सीजनल सब्जियां हमेशा से ही सेहतमंद और इकनोमिक रूप से फायदेमन्द होती हैं। आजकल सभी सब्जियां पूरे साल मिलती हैं लेकिन वो ताज़ी और शुद्ध हों ये ज़रूरी नही होता। क्योंकि किसी भी फसल को उगने और बढ़ने के लिए सही सीजन और प्राकृतिक वातावरण की ज़रूरत होती है उसको बिना सीजन के उगाने के लिए हमें सीमित वातावरण और केमिकल्स की ज़रूरत पड़ती है या तो उसको कोल्ड स्टोरेज में स्टोर करना पड़ता है जो कि उस फसल के साथ ही साथ हमारे भी स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ होता है।
अभी बारिश का मौसम है और हम आज मानसून की एक सब्जी “खेसका”की खासियत जानेंगे जो कि सेहत के साथ ही आंखों को भी बड़ी सुकून देने वाली होती है। यह पूरे भारत में साथ ही साथ साउथ एशिया में भी पाई जाती है। यह पहाड़ी क्षेत्रों में अपने आप ही उग जाती है और 3-4 महीनों तक ही रह पाती है।
इसको विभिन्न जगहों पर विभिन्न नाम से जाना जाता है।
इसका साइंटिफिक नाम मोमोरदिका डिओइका (Momordicadioica ) है इसको स्पिनी गॉर्ड (spiny gourd) या टीसले गॉर्ड (teasle gourd) भी कहते हैं। हमारे मिर्ज़ापुर में इसको खेस्का बोलते हैं वहीं कुछ जगह इसको कंटोला या ककोड़ा भी कहा जाता है।
जैसा कि इसके नाम से ही साफ है कि यह गॉर्ड फॅमिली का फ्लोवेरिंग प्लांट है।
इसमेंपाएजानेवालेकुछखासगुण
यह फायटोन्यूट्रिएंट (phytonutrient) ( पौधों में पाया जाने वाले प्राकृतिक उपयोगी रसायन) का बहुत ही अच्छा स्रोत होता है। साथ ही साथ मानसून में पैदा होने के कारण इसमें पानी की मात्रा बहुत होती है।
इसमें बहुत कम कैलोरी होती है जिसकी वजह से यह वज़न नियंत्रित करने वालों के लिए काफी बढ़िया विकल्प हो सकता है। इसके 100ग्राम के अंदर लगभग 17 कैलोरी ही मिलती है।
मानसून में पैदा होने की वजह से मानसून में होने वाली बीमारियों जैसे फ्लू, रैशेस, एलर्जी इन सबका भी रक्षा कवच है।
इसमें प्लांट इंसुलिन काफी मात्रा में मिलता है जिसकी वजह से यह प्राकृतिक तरीके से ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है।
इसमें फाइबर्स बहुतायात में मिलते है जिसकी वजह से यह पेट की बीमारियों जैसे अपच, गैस और बवासीर की बीमारियों में भी काफी आराम पहुंचाता है।
इसमें कैरोटीनॉयड (Carotenoid) जैसे कि ल्युटिन (leutin) पाए जाते हैं जो आंख के लिए काफी अच्छा होता है।
साथ ही साथ यह सब्जी हृदय की बीमारियों और कैंसर में भी काफी असरदार है क्योंकि इसमें विटामिन सी और प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं इसलिए यह त्वचा सम्बंधित बीमारियों में भी असरदार है।
तो अब जब भी आप मार्किट जाएं और यह हरी भरी कँटीली सब्जी दिखे तो इसको जंगली और बेकार समझ कर छोड़ कर न आएं बल्कि घर लाके ज़रूर आज़माएँ और इसके फायदे उठाये।
आज जबकि कोरोना महामारी से त्रस्त है और चिकित्सा विज्ञान की सभी पद्धतियों ने नेचुरल इम्युनिटी को ही सर्वश्रेष्ठ साबित कर दिया है क्योंकि सभी तरह के ट्रायल में सबकी बॉडी अलग अलग रिएक्शन दे रही। कोई थेरेपी किसी पर काम कर रही तो किसी की जान बचा पाने में असमर्थ हो जाती है।
ऐसे में हमारे पास अपने किचन और अपनी देसी ईलाज़ ही नज़र आते है जो कि काढ़ा, भाप,और हल्दी, गिलोय,अदरक,इलायची, लौंग जैसी जड़ी बूटियां ही हैं।कोरोना दूसरी लहर में न जाने कितने लोगों ने अपनी जान गंवा दी और जो बचे रह गए हैं वो अभी भी पोस्ट कोविड के लक्षणों से परेशान हैं ।
आज हम इनमें से गिलोय जिसे गुडीची भी कहते हैं, इसके कुछ इफेक्ट्स और साइड इफेक्ट्स दोनों ही समझते हैं।
गिलोय है क्या
गिलोय एक हृदय के आकार की पत्तियों वाली जड़ी बूटी है जिसकी छाल भी उबालकर काढ़े के रुप में प्रयुक्त होती है। इसका वैज्ञानिक नाम टीनोस्पोराकौडीफ़ोलिया(Tinospora cordifolia) है।
इसको मधुनाशिनी और अमृत भी कहा जाता है। यह इंसुलिन प्रोडक्शन बढ़ाने में सहायक है और ऐसा करके हमारे शरीर के ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करती है इसलिए इसको मधुनाशिनी भी कहते हैं।इसको संस्कृत में अमृतवल्ली या अमृत भी कहा गया है।
इसकेउपयोगीभाग
गिलोय का स्टेम काफी उपयोगी माना गया है क्योंकि इसके अंदर काफी स्वास्थ्य वर्धक चीजें होती हैं जैसे कि स्टेरॉइड्स,अल्कालोइड्स , ग्लाइकोसाइड और काफी सारे कंटेंट होते हैं। इसकी पत्तियां और जड़ भी उपयोग में लाई जाती हैं।
इसको उपयोग कैसे करते हैं
आयुर्वेद के अनुसार गिलोय या तो पाउडर फॉर्म में ले सकते हैं या काढ़ा फॉर्म में या फिर जूस के रूप में भी ले सकते हैं। आजकल बाज़ार में इसकी टेबलेट भी उपलब्ध है।
अलग अलग रोगों के लिए इसको इस्तेमाल करने का तरीका और उसकी मात्रा अलग अलग होती है।
इससे होने वाले फायदे
यह डेंगू, मलेरिया, वायरल बुखार जैसे रोगों के लिए बहुत ही उपयोगी है। किस रोग में कब और कितना लिया जाना है यह सब किसी आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श लेकर आप इस्तेमाल कर सकते हैं
गिलोय बॉडी डिटोक्स का काम बहुत बेहतरीन तरीके से करता है तो लिवर और किडनी की गंदगी आसानी से खत्म कर देता।
यह पाचन प्रक्रिया को भी स्मूथ कर देता है।
घबराहट, थकान,तनाव को भी काफी हद तक दूर करता है।
यह आंखों के लिए भी काफी अच्छा माना गया है।
अर्थराइटिस और गाउट के लिए भी बेस्ट दवाई है।
यह बालों और त्वचा के लिये भी काफी लाभकारी माना गया है।
इससे होने वाले साइड इफेक्ट्स
इससे साधारण तौर पर कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता लेकिन अति किसी भी चीज की बुरी होती है। अगर आप मधुमेह की और दवाओं के साथ गिलोय प्रयोग करेंगे तो शुगर लेवल नार्मल से कम हो सकता है। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी इसका इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी जाती है क्योंकि 5 साल से कम के बच्चों पर इसका प्रभाव टेस्ट नहीं किया गया है।
इसका टेस्ट थोड़ा कड़वा ज़रूर होता है लेकिन इतने फायदों के साथ हल्का कड़वापन कोई ज्यादा दिक्कत नहीं देता।
आज जब कोरोना की वजह से चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है हर तरफ नेगेटिविटी फैली हुई है। सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनल सिर्फ डराने वाली ही खबरें दे रहे हैं।ऐसे में हमारे नन्हें मुन्ने सबसे ज्यादा परेशान हैं एक तो उनको पूरी तरह से घर में बंद कर दिया गया है न दोस्तों का साथ और न ही पार्क की मस्ती ऊपर से कब तक ऐसा रहने वाला किसी को नहीं पता।घर में भी वर्कलोड होने से पेरेंट्स भी उनको उतना टाइम नहीं दे पा रहे ऐसे में वो सिर्फ कार्टून देख देख कर एक अलग ही इमेजिनरी दुनिया में चले जा रहे हैं। आज ज़रूरत है उनको यथार्थ की धरातल पर लाने के साथ ही हम भी उनके साथ कुछ क्वालिटी टाइम बिताएं तो इस बार हम लाएं हैं कुछ बच्चों की मूवीज की लिस्ट जो उनको तो जीवन के वास्तविक पहलुओं से अवगत कराएगी ही साथ में हमें भी बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करेगीं।
इस लिस्ट में सबसे पहले आती है भूत नाथ:
1.भूतनाथ
अमिताभ बच्चन और बाल कलाकार अमन सिद्दीकी(बंकू) के साथ जूही चावला स्टारर मूवी हॉरर और कॉमेडी का जबरदस्त तड़का लिए हुए है साथ में यह हमारे समाज़ की कड़वी सच्चाई को भी दिखाता है कि जो मां बाप हमारे लिए अपना सब कुछ न्यौछावर कर देते हैं बड़े होकर हम अपने सपने और अपनी लाइफ स्टाइल के आगे उन्हें बिल्कुल भूल जाते हैं और उनके बुढ़ापे में उन्हें बिल्कुल अकेला छोड़ देते हैं।
2.तारेज़मींपर
आमिर खान और दर्शील सफारी स्टारर मूवी एक 8 साल के बच्चे के इर्दगिर्द घूमती है जो एक गम्भीर बीमारी डिस्लेक्सिया से जूझ रहा है और उसके पेरेंट्स उससे नॉर्मल बच्चों की तरह ही रहने और अपने बड़े भाई की तरह हर चीज़ में अव्वल की उम्मीद लगाए बैठे हैं। उसकी समस्या समझते हैं उसी के स्कूल के आर्ट टीचर रामशंकर निकुंभ जो खुद उस बीमारी से जूझ चुके हैं और उस बच्चे की हर तरह से मदद करके उसको बाकी बच्चों के साथ या कहिये सबसे ऊपर लाकर खड़ा करते हैं।
लेकिन यहाँ मेरा सवाल ये है कि गुरु तो मान लीजिए भगवान होते ही हैं लेकिन हमारी प्रथम गुरु हमारी मां क्यों दुनिया की भेड़चाल में ही दौड़ती रही और उस बच्चे की समस्या क्यों नहीं समझ पाई।
3.बमबमबोले
दर्शील सफारी और ज़िया वास्तानी स्टारर मूवी वाकई रोमांचक है।
भाई बहन के आपसी प्यार को दिखाती ये खूबसूरत कहानी वाकई में सबका दिल जीत लेती है। लाख परेशानियों और गरीबी के बावजूद दोनों का प्यार कम नहीं होता। दोनों बच्चों की आपसी समझ और उनके माता पिता की संघर्ष कहानी।
4.धनक
यह कहानी भी दो छोटे भाई बहन के आपसी प्यार को दिखाती है जिसमें बच्चों के पेरेंट्स तो नहीं और भाई को दिखाई तो नहीं देता लेकिन उसके सपने बहुत बड़े हैं साथ ही बड़ी है उसकी जीभ.। बहन अपने भाई की आँखें वापस लाने के लिये जो संघर्ष करती है साथ ही बच्चा अपना सपना पूरा करने के लिये कितना कष्ट बर्दाश्त करता है पूरी फिल्म इसी के इर्दगिर्द घूमती है।
5.चिल्लरपार्टी
ये कहानी है कुछ बच्चों की जो अपने गरीब दोस्त और उसके पेट डॉग के लिए सोसाइटी, अपने पेरेंट्स और यहां तक की मंत्री से भी टकराने से नहीं डरते।
इसमें बहुत ही खूबसूरत तरीके से बच्चों के बचपन की मासूमियत को दिखाया गया है, साथ ही यह भी दिखाया गया है कि हम जैसे बड़े लोग जो हाई सोसाइटी और बड़ी बिल्डिंग में रहकर इंसानियत भी खो बैठे हैं और बच्चों की सही दलीलों को भी उनका बचपना समझकर या तो इग्नोर करते हैं या उन्हें डांटकर चुप करा देते हैं। लेकिन लास्ट में बच्चे सबका सपोर्ट भी पाते हैं और अपने दोस्त और उसके पेट डॉग का अधिकार भी।
6.स्टेनलीकाडब्बा
यह कहानी है स्टेनली नाम के एक होशियार बच्चे की जो किसी कारण से अपना टिफ़िन नहीं ला पाता और उसके क्लास मेट्स उसको अपने टिफिन में शेयर करते हैं लेकिन वो सब अपने हिंदी टीचर को अपना डिब्बा बिल्कुल भी शेयर नहीं करना चाहते। बच्चे अपने सर् से छुपकर स्टेनली से अपना डब्बा कैसे शेयर करते हैं पूरी फिल्म इसी पर आधारित है लास्ट में स्टेनली का डब्बा आ ही जाता है और स्टेनली का डब्बा न लाने का कारण ही फ़िल्म का सस्पेंस है जो लास्ट में पता चलता है।
7.जजनतरमममतरम
गुलीवर और लिलिपुट की यात्राएं ऐसी कहानियां हैं जिनको हम सबने अपने बचपन में पढ़ी होंगी। ये मूवी भी उसी पर आधारित है इस फिल्म का हीरो आदित्य (जावेद जाफरी) अपनी जहाज़ टूट जाने के बाद एक द्वीप पर पहुँच जाता है जहाँ के प्राणी आदित्य की तुलना में काफी छोटे छोटे हैं और वो सब उसको शत्रु समझते हैं आदित्य कैसे सबका दोस्त बनता है और उनकी समस्याएं सुलझाता है यही फ़िल्म में दिखाया गया है।
8 कोईमिलगया
ऋतिक रोशन और प्रीती जिंटा के साथ ही रेखा स्टारर ये मूवी बच्चों के लिये काफी एंटेरटेनिंग है। इसमें ऋतिक रोशन ने दिमागी रूप से कमज़ोर बच्चे का रोल काफी दमदार तरीके से किया है साथ ही दूसरे ग्रह के प्राणी जादू का कॉन्सेप्ट भी बच्चों को काफी आकर्षित करता है। इसी मूवी के आगे के संस्करणों में हिंदी सिनेमा ने अपना सुपरहीरो कृष पाया।
9 आई एम कलाम
ये कहानी है राजस्थान के एक छोटे से बच्चे की जो बहुत गरीबी में अपना जीवन भी खुशी से जीने में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन उसके सपने बहुत ऊंचे हैं और वो हमारे देश के राष्ट्रपति अब्दुल कलाम से काफी प्रभावित होने के बाद अपना नाम भी कलाम रख लिया और अपनी इसी ज़िद में एक दिन वह उनसे मिलता भी है। कहानी इन्हीं सब रोमांचक पलों से गुजरती है।
अनिल कपूर, श्रीदेवी और अमरीश पुरी स्टारर मूवी अपने आप में एक अनोखी कहानी थी। 1980’s के समय में तो इसने तहलका मचाकर रख दिया था और मुझे उम्मीद है अभी भी बच्चे इसको एन्जॉय ही करेंगें। वैज्ञानिक खोज के जादू को दिखाती यह मूवी तमाम अनाथ बच्चों को सहारा देने वाले इंसान अरुण (अनिल कपूर) के इर्दगिर्द घूमती हुई नजर आती है। अमरीश कपूर मोगाम्बो के रोल में वास्तविक खलनायक ही नज़र आते हैं। उनका एक डॉयलोग “मोगैम्बो खुश हुआ” बहुत ही पॉपुलर हुआ था।
आशा है इस लिस्ट की सभी मूवीज के साथ आप अपने बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम बिताने के साथ ही उनको काफी ज्ञानप्रद बातें भी बिना ज्ञान दिए ही सीखा जाएंगे।