Month: November 2020

प्रयागराज: एक अद्भुत संगम

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज शहर का नाम सुनते ही कई तस्वीरें आंखों के समाने आती हैं क्योंकि प्रयागराज है ही अनोखा और बहुत सी खूबियां और विशेषता अपने अंदर समेटे हुए । एक तरफ तो यह गंगा, यमुना, अदृश्य सरस्वती जैसी तीन पवित्र नदियों का संगम होकर एक धार्मिक स्थल है वहीं दूसरी तरफ पूर्वांचल का मुख्य औद्योगिक और एजुकेशन हब भी है। प्रयागराज ने देश के कई राजनितिज्ञ और फिल्मस्टार्स भी दिए हैं जिनमें से जवाहरलाल नेहरू, चन्द्र शेखर,रीता बहुगुणा जोशी और अमिताभ बच्चन कुछ प्रमुख नाम हैं।

प्रयागराज का नाम मुग़ल शासन में बदलकर इलाहाबाद रख दिया गया था जिसको साल २०१८ में बदलकर पुनः प्रयागराज कर दिया गया। प्रयाग का अर्थ है प्रथम यज्ञ ऐसी मान्यता है कि सृष्टि का निर्माण करते समय ब्रह्मा जी ने प्रथम यज्ञ यहीं किया था। तो आइए आज प्रयागराज में ही कुछ पल गुजारते हैं मेरे नए ब्लॉग के साथ।

प्रयागराज पहुंचने के लिए सभी मार्ग खुले हुए हैं आप अपनी सुविधानुसार हवाई यात्रा, रेल यात्रा या फिर सड़क यात्रा भी कर सकते हो। दिल्ली से प्रयागराज का टोटल डिस्टेन्स लगभग 700 km है। और 10 से 14 घन्टे की यात्रा पड़ती है या रोड से या ट्रेन से । दिल्ली से प्रयागराज के लिये डायरेक्ट फ्लाइट और ट्रेन हैं साथ ही साथ सड़क कनेक्टिविटी भी बहुत बढ़िया है।

इलाहाबाद हवाई अड्डा भारतीय वायु सेना द्वारा संचालित और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण द्वारा प्रबंधित, बमरौली हवाई अड्डा शहर से 12 किमी दूर स्थित है और प्रमुख रूप से घरेलू मार्गों पर कार्य करता है।

प्रयागराज जंक्शन उत्तर भारत के मुख्य रेलवे जंक्शनों में से एक है । प्रयागराज के चार प्रमुख रेलवे स्टेशन प्रयाग जंक्शन, सिटी स्टेशन रामबाग, दारागंज स्टेशन, चोकी रेलवे स्टेशन और प्रयागराज जंक्शन हैं।

दिल्ली से लखनऊ तक एक्सप्रेस वे से भी कनेक्ट है उसके बाद NH30 से आप आगे बढ़ सकते हैं।साथ ही प्रदेश के विभिन्न शहरों जैसे बनारस (NH19), कानपुर (AH1) के साथ सड़क कनेक्टिविटी भी बहुत बढ़िया है।

भारत का सबसे लंबा जलमार्ग राष्ट्रीय जलमार्ग 1, इलाहाबाद को हल्दिया  के साथ जोड़ता है ।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय, जिसे एयू भी कहा जाता है, देश भर में उच्च शिक्षा के सबसे सम्मानित संस्थानों में से एक है। इसे पूरब के ऑक्सफोर्ड का दर्जा भी दिया गया है। मेडिकल, इंजीनियरिंग से लेकर सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए लाखों छात्र अपने आंखों में भविष्य के सपने लिए हुए हर साल ही यहां पहुंचते हैं। 

प्रयागराज के कुुुछ मशहूर स्थान

वैसे तो प्रयागराज आपलोगों में से कई लोग गए होंगें और वहां के बारे में जानते भी होंगें इसलिए आज शुरु करते हैं उस पुल से जो नैनी और प्रयागराज को जोड़ता है, पहले वाला पुल तकरीबन १५५ साल पुराना और अंग्रेजों द्वारा बनवाया गया था। शुद्ध लोहे के १४ पिलर्स पर खड़ा ये पुल आर्किटेक्चर (Architechture) का अद्भुत नमूना है। बाद में बोला गया कि ये कमज़ोर हो रहा साथ ही साथ इस पर लम्बा जाम भी लगने की वज़ह से ही यमुना नदी पर ही एक नया पुल बनाया गया जो कि केबल (wires) पर लटका हुआ है मुंबई के सी लिंक के बाद शायद यह भारत का दूसरा अद्भुत पुल है । इसको पंडित दीन दयाल उपाध्याय पुल भी बोलते हैं। पुल ख़तम होते ही आप पहुंचोगे प्रयागराज में जहां एक  रोड के एक तरफ मिलेगा आपको मिंटो पार्क और रोड के दूसरी साइड इलाहाबाद डिग्री कॉलेज

ऋषि भारद्वाज का आश्रम
इसके अलावा यहां ऋषि भारद्वाज का आश्रम भी है। ऐसी मान्यता है कि प्रभु श्री राम वनवास जाते समय ऋषि भारद्वाज से शिक्षा ग्रहण करने यहां रुके थे। अभी भी ये आश्रम पर्यटन और आत्मिक चिंतन दोनों ही दृष्टि से काफी मायने रखता है।


हनुमान जी का मंदि
दारागंज में लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर काफी मशहूर है ऐसी मान्यता है कि बरसात में जब तक गंगाजी इस मंदिर को न डूबा दें तब तक उनका उफान बढ़ता ही रहता है और एक बार हनुमानजी को छू लेने के बाद ये वापस हो जाती।

कंपनी बाग
प्रयागराज शहर में कंपनी बाग भी है जिसे चंद्रशेखर पार्क भी बोलते हैं यहां चंद्रशेखर आज़ाद ने अपनी आखिरी लड़ाई लड़ी थी अंग्रेजों से और आखिरी सांस भी यही ली थी। जगह की शांति हमारे दिलों में राष्ट्रीय भावना भर देती है और मिट्टी के महान बेटे की सर्वोच्च बलिदान और वीरता के सामने सिर झुकाती है।

खाने में यहां के अमरूद बहुत ही मशहूर हैं साथ ही कुछ लोकल चीजें जैसे नेतराम मूलचंद एंड संस में कचौरी, लोकनाथ की लस्सी, हीरा हलवाई में गुलाब जामुन, सिविल लाइन्स की चाट और मसाला चुरमुरा का वो स्वाद सिर्फ वहीं जाकर और लंबी लाइन लगाकर ही मिल पाता हैं।

इलाहाबाद हाईकोर्ट और उत्तर मध्य रेलवे क्षेत्र मुख्यालय शहर को और विशेष प्रशासनिक दर्जा दिलवाते हैं।

स्वराज भवन

प्रयागराज का नाम आया और स्वराज भवन का नाम ना आए ये नामुमकिन है ।

स्वराज भवन एक संग्राहलय है। यहाँ हमारी आज़ादी की लड़ाई से जुड़े लोगों की स्मृतियाँ संजोकर रखी हुई हैं। आज़ादी से पहले तमाम बड़े लोग जो आज़ादी की लड़ाई में शामिल हुए यहीं पर मिलते थे विचार विमर्श करते थे और अपनी रणनीतियाँ बनाते थे। यह आनन्द भवन के पास में ही है। यह प्रयागराज के कर्नलगंज थाने में पड़ता है।

आनंद भवन 

आनंद भवन भी नेहरू परिवार का निवास स्थान हुआ करता थ लेकिन अभी उनकी यादो को सँजोये हुए है और वहाँ जाने वालों को ये याद दिलाता है कि आजादी की लड़ाई में नेहरू गांधी परिवार का क्या योगदान रहा। साथ ही साथ उनका रहन सहन कैसा रहा।

स्वराज भवन को कांग्रेस के बैठक और बाकी काम के लिए देने के बाद नेहरू गांधी परिवार आनंद भवन में रहने लगा। ये हमारे  देश की एकमात्र महिला प्रधानमन्त्री श्रीमती इंदिरा गांधी की जन्मस्थली है और फिल्हाल  भारत  सरकार के  पास  सांस्कृतिक धरोहर है।

 

जवाहर लाल नेहरू नक्षत्र-भवन प्लानेटेरियम

प्लेेनेेेटेरियम भी आनंद भवन में ही है लेेेकिन उसका टिकट अलग लेेना पड़ता है। यहां 3 घन्टे के 3 शो चलते हैै उसमें हमारे  सौरमंडल के बारे में विस्तार से बताया और दिखाया जाता है।

खुसरो बाग

खुसरोबाग भी एक प्रमुख स्थल है जो है तो एक विशाल बाग़ जिसमें जहाँगीर के बेटेे खुसरो के साथ उसकी पत्नी और बेटी का भी मकबरा है।

प्रयागराज के अमरूद बहुत ही मशहूर हैं भविष्य में यहाँ अमरूद का रिसर्च सेन्टर खोलने की मंजूरी मिल चुकी है।

प्रयाग राज का नाम आए और कुंभ का नाम न हो ऐसा कैसे हो सकता है हर बारह साल में यहां पूर्ण कुंभ और हर छह साल में अर्ध कुंभ लगता है। यह चार मुख्य नगर नासिक, उज्जैन, हरिद्वार और प्रयागराज में एक है।

प्रयागराज में तीन नदियों का संगम है तो घाटों की संख्या भी भरमार में है जिनमें सरस्वती घाट, गऊघाट, बलुआघाट, दशाश्वमेध घाट, बरगद घाट, अरैल घाट कुछ प्रमुख हैं। कार्तिक महीने में बलुआघाट जो कि यमुना जी का किनारा है पर एक महीने का मेला लगता है जिसमें हस्तशिल्प और किचन सम्बन्धित वस्तुएँ बजट के अंदर मिल जाती हैं। हिन्दू धर्म में हिंदी महीने में कार्तिक महिने का बहुत ही महात्म्य है।

औद्योगिक और व्यापार की दृष्टि से, प्रयागराज शहर का महत्व कम नहीं है। नैनी और फूलपुर इसके आसपास के दो औद्योगिक शहर है।

शहर की प्रमुख कंपनियों में रिलायंस इंडस्ट्रीज, एल्सटॉम, आईटीआई लिमिटेड, अरेवा, बीपीसीएल, डेका मेडिकल, भारतीय खाद्य निगम, रेमंड सिंथेटिक्स, त्रिवेणी शीट ग्लास, श्नाइडर इलेक्ट्रिक इंडिया लिमिटेड, त्रिवेणी इलेक्ट्रोप्लास्ट, ईएमसी पावर लिमिटेड, स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया, हैं। HCL Technologies, Indian Farmers Fertilizer Cooperative (IFFCO), Vibgyor Laboratories, Geep Industries, Hindustan Cable, Indian Oil Corporation Ltd, Baidyanath Ayurved and Hindustan Laboratories। शहर में रेलवे विद्युतीकरण के लिए केंद्रीय संगठन का मुख्यालय भी है।

तो अब जब भी प्रयागराज आइये थोड़ा इत्मीनान से सभी जगहों को एक्सप्लोर करिये, यहाँ के जायके का भी लुत्फ उठाएं और हमारे ब्लॉग से सम्बंधित सुझाव भी ज़रूर दीजिये।

प्रेगनेंसी और कोरोना

किसी नए जीव का सृजन अपने आप में ही एक सुखद अहसास होता है लेकिन इसके साथ ही कई ज़िम्मेदारियों का अहसास और कोई गलती न हो इस बात का डर भी सताता है खासकर तब जब फर्स्ट प्रेग्नेंसी हो और इस कोरोना काल में तो और भी डर हो जाता है। ऊपर से अनेक भ्रांतियाँ भी फैली हुई हैं कि प्रेग्नेंट लेडीज कोरोना के हाई रिस्क पे होती हैं। जबकि वास्तविकता में ऐसा कुछ भी नहीं होता। आंकड़ों के अनुसार कोरोना से मृत्यु उन्हीं लोगों की हुई है जो पहले से किसी और रोग से ग्रस्त थे या जिनकी इम्युनिटी बहुत ज्यादा कमजोर थी।

तो जो भी ज़रूरी सावधानियाँ हैं जैसे सोशल डिस्टनसिंग, मास्क पहनकर ही बाहर निकलें और जब तक बहुत ज़रूरी न हो तो बाहर न निकलें उनको ध्यान में रखेंगीं तो आप अपने प्रेगनेंसी एन्जॉय करते हुए स्मूथली निकाल सकते हैं।

प्रेग्नेंसी एक सुखद अहसास है और खुद को आने वाली चुनौतियों के लायक मज़बूत बनाने का एक अवसर। ये 9 महीने आपको अपने लिए जीने अपने पार्टनर के साथ अपने रिश्ते को मजबूत बनाने और एक दूसरे को एक नन्हें मेहमान को अपने जीवन में हमेशा के लिए शामिल करने के लिए मेंटली और फिजिकली तैयार करने के लिए मिलते हैं। इसलिए इसको भरपूर जिये और हर वो तैयारी जो बच्चे के आने से पहले चाहिए होती है उसको कर लीजिए।

प्रेग्नेंसी को तीन स्टेजेज में बाँट दिया गया है। फर्स्ट ट्राइमेस्टर इसकी शुरुआत लास्ट पीरियड के फर्स्ट डे से लेकर प्रेग्नेंसी के 12 वीक्स तक का समय फर्स्ट ट्राइमेस्टर कहा जाता है

सेकंड ट्राइमेस्टर 13 वीक्स से 26थ वीक तक सेकंड ट्राइमेस्टर कहलाता है।

थर्ड ट्राइमेस्टर 27 वीक्स से प्रेग्नेंसी के आखिरी तक थर्ड ट्राइमेस्टर कहलाता है।

फर्स्ट ट्राइमेस्टर (शुरुआत के तीन महीनों) में एक औरत के अंदर काफी बदलाव होते हैं जो बाहर से तो नहीं दिखते लेकिन उसको काफी प्रभावित करते हैं और साथ मे ही उसके साथ जुड़े लोंगो को भी। चूंकि शुरू के 3 महीनों में काफी हार्मोनल बदलाव होते हैं जिसके लिए औरत का शरीर तैयार नहीं होता जिसकी वजह से उल्टी होना, चक्कर आना, ज़ी घूमना, वज़न कम हो जाना मूड स्विंग होना , वज़न बढ़ना,सुस्ती होना ये सब आम बात है इन बातों से खुद भी नहीं घबराना है और बाकी घरवालों को भी परेशान नहीं करना है। फर्स्ट ट्राइमेस्टर में बेबी ग्रोथ भी तेजी से होती एक कोशिका से पूरा शरीर बनना, उसका लिंग निर्धारित होना सब इसी फेज में होता इस लिहाज से ये फेज माँ और बच्चे दोनों के लिए ज़रूरी और चुनौती भरा होता। ज़रा सी लापरवाही भी मिसकैरिज का कारण बन सकती है। इसलिए कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान जरूर रखें

1.एक कुशल और प्रशिक्षित महिला डॉक्टर से परामर्श ज़रूर लें और आगे के 9 महीने उन्हीं के अनुसार चलना है तो डॉक्टर चुनने में जल्दबाजी न दिखाएं और हॉस्पिटल अपने घर से बहुत दूर भी न हो इसका भी ध्यान रखें।

2.संतुलित भोजन लें आवश्यक विटामिन्स, मिनरल्स और कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अपने लम्बाई और वज़न के हिसाब से संतुलित रखें। आयरन और कैल्शियम सप्लीमेंट्स डॉक्टर की सलाह से ज़रूर शुरू कर दें।

3.आपके शरीर में लिक्विड की खपत बढ़ने वाली है तो उसका इनटेक भी बढ़ा दी फिर वो चाहे सादे पानी के रूप में हो या फ्रूट जूस या नारियल पानी के रूप में ये आप पर डिपेंड करता है।

4. भारी सामान उठाने और ज्यादा भागदौड़ से बचें।

5. फलों में पपीता और अनानास को न खाएं तो बेहतर है साथ ही साथ अदरक, हल्दी जैसी गर्म चीजों से जितना परहेज़ कर सकें प्रेग्नेंसी के दौरान उतना बेहतर होगा आपके और आपके होने वाले बच्चे के लिए।

6.पहला टेटनस का इंजेक्शन भी फर्स्ट ट्राइमेस्टर में ही लगता है वो अपने चिकित्सक से परामर्श करके लगवा सकते हैं।

सेकंड ट्राइमेस्टर में बेबी ग्रोथ होती और मां की बॉडी भी अपने आपको एडजस्ट कर चुकी होती तो उसका भी वज़न बढ़ना नार्मल प्रक्रिया होती। कुछ केसेस जिनमें यूटेरस कमज़ोर होता और ग्रोइंग बेबी का वजन न सम्हाल पाने की वजह से मिसकैरिज वगैरह होता( बहुत कम केसेस ) है , नही तो सेकंड ट्राइमेस्टर में कोई चिंता की बात नहीं होती। रेगुलर चेकआप और छठवे महीने में टिटनेस के टीके लगवाने के अलावा और कोई ज़रूरत नहीं पड़ती। इस दौरान कई महिलाओं को ज़ी मिचलाना, और थकान से आराम मिल जाता है

इस दौरान कुछ सामान्य लक्षण जो आपको देखने को मिल सकता है

  • भूख बढ़ना
  • पेट बाहर निकलना
  • लो बीपी के कारण चक्कर आना
  • शिशु की मूवमेंट्स महसूस कर पाना
  • पेट स्तनों और जांघों पर स्ट्रेच मार्क्स पड़ना
  • एड़ियों और हांथो में सूजन

अगर इनमें से कोई भी लक्षण आपको ज्यादा परेशान कर रहा तो अपने डॉ से परामर्श अवश्य लें। दूसरी तिमाही के खत्म होने तक शिशु के सभी अंग विकसित हो चुके होते हैं और शिशु सुनने और स्वाद लेने लायक हो जाता है इसलिए मां को खुश रहना चाहिए और ऐसी कहानियां और गाने सुनते रहें जिनको आप चाहते। हैं कि आपका बच्चा इसको एन्जॉय करेगा। आपने वीर अभिमन्यु की कहानी अवश्य सुनी होगी जो चक्रव्यूह भेदने की विद्या अपनी मां के गर्भ से सीखकर आया था।

थर्ड ट्राइमेस्टर सबके लिए ही अहम होता होने वाली माँ आने वाले बच्चे और पूरे परिवार के लिए भी। अगर आपका पहला बच्चा है तो ये आखिरी 3 महीने हैं जो आप अकेले बीता रहे इसके बाद आप मां के रूप में व्यस्त रहने वाली हैं तो ये जो समय आपको मिला है उसको अपने मनपसंद काम अपने शौक को पूरा करने में बिताइए।अपनी मनपसंद मूवीज,पत्रिकाओं और वो सभी काम जो आप करियर पढ़ाई और फिर शादी के बाद की ज़िम्मेदारी पूरी करने में कहीं पीछे छोड़ दिया था।

तीसरी तिमाही में प्रेग्नेंट महिला को दर्द और सूजन बढ़ जाती है और डिलीवरी को लेकर मेन्टल प्रेशर भी बढ़ जाता है। कुछ लक्षण जो तीसरी तिमाही में दिखते हैं निम्न हैं :

  • गर्भाशय का बीच बीच में टाइट हो जाना।
  • बच्चे का मूवमेंट बहुत ज्यादा बढ़ जाना।
  • गर्भाशय में शिशु पूरी जगह ले चुका होता है इसलिए वहाँ यूरिन कलेक्शन के लिए जगह कम पड़ती और बार बार यूरिन डिस्चार्ज करने जाना पड़ता।
  • सोने में दिक्कत होंना।

अगर आपको शिशु की एक्टिविटी अचानक से कम समझ आए या ब्लीडिंग शुरू हो जाए या फिर अत्यधिक सूजन दिखे तो अपने डॉक्टर से तुरंत सलाह लें।

सभी कठिनाइयों के बाद भी, जब आप पहली बार अपने बच्चे को अपने हाथ में लेते हैं, तो जो भावना आती है उसे शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता है।


 

 

 

स्वस्थ्य किचन : इन्हें किचन से रखें दूर रहें और स्वस्थ्य रहे भरपूर

आजकल की भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में जहाँ थककर बैठना भी मना हो, क्या आपको पता है कि हम अनजाने में ही कई ऐसे बीमारियों का शिकार हो जा रहें हैं जो ज्यादातर हमारे गलत खान पान या किचन से सम्बंधित गलत आदतों से होती हैं। ऐसे में अगर आप गलती से भी बीमार पड़ जाए या भगवान न करें कोई लाइलाज बीमारी आपको हो जाए तो आप सपने में भी नहीं सोच सकते कि आपका और आपके परिवार का क्या हाल होगा । तो आज हम उन्हीं कुछ बुरी आदतों को समझते हैं और कोशिश करते हैं कि जिन परिस्थितियों को हम सपनें में भी नहीं देखना चाहते उनसे रियल लाइफ में कैसे कोसो दूर रखें।

जब हम अपने किचन में देखते हैं तो पाते हैं कि हम लाख कोशिश कर लें लेकिन कुछ चीजें जैसे प्लास्टिक, नॉनस्टिक बर्तन, ऐलुमिनियम के बर्तन ऐसे उदाहरण हैं जो चाहें न चाहे हमारे मोड्यूलर किचन का हिस्सा बन गए हैं लेकिन हमें इनका विकल्प जल्द से जल्द ढूढ़ लेना चाहिए नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब थाइरोइड, PCOD, कैंसर जैसी घातक बीमारियां हमारे सामने मुँह बाए खड़ी होंगी। आज की परिस्थितियों को देखते हुए, अपने लेख द्वारा इसके कुछ उदाहरण आज हम लाए है :

1. पॉलीथिन का प्रयोग बंद करें खासकर खाने पीने की चीजों के लिए। पॉलीथिन बनता है PVC मतलब Polyvenylechloride जो गर्म चीजों के सम्पर्क में आने पर हानिकारक विकिरण निकालता है। इसकी जगह पे हमें वुडेन बॉक्सेस, स्टेनलेस स्टील कंटेनर्स इस्तेमाल करने चाहिए।

वैसे आजकल पत्तों को प्रेस क़रके बनए गये डिस्पोजल प्लेट्स और कटोरी भी काफी फेमस होते जां रहे हैं जों use and throw purpose क़े लिये प्लास्टिक का अच्छा विकल्प हैं और environment friendly भी हैं ।

2.ऐलुमिनियम फॉयल को न करे। क्या आपको पता है कि ऐलुमिनियम फॉयल में गर्म चीजें रखने से गर्म चीजें उससे रिएक्शन करके ज़हरीली गैस निकालते हैं और साथ ही साथ ये decompose भी नहीं होते तो एनवायरनमेंट को भी नुकसान पहुंचाते हैं।इसकी जगह पे हमें बटर पेपर या cedar wrap, Beeswax food wrap, सिलिकॉन फ़ूड covers इस्तेमाल कर सकते हैं ।

3.स्टेनलेस स्टील बर्तन इस्तेमाल करें अलुमिनियम के बर्तन की जगह- ऐलुमिनियम के बर्तन हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं हालांकि ये सस्ते तो होते हैं लेकिन लगातार प्रयोग से ये घिसते हैं और इनसे निकलने वाला तत्व खाने के साथ हमारे शरीर के अंदर जाता है जोकि स्लो पाइजन का काम करता है और हमें तमाम तरह की बीमारियों से ग्रसित करता है। क्या आपको पता है कि ऐलुमिनियम के बर्तनों का इस्तेमाल अंग्रेजों ने कैदियों को खाना देने के लिए किया था ताकि इन बर्तनों से निकलने वाले धीमे ज़हर से आहिस्ता आहिस्ता कैदी खुद ही मर जाए।

4.नॉनस्टिक का इस्तेमाल तुरंत बंद करें ।  90% घरों में आजकल नॉनस्टिक बर्तन इस्तेमाल होते हैं । नॉनस्टिक बर्तनों की कोटिंग polytetrafluoroethylene (PTFE) से की जाती है जो गर्म होने पर कई हानिकारक गैसें निकालता है जिनसे हम आजीवन बीमार रह सकते हैं। इसकी जगह पे हमें कास्ट आयरन के बरतन का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि हमें खाने के साथ आयरन की भी पर्याप्त मात्रा मिलती रहे।

5.पीतल और कांसे के बरतन भी खाना बनाने और खाने के उपयोग में लाए जा सकते हैं लेकिन जैसा कि सबको ही मालूम है एसिडिक चीजों यानी खट्टी चीजों से ये दोनों ही धातुएँ रिएक्शन करके हानिकारक पदार्थ निकालती हैं तो ऐसे बरतनों का उपयोग करते समय ये ध्यान रखना पड़ता है।

वैसे तो प्राचीन काल में राजा महाराजा लोग खाने पीने के लिये सोने और चाँदी के बर्तन इस्तेमाल करते थे क्योंकि ऐसा माना जाता था कि सोने के बर्तन में खाने से सोने का अंश हमारे शरीर में जाता है जो हमारी बौद्धिक क्षमता को तेज करता है और चाँदी मन की शीतलता लाती है ये बर्तन वैसे आज भी सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं लेकिन जब हम सोने चाँदी के बर्तन में खाने योग्य बजट रखें तब क्या बात है।

 

ऐसे में हमारे लिए मिट्टी के बर्तन अगर उपलब्ध हों तो हमारे लिए बड़े काम के होते हैं इनमें खाना भी धीरे धीरे पकता है जोकि स्वास्थ्य के हिसाब से श्रेष्ठ प्रक्रिया होती है।

तो हमे जल्दी से जल्दी अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य के लिए इन बुरी आदतों को बदलना चाहियें और आने वाले त्योहार जैसे धंनतेर्स और दीपावली से अच्छे मौके क्या हो सकते हैं। (Can buy directly from AMAZON by clicking on image links)

 

ज़िन्दगी यादों की गुल्लक है

गुल्लक यानि पिगी बैंक जिसमें हम अपनी बचत को जोड़ते हैं ठीक उसी तरह हमारी ज़िंदगी के भी बीते लम्हे हम जमा करते हैं अपनी यादों में।

कुछ ऐसा ही कॉन्सेप्ट है सोनी लिव पे प्रसारित हुए वेबसेरीज़ गुल्लक का। काफी समय के बाद एक ऐसी मनोरंजक वेबसेरीज़ देखने को मिली जो हिंसा और अश्लीलता से अलग हमारे जीवन में घटने वाले छोटे छोटे किस्सों को जोड़कर बनी हुई हो। इसे एक नॉर्मल मिडिल क्लास फैमिली की रोज़मर्रा ज़िन्दगी में घटने वाली घटनाओं को बड़ी ही खूबसूरती से फिल्माया गया है। और कोई भी मिडिल क्लास फैमिली इस पुरे पिक्चर में अपने आपको सेट कर सकता है कई बार तो कुछ घटनाएं खुद पे ही बीती हुई सी लगती है।

कहानी

कहानी तो यह है ही नहीं इसमें हैं छोटे छोटे किस्से क्योंकि कहानी का तो एन्ड होता है जबकि किस्से यादें बनकर गुल्लक में इक्कट्ठे हो जाते हैं। और इस वेबसेरीज़ को बताने वाला भी गुल्लक ही है।

किस्से की शुरुआत होती है एक मिडिल क्लास फैमिली जिसमें एक गृहिणी है जिसके घर को रेनोवेट कराने से लेकर बेटे की नौकरी लगने और घर में इनवर्टर लगवाने जैसे छोटे छोटे सपने हैं। एक नार्मल नौकरीपेशा आदमी जो अपनी एक फिक्स सैलरी में अपनी बीवी और दो बच्चों के सपने पूरे करने की भरपूर कोशिश कर रहा है। दो भाई हैं जिनकी नोक झोक और झगड़े के बीच एक दूसरे के लिए प्यार और अपनापन आपको अपने बचपन की याद दिला सकता है।

इस कहानी में पड़ोसियों के बीच अपना वर्चस्व दिखाने की होड़ के साथ साथ दूसरे पड़ोसी की चुगली के अलावा बेरोजगारी का गम्भीर मुद्दा भी है। साथ ही साथ ये भी देखने को मिलता है कि मां बाप बच्चों को कितना भी डाँट लें लेकिन जब बात उनके खैरियत की होती है तो वो किसी भी चीज़ से समझौता कर सकते हैं।

पूरा किस्सा समझने के लिए तो आपको परिवार के साथ मिलके इसे देखना पड़ेगा और यकीन मानिए आप इसको देखके निराश तो बिल्कुल नहीं होंगे और हँसी के कुछ लम्हे आपकी गुल्लक में जुड़ जायेगे।

Bamboo-Versatile friend with many names & uses

Bamboo  when we hear this word what comes in our mind. It may be  a green jungle of Bamboo or a flute made by  bamboo, either a basket made of bamboo or a stick taken by a old person for his support. But have we all explored our versatile friend Bamboo enough. Not much, you would find this after going through the post.

Its more of culture in many part of south east Asia. It has 1,500 different species all over world. So lets talk a little about Bamboo.

Its versatile character and easily availability  makes it poor man’s timber and green gold.

Some very interesting facts about Bamboo to start with.

Do you know?

  • Origin of word Bamboo comes from  ” Mambu” in malay language of Malaysia and Indonesia. No Chinese connection.
  • That Bamboo is food for 90% of Pandas.
  • Some species of Bamboo can grow up to 1 metre in a day.
  • Bamboo is a natural air conditioner  as it cools down the surrounding air by approx. 8 degrees in summer.
  • Bamboo is drought resistant plant. In drought condition they curl up their leaves.
  • First fire cracker is made from bamboo as when it burns it gives a sound because of air filled in hallow part of bamboo.
  • First bulb made by Thomas Alva Edison has bamboo filament as it is good conductor of electricity.

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