानी से हो भी जाता है और अनावश्यक तनाव से भी बचाता है। जैसे कि कहा ही गया है

“Fail to Plan, Plan to Fail.”

इसलिये आप जब भी कहीं घूमने जाएं या व्यावसायिक यात्रा पर पूरी तैयारी के साथ घर से निकले ताकि आपको यहाँ वहाँ न भटकना पड़े और मानसिक और शारीरिक समस्याओं का सामना न करना पड़े।

सबसे पहले शुरुआत करते हैं सुबह की ज़रूरत से तो उसके लिए एक जरूरी सामानो (Essential items) की किट बना लें जिसमें ब्रश, पेस्ट, फेसवाश, साबुन, सैनिटाइजर जैसी चीजें एक साथ रखें ताकि सब एक जगह मिल जाए और छोटी सी ज़रूरत पर बैग को पूरा खंगालने की ज़रूरत न पड़े।

इसके साथ ही दवाई (Medicines) की एक अलग किट बनाएँ जिसमें नार्मल बुखार, खांसी, पेटदर्द, यदि कोई अन्य दवाई लेते हो तो वह भी और बैंडेड, डेटोल और थोड़ा कॉटन ज़रूर रखें।

जहाँ जा रहे वहाँ का मौसम और तापमान नेट पर सर्च ज़रूर करें खासकर अपने स्टे के दौरान का वेदर अपडेट ज़रूर लें और उस हिसाब से कपड़े और जूते-मोजे भी रखें।

हर दिन की ज़रूरत के हिसाब से कपड़े जोड़ी में रखे तो आपको लास्ट मिनट की भागदौड़ नही होगी।

जैसे छोटे कपड़ों को या तो अलग एक पाउच में रखे या एक पेअर ड्रेस के साथ एक इनरवेयर अलग रखे ताकि तुरन्त लेकर रेडी हो जाएं।

आजकल बिना मोबाइल और चार्जर क़े तो जीवन ही नहीं हैं तो उसे रखना न भूले I यदि पॉवर बैंक भी रख ले तो लंबी Journey में मदद मिलेगी और अगर आप photography के शौकिन हैं तो Camera रखना मत भूलिएगा । अच्छा होगा की सभी Gadgets का अलग एक handy बैग बना ले पर इसकी सुरशा का विशेष ध्यान दिज़िएगा।

वैसे तो आजकल हर जगह ATM/ Debit/Credit/ mobile Banking मिल जाती हैं पर थोड़ा journey क़े हिसाब सें cash रखने से पैसे के लिये जरूरत पड़ने पर यहाँ वहां भटकने से बच सकते हैं।

अब बारी घऱ से निकलने की हैं, पहले घऱ के सभी Utility Points ( Electricity, Gas, Water etc) चेक करके बंद कर दे और अच्छे सें Door Lock चेक कर ले । बेहतर होगा की किन्हीं आस पास जान पहचान मॆं paper, letters आदि उठा लेने को बोल दे।

यदि ट्रेन से सफर् हैं तो ट्रेन टिकट अवशय चेक कर ले और रोड़ journey की तैयारी हैं तो vehicle में air pressure, fuel level और stapiny tyre भी चैक कर ले । अच्छा होगा की group में रोड़ journey प्लान करे ।

जहां जां रहे हो वहां क़े famous spots क़े जानकारी भी इकटठा कर ले इसमें internet काफी सहायक हो सकता हैं। सभी spots की लिस्ट बना ले और Journey Days के हिसाब से प्लान करे और कोशिश करे कि किसी spot पर जांकर उसे पूरा explore करे और सभी spots को भाग दौड़ से पहुँच कर cover करने से बचें क्योंकि कुछ next time के लिये भी छोड़ देना भी अच्छा विकल्प हो सकता हैं ।

Journey के timing के हिसाब से रुकने की व्यवस्था का प्लान करें जैसे कि यदि Peak season जैसे गर्मी की छुट्टीयाँ, Winter/ New year Holidays के समय hotels में advance booking करा लेना अच्छा विकल्प होगा ताकि आपको लास्ट समय में भीड़भाड होने पर रुकने की जगह में compromise न करना पड़े । इसमें भी internet काफी सहायक होता हैं अलग अलग hotels की जानकारी और बूकिंग के लिये । Normal season में सीधे hotel पहुँच कर भी रुकने क़े लिये अच्छ। package भी मिल सकता हैं ।

आज कि busy life में Traveling क़े कुछ समय सभी को निकाल लेना चहिये क्योंकि यही शन्ति और सुकुन क़े पल हो जाते हैं जो routine life की बोरिय्त को दूर करते हैं और आप को फिर से rejuvenate करने में मदद करते हैं। साथ ही में economy के लिये भी Traveling बहुत अच्छा हैं क्योंकि हमारे देश क़े कई प्रदेशों मैं Tourism उनकी आय का मुख्य source होते हैं और कई लोगो की जीविका का माध्यम होती हैं ।

इसलिअए अगली बार कही घूमने जाएँ तो ऊपर कही बातों का ध्यान रखें और अपने अनुभव जरूर साझा करें ।

पंचायत : सही मायने में एक गाँव की झलक

अगर आपने उत्तर प्रदेश के किसी गांव में अपना बचपन बिताया हैं और आज किसी महानगर की चकाचौंध में गुम से हो गये हैं या उस बचपन उस गांव को दुबारा देखना या जीना चाहते हैं तो ये पंचायत वेबसीरीज़ आपके लिये एकदम सही चुनाव हो सकती है। बिना किसी खास मसाले और ड्रामेबाज़ी के ये वास्तविक रूप में उत्तर प्रदेश के किसी भी गाँव का एक सचित्र चित्रण करती है। मेरा बचपन भी उत्तर प्रदेश के एक गाँव मे बीता तो इस वेबसेरीज़ को देखकर ऐसा लगा की हम वास्तव में ये कहानी दोहरा रहे हैं।

कहानी क़े कुछ अंश

यह कहानी है अभिषेक त्रिपाठी (जितेंद्र कुमार) नाम के एक युवा की जो बी.टेक तो कर लेता है लेकिन उसको इंजीनियरिंग विभाग में कोई नौकरी नहीं मिलती और एक नौकरी मिलती भी है तो एक गांव में सरकारी पंचायत सचिव की। जिसको लेकर उसके मन में काफ़ी उठापटक चलती है एक तरफ घरवालों का बेरोजगारी को लेकर तानों से बचना भी है और दूसरी तरफ लाखों की प्राइवेट नौकरी का ख्वाब भी । ऐसे में उसका एक दोस्त जो लाखों का कार्पोरेट पैकेज पा चुका है उसको सलाह देता है कि नौकरी के साथ साथ MBA की तैयारी करते रहो और जैसे ही MBA एंट्रेंस क्लियर हो गांव से वापस आ जाओ, उससे पहले बेरोजगार बैठे रहने से तो 20हज़ार मंथली वेतन की नौकरी ठीक है साथ मे रूरल एक्सपेरिएंस भी MBA Interview में काम आता है। ये सब सोचकर अभिषेक निकल पड़ते हैं फुलेरा गांव जहाँ उनकी पोस्टिंग हुई है।

बाकी फिल्मों और सीरियल से हटकर इस वेबसेरीज़ में एक वास्तविक गांव दिखा है जिसमें गाँव में होने वाली छोटी छोटी दिक्कतों को हस्यप्रद तरीके से दिखया गया है। सरकारी विभागीय समस्याओं का भी जीवंत उदाहरण दिखाया गया हैं जैसे बिजली कटौती से परेशान गाँव वालों को जब सोलर लाइट दी जाती है तो आम जनता तक पहुंचने की बजाय पंचायत सदस्य आपस में ही उसका बंटवारा कर लेते हैं, इस मुद्दे से लेकर गांव के सचिव के पास गांव प्रधान से बढ़िया और आरामदायक कुर्सी कैसे हो सकती है जैसे मुद्दों को भी बड़ी बारीकी से दिखाया गया है।

खासकर सीरीज़ के चौथे भाग में शादी वाली घटना जिसमें बारात को पंचायत घर में ठहराया जाता है और दूल्हा एक दिन के लिए अपने आपको राजा ही समझता है कि जो वो बोलेगा वही होगा और सब उसकी इज़्ज़त करेंगें और ऐसा न होने पर वो तिलमिला कर शादी न करने को बोलने लगता है ये घटना एकदम दिल तक पहुंचती है और आज भी कहीं न कही ऐसी घटनाएं सुनने मिलती ही रहती हैं।

परिवार नियोजन की समस्या पर विपरीत ग्रामीण दृष्टि कोण की वास्तविक समस्या को भी दिखाने की कोशिश कि गयी हैं कैसे एक स्लोगन दो बच्चे हैं मीठी खीर उससे आगे बवासीर से पूरे गाँव में बवाल हो जाता हैं।

नीना गुप्ता ने उस महिला गांव प्रधान का किरदार बखूबी निभाया है जो सिर्फ नाम की प्रधान है सारा काम उसके पति द्वारा किया जाता है।यह समाज़ का एक कड़वा सच है आज भी भारत में बहुत से ग्राम पंचायत में महिला प्रधान की जगह उनके पतियों को काम करते देखा जा सकता है।

एक परुष प्रधान के रोल में रघुवीर यादव की भुमिका बहुत ही सरल और मेमोरबल हैं बाकी सहायक कलाकारों Chandan Roy as Vikas, Faisal Malik as Prahlad Pandey आदि नें भी अच्छा अभिनय किया हैं, इस तरह ये पूरी पारिवारिक और मनोरंजक वेब सीरीज हैं । हाँ सिरीज़ के आखिरी भाग में सचिव अभिषेक त्रिपाठी की मेहनत से एक अंगूठाछाप प्रधान को देश का राष्ट्रगान गाते और 15 अगस्त पर झंडा फहराते हुए दिखाकर देश भक्ति और विकाश को भी अच्छा अंत दिया हैं जों सचिव अभिषेक त्रिपाठी को फिर से एमबीए की तैयारी की हिम्मत देता हैं और यही शायद सीरीज की दूसरे पार्ट की कहानी को स्टार्ट भी देगा I साथ में प्रधान जी की बेटी रिंकी कि शादी सरप्राइज element हो सकती हैं, इसकी दूसरी सिरीज़ में नीना गुप्ता की सशक्त भूमिका से इनकार नहीं किया जा सकता। इसलिये मुझे भी इसकी सेकंड सीरीज का बेसब्री से इंतेज़ार हैं ।

JL50

JL 50

जब बॉक्स ऑफिस पर नई फिल्मों को कोरोना के कारण बंद कर दिया गया है, तो वेबसीरीज मनोरंजन और कोरोना  आतंक से त्रस्त जीवन की बोरियत से बचाव का एक बड़ा स्रोत बन गई है।

ऐसे में मैंने अभी कुछ दिन पहले ही सोनी लिव पर में आई JL50 वेबसीरीज देखी । ये सीरीज बाकी वेब सीरीज से कुछ हटकर है, कुछ सुकून और रोमांच कुछ पल तो अवश्य दिए,  तो सोचा आपसे शेयर करू।

अभय देओल, पंकज कपूर, पीयूष मिश्रा, राजेश शर्मा, और रितिका आनंद जैसे दिग्गज कलाकारों से सजी ये वेब सीरीज समय यात्रा (Time travel) पर आधारित है जो कम से कम भारतीय सिनेमा के लिए नया कांसेप्ट है।

क्या है कहानी…

इस सीरीज की शुरुआत होती है एक फ्लाइट की हाईजैक की खबर से जिसमें हमारे देश के काफी दिग्गज शख्स सफर कर रहे थे। इस हाईजैक की ज़िम्मेदारी लेता है ABA नाम का संगठन जो इस फ्लाइट के बदले अपने सरगना की रिहाई की मांग करता है जो यहाँ कैद में है और उसको सज़ा ए मौत निर्धारित हो चुकी है। ऐसे में हमारे CBI वालों को एक फ्लाइट क्रैश की खबर मिलती है जो हाइजैक प्लेन के रूट के अपोजिट डायरेक्शन में कोलकाता के किसी जंगल में मिलता है।