परिंदे के नसीब का खुला आसमान
हर परिंदे के नसीब में खुला आसमान नहीं होता
शमां में जलने वाला हमेशा परवाना नहीं होता
कहने को दिल में तमन्नाएं बहुत हैं
पर हर तमन्ना पूरी हो ऐसा भी अरमान नहीं होता
पैरों में बेड़ियाँ डालकर उड़ना आसान नहीं होता
और ऐसी उड़ान का कोई अंजाम नहीं होता
तो उड़कर आसमान हो छूना और मंजिल तक पहुंचना
तो पहला कदम उठाना ही काफी नहीं होता
उठो चलो दौड़ो और बेड़ियों को तोड़ दो
अपने हिस्से के आसमान को अपने मुक़द्द्रर से जोड़ लो