Day: 15 September 2020

देवशयनी एकादशी: धर्म और विज्ञान साथ साथ

हिन्दू धर्म के अनुसार हिंदी कैलेंडर के आषाढ़ मास की एकादशी को देवशयनी एकादशी के रूप में जानते और मनाते हैं। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु चार मास के लिए क्षीरसागर में विश्राम करने चले जाते हैं और इसीलिए इसके बाद का श्रावण माह पूरी तरह से भोलेनाथ महादेव का माना जाता है कि सृष्टि का संचालन अब महादेव के हाथ में है।इस दिन से सभी मांगलिक कार्यक्रम जैसे विवाह, गृहप्रवेश आदि अगले चार महीनों के लिये वर्जित हो जाते हैं। 2025 में देवशयनी एकादशी 6  जुलाई को है और यह चातुर्मास लगने का संकेत है। चतुर्मास में श्रावण, भाद्रपद, अश्विन और कार्तिक महीने शामिल हैं।

प्राचीन काल में भी भारत का विज्ञान काफी आगे था। हमारे ऋषि मुनि जो भी करते थे उसके पीछे ठोस वैज्ञानिक आधार होता था। आषाढ़ मास यहाँ पर मानूसन यानी वर्षा ऋतु का मास है और एकादशी तक देश के सभी प्रांत तक मानसून पहुंच ही जाता है। हमारे देश में गाँव में आज भी मानसून आने के बाद मुख्य रूप से खेती ही की जाती है और तमाम रास्ते बारिश और जंगलों की वजह से अवरुद्ध हो जाते हैं। पहले यातायात के साधन भी पशुओं और ग्रामीण रास्तों को ध्यान में रखकर बनाए जाते थे इसलिए मानसून के चार महीने वैवाहिक कार्यक्रम बन्द कर दिए जाते थे ताकि किसी को परेशानी न हो।
हमारे यहाँ ऋषि मुनि जंगलों में तप करने जाते थे। वर्षा काल में जंगली और खूंखार जानवरों के डर से वो नगर या गाँव के आसपास ही अपना ठिकाना बना लेते थे और वर्षा काल बीतने के बाद वापस अपने ठिकानों पर चले जाते थे। हमारे यहाँ ऋषि मुनियों के स्थान भी देवतुल्य ही माना गया है । और ऋषि मुनि अपनी पूजा तप छोड़कर गांव नगर की तरफ प्रस्थान करते हैं इसलिए भी इसे देवशयन समय माना गया है।

देवशयनी एकादशी वैष्णवों और भगवान विष्णु के भक्तों के लिए बहुत धार्मिक महत्व रखती है. यह प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा के ठीक बाद मनाई जाती है .

देवशयनी एकादशी में वैसे तो व्रत पूजा पाठ किया जाता है लेकिन अगर व्रत वगैरह में विश्वास नहीं है तो भी वेद पुराण पढ़ने और अपना ज्ञान बढाने में किसी को भी पीछे नहीं रहना चाहिए।  साथ ही साथ इस दिन चावल वर्जित माना गया है इसके पीछे वैज्ञानिक आधार यह है कि चावल खाकर बारिश के मौसम में आप शान्ति से ज्ञान अर्ज़न नहीं कर सकते और ध्यान मग्न भी नहीं हो सकते।

 

जिला मिर्ज़ापुर…….लिखने और देखने लायक यहाँ पर बहुत कुछ है

उत्तर प्रदेश का एक छोटा सा जिला मिर्ज़ापुर जो प्राकृतिक सौंदर्य से तो लबालब है लेकिन इसके पर्यटन पर सरकार कुछ खास ध्यान नहीं दे पाई है। यह धार्मिक रूप से भी काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि जगत जननी माँ विंध्यवासिनी का धाम भी यही है साथ ही साथ ये दोनों ओर से दो महत्वपूर्ण धार्मिक नगरों ( एक तरफ पवित्र संगम नगरी प्रयागराज तो दूसरी तरफ बाबा भोलेनाथ की नगरी काशी) से जुड़ा हुआ है।

लॉक डाउन के दौरान मिर्ज़ापुर सीरीज देखने का मौका मिला तो दिल दहल गया, सीरीज तो हमसे पूरी देखी भी नहीं गई। ये किस मिर्जापुर की बात कर रहे। जिस मिर्जापुर को मैं जानती हूँ और जहाँ अपना बचपन जिया है वो तो बिल्कुल ऐसा नहीं है।

हाँ, बेरोजगारी, अशिक्षा और गरीबी ज़रूर बहुत ज्यादा है वो भी माननीय लोगों की लापरवाही और भ्रष्टाचार की वज़ह से लेकिन उसको गुंडाराज नही बोल सकते। यहाँ कालीन और पीतल का व्यसाय मुख्य रूप से किया जाता है यह सच है। गरीबी और बेरोजगारी की वजह से नक्सलवाद को एक हद तक बढ़ावा मिला है लेकिन जिस तरह वेब सीरीज में मर्डर दिखांए गए ऐसा तो नही होता कहीं भी।

मिर्जापुर की प्राकृतिक छटा निराली है और बरसात में तो यह और भी खूबसूरत हो जाता है। कुछ प्राकृतिक सौंदर्य में सिरसी बाँध, लखनिया दरी, सिद्धनाथ दरी, कुशियरा फॉल, टाण्डा फाल, विंढम फॉल, ददरी-हलिया जंगल मुख्य हैं। अगर प्रशासन ध्यान दे तो इनको और भी खूबसूरत बनाकर पर्यटन बढ़ाया जा सकता है जिससे रोज़गार के अवसर बढेंगें।

विंध्याचल के नाम से काफी तीर्थयात्रियों का आना होता है लेकिन उनमें से कम को ही मालूम होगा कि माँ विंध्यवासिनी का दर्शन अकेले करने से पूरा पुण्य नहीं मिलता । पूरा पूण्य प्राप्त करने के लिए त्रिकोण पूरा करना होता है इस त्रिकोण में काली खोह और अष्टभुजा मंदिर शामिल हैं। काली खोह से करीब 8 km दूर ही IST सेन्टर है जहाँ से पूरे देश का समय निर्धारित होता है।

अगर आप 30 साल के आसपास उम्र समूह में हैं तो आपने देवकीनन्दन खत्री की चंद्रकांता सीरियल दूरदर्शन पर ज़रूर देखी होगी। तिलिस्म और मनोरंजन से भरपूर यह धारावाहिक चुनार के किले के बिना अधूरा है। और चुनार और चुनार का किला दोनो ही मिर्ज़ापुर जाकर देखा जा सकता है।

मिर्जापुर का नाम लो और गंगा घाट का नाम न आए ये तो जल बिन मछली वाली बात हो जाएगी। यहाँ तमाम गंगा घाट अपनी नक्काशीदार बनावट और खूबसूरती के लिए मशहूर हैं ये अलग बात है कि उचित रख रखाव न होने से फिलहाल धूल चाट रहे हैं। जिनमें कुछ प्रमुख घाट हैं पक्केघाट, बरियाघाट, नारघाटपक्केघाट का लेडीज मार्केट भी काफी फेमस हैं । सभी त्योहारों में से, कजरी महोत्सव संभवतह सबसे भव्य तरीके से मनाया जाता है।यहाँ का कालीन तो बहुत ही मशहूर है।

स्थानीय मिर्ज़ापुरी बोली ( भोजपूरी) के अलावा, ग्रामीण मिर्ज़ापुर की पोशाक भी काड़ा (ब्रेसलेट), बाजु बैंड (आर्म बैंड), हंसूली (मोटी गर्दन के छल्ले), बिछिया (पैर की अंगुली के छल्ले), करधनी (सिल्वर बेल्ट) जैसी पारंपरिक आभूषण पहनने वाली महिलाओं के साथ काफी अलग है। पुरुषों को ज्यादातर गमछा और कुर्ता में देखा जाता है।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, साउथ कैंपस (बरकछा), 1104 हेक्टेयर क्षेत्रफल के साथ राबर्ट्सगंज उच्च मार्ग (मानचित्र) पर मिर्जापुर शहर के लगभग 8 किमी दक्षिण पश्चिम में स्थित है। वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन ने उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े 101 मेगावाट के सौर ऊर्जा संयंत्र का मिर्जापुर जिले के दादर कला गांव में का उद्घाटन किया।

अन्त में यही हैं की मिर्जापुर पर लिखने और देखने लायक यहाँ पर बहुत कुछ है बशर्ते देखने वाले के पास समय और खूबसूरती देखने का नज़रिया और हुनर हो। तो अब अगली बार जब भी मौका मिले माँ विंध्यवासिनी धाम ज़रूर पधारें और खुद अपना नज़रिया बनाएँ मिर्ज़ापुर के लिए।

Traveling Blues-यात्रा से पहले की तैयारियां

बदलाव ही प्रकृति का नियम है खासकर इंसान जो कि सबसे बुद्धिमान और स्वार्थी जीव है और इन्सानों का एक जगह टिककर रहने की आदत कभी भी नहीं रही । घूम घूम के प्रकृति और व्यसाय में सामंजस्य बिठाने की जद्दोजहद आदिकाल से चली आ रही है।

काम कोई भी हो सुनियोजित और क्रमवार तरीके से किया गया काम आसानी से हो भी जाता है और अनावश्यक तनाव से भी बचाता है। जैसे कि कहा ही गया है

“Fail to Plan, Plan to Fail.”

इसलिये आप जब भी कहीं घूमने जाएं या व्यावसायिक यात्रा पर पूरी तैयारी के साथ घर से निकले ताकि आपको यहाँ वहाँ न भटकना पड़े और मानसिक और शारीरिक समस्याओं का सामना न करना पड़े।

सबसे पहले शुरुआत करते हैं सुबह की ज़रूरत से तो उसके लिए एक जरूरी सामानो (Essential items) की किट बना लें जिसमें ब्रश, पेस्ट, फेसवाश, साबुन, सैनिटाइजर जैसी चीजें एक साथ रखें ताकि सब एक जगह मिल जाए और छोटी सी ज़रूरत पर बैग को पूरा खंगालने की ज़रूरत न पड़े।

इसके साथ ही दवाई (Medicines) की एक अलग किट बनाएँ जिसमें नार्मल बुखार, खांसी, पेटदर्द, यदि कोई अन्य दवाई लेते हो तो वह भी और बैंडेड, डेटोल और थोड़ा कॉटन ज़रूर रखें।

जहाँ जा रहे वहाँ का मौसम और तापमान नेट पर सर्च ज़रूर करें खासकर अपने स्टे के दौरान का वेदर अपडेट ज़रूर लें और उस हिसाब से कपड़े और जूते-मोजे भी रखें।

हर दिन की ज़रूरत के हिसाब से कपड़े जोड़ी में रखे तो आपको लास्ट मिनट की भागदौड़ नही होगी।

जैसे छोटे कपड़ों को या तो अलग एक पाउच में रखे या एक पेअर ड्रेस के साथ एक इनरवेयर अलग रखे ताकि तुरन्त लेकर रेडी हो जाएं।

आजकल बिना मोबाइल और चार्जर क़े तो जीवन ही नहीं हैं तो उसे रखना न भूले I यदि पॉवर बैंक भी रख ले तो लंबी Journey में मदद मिलेगी और अगर आप photography के शौकिन हैं तो Camera रखना मत भूलिएगा । अच्छा होगा की सभी Gadgets का अलग एक handy बैग बना ले पर इसकी सुरशा का विशेष ध्यान दिज़िएगा।

वैसे तो आजकल हर जगह ATM/ Debit/Credit/ mobile Banking मिल जाती हैं पर थोड़ा journey क़े हिसाब सें cash रखने से पैसे के लिये जरूरत पड़ने पर यहाँ वहां भटकने से बच सकते हैं।

अब बारी घऱ से निकलने की हैं, पहले घऱ के सभी Utility Points ( Electricity, Gas, Water etc) चेक करके बंद कर दे और अच्छे सें Door Lock चेक कर ले । बेहतर होगा की किन्हीं आस पास जान पहचान मॆं paper, letters आदि उठा लेने को बोल दे।

यदि ट्रेन से सफर् हैं तो ट्रेन टिकट अवशय चेक कर ले और रोड़ journey की तैयारी हैं तो vehicle में air pressure, fuel level और stapiny tyre भी चैक कर ले । अच्छा होगा की group में रोड़ journey प्लान करे ।

जहां जां रहे हो वहां क़े famous spots क़े जानकारी भी इकटठा कर ले इसमें internet काफी सहायक हो सकता हैं। सभी spots की लिस्ट बना ले और Journey Days के हिसाब से प्लान करे और कोशिश करे कि किसी spot पर जांकर उसे पूरा explore करे और सभी spots को भाग दौड़ से पहुँच कर cover करने से बचें क्योंकि कुछ next time के लिये भी छोड़ देना भी अच्छा विकल्प हो सकता हैं ।

Journey के timing के हिसाब से रुकने की व्यवस्था का प्लान करें जैसे कि यदि Peak season जैसे गर्मी की छुट्टीयाँ, Winter/ New year Holidays के समय hotels में advance booking करा लेना अच्छा विकल्प होगा ताकि आपको लास्ट समय में भीड़भाड होने पर रुकने की जगह में compromise न करना पड़े । इसमें भी internet काफी सहायक होता हैं अलग अलग hotels की जानकारी और बूकिंग के लिये । Normal season में सीधे hotel पहुँच कर भी रुकने क़े लिये अच्छ। package भी मिल सकता हैं ।

आज कि busy life में Traveling क़े कुछ समय सभी को निकाल लेना चहिये क्योंकि यही शन्ति और सुकुन क़े पल हो जाते हैं जो routine life की बोरिय्त को दूर करते हैं और आप को फिर से rejuvenate करने में मदद करते हैं। साथ ही में economy के लिये भी Traveling बहुत अच्छा हैं क्योंकि हमारे देश क़े कई प्रदेशों मैं Tourism उनकी आय का मुख्य source होते हैं और कई लोगो की जीविका का माध्यम होती हैं ।

इसलिअए अगली बार कही घूमने जाएँ तो ऊपर कही बातों का ध्यान रखें और अपने अनुभव जरूर साझा करें ।