Month: October 2021

कुछ रंग अपने चावल के

हमलोग अपने खाने में सामान्यतया दाल चावल रोटी सब्जी ही खाते हैं उन्हीं में से मुख्य अनाज चावल की आज हम बात करने वाले हैं। भारत में कई प्रान्त ऐसे हैं जिनकी सामाजिक जीवन की कल्पना भी चावल के बिना नहीं की जा सकती। चावल पानी वाले इलाकों जैसे बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, केरला, तमिल नाडु में ही पैदा होता है सूखे इलाकों में इसकी पैदावार नहीं हो सकती।

people riding on brown duck on river

वैसे तो हम सब चावल के प्रकार में उसकी अलग अलग किस्मों के बारे में सुना ही होगा जैसे की सबसे मशहूर किस्म बासमती जिसे तो सभी जानते हैं उसके साथ ही सोनम, मोगरा, ठकुरभोग, विष्णु भोग, काली मुछ जैसे चावल की अनेक किस्में हैं जो या तो किसानों को पता होता है या वैज्ञानिकों को जो लगातार नयी प्रजातियां खोजते रहते हैं।

क्या आपको पता है की हमारे देश में चावल की कई वाइल्ड वैरायटी पाई जाती है जिनको खेत में नहीं बोते बल्कि वो अपने आप खरीफ फसल के मौसम में पानी वाली जगह में उग जाते हैं। हमारे यहां कुछ त्यौहार में यही चावल खाने का रिवाज़ है।

तो आज हम चावल के नाम के अलावा इनके रंग के बारे में कुछ रोचक बाते करते हैं । हम जैसे सामान्य लोग तो सफ़ेद चावल की कुछ किस्मों के अलावा ज्यादा से ज्यादा ब्राउन राइस ही जानते हैं। पर रंगो की बाते इनसे आगे भी हैं तो शुरुआत ब्राउन राइस से ही करते हैं ।

1. भूरा चावल [Brown Rice]-close up photo of brown rice

धान की फसल में से जब उसका बाहरी छिलका उतारते हैं तो अंदर भूरे रंग का ब्रान होता है उस ब्रान के साथ ही जो चावल होता है उसे भूरा चावल कहते हैं जबकि ब्रान को हटा देने पर हमें सफेद चावल मिलता है। आजकल लोग फिटनेस फ्रीक हो रहे इसलिए ब्राउन राइस काफी प्रचलन में आया है । वैसे तो यह देखने और खाने दोनों में ही कुछ खास नहीं होता और इसको चबाना भी बहुत पड़ता है लेकिन इसमें पोषक तत्व भरपूर होते हैं।

यही कारण है कि इसे हेल्दी माना जाता है क्योंकि इसमें बहुत सारे विटामिन और मिनरल्स होते हैं। इसमें थियामाइन (Thiamine) जिसको विटामिन बी1 भी कहते हैं, होता है जो आपके नर्वस सिस्टम के लिए काफी अच्छा होता है। इसी के साथ, ये मसल्स, दिल और अन्य जरूरी ऑर्गन का ख्याल रख सकता है। आपको बताते चलें कि इसमें सफेद चावल की तरह की कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं। तो अगर आपको लगता है कि सफेद चावल की तुलना में ब्राउन राइस में कैलोरी कम होती है तो ये एक भ्रांति है।

भूरा चावल [Brown Rice] के फायदे-
  • इसमें कैल्शियम और मैग्नीशियम अच्छी मात्रा में होता है जिससे हड्डियां मजबूत होती हैं और साथ ही साथ स्ट्रेस कम होता है।
  • ये थकान मिटाने के लिए काफी मददगार साबित हो सकता है।
  • ये दिल के लिए अच्छा होता है।
  • ब्राउन राइज में ज्यादा फाइबर और प्रोटीन कंटेंट होता है जो लंबे समय तक आपका पेट भरा होने का अहसास करवाएगा।

2. लाल चावल [Red Rice]-

close up photo of assorted rice

मुख्य रूप से असम की ब्रम्हपुत्र की घाटी में बिना रसायन के पैदा होने वाला यह लाल चावल जिसे वहां की भाषा में बाओ -धान भी कहते हैं बहुत ही कमाल का चावल प्रकार है जिसका निर्यात कोविद १९ के दौरान भी नहीं रुका।

लाल चावल  में एक एंटीऑक्सीडेंट होता है जिसे अन्थो सयनिन्स (Anthocyanins) कहा जाता है। ये एंटीऑक्सीडेंट गहरे पर्पल या गहरे लाल रंग के फलों और सब्जियों में होता है। यही एंटीऑक्सीडेंट इसे लाल रंग देता है। ये केमिकल काफी हेल्दी खूबियों के साथ आता है और ये चावल आपकी दैनिक फाइबर और आयरन की जरूरतों को पूरा कर सकता है।

ये चावल उन लोगों के लिए काफी अच्छा हो सकता है जिन्हें वजन कम करना है क्योंकि इसमें ऐसी खूबियां होती हैं जिनसे लंबे समय तक भूख नहीं लगती है। ये धीमें डाइजेस्ट होते हैं।

लाल चावल [Red Rice] के फायदे-
  • इनमें खाने को पचाने वाले फाइबर्स ज्यादा पाए जाते हैं जिससे हृदय की बीमारियों का खतरा कम होता है । और ब्लड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है।
  • जलन, ऐलर्जी और कब्ज़ जैसी समस्याओं से निजात दिलाता है।
  • ये ब्लड शुगर नियंत्रण के लिए भी अच्छा साबित हो सकता है।
  • अन्थो सयनिन्स (Anthocyanins) केमिकल इसलिए अच्छा माना जाता है क्योंकि इसमें एलर्जी से लड़ने वाली खूबियां होती हैं और साथ ही साथ कैंसर से बचाव भी हो सकता है।

3. सफेद चावल [White Rice]-

rice grains on a brown paper

सबसे कॉमन तरह का चावल जो हमारे घरों में मिलता है वो व्हाइट राइज ही होता है। ये सबसे ज्यादा खाया जाता है हालांकि, इसे सबसे अनहेल्दी चावल भी माना जा सकता है क्योंकि ये बहुत ज्यादा रिफाइंड होता है और ये अपने जरूरी मिनरल्स जैसे विटामिन-B और थियामाइन को लूज कर देता है।

सफेद चावल [White Nice ]के फायदे-
    • ये बहुत आसानी से उपलब्ध होता है।
    • इसे कई अलग-अलग वेराइटी में पाया जाता है और ये सस्ता भी होता है।
    • ये एनर्जी के मामले में सबसे ज्यादा हो सकता है क्योंकि इसका स्टार्च कंटेंट बहुत ज्यादा होता है। ये बाकी किसी भी चावल की तुलना में ज्यादा एनर्जी देता है।
    • ये कार्बोहाइड्रेट्स से भरपूर होता है और इसलिए इसे बेहतर माना जाता है।

4. काले चावल [ Black Rice]-

food wood spoon dry

काले चावल की सबसे बड़ी खासियत यह है की ये शुगर फ्री होते हैं और इसको मधुमेह रोगी भी खा सकते हैं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट के साथ ही साथ और भी औषधीय गुण भी पाए जाते हैं जो इसको बाकि के चावलों से महंगा कर देते हैं। पूर्वी उत्तरप्रदेश का चंदौली जिला जिसको उत्तरप्रदेश  के धान का कटोरा भी कहा जाता है इस चावल की पैदावार का गढ़ है।

काले चावल का इस्तेमाल कई एशियन फूड्स में होता है और चाइनीज खाने में तो इसे बहुत ज्यादा खाया जाता है।

काले चावल [ Black Rice] के फायदे-
  • इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स, फाइबर, फाइटोकेमिकल्स, फाइटोन्यूट्रिएंट्स होते हैं।
  • इसमें बहुतायत में विटामिन-ई होता है और साथ ही साथ ये प्रोटीन और आयरन से भी भरपूर होता है।
  • काले चावल  के कई हेल्थ बेनिफिट्स होते हैं और एक रिसर्च के मुताबिक इसमें कैंसर के खतरे को कम करने के गुण भी होते हैं।
  • काले चावल की एक सर्विंग में 160 कैलोरी होती हैं जो इसे नॉर्मल व्हाइट राइज की तुलना में काफी हेल्दी च्वाइस बनाती है।

हमारे शरीर में सभी पोषक तत्वों की हमें हमारे शरीर के हिसाब से ज़रूरत होती है और उस मात्रा में हमें उसका उपयोग करना चाहिए किसी की अधिकता या कमी हमें रोगों के भंवरजाल में धकेल सकती हैं इसलिए सतर्क रहकर सभी पोषक तत्वों का उचित मात्रा में सेवन करे और स्वस्थ और खुशहाल रहें। अगर ये जानकारी आपको आपके काम की लगे तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों को भी शेयर करें।

क्या अपराजिता ही शंखपुष्पी हैं ??

क्या अपराजिता ही शंखपुष्पी हैं ? जब मैंने इस प्रश्न का उत्तर ढूढ़ना शुरू किया को मुझे इसके बहुत से गुणों ने आश्र्यचकित कर दिया । अपराजिता की बेल जिसे शंखपुष्पी या ब्लूपी भी कहते हैं आमतौर पर जो लोग थोड़ा भी बागवानी का शौक रखते हैं उनके पास ज़रूर मिल जाएगी लेकिन शायद कम लोगों को इसके बहुत सारे फायदे मालूम होंगे । तो आइये बात करते हैं इस अनमोल फूल की । इसका वैज्ञानिक नाम क्लिटोरिआ टेरनटिआ (Clitoria ternatea) है। यह लता यानि बेल की तरह होते हैं और इनमें नीले और सफेद रंग के फूल आते हैं। इसके फूलों का आकार गाय के कान की तरह होते हैं इसलिए इसको गोकर्ण भी कहा जाता है।

इसके पौधे को ज्यादा केअर की ज़रूरत नहीं होती, यह किसी भी तरह की मिट्टी में आसानी से लग जाता है। हाँ गमलों में ड्रैनेज की व्यवस्था ठीक होनी चाहिए।

अपराजिता में दो प्रकार के फूल आते हैं पहला नीला और दूसरा सफेद । सफेद अपराजिता आयुर्वेदिक रूप से ज्यादा फायदेमंद होता है।

इसके फूल को उबालकर चाय बनती है वो कई तरह से फायदेमंद होती है। त्वचा और लिवर, किडनी के साथ ही साथ पेट को भी पूरी तरह साफ करने में मदद करता है।

इसमें कई तत्व पाए जाते हैं जो हमारे शरीर को फायदा करते हैं।

जस्ता, मैग्नेशियम, कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन, विटामिन ए, विटामिन ई, विटामिन सी, जिंक, एंटीऑक्सीडेंट, फायटोन्यूट्रिएंट जैसे बहुत से तत्व हैं जो अपराजिता अपने अंदर छिपाए हुए है।

अपराजिता की जड़ें काफी लाभकारी होती हैं उनका प्रयोग कई रोगों को ठीक करने में हो सकता है जैसे मूत्र सम्बन्धी बीमारियों में, प्लीहा या तिल्ली (Spleen) की बीमारी में इसके साथ ही गठिया रोग, त्वचा सम्बंधित बीमारियों और मधुमेह में भी फायदेमंद है। इलाज के लिये प्रयोग में लाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें क्योंकि इसकी मात्रा और किस तरह प्रयोग करना है यह विशेषज्ञ ही बता सकते हैं साथ ही आपके शरीर का पुराना रिकॉर्ड भी आपके पारिवारिक चिकित्सक  को ही मालूम हो सकता है।

लगातार और ज़रूरत से ज्यादा कोई भी वस्तु नुकसान ही करती है इस बात का खास ख्याल रखें साथ ही स्तनपान कराने वाली माताएं और गर्भवती महिलाएं इसे न ही प्रयोग करें तो अतिउत्तम है।

भारतीय त्योहारों में इस फूल की विशेष महत्ता हैं और नवरात्री और दुर्गा पूजा में माँ काली के आस पास इस फूल को जरूर लगाया जाता हैं ।

तो आशा हैं इस फूल के बारे में पढ़ने के बाद आप जरूर इस अपराजिता तो घर में लाएंगे और इसके गुणों का फायदा उठाएंगे। पोस्ट के बारे में अपने विचार जरूर शेयर करे ।

दशहरा की शुभकामनाएं

selective focus of two kingfisher birds on tree branch

दशहरा पर दसमुख रावण को हर बार हम जलाते हैं । 

बुराई पर अच्छाई की जीत हमेशा दिखाते हैं । 
समय आ गया सोचो और विचार करो
क्या क्या बदला अब तक तब में और अब में

तब रावण के दस सर थे जो उसकी पहचान थे
अब सबके अंदर कितने रावण सब खुद उनसे अनजान हैं । 

क्या मन में बसे क्रोध मोह माया का त्याग हम कर पाए
या प्रतीक रूप में हर बार पुतला जलाकर सारी कमियां घर लाए । 

कभी पुत्र मोह कभी सत्ता लोभ
कभी काम वासना जैसे अगणित रावण हैं । 
क्रोध, अहंकार जैसे इनके अनेकों गण हैं । 

घमंड, स्वार्थ, ईर्ष्या द्वेष को मार पाएंगे
मानवता कब की जर्जर हो गई कब ये जानेंगें । 

कब तक राम हमें जगाएँगें
इन तमाम बुराई को मिलकर हम कब  भगा पाएंगे । 

दस पर वश करने का अब भरपूर प्रयत्न करो

अपनी अगली पीढ़ी को हम पुनः रामराज्य दें पाएं  ऐसा समुचित यत्न करो

वास्तव में तभी
हम दशहरा की शुभकामनाएँ सबको दे पायेंगें । 

भूले बिसरी यादों में न गुम हो तो कहना

brown pendant lamp hanging on tree near river

पहली बारिश में कागज की कश्ती न चलाई हो तो कहना

फूल गुलाब का किताबों में न छिपाया हो तो कहना

बचपन में तितलियों के पीछे न भागे हो तो कहना

छुई मुई के पौधों से शरारत न की हो तो कहना

कच्ची इमली और कैरी बड़ों से छिपकर न खाई हो तो कहना

बार-बार उसी बात पर डांट खाकर भी वही गलती न की हो तो कहना

वो मां की लोरी वो बचपन के खेल

वो पापा की डांट वो पोसम पा की जेल

हम तो आगे निकल गए यादें पीछे रह गई

आज मुड़ कर देखा तो पाया कितना कुछ बदल गया

काश हम वापस वो लम्हें जी पाते

जहाँ बड़े होने की कोई जल्दी न होती और न होती आज की भागमभाग

चाहे कुछ भी हो जाए अपने अन्दर के बच्चे को बचाए रखना

पुरानी डायरी आज भी आंख गीली न  कर  जाए  तो कहना

मानसून बागवानी के लिये बेहतरीन समय-सक्यूलेन्टस के साथ

कोरोना काल में जब सब अपने अपने घर में बंद होकर रह गए हैं। इंसान इंसान को देखकर भाग रहा है ऐसे में प्रकृति प्रेम बहुत से लोगों में बागवानी के शौक के रूप में निकल। रहा उससे दो बातें होती हैं एक तो आपका समय बहुत बढ़िया बीतता है दूसरे छोटा ही सही लेकिन प्रकृति को संतुलित करने का प्रयास हो रहा ।कम से कम जितना ले रहे उसका कुछ प्रतिशत ही देने में कामयाब हो रहे।

जो पहले से बागवानी का शौक रखते हैं उन्हें तो काफी जानकारी भी होती है लेकिन एकदम से शुरू करने वालों को शुरू कहाँ से करें कौन सा प्लांट लगाएं खाद, कैसे दे कौन सी दे और कितनी औऱ कब दें जैसे तमाम जिज्ञासायें होती हैं और इन सबसे ऊपर जाकर कुछ पौधे नर्सरी वालों के बताने पर उठा भी लाए तो कुछ ही दिनों में उनकी दुर्गति देखकर सारा उत्साह ठंडा पड़ जाता है। तो आज हम पौधों के एक ऐसे वर्ग की बात करते हैं जिसको ज्यादा देखभाल की ज़रूरत नहीं होती और न ही ज्यादा खरीदने की ज़रूरत है इसकी एक डंठल से ही आप ढेरों पौधे ऊगा सकते बस थोड़े धैर्य और लगन की ज़रूरत होगी। इन पौधों को स्क्युलेन्ट बोलते हैं।

सक्यूलेन्ट (Succulent)

शब्द स्क्युलेन्ट लैटिन शब्द सकस (Sucus) से आया है जिसका मतलब ही जूस या सैप ( पौधों का रस) होता है। स्क्युलेन्ट पौधों की एक पूरी प्रजाति है जिसमें लगभग 10,000 से भी ज्यादा स्पीशीज पाई जाती है।आज हम उन्हीं में से कुछ के बारे में जानेंगे।

जेड प्लांट Zade plant (Crassula ovata) 

इसका बोटनिकल नाम क्राससुला आवत (Crassula ovata) है। इसको क्रासुला का पौधा भी कहते हैं। यह सक्यूलेन्ट (succulent) प्रजाति का पौधा है।इसको ज्यादा धूप की भी ज़रूरत नहीं पड़ती तो आजकल के मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में आसानी से लगाया जा सकता है। इसको ज्यादा देखभाल की ज़रूरत नहीं होती और यह आसानी से बढ़ता रहता है।

Lucky Plantयह आसानी से लग जाता है और इसको लगाने से घर में सुख समृद्धि आती है इसको लक प्लांट या मनी प्लांट भी कहते हैं।

यह घर के अंदर और आसपास की एयर क्वालिटी को बढ़िया करता है।

यह रात को भी co2 ग्रहण करता है।

हर्ट लीफ आइस प्लांट Heart leaf ice (Mesembryanthemum cordifolium(Aptenia cordifolia))

इसका वैज्ञानिक नाम Mesembryanthemum cordifolium(Aptenia cordifolia) है। इसको heart leaf ice हर्ट लीफ आइस प्लांट भी बोला जाता है।

यह मेरी बालकनी में लगा हार्ट लीफ आइस का पौधा है। यह बहुत आसानी से फैलने वाला और बहुत कम देखभाल में पूरे साल भर हरियाली बिखेरता है।

काँटों का ताज  क्राउन ऑफ थोर्न्स  Crown of thorns (Euphoria mili)

यह अपने नाम के अनुसार ही कांटों भरा होता है लेकिन खिलने पर बहुत ही बढ़िया लगता है। इसका पौधा वुडी झाड़ी भरा होता है। यह अपने आप में ही पेस्ट कंट्रोल का काम करता और स्नेल को भगाने के लिए काफी कारगर है। मेडागास्कर से उपजा यह पौधा पूरी तरह धूप में ही रहता है।

फ्लेमिंग काटी Flaming katy (kalanchoe blossfeldiana)

यह भी मुख्य रूप से मेडागास्कर का ही पौधा है।। और इसको ज्यादा धूप चाहिए होता है। और ठंड के लिए बहुत ही सेंसिटिव होता हैं। इसको रेतीली मिट्टी, जिसमें पानी इकट्ठा न हो और हवा भी पास होती रहे चाहिए होती है। यह भी जहरीले पौधे में आता है।

ज़ेब्रा  प्लांट  Zebra plant (haworthia fasciata)

हमारी बालकनी का सबसे नन्हा और नया मेहमान अपने लुक से बच्चों का भी प्यारा बना हुआ है। इनको बहुत ज्यादा नमी की ज़रूरत होती है। Aphelandra squarrosa इन्हें डायरेक्ट धूप में न रखें ये इंडोर प्लांट हो सकते हैं लेकिन इनमें फूल लगने के लिए कुछ धूप की ज़रूरत होती है।

हंस एंड चिक्स (सेम्पेरविवं टेक्टोरूम ) Hens and chicks (Sempervivum tectorum)

थोड़ा सा ध्यान रखकर अगर आप ढेरों पौधे चाहते हैं तो यह पौधा आप ही के लिए है एक बार लग जाने पर इसके बच्चे मुर्गी के चूजों जैसे निकलते ही रहते हैं और ये मुख्य पौधे के आसपास ही उगते हैं इसलिए इसका नाम हेन और चिक पड़ा।

यह यूरोप के पहाड़ों का मूल निवासी है जिसकी वज़ह से इसको ठंड की ज्यादा जरूरत पड़ती है। और ज्यादा गर्मी ये बर्दाश्त नहीं कर पाते। इनको पानी कम ही चाहिए होता है इनके तनों में काफी पानी होता है इसलिए इसको हाउस स्लीक भी कहते हैं।

ग्राप्टोपेटालूम परगुआयेंसे (घोस्ट प्लांट ) Ghost plant   ( Graptopetalum paraguayense)

यह जेड परिवार का ही एक सदस्य है। इसमें स्टार जैसे सफेद फूल भी आते हैं। यह -10 c में भी सुरक्षित रह सकता है लेकिन यह ज्यादा बरसात नहीं चाहिए होता। यह क्रीपर की तरह फैल भी सकता है।

बर्रो ‘स टेल (सेदुम मॉरगनिअनुम)    Burro’s tail (Sedum morganianum)

यह सूखे प्रदेश का पौधा है इसको बहुत ही कम पानी की ज़रूरत होती है। चूंकि यह कैक्टस परिवार से आता है इसलिए उसको रेतीली मिट्टी और अच्छी धूप की आवश्यकता होती है। यह हैंगिंग पॉट्स में बहुत ही बढ़िया ग्रो करता है और देखने में भी बढ़िया दिखता है।

अगर आप को भी बागवानी का शौक है और समय कम है साथ ही साथ आप अपने आसपास ताज़े और अलग अलग वैरिएटी के पौधे देखने का शौक रखते हैं तो सुकुलेंट्स को ज़रूर अपने घर लाएं यकीन मानिये आपको भी इन पौधों और उनकी हरियाली से प्यार हो जाएगा ।

परिंदे के नसीब का खुला आसमान

selective focus of two kingfisher birds on tree branch

हर परिंदे के नसीब में खुला आसमान नहीं होता
शमां में जलने वाला हमेशा परवाना नहीं होता
कहने को दिल में तमन्नाएं बहुत हैं
पर हर तमन्ना पूरी हो ऐसा भी अरमान नहीं होता
पैरों में बेड़ियाँ डालकर उड़ना आसान नहीं होता
और ऐसी उड़ान का कोई अंजाम नहीं होता
तो उड़कर आसमान हो छूना और मंजिल तक पहुंचना
तो पहला कदम उठाना ही काफी नहीं होता

उठो चलो दौड़ो और बेड़ियों को तोड़ दो
अपने हिस्से के आसमान को अपने मुक़द्द्रर से जोड़ लो

डायरी के पन्नों से

 

है बारिश का मौसम और वीरानी सी डगर

डरता है दिल कैसे पूरा होगा सफ़ऱ

है मज़बूत इच्छाशक्ति और पैनी नज़र

पर फिर भी न जाने कैसा है ये डर

झूठा ही सही कोई साथ तो दे इस कदर

तुम चलो  हर कदम पर साथ है तुम्हारा हमसफर

ममता की मूरत और प्यार का समंदर

फिर भी प्यासा है मेरा मन अति भयंकर

कुछ लोगों का न होना भी अहसास कराता है उनकी फ़िकर

और कुछ लोग साथ होकर भी कितने  होते हैं बेफिकर

आज तक खुद को खुद से जगाते आए हैं

बड़ी मुद्दतों के बाद वो मेरे दर पर जगाने आए हैं

कहते हैं खुश हैं वो अपनी ज़िंदगी में

हम तो खुश हैं केवल उनकी बंदगी में।

कैसे मानूँ मैं की प्यार एक बार होता है ज़िंदगी में

मैंने तो जब जब देखा उन्हें हर बार पिछली बार से ज्यादा चाहा।

कुछ चाहतों के मुकद्दर में बस डायरी के पन्ने होते हैं

जख्म भी खुद के होते हैं और इलाज़ भी खुद से होते हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

नैनीताल:: कुछ पल प्रकृति से गुफ्तगू

उत्तराखंड जिसको देवभूमि भी कहा जाता है वहीं हिमालय की कुमायूँ पहाड़ियों की तलहटी में स्थित है बड़ा ही रमणीक और प्राकृतिक खूबसूरती से लबरेज़ प्यारी सी जगह नैनीताल

नैनीताल में नैनी शब्द का अर्थ आंखों से है जो नैना देवी शक्तिपीठ से लिया गया है।ऐसी मान्यता है इस जगह पर देवी सती की आँखें गिरी थी और यह 52 शक्ति पीठ में एक है

ताल का मतलब ही जलाशय या झील होता है नैनीताल भी अपनी झील के लिये ही मशहूर है। अगर अपनी भागदौड़ वाली और बोरिंग ज़िन्दगी से राहत कहते हैं और अपने फेफड़ों मेंकुछ ताज़ी हवा भरना  चाहते हैं तो नैनीताल आपके लिए बेस्ट चॉइस है

हमारे पुराणों के अनुसार महाराज प्रजापति दक्ष की पुत्री देवी सती का विवाह महादेव के साथ हुआ था। एक बार महाराज प्रजापति दक्ष ने एक विशाल यज्ञ किया उसमें सभी देवी देवताओं और अपने सम्बन्धियों को बुलाया सिवाय भोलेनाथ के यह बात देवी सती को पसंद नहीं आई और इस बात का जवाब मांगने और अपने सम्बन्धियों से मिलने वो स्वयं यज्ञ वाली जगह पहुंची जहाँ उन्होंने अपने पति का अपमान सहन नहीं हुआ और वो उसी यज्ञ की अग्नि में समाहित हो गईं जब शिव शंकर ने यह बात सुनी तो वह बहुत ही गुस्से में वहाँ पहुंचे और देवी सती का मृत शरीर लेकर तांडव शुरू कर दिया  ऐसे में सृष्टि को विनाश से बचाने के लिए श्री हरि विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र देवी सती के शरीर को कई भागों में बांट दिया ऐसा करने से देवी सती के शरीर के विभिन्न अंग धरती पर विभिन्न स्थान पर गिर गए। जिन जिन स्थान पर उनके शरीर के अंग गिरे उनको शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है।

नैनीताल के प्रमुख आकर्षण

नैनी झील

सात अलग-अलग पहाड़ों की चोटियों से चारों तरफ से घिरी हुई यह झील कुमायूँ क्षेत्र की सबसे खूबसूरत झील है। इस झील का पानी साल की तीनों ऋतुओं में 3 अलग रंग में दिखाई देता है और ठंड के मौसम में यह सामान्य से गर्म होता है और गर्मी में यह सामान्यतया ठंडा रहता है। यहाँ बोटिंग का एक अपना ही रोमांच है। झील में एक किनारे पर मछलियों का पूरा झुंड ही मिलता है पर्यटक उनको खाने के लिये भी कुछ डालते दिख जाते हैं ।

इको केव गार्डन

संगीत से सराबोर फव्वारों और हैंगिंग गार्डन के लिए प्रसिद्ध यह गुफा 6 छोटी गुफाओं से मिलकर बना हुआ है प्रचलित गुफायें टाइगर केव,पैंथर केव, ऐप्स केव, बैट केव और फ्लाइंग फॉक्स केव है।

नन्दा देवी मंदिर

यहाँ की इष्ट देवी नन्दा देवी हैं और उनका मंदिर झील के किनारे ही है।

हनुमान गढ़ी

यह एक आध्यात्मिक जगह है जो मन को सुकून देती है।

मॉल रोड

यहां पर ताल के दोनों तरफ रोड होने से काफी खुशनुमा से माहौल रहता है। ताल का मल्ला भाग मल्लीताल और नीचला भाग तल्ली ताल कहलाता है।

पंडित वल्लभ पंत ज़ू

काफी ऊंचाई पर और जानवरों को उनके अनुकूल वातावरण मिलने की वजह से यहाँ रहने वाले पशु काफी स्वस्थ और खुश दिखाई देते हैं ।

टिफिन टॉप

चारों तरफ चीड़,ओक व देवदार से घिरी यह जगह मन को एक अलग ही शांति व सुकून देती है। यहाँ से आप पूरा नैनीताल देख सकते हैं।

स्नो व्यू पॉइंट

समुद्र तल से 2270 मीटर ऊँचा यह पॉइंट मन को लुभाने वाले कई दृश्य दे जाता है। अक्टूबर नवंबर के महीने में यह जगह बर्फ से ढंक जाती है यहाँ पहुंचकर ऐसा लगता है कि हाथ ऊपर करके आसमान मुट्ठी में आ सकता है।

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क

  यह भारत का सबसे प्राचीन राष्ट्रीय पार्क है । 1936 में बंगाल टाइगर को विलुप्त होने से बचाने के लिए हैली नेशनल पार्क के रूप में स्थापित हुआ बाद में इसके संस्थापक के नाम पर इसको जिम कार्बेट नेशनल पार्क का नाम दे दिया गया। अगर आप दिल्ली से होकर नैनीताल जा रहें हैं तो मुरादाबाद होते हुए रामनगर पहुँचेंगे वहीं यह पार्क है। यहाँ आकर आपको कुछ विलुप्त प्राय पक्षियों और पशुओं को भी देख सकते हैं।

नैनीताल में बारिश में जाएं तो पूरी तैयारी से जाएँ क्योंकि वहाँ सितम्बर अंत तक बारिश और तूफान पूरे जोश में रहते हैं  और बिना तैयारी के जाने पर आपको सबसे पहले छतरी और गर्म कपड़े ही खरीदना पड़ेगा। तो बिना देर किए अपनी अगली छुट्टी नैनीताल में एन्जॉय करें और अपना अनुभव हमसे जरूर साझा करें।