ऋषिकेश नाम में ही अध्यात्म और रोमांच है।
ऋषिकेश उत्तराखंड राज्य के देहरादून जिले का बहुत ही खूबसूरत शहर है जहा से हिमालय की तलहटी शुरू होती है और माँ गंगा अठखेलियां करती सबको अपनी तरफ आकर्षित करती पहाड़ों को छोड़कर मैदानी भाग की यात्रा शुरू करती है। ।
ऋषिकेश नाम कैसे पड़ा
ऐसी मान्यता है की ऋषि रैभ्य ने यहाँ ईश्वर दर्शन के लिए बहुत कठोर तप किया और उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु हृषिकेश के रूप में प्रकट हुए।हृषिकेश का मतलब इन्द्रियों को नियंत्रित रखने वाला होता है। तब से इस स्थान को ऋषिकेश नाम से जाना जाता है।
ऋषिकेश जैसा की नाम से ही प्रतीत हो रहा की साधू संतों की नगरी लोग यहां मैडिटेशन और चिल करने आते हैं। यह शहर हरिद्वार से मात्र 24 km है लेकिन यहां के रास्ते दुर्गम और खूबसूरत पहड़ियों से होकर गुजरते हैं। पहाड़ी रास्तों की अपनी अलग ही खूबसूरती है। उन रास्तों में आपको बंदर, हिरन जैसे वन्य जीव भी जगह जगह पर मिल जाएंगें।
कैसे जाएँ :
ऋषिकेश जाने के लिए कनेक्टिविटी बहुत बढ़िया है और आप रेल, फ्लाइट या फिर बस टैक्सी किसी से भी अपनी यात्रा सुचारु रूप से कर सकते हैं।
कब जाये :
वैसे तो पूरे साल पर्यटक यहाँ घूमने जाते हैं लेकिन यहां जाने के लिए अक्टूबर से मार्च का महीना एकदम सही मन जाता है। मानसून के समय यहां जाना थोड़ा खतरनाक माना जाता है।
क्यों जाएँ :
तनावरहित और शांत वातावरण चाहिए साथ में योग और शीतल और साफ़ जल में वाटर राफ्टिंग करनी हो तो ऋषिकेश से बढ़िया जगह आपको मिल ही नहीं सकती। ऋषिकेश को योग कैपिटल ऑफ़ वर्ल्ड भी बोला जाता है।
परमार्थ आश्रम में योग, मैडिटेशन के लिए आते हैं और एक दो महीने रूककर जाते हैं। यहां शाम की होने वाली आरती वाकई में आपको अध्यात्म का सुख मिलता है।
यहाँ के आसपास के एरिया को स्वर्गाश्रम कहते हैं और यह वाकई में स्वर्ग की अनुभूति देता है की नहीं यह मैं नहीं कह सकती क्युकी मैंने स्वर्ग तो वाकई नहीं देखा लेकिन स्वर्गाश्रम जरूर देखा है और यहां शांति और सुकून बहुत है।
इंग्लैंड का बीटल्स रॉक बैंड महर्षि योगी के आश्रम में भ्रमण करने आए थे तब से मैडिटेशन के क्षेत्र में इसको ज्यादा ख्याति मिली। बीटल्स आश्रम इसी संस्मरण की एक निशानी है ऐसे है न जाने कितने आश्रम यहां मैडिटेशन और योग की हमारी सनातन परम्परा को जीवनदान दिए हुए हैं।
यहां का तेरह मंज़िला मंदिर जिसे त्रयंबकेश्वर मंदिर भी कहा जाता है बाकि मंदिरों से अलग है क्यूंकि यहां पर आपको एक साथ कई देवी देवताओं के दर्शन एक साथ हो जाते हैं साथ ही यह मंदिर अनूठी शिल्पकला का नायाब मिसाल है। तेरह मंज़िल सीढ़ियों के माध्यम से चढ़ने में आपको थोड़ा तकलीफ हो सकती है लेकिन सबसे ऊपर से गंगाजी और शहर का जो विहंगम दृश्य देखने मिलेगा वो आपकी कल्पना से परे होगा।
माँ गंगा के बीच में बनी भगवान भोलेनाथ की योगमुद्रा में बनी मूर्ति अंदर तक शांति का अहसास देने वाली है। यहां से लक्ष्मणझूला और रामझूला ही 1,२ km की दुरी पर पड़ते हैं। वहां आप अपनी गाडी नहीं ले जा सकते आप या तो पैदल या टैक्सी से एक जगह से दूसरे जगह जा सकते हैं। लक्ष्मणझूला के बारे में यह मशहूर है की यहां पर श्रीराम के छोटे भाई लक्ष्मण ने केवल २ रस्सियों के सहारे माँ गंगा को पार किया था। लक्ष्मणझूला के ऊपर खड़े होकर आपको नदी के ऊपर झूला झूलने का रोमांच मिलता है उसको शब्दों में बयां करना मुश्किल है आप इसको केवल महसूस ही किया जा सकता है।
ऋषिकेश से 35km की दुरी पर है नीलकंठ महादेव का बहुत ही खूबसूरत और ऐतिहासिक मंदिर है। ऐसा माना जाता है की समुद्र मंथन के समय अमृत के दावेदार तो सभी थे लेकिन विष को देखकर सभी डर गए और ऐसे समय में सिर्फ भगवान भोलेनाथ का सहारा था उनको सबने मिलकर आवाहन किया और भगवान भोलेनाथ ने संसार के कल्याण के लिए हलाहल विष को अपने गले में धारण किया और वहीं से नीलकंठ कहलाए। नीलकंठ महादेव मंदिर इसी ऐतिहासिक तथ्य का गवाह है। ऋषिकेश से नीलकंठ के रस्ते में कई प्राकृतिक झरने है जो काफी लुभावने और शीतल हैं। यहां के जंगलों में कई औषधियां मिलती हैं उसकी वजह से यहां के झरने भी कई औषधियों के गुणों से भरपूर हैं जो कई त्वचा सम्बन्धी और कई बिमारियों से छुटकारा दिलाने में मदद करते हैं।
यह जगह दिल्ली से ह 260 km की दुरी पर है और ऋषिकेश के आसपास और भी कई घूमने की जगह है जो आप अपनी इस ट्रिप के साथ जोड़कर अपनी ट्रिप को यादगार बना सकते हैं। देहरादून, शिवपुरी, चम्बा, देवप्रयाग, धनोल्टी पूरी, लैंसडौन कानाताल ये कुछ ऐसी खास जगह हैं जो ऋषिकेश से 100 से 150 km के दूरी पर हैं और आपके बजट को भी ज्यादा प्रभावित नहीं करेंगे।
अगर आप साहसिक कारनामों में यकीन रखते हैं और खतरों से आपको रोमांचक अनुभूति होती है तो जुंपिन हाइट्स, कौडियाला, ब्यासी कुछ ऐसी जगहों के नाम हैं जो आपके लिए ही बने हैं यहां रिवर राफ्टिंग, कैंपिंग और बोटिंग जैसे करतब होते हैं जो आपकी ट्रिप को रोमांच से भर देंगें।
इतने खूबसूरत और प्रकृति के अनेको खजानो को अपने गर्भ में छिपाये इस शहर के बारे में सबकुछ इस लेख में ही जान लेना वहां जाकर उसकी अनुभूति लेने वालों के साथ अन्याय होगा इसलिए अपनी अगली छुट्टियों में यहां आने का प्लान बनाएं और खुद सुखद अनुभति लें साथ ही अपने अनुभव हमें भी जरूर शेयर करें।