Month: December 2021

ऋषिकेश नाम में ही अध्यात्म और रोमांच है।

evening view of Ramjhula

ऋषिकेश उत्तराखंड राज्य के देहरादून जिले का बहुत ही खूबसूरत शहर है जहा से हिमालय की तलहटी शुरू होती है और माँ गंगा अठखेलियां करती सबको अपनी तरफ आकर्षित करती पहाड़ों को छोड़कर मैदानी भाग की यात्रा शुरू करती है। ।

ऋषिकेश नाम कैसे पड़ा

ऐसी मान्यता है की ऋषि रैभ्य ने यहाँ ईश्वर दर्शन के लिए बहुत कठोर तप किया और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु हृषिकेश के रूप में प्रकट हुए।हृषिकेश का मतलब इन्द्रियों को नियंत्रित रखने वाला होता है। तब से इस स्थान को ऋषिकेश नाम से जाना जाता है।

ऋषिकेश जैसा की नाम से ही प्रतीत हो रहा की साधू संतों की नगरी लोग यहां मैडिटेशन और चिल करने आते हैं। यह शहर हरिद्वार से मात्र 24 km है लेकिन यहां के रास्ते दुर्गम और खूबसूरत पहड़ियों से होकर गुजरते हैं। पहाड़ी रास्तों की अपनी अलग ही खूबसूरती है। उन रास्तों में आपको बंदर, हिरन जैसे वन्य जीव भी जगह जगह पर मिल जाएंगें।

कैसे जाएँ :

ऋषिकेश जाने के लिए कनेक्टिविटी बहुत बढ़िया है और आप रेल, फ्लाइट या फिर बस टैक्सी किसी से भी अपनी यात्रा सुचारु रूप से कर सकते हैं।

कब जाये :

वैसे तो पूरे साल पर्यटक यहाँ घूमने जाते हैं लेकिन यहां जाने के लिए अक्टूबर से मार्च का महीना एकदम सही मन जाता है। मानसून के समय यहां जाना थोड़ा खतरनाक माना जाता है।

क्यों जाएँ :

तनावरहित और शांत वातावरण चाहिए साथ में योग और शीतल और साफ़ जल में वाटर राफ्टिंग करनी हो तो ऋषिकेश से बढ़िया जगह आपको मिल ही नहीं सकती। ऋषिकेश को योग कैपिटल ऑफ़ वर्ल्ड  भी बोला जाता है।

परमार्थ आश्रम में योग, मैडिटेशन के लिए आते हैं और एक दो महीने रूककर जाते हैं। यहां शाम की होने वाली आरती वाकई में आपको अध्यात्म का सुख मिलता है।

यहाँ के आसपास के एरिया को स्वर्गाश्रम कहते हैं और यह वाकई में स्वर्ग की अनुभूति देता है की नहीं यह मैं नहीं कह सकती क्युकी मैंने स्वर्ग तो वाकई नहीं देखा लेकिन स्वर्गाश्रम जरूर देखा है और यहां शांति और सुकून बहुत है।

इंग्लैंड का बीटल्स रॉक बैंड महर्षि योगी के आश्रम में भ्रमण करने आए थे तब से मैडिटेशन के क्षेत्र में इसको ज्यादा ख्याति मिली। बीटल्स आश्रम इसी संस्मरण की एक निशानी है ऐसे है न जाने कितने आश्रम यहां मैडिटेशन और योग की हमारी सनातन परम्परा को जीवनदान दिए हुए हैं।

यहां का तेरह मंज़िला मंदिर जिसे त्रयंबकेश्वर मंदिर भी कहा जाता है बाकि मंदिरों से अलग है क्यूंकि यहां पर आपको एक साथ कई देवी देवताओं के दर्शन एक साथ हो जाते हैं साथ ही यह मंदिर अनूठी शिल्पकला का नायाब मिसाल है। तेरह मंज़िल सीढ़ियों के माध्यम से चढ़ने में आपको थोड़ा तकलीफ हो सकती है लेकिन सबसे ऊपर से गंगाजी और शहर का जो विहंगम दृश्य देखने मिलेगा वो आपकी कल्पना से परे होगा।

माँ गंगा के बीच में बनी भगवान भोलेनाथ की योगमुद्रा में बनी मूर्ति अंदर तक शांति का अहसास देने वाली है। यहां से लक्ष्मणझूला और रामझूला ही 1,२ km की दुरी पर पड़ते हैं। वहां आप अपनी गाडी नहीं ले जा सकते आप या तो पैदल या टैक्सी से एक जगह से दूसरे जगह जा सकते हैं। लक्ष्मणझूला के बारे में यह मशहूर है की यहां पर श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण ने केवल २ रस्सियों के सहारे माँ गंगा को पार किया था। लक्ष्मणझूला के ऊपर खड़े होकर आपको नदी के ऊपर झूला झूलने का रोमांच मिलता है उसको शब्दों में बयां करना मुश्किल है आप इसको केवल महसूस ही किया जा सकता है।

ऋषिकेश से 35km की दुरी पर है नीलकंठ महादेव का बहुत ही खूबसूरत और ऐतिहासिक मंदिर है। ऐसा माना जाता है की समुद्र मंथन के समय अमृत के दावेदार तो सभी थे लेकिन विष को देखकर सभी डर गए और ऐसे समय में सिर्फ भगवान भोलेनाथ का सहारा था उनको सबने मिलकर आवाहन किया और भगवान भोलेनाथ ने संसार के कल्याण के लिए हलाहल विष को अपने गले में धारण किया और वहीं से नीलकंठ कहलाए। नीलकंठ महादेव मंदिर इसी ऐतिहासिक तथ्य का गवाह है। ऋषिकेश से नीलकंठ के रस्ते में कई प्राकृतिक झरने है जो काफी लुभावने और शीतल हैं। यहां के जंगलों में कई औषधियां मिलती हैं उसकी वजह से यहां के झरने भी कई औषधियों के गुणों से भरपूर हैं जो कई त्वचा सम्बन्धी और कई बिमारियों से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं।

यह जगह दिल्ली से ह 260 km की दुरी पर है और ऋषिकेश के आसपास और भी कई घूमने की जगह है जो आप अपनी इस ट्रिप के साथ जोड़कर अपनी ट्रिप को यादगार बना सकते हैं। देहरादून, शिवपुरी, चम्बा, देवप्रयाग, धनोल्टी पूरी, लैंसडौन कानाताल ये कुछ ऐसी खास जगह हैं जो ऋषिकेश से 100 से 150 km के दूरी पर हैं और आपके बजट को भी ज्यादा प्रभावित नहीं करेंगे।

अगर आप साहसिक कारनामों में यकीन रखते हैं और खतरों से आपको रोमांचक अनुभूति होती है तो जुंपिन हाइट्स, कौडियाला, ब्यासी कुछ ऐसी जगहों के नाम हैं जो आपके लिए ही बने हैं यहां रिवर राफ्टिंग, कैंपिंग और बोटिंग जैसे करतब होते हैं जो आपकी ट्रिप को रोमांच से भर देंगें।

इतने खूबसूरत और प्रकृति के अनेको खजानो को अपने गर्भ में छिपाये इस शहर के बारे में सबकुछ इस लेख में ही जान लेना वहां जाकर उसकी अनुभूति लेने वालों के साथ अन्याय होगा इसलिए अपनी अगली छुट्टियों में यहां आने का प्लान बनाएं और खुद सुखद अनुभति लें साथ ही अपने अनुभव हमें भी जरूर शेयर करें।

Everything you need to know about reindeers of Santa

shallow focus photography of white deer christmas tree ornament
 

Merry Christmas to all. Today when my 6 years daughter was listening a song Rudolph the red nosed reindeer in her online classes, then she asked me mammaa Santa Claus has many reindeer in his vehicle why only one is mentioned in this song and whats name of others reindeer. Ever thought about it.

The child curiosity and as being believer in all religions, this question forced me think about getting the details. After some research i found some interesting answer. so thought about sharing with you all.

Santa originally had 8 reindeers named Dasher, Dancer, Prancer, Vixen, Comet, Cupid, Donner, Blitzen and it was until 1939 that Rudolph came into the scene to make 9.

brown deers
Dasher
Reindeer Personality trait Skill
Dasher He loves to go fast! Sewing
Dancer Completely extroverted All kinds of dance
Prancer A bit vain, though affectionate Prancing
Vixen Slightly tricky Magic
Comet Handsome and easy-going Good with kids
Cupid Affectionate Bringing people together
Donner Loud Singing
Blitzen Fast as a bolt! Can electrify others
Rudolph A little down on himself Nose glows
So isn’t it interesting.
Now here goes another.
Are Santa’s Reindeer Female or Male?
Santa’s reindeer are typically portrayed as male in pop culture (Rudolph is referred to as a “him” in the song), but according to two professors at the University of Edinburgh, Santa’s reindeer are actually all female because male reindeer shed their antlers during the winter, while female reindeer retain their antlers, and Santa’s reindeer are always depicted with antlers. Male reindeer also lose nourishment and vitality during the winter months, so only the females are strong and healthy enough to pull a sleigh full of toys.

Now my further interest brought to interesting revelations for Santa Claus, also known as Father Christmas, Saint Nicholas, Saint Nick, Kris Kringle, or simply Santa, is a legendary character originating in Western Christian culture who is said to make lists of children throughout the world, categorizing them according to their behavior, and bringing gifts on Christmas Eve of toys and candy to well-behaved children,and coal to naughty children. He is said to accomplish this with the aid of Christmas elves, who make the toys in his workshop at the North Pole, and flying reindeer who pull his sleigh through the air.

The modern character of Santa Claus was based on traditions surrounding the historical Saint Nicholas (a fourth-century Greek bishop and gift-giver of Myra), the British figure of Father Christmas, and the Dutch figure of Sinterklaas (also based on Saint Nicholas). Like other gift-bearing figures of the season, Santa Claus also absorbed elements of the Germanic deity Odin, who was associated with the pagan midwinter event of Yule and led the Wild Hunt through the sky.

person wearing santa claus outfit while holding christmas gifts
Santa Claus is generally depicted as a portly, jolly, white-bearded man, often with spectacles, wearing a red coat with white fur collar and cuffs, white-fur-cuffed red trousers, red hat with white fur, and black leather belt and boots, carrying a bag full of gifts for children. He is commonly portrayed as laughing in a way that sounds like “ho ho ho”. This image became popular in the United States and Canada in the 19th century due to the significant influence of the 1823 poem “A Visit from St. Nicholas.” Caricaturist and political cartoonist Thomas Nast also played a role in the creation of Santa’s image.

So every festival have marvelous characters and even more interesting stories behind them. And they gives us reasons to be joyous and share time with our dear ones. So let the winter and mood of festival over take you and enjoy the eve with loved ones. Again Merry Christmas to all.