एक नई सुबह
कभी देखा है ध्यान से बारिश के बाद की वो सतरंगी किरण
पक्षियों का चहचहाना और बादलों की गड़गड़
गर्मी की छुट्टियों के बाद स्कूल खुलने पर बच्चों की चहल पहल
वो गीली मिट्टी की सोंधी महक
वो किसान का खिला हुआ चेहरा वो उसका साफ करना अपना हल
वो अंकुरण को लालायित बीज़ और पेड़ों पे पकी कटहल
सब इशारा हैं करते एक नई सुबह की ओर
बदला है मौसम और बदला है दिन
मुश्किल हों कितने भी हालात और छाई हो कितनी भी काली घटा
उम्मीद है तो ज़िंदा हो तुम नहीं तो सब बेकार है
जैसे पंछी फिर से घोंसला बनाती है हर तूफान के बाद
इस सोच के साथ कि
फिर सब ठीक होगा फिर एक नई सुबह होगी।