Month: October 2020

Natural Air Purifiers…Lets fight air pollution in green way

As the winter is setting in and we all are getting in festival moods, we have also started to feel the pinch of polluted air, more severe for friends in North India. Do we all are not wanting to get out of choked air to celebrate the Festivals with lot of joy and happiness, but the choices are not available all the time due to various exigencies, so should we accept this noise and air pollution as our fate. Not trying should not be our choice. To reduce such pollution, on individual efforts, we all can add some plants in our balcony which shower on us the uncountable benefits as natural air purifier plants but also the rejuvenating aura they form around us.

An interesting project ” NASA Clean Air Study” to research ways to clean the air in space stations was done by the National Aeronautics and Space Administration (NASA) in association with the Associated Landscape Contractors of America (ALCA). Its results suggested that, in addition to absorbing carbon dioxide and releasing oxygen through photosynthesis, certain common indoor plants may also provide a natural way of removing volatile organic pollutants (benzene, formaldehyde, and trichloroethylene were tested).

The study further suggested that efficient air cleaning is accomplished with at least one plant per 100 square feet (9.3 m2) of space, but was conducted under sealed space station conditions and research conducted since has shown mixed results in the home or office.

So based our own experience, the details of some green natural air purifier plants (with their common name) are being sharing, which you would love to grow in your balconies.

Money Plant (Epipremnum aureum)

A money plant is one of the most common household plants. As their name goes, the money plants are very beneficial in many purposes like it helps in purifying air, showering good health, relieving stress as well as for improvement in sleeping disorders. Money plants are succulents and very good anti radiator. It also cuts away the harmful radiations from electronic devices, so can be kept indoors also. Growing them is just easy, get a well grown branch of the plant, put it in some water bottle or soil pot in good shade area and with very little watering effort, enjoy see them growing in just few days.

Areica Palm (Chrysalidocarpus lutescens)

This plant is just great for large open area. It gives green natural look in entire balcony garden and in elimination of toxins, it is very much effective even for poisonous gas carbon monoxide.

The plant is very easy to grow, can be easilypropagated through dividing the mature grown plants and easy to maintain.

They require normal sunshine and moderate watering as per climate outside.

 

Rubber Plant (Ficus elastica)

Rubber plant is not so domestic but now it is trend to grow it in balcony garden. Although it needs much patience.

Rubber plants can remove airborne toxins and fight tropical diseases and parasites.

From studies it’s proven that it cleans formaldehyde which comes from cleaning supplies and furnitures.

          

साड़ी-Special 26 all ladies like to have in wardrobe

बचपन में संदेह अलंकार का एक उत्कृष्ट उदाहरण हम सभी ने अवश्य ही सुना होगा :

नारी बीच सारी है कि सारी बीच नारी है
नारी की ही सारी है या सारी की ही नारी है।।

महाभारत के द्रौपदी चीरहरण से जुड़ा यह प्रसंग अपने आप में ही एक पूरी कथा समेटे हुए है लेकिन ये भी यथार्थ है कि नारी और साड़ी दोनो ही एक दूसरे के बिना अधूरी हैं खासकर हमारे देश भारत में तो कोई भी त्यौहार बिना साड़ी के पूरा नही होता। भारत विविधताओं से भरा देश है यहाँ बोली भाषा, धर्म, त्यौहार और भोजन, रहने के तरीके सब देश क़े अलग अलग हिस्सों में एक दूसरे से भिन्न भिन्न होते हैं, वैसे ही हर प्रदेश के हिसाब से साड़ी का फैब्रिक और पहनने का तरीका दोनों ही बदल जाते है।

हम आज बात करते हैं भारत में पाई जाने वाली मुख्य साड़ियाँ और उनसे जुड़े कुछ तथ्य  और रोचक जानकारियाँ,  साथ ही में विभिन्न वैरायटी की साड़ी का कलेक्शन भी बनाया है । तो शुरूआत करते हैं भारत के दक्षिणी छोर से जहाँ की कांजीवरम साड़ियां काफी मशहूर हैं।

1. कांजीवरम साड़ियां-

काजीवरम साड़ियां तमिलनाडु केे कांचीपुरम में बनी शुद्ध रेशम की साड़ी है। एक वास्तविक कांचीपुरम सिल्क साड़ी में  मेन पार्ट और बॉर्डर को अलग-अलग बुना जाता है और फिर एक साथ अच्छे से जोड़ लिया जाता है।  यह साडियाँ अपनी wide contrast borders से पहचानी जाती हैं और ये साड़ी वजन में भी भारी होती हैं । मन्दिर की borders, धारिया और पुष्प (बटास) कांचीपुरम साड़ियों पर पाए जाने वाले पारंपरिक डिज़ाइन हैं। कांजीवरम साड़ी को पहचानने का सबसे बढ़िया तरीका है कि जब आप इसके ज़री को हल्का स्क्रैच करेंगें तो लाल रंग उभरता हुआ दिखेगा। kanziwaram Saree

 

 

. कोनराड साड़ी –

तमिलनाडु से ही  टेम्पल साड़ी के रूप में लोकप्रिय, कोनराड साड़ियों को मूल रूप से मंदिर के देवताओं के लिए बुना जाता था। साड़ी कपड़े में आम तौर पर धारियाँ या चेक और एक विस्तृत बॉर्डर होता है। जानवरों और प्राकृतिक तत्वों के रूपांकनों के साथ बॉर्डर इस साड़ी को इतना खास बनाती है।

Konrad Saree

 

 

3. कसावु साड़ी –

केरला से कसावु साड़ी को मूल रूप से ‘मुंडुम नेरेयाथम’ के नाम से जाना जाता था। गोल्डन बॉर्डर वाली ऑफ-व्हाइट कलर की सिंपल कॉटन साड़ियां, केरल की कसावु साड़ियां अपने आप में आइकॉनिक हैं। कासावु साड़ी शान, सादगी और परंपरा का प्रतीक है। ये साड़ियाँ अपनी गोल्ड और ताँबे की ज़री के बॉर्डर की वजह से काफी मशहूर हैं। केरला में कुछ पारम्परिक पूजा और शादी विवाह तो इन साड़ियों के बिना हो नहीं सकते, विष्णु पूजा और ओणम ऐसे ही कुछ खास मौके हैं। सोने की ज़री प्रयोग होने से इसके दाम ज्यादा ही होते हैं। लाइट में डिफरेंट एंगल पे इनकी डिफरेंट चमक इनको अद्भुत बनाती है। इनकी विशेषता यह होती है कि इसी डिज़ाइन की जेंट्स की धोती भी तैयार की जाती है जिसको केरला की पारंपरिक भाषा में मुंडू बोलते हैं। इनका रख रखाव भी थोड़ा अलग होता है इनको किसी भी प्रकार के केमिकल से दूर रखना चाहिए। कोई लिक्विड चीज साड़ी पर न गिरने पाए इसका भी खास ख्याल रखना चाहिए। सिल्क साड़ियों को ड्राई क्लीन ही करवाना ही उचित होता है।

Kasavu Saree

 

4. पोचम्पली साड़ी-

पंचमपल्ली साड़ी या पोचमपल्ली इकत साड़ियों की उत्पत्ति तेलंगाना से हुई है और इसमें जटिल ज्यामितीय (Geometry) पैटर्न हैं जो रंगाई की इकत शैली के साथ बनाए गए हैं। कुशल बुनकरों द्वारा निर्मित, ये साड़ियां रंग से भरपूर होती हैं। पोचमपल्ली साड़ी रेशम और महीन कपास के मिश्रण से बनाई जाती है। इन साड़ियों को चमक देंने के लिए वैक्स का भी उपयोग किया जाता है। साड़ी वजन में हल्की होती हैं और इनमें चमक होती है, इसलिए अगर आपको नियमित रूप से साड़ी पहनने की आदत नहीं है, तो यह साड़ी आपके सभी पसंद के लिए सही विकल्प होनी चाहिए, खासकर गर्म भारतीय गर्मियों में।

Pochampoli Saree

 

Balcony Gardening Fun for Beginners

भारत कृषि प्रधान देश है और यहाँ कृषि युक्त काफी ज़मीन है जिसपे खेती और बागवानी सदियों से होती आ रही है । हम से कई लोग ऐसे हैं जिनके परिवार के कोई न कोई सदस्य आज भी खेती किसानी के काम में लगे होंगे । लेकिन बदलते समय और हमारी बदलती जीवनशैली ने हमें गांव से उठाकर शहरों के छोटे छोटे फ्लैट्स में कैद कर दिया है जहाँ हम बागवानी तो क्या खुलकर साँस भी नही ले पाते लेकिन मन के किसी कोने में यह इच्छा जरूर दबी रहती हैं कि जीवन क़े पुराने हरियाली भरे समय को फिर से जी सके ।

 फिर तो बागवानी का शौक रखने वाले अपनी हरियाली की जगह खोज ही लेते हैं अगर आप भी उन्हीं लोगों में हैं तो ये बालकनी गॉर्डन पर लेख आपके लिए ही है। आज हम ऐसे पौधों और तरीकों के बारे में बात करेंगे जो बालकनी और छत पर आसानी से उगाए जा सकते हैं और उनकी कम देखभाल में भी, हरियाली का आनन्द लिया जा सकता हैं ।

 

बालकनी बागवानी क़े लिए हमें ज़रूरत पड़ेगी:

कुछ प्लास्टिक/ फिबेर/ चीनी मिट्‍टी/ सीमेंट/ मिट्‍टी क़े गमले, घास काटने की कैंची, मैनुअल वीडर्स, ट्रावेल, प्रुनर्स, ग्लव्स, कुदाल, हैंड कल्टीवेटर, नली, सींचने का कनस्तर, गार्डन कार्ट या व्हीलबार, अच्छी क्वालिटी की मिट्टी, खुरपी, कुछ बीज और कुछ नर्सरी से लाए पौधे ।

कुदाल-मिट्टी की खुदाई के लिए यह उपकरण काम आता है।

नली- पौधों को पानी देना बागवानी में महत्वपूर्ण कदम होता है इसलिए एक बढ़िया क्वालिटी का पाइप बहुत ज़रूरी होता है।

सींचने का कनस्तर- छोटे बर्तनों और पौधों के लिए पाइप उतना उपयुक्त नहीं होता इसलिए एक सींचने का कनस्तर ज़रूरी होता है।