Month: December 2020

मध्यप्रदेश के 10 झरने जो आपको घूमने से नहीं चूकने चाहिए

मध्यप्रदेश क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। लेकिन इसकी आबादी कम है क्योंकि इसका अधिकतर भाग जंगल और प्राकृतिक संपदा से भरा हुआ है। यहाँ पहाड़ों पर गुजरते हुए नदियां झरनो (फॉल्स-Waterfall) का रूप ले लेती हैं इसलिए यहाँ फॉल बहुतायत में मिलते हैं। जिनमें से प्रमुख 10 की जानकारी लेकर हम आए हैं अपने इस ब्लॉग के साथ।

विंध्य क्षेत्र से गुजरने वाली टमस नदी जिसको तमसा और टोंस भी कहा जाता है पौराणिक रूप से बहुत मशहूर रही है।ऐसी मान्यता है कि श्री रामचन्द्र वन जाने से पहले अयोध्यावासियों के साथ इसी नदी के किनारे रात गुजारे थे और सुबह सबके उठने से पहले लक्ष्मण और माता सीता के साथ वन के लिए प्रस्थान कर गए थे।

बाद में ऋषि वाल्मीकि ने इसी नदी के किनारे अपना आश्रम बनाया जहाँ उन्होंने रामायण लिखी और लव और कुश की शिक्षा दीक्षा पूरी हुई।

यही टोंस नदी आगे जाकर बीहड़ नदी में रूपांतरित हुई है और आगे जाकर गंगा नदी में मिल जाती है। इसी नदी पर बहुती फॉल, केवटी फॉल, चाचाई फॉल और पुरवा फॉल के अलावा कई छोटे फॉल भी हैं।

1. बहुती जलप्रपात (Bahuti Water fall) मध्य प्रदेश का सबसे ऊंचा झरना है। इसकी ऊंचाई लगभग 650 फ़ीट है। यह फाल प्रदेश के रीवा जिले में स्थित है जो बीहड़ नदी पर बना हुआ है।बीहड़ नदी तमसा नदी की सहायक नदी है। बहुती जलप्रपात के पास ही चचाई और केवटी जलप्रपात हैं जिससे पर्यटकों को एक बार में ही 3 जलप्रपात देखने का मौका मिल जाता है।

2.केवटी जलप्रपात (Keoti Water fall ) मध्यप्रदेश का तीसरा सबसे ऊंचा जलप्रपात है। इसकी ऊंचाई 322 फ़ीट या 92 मीटर के आसपास है। यह जलप्रपात भी बीहड़ नदी के पानी से ही बनता है। यह रीवा जिले से 46 km दूर चित्रकूट की पहाड़ियों पर है।

इस जलप्रपात की खूबसूरती का अंदाज़ा आप नीचे दिखाया गया वीडियो देखकर लगा सकते हैं।

3.धुआँ धार जलप्रपात (Dhuandhar Waterfall )- यह जलप्रपात मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर से लगभग 30 km दूर भेड़ाघाट क्षेत्र में पड़ता है। यह नर्मदा नदी पर बना हुआ है और इसकी ऊंचाई लगभग 30 मीटर है। इतनी ऊंचाई और अच्छी स्पीड से पानी गिरने की वजह से आसपास धुआँ (Smoke That Thunders) जैसा दिखता है। अभी इसको पर्यटन के हिसाब से विकसित किया गया है और रोपवे और सड़क के दोनों तरफ मार्बल और हास्तशिल्प की दुकानें बनाकर पर्यटकों को लुभाने का प्रयत्न किया गया है। यहाँ खाने के हिसाब से उबले बेर और उबले सिंघाड़े मेरे लिए तो नया एक्सपेरिएंस था।

धुआँ धार फाल देखने का बेस्ट टाइम शरद पूर्णिमा का समय होता है क्योंकि उस समय नर्मदा महोत्सव मनाया जाता है और देश विदेश से लोग इकट्ठे होते हैं। यहाँ आकर नौका विहार और मार्बल शो पीस लेना बिलकुल न भूलें।

4. पांडव जलप्रपात (Pandav Waterfall ) मध्यप्रदेश में केन नदी की एक सहायक नदी द्वारा गिराया गया एवरग्रीन फाल है।

यह फॉल पन्ना जिले में पन्ना राष्ट्रीय उद्यान के अंदर है और पन्ना से 14 km और खजुराहो से 34 km की डिस्टेंस पर है। इस फॉल की ऊँचाई 30 मीटर के आसपास है।

ऐसी मान्यता है कि पांडव अपने वनवास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा यही बिताए थे।

5.बी(मधुमक्खी झरना) (Bee Waterfall ) मध्यप्रदेश के सबसे खूबसूरत पर्यटन स्थल पंचमढ़ी की शोभा बढ़ाने वाला यह जलप्रपात होशंगाबाद जिले में पड़ता है। इसको बी(मधुमक्खी झरना) इसलिए बोलते हैं क्योंकि पहाड़ों से नीचे आते हुए ये मधुमक्खी के आकार जैसा दिखता है।

6. पूर्वा फॉल (Purwa Waterfall)  भी रीवा जिले में टोंस नदी पर ही बना हुआ है। इसकी ऊँचाई 70 मीटर के आसपास है।

यह जगह प्रसिद्ध चित्रकूट पहाड़ियों के नीचे है। इस जगह आने का सबसे अच्छा समय मार्च से मई तक होता है क्योंकि तब ज्यादा गर्मी शुरू नही हुई रहती है।

 

7.गाथा फॉल (Gatha Waterfalls)  भारतीय उपमहाद्वीप में 36th highest फॉल के रूप में जाना जाता है। इसकी ऊँचाई 91 मीटर के आसपास है। यह फॉल मध्यप्रदेश राज्य के पन्ना जिले में केन नदी पर बना हुआ है। वर्षा ऋतु के समय जब नदी अपने उफान पर होती है तब इस फॉल की छटा देखते ही बनती है।

झाँसी रेलवे स्टेशन से 176 km रेल द्वारा ही और आगे तय करने पर पन्ना जिला पहुंचा जा सकता है और पन्ना रेलवे स्टेशन से 12 km और आगे यह फॉल मिलता है। यहाँ से 26 km की दूरी पर खजुराहो हवाई अड्डा भी है।

8.चचाई झरना (Chachai Waterfalls ) मध्यप्रदेश का दूसरा सबसे ऊंचा झरना है इसकी ऊंचाई 430 फ़ीट के आसपास है। यह जलप्रपात भी रीवा जिले में बीहड़ नदी पर बना हुआ है। इसको भारत का नियाग्रा जलप्रपात भी कहते हैं क्योंकि इसकी प्राकृतिक सुंदरता अद्भुत है। चचाई फॉल रीवा से 29 km की दूरी पर है। चचाई से 10 km की दूरी पर सेमरिया तक रेल द्वारा पहुँचा जा सकता है।

 

9.रजत/सिल्वर फॉल (Silver fall /Rajat Pratap Waterfall ) का मतलब हिंदी में चाँदी होता है। इस फॉल से जब पानी गिरता है तो सफ़ेद दूधिया रंग लिए हुए चांदी जैसा प्रतीत होता है। यह फॉल मध्यप्रदेश के सबसे रमणीय पर्वतीय पर्यटक स्थल पचमढ़ी में है जो होशंगाबाद जिले में पड़ता है।

इसकी ऊंचाई 107 मीटर के आसपास है। यह भारत के highest फॉल्स में से एक है। चूंकि यह जंगल में पाया जाता है इसलिए यहाँ भ्रमण के लिये आपको फ़ॉरेस्ट डिपार्टमेंट से परमिशन की ज़रूरत पड़ेगी।

10.पाताल पानी जल प्रपात (Patalpani Waterfall) इंदौर मध्यप्रदेश प्रदेश का सबसे बड़ा शहर है और पर्यटन के हिसाब से भी यह काफी महत्वपूर्ण है। इसी शहर के महू। तहसील में पाताल पानी जल प्रपात पड़ता है जिसकी ऊंचाई 300 मीटर के आसपास है। वैसे माना जाता है कि इस झरने के कुंड की गहराई नापी नही गई है और इसका पानी पाताल लोक तक जाता है।

तो आप जब भी कभी मध्यप्रदेश आइये इन प्रपातों को देखना मत भूलियेगा और अपने व्यूज हमें बताना भी बिल्कुल मत भूलियेगा।

कार्तिक माह: विविधता और पर्व का संगम

Deep daan in holy rivers

वैसे तो अंग्रेजी कैलेंडर की तरह ही हिन्दू कैलेंडर में भी 12 महीने होते हैं। उनमें से 8th कार्तिक महीने का महत्व ज्यादा है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि इस महीने में भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों ही धरती पर वास् करते हैं। तो आइये बात करते हैं कर्तिक महीने की ।

ऐसी मान्यता हैं कि भगवान अपने प्रथम अवतार मत्स्य रूप में इसी माह में धरती पर आये थे और अभी भी इसी रूप पूरे मास भर निवास करते हैं। अत: मानने वाले इस पूरे महीने भर सूर्योदय से पहले स्नान करके तुलसी पूजन करते हैं। विशेष रूप से बुजुर्ग लोगों में इसका महत्व ज्यादा है। लोग जगन्नाथपुरी या मथुरा वृंदावन में ही निवास करके अपनी पूजा आराधना में लीन रहते हैं।

ऐसी भी मान्यता है कि साल के 11 महीने माँ गंगा के और कार्तिक महीना माँ यमुना का होता है। इसलिए प्रयागराज के बलुआघाट में यमुना जी के किनारे पूरे महीने भर का मेला लगता है जो काफी विशाल होता है और दैनिक ज़रूरत से लेकर सभी सामान हस्तशिल्प सामान भी सब आपके बजट के हिसाब से मिल जाएंगे।

भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी को चार माह के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं जिसे देवशयनी एकादशी भी कहते हैं। इसके बाद वह कार्तिक शुक्ल एकादशी को जागते हैं। इन् चार महीनों में देव शयन के कारण समस्त मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। जब भगवान विष्णु जागते हैं तब मांगलिक कार्य  की शुरू आत होती है ।

इस कारण इस दिन  को देवोत्थान एकादशी कहते हैं। इसी दिन तुलसी भी शालिग्राम से विवाह करके बैकुंठ धाम को चली गई थीं। इसलिए पूरे मास भर तुलसी के पौधे के सामने दीपक जलाने की मान्यता है। तुलसी को लक्ष्मी स्वरूप माना गया है।

कार्तिक पूर्णिमा का भी बहुत महत्व है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव ने इसी दिन त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध करके तीनों लोकों की रक्षा की थी और भगवान शिव को त्रिपुरारी नाम मिला था। इससे खुश होकर सभी देवों ने काशी में इकट्ठे होकर दीवाली मनाई थी इसलिए कार्तिक पूर्णिमा को देव दीवाली के रूप में भी मनाया जाता है।

Dev Diwali in kashi

महाभारत के बाद जब पांडव अपने सगे सम्बन्धियों के अकाल मृत्यु से शोकाकुल थे और सोच रहे थे कि असमय मृत्यु के कारण उनकी आत्मा को शांति कैसे मिलेगी । तब भगवान कृष्ण के कहने पर कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक पितरों की आत्मा की तृप्ति के लिए तर्पण और दीपदान किया। तभी से कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान और पितरों को तर्पण देने का रिवाज शुरू हुआ।

 

कार्तिक पूर्णिमा का महत्व अन्य धर्मों में भी बहुत है।

कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही सिख धर्म के पहले गुरु, गुरु नानक देव का जन्म हुआ था इसलिए इसको गुरु नानक जयंती और प्रकाश पर्व के रूप में भी मनाया जाता है।

जैन धर्म में भी कार्तिक माह की पूर्णिमा का  काफी महत्व है इस दिन चातुर्मास पश्चात श्री शत्रुंजय महातीर्थ पलिताना की यात्रा पुनः शुरू होती है। साथ ही साथ इस दिन के बाद जैन साधू-साध्वी चातुर्मास संपन्न होने से अपनी विहार यात्रा पुनः शुरू करते हैं।

कार्तिक माह दक्षिणायन का समय होता है अर्थात इस समय सूर्य अपनी भौगोलिक स्थिति बदलता है और धीरे धीरे दक्षिण की ओर गमन करता है और कर्क संक्रांति से लेकर मकर सक्रांति तक होता है। इसलिए इस समय दिन छोटा और रात बड़ी होती है इसलिए खुद को ज्यादा स्फूर्तिवान रखने की ज़रूरत पड़ती है ताकि हमारे सभी काम सुचारू रूप से चलते रहें। अपने मन के अंदर के दीपक को जलाने के लिए हम बाहर भी दीपक जलाकर उजाला करते हैं।

साथ ही साथ योग की भाषा में साधना पद खत्म होकर कैवल्य पद की शुरुआत होती है। साधना पद कर्म करने का समय होता है जिसमें कृषि कार्य से सम्बंधित सभी कार्य तथा अन्य वर्गों के लिए उनके कार्य होते हैं जबकि कैवल्य पद फल प्राप्त करने का समय होता है जिसके लिए खुद को मजबूत करना होता है और अपने को ईनाम भी देना होता है वह समय कार्तिक माह का होता है।

अत: हम देख पाते हैं कि भारत विविधताओं में भी एकता बनाये रखने वाला देश है। यहाँ सभी धर्मों से जुड़े त्यौहारों और मान्यताओं से जुड़ी कुछ धार्मिक और कुछ वैज्ञानिक कारण ज़रूर होता है ज़रूरत है बस उसको मालूम करने की और उसको उसी तरह सेलिब्रेट करने की।