Month: January 2022

हरिद्वार या हरद्वार, मायापूरी सब एक

 

Haridwar City at a look

कई बार शहरो की भाग दौड़ की लाइफ में यूँही कभी मन करता हैं कही पहाड़ो में निकल कर कुछ फुर्सत के पल नदी के किनारे आध्यात्म में बिताये । अगर आपके अंदर भी यह वाली फीलिंग जोर मर रही हो आपके लिए हरिद्वार यात्रा आपके लिए धार्मिक और आध्यात्मिक दोनों लिहाज़ से बूस्टर का काम कर सकता है और बेहतर ऑप्शन नहीं हो सकता हैं खासतौर से अगर आप दिल्ली एनसीआर में रहते हो ।  तो आये आज हम कुछ बाते हरिद्वार की करते हैं । हरिद्वार नाम ही बताता है हरी अर्थात भगवान का द्वार यानि दरवाज़ा मतलब ऐसी जगह जहाँ भगवान खुद आपसे मिलने को तैयार हों। कुछ लोग इसको हरद्वार भी कहते हैं हर मतलब महादेव से है और हरी का मतलब भगवान विष्णु से है भगवन विष्णु का बद्रीनाथ धाम और भोलेनाथ का केदारनाथ जाने का रास्ता यही से होकर जाता है इसलिए इसको हरद्वार या हरिद्वार दोनों में से कुछ भी कहा जा सकता है।

ऐसी मान्यता है की समुद्र मंथन के समय निकले अमृत की कुछ बुँदे प्रयागराज, नासिक, उज्जैन और हरिद्वार में गिर गई थी। भगवान भोलेनाथ ने यही पर माँ गंगा को अपनी जटाओं से मुक्त किया था।
हरिद्वार दिल्ली से लगभग 222 km है और आप अपनी गाड़ी या कैब , टैक्सी से ४ से ५ घंटे लगेंगे। यहां से समीपवर्ती हवाई अड्डा देहरादून हवाई अड्डा है।
हरिद्वार उत्तराखंड बड़ा खूबसूरत शहर है। यह शहर माँ गंगा के किनारे बसा हुआ है अगर आप यहां अपनी गाड़ी से जाने का सोच रहे हैं तो यह बात ध्यान रखने की है यहां टैक्सी स्टैंड शहर से बहार ही है और आपको अपनी गाड़ी वहीं छोड़कर गंगाजी पर बने पूल को पार करके शहर में पहुँच सकते हैं। चूँकि यहां पर्यटक पूरे साल आते रहते हैं इसलिए अपना होटल या गेस्ट हाउसे जहाँ भी रहने का विचार हो पहले से बुक करके यहां जाएँ तो आपको सुविधा रहेगी।
यहां घूमने लायक जगहें

ganga river at haridwar

हरिद्वार में माँ गंगा के घाट मन को सुकून देने वाले हैं। यहां कई घाट हैं जैसे रामघाट, विष्णुघाट, गऊघाट , ब्रम्हकुण्ड या हर की पौड़ी, अस्थि प्रवाह घाट जिसमे हर की पौड़ी बहुत ही मशहूर है। ऐसी मान्यता है की यहां एक डुबकी मारने भर से मानव जीवन सफल हो जाता है। घाट के किनारे पर महिलाओं के लिए वस्त्र बदलने के लिए चेंज रूम भी बने हुए हैं। गंगा जी के किनारे ही छोटे बड़े कई मंदिर भी हैं जहा आप पूजा अर्चना कर सकते हैं। वहां चोटीवाला भोजनालय की पूरी सब्जी और रबड़ी बहुत मशहूर है। वहां की सबसे खासियत यह है की दूध और बाकि पेय पदार्थ कुल्हड़ में प्रस्तुत किया जाता है। जो हमें अपनी प्राचीन भारतीय संस्कृति की झलक दिखाता है। वहां के मार्किट भी काफी आकर्षक और किफायती हैं वहां आपको हेंडीक्राफ्ट, पत्थर और धातु से बने सामान आपको अपने बजट में मिल जाएंगे।

mansa devi mata mandir

माता मनसा देवी, माता चंडी देवी और माया देवी तीनो देवियों का त्रिकोण पूरा करना बड़े ही पुण्य का काम माना जाता है। माता मनसा देवी और माता चंडी देवी दोनों देवियां आमने सामने की पहाड़ियों पर हैं वहां जाने के लिए उड़नखटोला और पैदल दोनों मार्ग है।

आप राजाजी राष्ट्रिय पार्क में जंगल सफारी का आनंद ले सकते हैं। वहां आपको विविध प्रकार के वन्य प्राणी मिल जायेंगे।

यहां के अन्य आकर्षण में दक्ष महादेव मंदिर जो हरिद्वार से ४ km है ऐसी मान्यता है की यह जगह भगवान भोलेनाथ की ससुराल है और यहां माता सती के पिता महाराज दक्ष ने यज्ञ करवाया था और वहां भोलेनाथ को नहीं बुलाया गया था माता सती को अपने पति का अपमान बर्दाश्त नहीं हुआ और वो उसी यज्ञ कुंड में सती हो गई।
भारत माता को देवी रूप में मंदिर में देखने का सौभाग्य भी आपको हरिद्वार में ही मिलेगा भारत माता मंदिर में

हमारे गरुण पुराण के अनुसार सबसे पवित्र सप्तपुरियाँ हैं अयोध्या, माया(हरिद्वार), मथुरा, कशी, अवंतिका(उज्जैन), कांची, द्वारका। हालाँकि इन सब धार्मिक महत्वताओं के अलावा हरिद्वार प्राकृतिक रूप से बहुत ही खूबसूरत और समृद्ध शहर है। और यहां आकर आपको बड़ा ही सुकून मिलता है।

यहाँ होने वाली 7 बजे की गंगा आरती में ज़रूर जाएँ बड़ा ही अद्भुत नज़ारा होता है उस समय का ।वैसे अभी कोरोना काल में आप दिल्ली से रोडट्रिप का भरपूर लुत्फ़ ले सकते हैं और कुछ बदलाव के साथ खुद को और परिवार को सुरक्षित भी रख सकते हैं।

हरिद्वार को उत्तराखंड के चारों धाम केदारनाथ ,बद्रीनाथ ,गंगोत्री और यमुनोत्री का प्रवेश द्वार भी है साथ ही साथ इसके आसपास कई हिल स्टेशन और प्राकृतिक और मनोरम आकर्षण केंद्र भी हैं। तो देर किस बात की है हालात थोड़ा ठीक होते ही आप भी अपना प्लान करिये और अपने अनुभव हमसे जरूर साझा करें। हमे आपके सुझाव और प्रोत्साहन का बेसब्री से इंतज़ार रहेगा।

कभी तो उन्मुक्त परिंदा बन जाना चाहिए। 

birds flying above concrete bulding

दिल अगर रोए आँखों को खुल कर हंसाना चाहिए

कभी फाड़े थे जो डायरी के पन्ने फिर से उन्हें चिपकाना  चाहिए।
गैरों के कहने को हरदम हकीकत न समझ
कभी खुद की अक्ल भी लगाना चाहिए।

दीदारे जश्न में ही हरदम मज़ा क्या है
कभी शरीक होकर भी आजमाना चाहिए।
समंदर की लहरों से डरकर कब तक साहिल पर रहोगे
कभी तो हौसला भरकर गोते भी लगाना चाहिए।
ज़िंदगी की उलझनों में कब तक उलझे रहोगे
तोड़कर सारे बंधन को कभी तो उन्मुक्त परिंदा बन जाना चाहिए।

दिल्ली-एक भ्रमण राष्ट्रीय राजधानी के 10 ऐतिहासिक स्थल

आज भी लोग अपनी महत्वता बताने के लिए यही बताते हैं की हमारी पहुँच दिल्ली तक है। हिंदुस्तान के दिल कहे जाने वाली दिल्ली केंद्र शासित प्रदेश होने के साथ ही साथ पूरे भारत देश की शासन का केंद्र भी है। दिल्ली आज से नहीं पीढ़ियों से सत्ता का केंद्रबिंदु रही है यही कारण है की भारत पर राज ज़माने के लिए कई बार दिल्ली को उजाड़ा और बसाया गया । दिल्ली कई बार नष्ट होने के बावजूद हर बार एक नए उत्साह और उमंग से फिर अपनी रौनक बिखेरने लगती है।  इस बनने बिगड़ने की यात्रा के कारण दिल्ली अपने अंदर नवीनता के साथ पुरातत्व को भी समेटे हुए है और इसी विभिन्नता ने इसका पुराई दिल्ली और नई दिल्ली दो तरह का विभाजन अपने आप ही कर दिया।

         

 

यातायात व्यवस्था

राजधानी होने की वजह से यहां से पुरे देश की कनेक्टिविटी बहुत अच्छी है। रेलमार्ग, रोडट्रिप या वायुमार्ग किसी भी तरीके से आप दिल्ली आसानी से पहुँच सकते हैं। दिल्ली के अंदर विश्व प्रसिद्ध मेट्रोट्रैन और मेट्रोबस दोनों की व्यवस्था है जो बजट के साथ ही साथ आपकी सुविधा का ध्यान रखती है।

भारत विविधता में एकता वाला देश कहा जाता है और उसका जीता जागता उदहारण दिल्ली है यहां सभी धर्म के लोग उनको मांनने वाले लोग और उनसे जुड़े धार्मिक स्थल साथ ही साथ तरह तरह के बाजार जिसमे सभी वर्ग के लोग अपने हिसाब से खरीददारी कर सकते हैं।  वैसे तो दिल्ली प्रदूषण में भी पीछे नहीं है लेकिन फिर भी यहां आकर रहने वालों और यहां आकर घूमने वालों को कोई फर्क नहीं पड़ता । खाने पीने के की वैरायटी में भी यह बहुत तरह के ऑप्शन उपलब्ध हैं तो फूडी लोगों के लिए स्ट्रीट फ़ूड में भी दिल्ली वाकई धनी हैं।

राष्ट्रीय धरोहर

यहां घूमने के लिए भी बहुत सारे ऑप्शन उपलब्ध हैं सभी लोगो के पसंद के हिसाब से धार्मिक, पुराने समय के राजा महाराजाओं के किला और महल, बच्चों के लिए पार्क्स, हाट बाजार मेले सब कुछ आपको यहां मिल जाएगा।  आज हम बात करेंगे दिल्ली के मशहूर ऐतिहासिक जगहों की जिनका इसके इतिहास में मुख्य योगदान हैं। तो आइये शुरुआत करते हैं भारत की पार्लियामेंट यानी संसद भवन से ।

1.पार्लियामेंट यानी संसद

parliament

भारत की संसद या पार्लियामेंट देश की सर्वोच्च निकाय है। यह नई दिल्ली में है। यहां राष्ट्रपति दोनों सदनों राजयसभा और लोकसभा को सुचारु रूप से चलाने की ज़िम्मेदारी बखूबी निभाते हैं।

2.राष्ट्रपति भवन

panorama photo of secretariat building

यह नई दिल्ली में संसद मार्ग पर स्थित है यहां से महज़ ७५० मीटर की दूरी पर राष्ट्रपतिभवन है जो देश के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति का आवास होता है। सुरक्षा की दृष्टि से इसको सबको देखने नहीं मिलता अगर आपको यह अंदर से जाकर देखना हो तो पहले से ऑनलाइन बुकिंग होती है। इंडिया गेट, वॉर मेमोरियल और प्रधानमंत्री आवास सब इसके आसपास ही है।

राष्ट्रपति भवन में ही एक बड़ा सुन्दर बगीचा है जिसको मुग़ल गार्डन भी कहा जाता है यह फरवरी महीने में आम जनता के लिए खुला होता है आप ऑनलाइन बुकिंग करके यहां जाकर घूम सकते हैं।

3.लाल किला

red fort
मुग़ल वास्तुकला का बड़ा ही नायाब नमूना लालकिला हमारे देश की शान आज भी है। हमारे देश के प्रधानमंत्री १५ अगस्त को झंडा यही फहराते हैं। लाल बलुआ पत्थर से बना यह किला दिल्ली आने वाले हर इंसान की पहली पसंद होती है और सभी लोग इसको ज़रूर देखना चाहते हैं। आपको यहां संग्रहालय भी मिलेगा एवं पारम्परिक हस्तशिल्प और सजावटी सामान आदि यहाँ के मीणा बाजार में आज भी मिलता है ऐसा माना जाता है की मुग़ल शासक अपनी रानियों के लिए ये मीणा बाजार किले के अंदर ही लगवाते थ। ताकि उन्हें अपनी ज़रूरत का हर सामान किले में ही मिल जाये।

4.पुराना किला

purana kila
इस किले का निर्माण मुग़ल राजा शेरशाह सूरी द्वारा १५३८ में करवाया गया था। लगभग 5 मील में फैला यह किला इतिहास और वास्तुकला प्रेमियों के लिए स्वर्ग के सामान है। इसमें नौका विहार की व्यवस्था भी है। यह सप्ताह में सात दिन खुला रहता है और यहां प्रवेश के लिए कुछ शुल्क भी है तो यहां अनावश्यक भीड़ नहीं पाई जाती है।

5.इण्डिया गेट

brown concrete india gate
राष्ट्रपति भवन के पास ही प्रथम विश्व युद्ध के शहीदों की याद में वॉर मेमोरियल बनाया गया है। इस पर शहीदों के नाम भी लिखे हुए हैं। यहां पर जलने वाली अमर जवान ज्योति हमें इस बात की याद दिलाती है की आज हम अपने परिवार के साथ सुरक्षित हैं क्यूंकि हमारी सीमाओं पर न जाने कितने वीर सिपाही सर्दी, गर्मी, बारिश, तूफ़ान की परवाह किये बिना ड्यूटी क्र रहे हैं और न जाने कितने ऐसे ही जांबाज़ वीरगति को प्राप्त हो गए।

6.क़ुतुब मीनार

brown and beige concrete building near green trees
कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा बनवाई गई यह ईमारत दिल्ली की खूबसूरती में चार चाँद लगाती है। यह ईरानी वास्तुकला का अनूठा उदहारण है और इसे ूनेस्को विश्व विरासत स्थल में शामिल किया गया है। इसके नज़दीक ही एक लौह स्तम्भ है जिसकी खूबसूरती यह है की इसमें आज तक जंग नहीं लगी जबकि यह एकदम खुले आसमान के नीचे सभी मौसम झेल रहा है।

7.लोधी गार्डन

लोधी पार्क को आज़ादी से पहले लेडी विलिंग्डन पार्क के नाम से जाना जाता था। यह सफदरजंग मकबरे और खान मार्किट के पास स्थित एक रमणीय पर्यटन उद्यान है। इस खूबसूरत लोधी पार्क में सैय्यद शासक मोहम्मद शाह और लोधी वंश के राजा सिकंदर लोधी की कब्रें बनी हुई हैं।
खूबसूरत वातावरण के साथ ही साथ यहां पर सुबह लोधी गार्डन सप्ताह में सातो दिन सुबह ६ बजे से शाम ७ब्ज़े तक खुला रहता है और सबसे खास बात की यहां कोई प्रवेश शुल्क नहीं लगता है। लोधी गार्डन ९०एकड के क्षेत्र में फैला काफी खूबसूरत पार्क है। शाम व्यायाम करने के लिए भी जगह बनी हुई है।

8.जंतर मंतर


संसद मार्ग पर ही नई दिल्ली के कनॉट सर्किल में स्थित एक विशाल वेधशाला है जिसका नाम है जंतर मंतर। वेधशाला प्रयोगशाला को ही कहा जता है। यहां पर समय और स्थान के साथ ग्रह चाल आदि पर पहले के वैज्ञानिक प्रयोग करते थे और आश्चर्य की बात है की तब इतनी तकनीकी ज्ञान नहीं होने के बावजूद उनके निष्कर्ष हमेशा सही रहते थे। ऐसी ही वेधशालाएं आपको जयपुर, उज्जैन, वाराणसी और मथुरा में भी मिलेंगी।

9.नेहरू तारामंडल


अगर आप बच्चो के साथ दिल्ली घूम रहे हैं तो तीन मूर्ति भवन में बने तारामंडल को देखे बिना आपकी दिल्ली यात्रा पूरी कही ही नहीं जा सकती। हमारे देश के प्रथम प्रधामंत्री की याद में उनकी बेटी और देश की एकलौती महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने विज्ञानं विषय को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस तारा मंडल का निर्माण करवाया था। यहां जाकर ब्रम्हांड, तारों सितारों और खगोलीय घटनाओं से जुडी रोचक जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

10.नेशनल रेल म्यूजियम

यह जगह बड़े, बच्चो सभी को आकर्षित करती है। यह हमारी रेल विरासत के अब तक के सफर को बखूबी सम्हाले हुए है। यहाँ पर आपको सभी तरह के रेल के मॉडल और उनकी कार्य करने की तकनीकी साथ ही बनावट की बारीकियां सभी कुछ मिल जाएगा। साथ ही खिलौना रेल की सवारी भी मन को लुभाती है।

दिल्ली अपने नाम के अनुरूप ही खूबसूरत और विशाल है तो उसका भ्रमण आप एक दिन में नहीं कर सकते वैसे ही एक ब्लॉग में यहां की खूबसूरती कैद नहीं की जा सकती इसलिए यहां के धार्मिक स्थलों और बच्चो के पार्क के बारे में जानने के लिए आपको मेरा अगला ब्लॉग ज़रूर देखना चाहिए।

नव वर्ष में खुशियां हों, गम सारे छोड़ आए बीते साल में

 

woman sits on brown wooden swing bench on yellow petaled flower field

बीते हुए साल ने जाते जाते भी बहुत कुछ सीखा दिया

पहली दूसरी के बाद तीसरी कोरोना लहर भी ला दिया
मुश्किलें जब आई जीवन पर
तो कौन अपना कौन पराया बता दिया बीते साल ने
कई घरों के चिराग बुझे कइयों को अंतिम विदाई भी न मिली बीते साल में
जो चले गए उनकी याद हमेशा आएगी और गुजरी यादें हमें रुलाएंगी
लेकिन मुश्किलों से लड़कर जीतने की ताकत भी दे जाएंगीं
इतनी मुश्किलों में भी कुछ अच्छा भी था बीते साल में
लॉक डाउन ने हमको आत्मनिर्भर बनाया
हम खुद अपने सबसे बड़े मदगार हैं ये बताया बीते साल ने
परिवार के साथ और अपनों के बीच
रहने का सुअवसर दिया बीते साल ने
लाख मुश्किलें हो लेकिन जीने का ज़ज़्बा रखना है
सबको खुश रखकर खुद भी स्वस्थ और खुश रहना है

नव वर्ष में खुशियां हों, गम सारे छोड़ आए बीते साल में
इन्ही शुभकामनाओं के साथ नूतनवर्ष मंगलमय हो।