Romantic comedy movie jisne cinema ke bad ott pr bhi dhoom machai hai रोमांटिक कॉमेडी फिल्म जिसने सिनेमा के बाद ओटीटी पर भी धूम मचाई है

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अमेज़न प्राइम पर हाल ही में एक मूवी रिलीज़ हुई जो सिनेमा में तो मई से ही चल रही थी लेकिन ओ टी टी पर अब आई लेकिन कहते हैं न इंतज़ार का फल मीठा होता है वैसे ही छुट्टियों के सीजन में यह मूवी भी मिठास लेकर आई है जो बेरोजगार युवा का दुःख दिखाने के साथ ही साथ हमारे समाज में सरकारी नौकरी के लिए कितनी मारा मारी है है ये भी दर्शाती है। एक सरकारी नौकरी किसी की शादी का सवाल हो सकती है तो किसी की जान की कीमत भी।
ज्यादा सस्पेंस न बनाते हुए हम मूवी का नाम बता ही देते हैं ये मूवी है भूल चूक माफ । राजकुमार राओ,वामिका गब्बी, रघुबीर यादव ,संजय मिश्रा ,सीमा पाहवा और ज़ाकिर हुसैन जैसे कलाकारों से सजी ये मूवी आपको आखिरी तक बांधे रखेगी।
कहानी है बाबा विश्वनाथ की नगरी बनारस से जहा २ प्रेमी युगल रंजन और तितली शादी करने के लिए इतने बेकरार हैं की घर से भागने के इरादे से निकलते तो हैं लेकिन घर वालो का ध्यान आते ही लौट भी आते हैं। लेकिन तब तक मामला पुलिस थाने में जा चूका होता हैं और वहां पर सेटलमेंट होता है की अगर २ महीने में रंजन की सरकारी नौकरी लग जाती है तो ये शादी होगी अन्यथा तितली को घर वालो की मर्ज़ी से अपना फूल चुनना होगा। यहां फूल का मतलब जीवन साथी से है। अब भारत में सरकारी नौकरी और बेरोजगार का साथ तो टॉम एंड ज़ेर्री के रिश्ते जैसा है दौड़ता तो बहुत है लेकिन हाथ कुछ नहीं आता और उसमे भी २ महीने की समय बाध्यता ये तो वैसे ही हुआ जैसे एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा।रंजन बाबू पहले भोलेनाथ के पास पहुँचते हैं उनको किसी ने बताया की मन्नत मांगने से काम पूरा होता है लेकिन उन्हें समझ ही नहीं आया की मन्नत में क्या माँगा जाय तो एक पंडित जी से मिलते हैं और उनके परामर्श अनुसार कुछ भलाई का काम करने की मन्नत मांगकर चले आते हैं। ऐसे में सब कुछ कर चुकने के बाद रंजन बाबू को घोड़ी चढ़ने का एक ही रास्ता नज़र आता है वो है जुगाड़।
कुछ ले दे कर मामला सेटल किया जाय लेकिन उसके लिए भी कोई ईमानदार इंसान चाहिए जो बेईमानी का काम ईमानदारी से करवा सके ।

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हां पर एंट्री होती है भगवान दास की,नाम से कंफ्यूज मत होइएगा, ये भगवान वास्तव में एक इंसान हैं जो बेरोजगारों के लिए भगवान का काम कर रहे सरकारी नौकरी लगवाने का वो भी पैसे का चढ़ावा लेकर । तो बात सेट होती है 2 लाख एडवांस और बाकि नौकरी लगने के बाद। लेकिन बेरोजगार युवा 2 लाख भी कहाँ से लाये। ऐसे में फिर तितली जी प्रेम में अंधी होकर माँ का हर गिरवि रखती हैं और अपनी शादी का रास्ता खोलती हैं।नौकरी फिक्स होते ही शादी की तारिख ३० निकाल दी जाती है

लेकिन यहां आता है कॉमेडी का तड़का जिसमे रंजन 29 में ही अटका। कहानी का ट्विस्ट और सामाजिक सन्देश लिए हुए भाग अब शुरू होता है जहाँ रंजन एक युवा को डूबने से बचाकर किनारे लाता है और उस से बात करके उसको समझ आता है की जो नौकरी उसके लिए सिर्फ छोकरी तक पहुँचने का जरिया थी वो किसी की ज़िंदगी और मौत का सवाल है और इससे भी बड़ा झटका तब लगता है जब भगवान दास ये बताते हैं की ये वही कैंडिडेट हैं जिसका नाम हटाकर रंजन की नौकरी फिक्स हुई है।

अब सब कुछ जानते हुए भी रंजन चुपचाप घोड़ी चढ़कर अपनी सरकारी नौकरी के साथ छोकरी वाला रास्ता चुनेगा या किसी बेकसूर की जान बचाकर उसका हक़ वापस देकर एक सभ्य संस्कारी और ज़िम्मेदार नागरिक होने का कर्तव्य निभाएगा जिसमे वो खाली हाथ रह जाए इसके चांस बहुत ज्यादा हैं। ये आपको मूवी देखकर ही पता चलेगा।

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