Indian spices
हल्दी, दालचीनी, तुलसी, cardamom,bay leaves
लहसुन. औषधीय गुणों का खज़ाना
भारतीय मसालों ने दुनिया भर में अपना डंका मचा रखा है। भारतीय मसाले अपने स्वाद के लिये तो जाने ही जाते हैं वहीं इनमें कई स्वास्थ्य वर्धक तत्व भी पाए जाते हैं जिनके बारे में जानकारी का अभाव रहता है।
वानस्पतिक वर्गीकरण (Botanical classification) अपवाद के साथ
आमतौर पर हर भारतीय रसोई में पाया जाने वाला सफेद रंग का लहसुन वास्तव में प्याज की ही प्रजाति का सदस्य है। इसका वैज्ञानिक नाम एलियम सटाईवम है। और यह भले ही मसालो की तरह प्रयोग किया जाता हो लेकिन यह एक सब्जी् है जिसमे जड़ ,तना और पत्तियां सब पाये जाते हैं और यह लहसुन की सबसे निराली बात है कि यह सब्जी होते हुए भी बहुत कम मात्रा में प्रयोग की जाती है।
उपयोग (uses)
कोलेस्ट्रॉल बढ़ रहा हो या डायबेटीज़ या फिर सर्दी ज़ुकाम लहसुन सभी रोगों में कारगर है इसको प्रयोग करने के तरीकों में बदलाव हो सकता है जैसे कि सब्जी या दाल का तड़का बिना लहसुन के अधूरा है वहीं छोटे बच्चों को सर्दी से बचाने के लिए सरसों तेल में लहसुन और अजवाइन डालकर उबालकर उस तेल को गुनगुना ही लगाने से काफी राहत मिलती है। ऐसा माना जाता है कि अगर आप इसको कच्चे रूप में खा सकते हैं तो और भी बेहतर है।
फायदे (Benefits)
लहसुन हमारे शरीर को ऐसी क्षमता प्रदान करता है जिससे हमारा शरीर कई बीमारियों से लड़ने के लिए सक्रिय रूप से कार्य करता है। लहसुन में एंटीबायोटिक, एंटीवायरल और एंटीफंगल गुण पाए जाते हैं। लहसुन दवा का काम भी करता है और सुंदरता बढ़ाने में मददगार है।
पोषक तत्व (Nutritional elements)
लहसुन में कैल्शियम, फॉस्फोरस, लौह तत्व, विट सी जैसे तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं।लहसुन की एक अपनी ही सुगंध होती है जो कई लोगों को आकर्षित भी करती हैं तो कुछ लोगों को बेचैन भी करती है। गार्लिक ब्रेड एक ऐसा ही स्नैक्स है जो गार्लिक की वज़ह से ही मशहूर है। लहसुन कैंसर रोधी होता है एवम खून को तरल रखता है।
सरंक्षित रूप (Preservative forms)
लहसुन को घर में लम्बे समय तक इसके प्राकृतिक रूप में नहीं रख सकते और इसको फ्रिज में भी कुछ समय के लिए ही रख सकते हैं इसलिए इसका अचार, चटनी बनाकर रख सकते हैं और सिरके में भी इसका प्रयोग किया जाता है जो कि पाचन के लिए काफी बढ़िया होता है।
काली मिर्च (Black pepper)
आमतौर पर हर भारतीय रसोईं में काले रंग का छोटा सा खुरदुरा मसाला जिसे हम काली मिर्च कहते हैं बड़े काम का है। यह सिर्फ खाने का स्वाद ही नहीं बढ़ाता बल्कि इसमें कई औषधीय गुण भी पाए जाते हैं। वैसे तो सर्दी-खाँसी में हम सभी इसका इस्तेमाल करते हैं इसके अलावा कुछ और गुणों का भी ज़िक्र आज हम करेंगे।
काली मिर्च में विटामिन ए, सी, और सेलीनियम जैसे तत्व पाए जाते हैं जो संक्रमण से बचाते हैं और इम्युनिटी बूस्ट करने में मदद करते हैं।
फायदे
काली मिर्च कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है।
काली मिर्च पाचन में मदद करता है।
इसमें पिपरिन नामक तत्व होता है। यह सेरोटोनिन नामक रसायन स्रावित करता है जो मूड को ठीक करता है और तनाव कम करता है।
गुड़ के साथ काली मिर्च का सेवन करने से मेटाबोलिज्म बढ़ता है जो भूख बढ़ाने में मददगार है।
काली मिर्च सर्दी-जुकाम को ठीक करने में मदद करती है।
काली मिर्च का तेल त्वचा पर लगाने से शरीर को गर्माहट मिलती है जिससे रक्त संचार सुचारू रूप से होता है।
भारतीय मसाले न सिर्फ खुशबू बढ़ाएँ बल्कि खाने में भी जान डाल दें
भारतीय मसाले जिनका नाम सुनते ही न सिर्फ रंग-बिरंगे मसाले आँखों के सामने नाचने लगते हैं, बल्कि मुँह में भी पानी आ जाता है। ये मसाले किसी बेस्वाद से खाने में भी जान डाल देते हैं। कोई भी भारतीय व्यंजन बिना मसालों के पूरा नहीं होता चाहे मसाले साबुत रूप में प्रयोग किये गए हों या फिर पाउडर के रूप में।
आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि भारत न केवल मसालों का प्रयोग करने में अग्रणी है, बल्कि इसके निर्यात में भी सबसे आगे है। विश्व के कुल मसालों का 70% भारत में पैदा होता है।
ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले पुर्तगाल ने भारत को मसालों की वजह से ही खोज निकाला था और सालों तक दूसरे देश भारत से मसालों का व्यापार करते रहे। हमारे देश के केरल राज्य को States of spice का दर्जा मिला हुआ है और वहाँ के एक शहर कोझिकोड को मसालों का शहर कहते हैं। भारतीय मसाला अनुसंधान केन्द्र (IISRC) भी कोझिकोड में ही है।
मसाले न सिर्फ भोजन का स्वाद बढ़ाते हैं बल्कि इनमें कई औषधीय और रासायनिक गुण भी होते हैं, जिनमें कुछ पर हम अपने लेख में बता रहे।
केसर को मसालों का राजा और धनिया को मसालों की रानी कहते हैं।
अदरक, इलायची, लौंग, काली मिर्च, ज़ीरा, जायफल, जावित्री, तेज़ पत्ता,धनिया, तुलसी, हल्दी, दालचीनी, केसर, लहसुन, सौंफ आदि। ये कुछ ऐसे मसालों के नाम हैं जिनसे हम सब परिचित हैं और अपने रोज़ के खाने में इनका प्रयोग करते हैं। क्या हम इनके सभी फ़ायदों और नुकसान से भी भली-भाँति परिचित हैं ?
मसालों का प्रयोग अगर उचित मात्रा में करें तो न केवल हम खुद और अपने परिवार को स्वस्थ रख पाएँगे बल्कि अपनी इम्युनिटी बढ़ाकर तमाम रोगों से बचे रहेंगे। इसके लिए हमें अपने मसालों में पाए जाने वाले तत्वों और उसके फायदों की जानकारी होना आवश्यक है। जिनके बारे में मैं एक-एक करके अपने ब्लॉग्स के द्वारा समय-समय पर लिखती रहूँगी। आपके सुझाव और सहयोग से मुझे भी सहायता मिलती रहेगी।
Bay leaves (Tez patta)
In Indian kitchen tempering is most useful work done in cooking of any dish. We take care always that our food will be nutritious as well as tempering. When our tongue will allow entering food then it will go into stomach.
In list of spices Bay leaves or can say Tez patta is very important for aroma as well as taste.
Presence of vitamin A, C, folic acid and a lot of minerals like calcium, magnesium makes it nutrient dense herb.
Bay leaves are used in powdered form in garam masala or used within muslin cloth when used in leaves form because leaves can’t be digested and can create problems in digestive tissue.
Bay leaves are antibacterial in nature as well as anti inflammatory.
They have proven effective in migraine treatment.
Bay leaves contain enzymes that help in protein digestion.
Bay leaves are used as an alternative traditional treatment for lowering blood pressure.
When consumed before sleeping it act as sedative, gives a cool and refreshing sleep.
As it is in leaf form rodents like rat may got damage their digestive system or choked their food tube when swallowed or eaten.
Cardamom (Elaichi)
Cardamom is 3rd most precious spice after vanilla and saffron. It is specially known for its intense smell as well as for many medicinal values.
It is also belongs to family zingiberaceae same as ginger, turmeric and galangal.
In our Indian societies “Elaichi chai” is very famous and compulsory beverage.
With flavor enrichment cardamom has many beneficial values in it, some of them are:-
- Cardamom has antibacterial properties by which it is very helpful in getting rid from bad smell of mouth as well as cavities. As well as it limits the growth of bacteria, fungus and viruses specially in throat area.
- Cardamom has anti inflammatory properties that helps in relieving pain of muscles, swapping etc.
- Cardamom helps in digestion as well as in getting rid of vomiting, nausea.
- Cardamom is Anti oxidant and diuretic in nature, which helps in detoxification of body as well as in lowering blood pressure.
- Cardamom is helpful in maintaining good cholesterol level.
- Cardamom oil have good smell and cool in nature so by taking massage of oil we feel relax and sleeping problems may gone.
- Intake of cardamom helps in loosing weight because it boosts our body metabolism.
Some side effects of cardamom
There is no such harmful effects are found using cardamom. Some variance may be seen to person to person.
- Cardamom is diuretic (increase urination) in nature, so it may cause dehydration (low fluid content) and low blood pressure if taken in more quantity.
- Nausea and surgery related symptoms of indigestion can’t be treated by cardamom.
Want good digestion! Try Cumin
It is actually seed of a flowering plant in the family Apiaceae. It is an integral part of our kitchen spices especially in curries and vegetables.
It is very famous in our Indian houses and if you start your day from Jeera water you will never face problems related to digestive system and glowing face will be in free with this trick.From scientific view Jeera has thymol, a chemical which stimulates the pancreas to stimulate enzymes and bile.Jeera water is used for reducing weight as it stimulates our metabolism.
Jeera helps in constipation, bloating and detoxification of our body. It’s main benefit is that it can be taken in any form and any time as it is easily available in our home. In our home black salt is mixed with roasted Jeera powder is all time favourite for all from kids to old aged persons.
Jeera water is healthiest drink ever known. Jeera has a antiseptic, anti inflammatory as well as anti ageing properties with plenty of Iron and fibres.
मैं तुलसी तेरे आंगन की
तुलसी का हमारे भारतीय समाज खासकर हिन्दू धर्म में बड़ा ही महत्व है l हिन्दुओं में शायद ही कोई ऐसा घर मिले जिसके आँगन या बालकनी में तुलसी का पौधा न मिले। हिन्दुओं के प्रत्येक शुभ कार्य में, भगवान के प्रसाद में तुलसी-दल का प्रयोग होता है । पौराणिक महत्व के अलावा तुलसी वैज्ञानिक महत्व भी रखती है।
प्रचलित पौराणिक कथाओं के अनुसार देव और दानव द्वारा किए गए समुद्र मंथन के समय जो अमृत धरती पर छलका उसी से तुलसी की उत्पत्ति हुई।ब्रह्म देव ने उसे भगवान विष्णु को सौंपा। इसलिए ये विष्णु प्रिया भी कहलाती हैं। वैसे तो वर्ष भर ही तुलसी की पूजा की जाती है लेकिन कार्तिक मास में विशेष तौर से इनको पूजा जाता है और इसी माह में एकादशी को तुलसी विवाह भी सुहागन स्त्रियों द्वारा किया जाता है।
पौराणिक महत्व
1 – तुलसी की माला गले में धारण करने से शरीर में विद्युत शक्ति का संचार अच्छा होता है । जीवन शक्ति बढ़ती है, शरीर में ओज-तेज बना रहता है ।
2 – तुलसी की माला धारण करके किया गया शुभ कर्म अनंत फल देता है ।
3 – तुलसी के निकट रहने से मन शांत रहता है, क्रोध जल्दी नहीं आता ।
4 – मृतक व्यक्ति के मुँह में तुलसीदल और गंगाजल डालने से उसकी सद्गति होती है ।
5 – तुलसी की लकड़ी से शरीर का दाह संस्कार किया जाये तो उसका पुनर्जन्म नहीं होता ।
6 – ‘गरुड़ पुराण’ के अनुसार ‘तुलसी का वृक्ष लगाने, पालन करने, सींचने तथा ध्यान, स्पर्श और गुणगान करने से मनुष्यों के पूर्व जन्मार्जित पाप जलकर विनष्ट हो जाते हैं ।’
7 – मात्र भारत में ही नहीं वरन् विश्व के कई अन्य देशों में भी तुलसी को पूजनीय व शुभ माना गया है । ग्रीस में इस्टर्न चर्च नामक सम्प्रदाय में तुलसी की पूजा होती थी और सेंट बेजिल जयंती के दिन ‘नूतन वर्ष भाग्यशाली हो’ इस भावना से देवल में चढ़ाई गयी तुलसी के प्रसाद को स्त्रियाँ अपने घर ले जाती थीं ।
वैज्ञानिक महत्व
विज्ञान के अनुसार घर में तुलसी-पौधे लगाने से स्वस्थ वायुमंडल का निर्माण होता है । तुलसी का वैज्ञानिक नाम औसीमम सैंक्टम है। मुख्य रूप से दो प्रकार की तुलसी मिलती है जिसे राम तुलसी और श्याम तुलसी कहते हैं। तुलसी से उड़ते रहने वाला तेल आपको अदृश्य रूप से कांति, ओज और शक्ति से भर देता है । अतः सुबह-शाम तुलसी के नीचे धूप-दीप जलाने से नेत्रज्योति बढ़ती है, श्वास का कष्ट मिटता है । तुलसी के बगीचे में बैठकर पढ़ने, लेटने, खेलने व व्यायाम करने वाले दीर्घायु व उत्साही होते हैं । तुलसी उनकी कवच की तरह रक्षा करती है ।
इसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं जिनमें से कुछ निम्न हैं:-
1 – सर्दी-खांसी में तुलसी, काली मिर्च, गुड़, हल्दी एवं अदरक या सोंठ को पानी में अच्छे से उबालकर पीने से तुरंत असर दिखता है।
2 – तुलसी त्वचा के लिए काफी लाभदायक होती है। यह कील-मुँहासों में बहुत फायदेमन्द है।
3 – दस्त पड़ रही हो तो तुलसी में जीरा पीसकर पाउडर रूप में लेने से फायदा होता है।
4 – तुलसी की पत्तियों को चबाने से मुँह की बदबू गायब हो जाती है और चूँकि यह प्राकृतिक है तो किसी तरह का नुकसान भी नहीं होता।
5 – तुलसी माहवारी को भी नियमित करती है।
6 – कुछ शोधों में पाया गया है कि तुलसी कैंसर में भी लाभदायक है, हालांकि इसकी पूर्ण पुष्टि नहीं हुई है। कफजन्य रोग, दमा, अस्थमा आदि रोगों में भी तुलसी वरदानस्वरूप है ।
7 – तुलसी के पत्तों को जल में डालने से जल सुगंधित व तुलसी के समान गुणकारी हो जाता है । यदि पानी में उचित मात्रा में तुलसी-पत्ते डालकर उसे शुद्ध किया जाए तो उसके सारे दोष समाप्त हो जाते हैं । यह पानी शरीर को पुष्ट बनाता है तथा मुख का तेज, शरीर का बल एवं मेधा व स्मरण शक्ति बढ़ाता है ।
8 – फ्रेंच वैज्ञानिक डॉ. विक्टर रेसिन ने कहा कि इससे हिमोग्लोबिन बढ़ता है, लिवर नियंत्रित होता है, कोलेस्ट्रोल कंट्रोल होता है । कई प्रकार के बुखार मलेरिया, टाइफाइड आदि दूर होते हैं । हृदय रोगों में विशेष लाभकारी है ।
9 – एक अध्ययन के अनुसार ‘तुलसी का पौधा उच्छ्वास में ओजोन वायु छोड़ता है, जो विशेष स्फूर्तिप्रद है । तुलसी के पत्तों में एक विशिष्ट तेल होता है जो कीटाणुयुक्त वायु को शुद्ध करता है ।
10 – डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन के वैज्ञानिकों द्वारा किये गये अनुसंधानों से यह सिद्ध हुआ है कि ‘तुलसी में एंटी ऑक्सीडंट गुणधर्म है और वह आण्विक विकिरणों से क्षतिग्रस्त कोषों को स्वस्थ बना देती है । कुछ रोगों एवं जहरीले द्रव्यों, विकिरणों तथा धूम्रपान के कारण जो कोषों को हानि पहुँचाने वाले रसायन शरीर में उत्पन्न होते हैं, उनको तुलसी नष्ट कर देती है ।’
इस प्रकार तुलसी बड़ी पवित्र एवं अनेक दृष्टियों से महत्वपूर्ण है । यह माँ के समान सभी प्रकार से हमारा रक्षण व पोषण करती है । जहाँ तुलसी के पौधे होते हैं, वहाँ की वायु शुद्ध और पवित्र रहती है ।
हल्दी..फायदे और नुकसान
आमतौर पर हर भारतीय रसोई में मिलने वाला पीले रंग का पाउडर जिसको हम हल्दी कहते हैं एक भारतीय वनस्पति है।यह अदरक की प्रजाति का 5-6 फुट तक बढ़ने वाला पौधा है जिसमें जड़ की गाठों में हल्दी मिलती है।औषधि ग्रंथों में इसे हल्दी के अतिरिक्त हरिद्रा, कुरकुमा लौंगा, वरवर्णिनी, गौरी, क्रिमिघ्ना योशितप्रीया, हट्टविलासनी, हरदल, कुमकुम नाम दिए गए हैं।आयुर्वेद में हल्दी को एक महत्वपूर्ण औषधि कहा गया है।
- लैटिन नाम : करकुमा लौंगा (Curcuma longa)
- अंग्रेजी नाम : टर्मरिक (Turmeric)
- पारिवारिक नाम : जिन्जिबरऐसे
हल्दी के कुछ मुख्य गुण:-
हल्दी में जीवाणुओं को मारने की अद्भुत क्षमता होती है, इसलिए इसको जीवाणुरोधी (Antibacterial) भी कहते हैं।यह सूजन रोधी (Anti inflammatory) और Antiseptic भी होती है।
हल्दी में पाए जाने वाले तत्व:-
हल्दी में एक विशेष प्रकार का उड़नशील तेल होता है जिसकी मात्रा 5.8% होती है।इसमें करक्यूमिन नामक पीत रंजक द्रव्य पाया जाता है,इसी की वजह से हल्दी का रंग पीला होता है।यह द्रव्य कैंसर कोशिकाओं पर जबरदस्त असर दिखाता है एवं रक्त की धमनियों में एकत्र कोलेस्ट्रॉल को घोलने की क्षमता रखता है।इसके अतिरिक्त हल्दी में विटामिन ए, प्रोटीन 6.3%, कार्बोहाइड्रेट 69.4% और खनिज तत्व 3.5% मात्रा में होते हैं।
हल्दी के फायदे:-
- इसको गर्म दूध में मिलाकर पीने से दर्द से निजात मिलती है चाहे जिस प्रकार का दर्द हो।
- दूध में हल्दी मिलाकर पीने से इम्युनिटी बढ़ती है साथ ही साथ शरीर में जमा चर्बी भी पिघलती है।
- हल्दी हमारे लिवर को फिट रखने में मदद करती है और हमारे शरीर को डिटॉक्स करती है।
- हल्दी गठिया रोगियों के लिए भी लाभकारी है।
- अभी खोज में पाया गया कि हल्दी कैंसर के उपचार में भी लाभदायक है।
- जैसा कि विदित है कि हल्दी की तासीर गर्म होती है तो उचित मात्रा में और सही तरीके से न ली जाए तो नुकसान भी करती है।
- हल्दी त्वचा सम्बन्धित उपचार में भी उपयोगी है।
- हल्दी सर्दी-जुकाम में भी काफी लाभकारी है।
हल्दी के नुकसान:-
सिर्फ प्राकृतिक और औषधीय गुणों से युक्त होना ही यह साबित नहीं करता कि यह पूरी तरह सुरक्षित है।गर्भवती महिलाओं एवं गॉल ब्लेडर / किडनी स्टोन वालों को हल्दी बहुत सावधानी से उपयोग करना चाहिए..
कई मामलों में हल्दी में उपस्थित ऑक्सलेट, पथरी का मुख्य कारण पाया गया है।
दालचीनी ..नाम के साथ गुण भी अनोखे
भारत देश आयुर्वेदिक औषधियों से भरपूर है l न जाने कितनी औषधियों को हम बिना उनके गुणों को जाने अपने रसोई के मसालों में प्रयोग करते हैं, उन्हीं में से एक है दालचीनी।इसको अंग्रेजी में Cinnamon बोलते हैं।
परिचय:-
दालचीनी एक छोटा सदाबहार पेड़ है जो 10-15 मीटर ऊंचा होता है।
अगर आपको रसोई का थोड़ा भी अनुभव है तो दालचीनी आपने ज़रूर देखी होगी।लकड़ी की छाल के जैसे दिखने वाली यह वस्तु कितनी गुणकारी है यह हम आज आपको बताते हैं।यह अपने अलग स्वाद और महक की वजह से कई खाद्य पदार्थों में मिलाया जाता है।
यह लौरेसिई परिवार का है।
दालचीनी के पौष्टिक गुण:-
दालचीनी में सबसे ज्यादा कार्बोहाइड्रेट 80.5% होता है साथ ही साथ प्रोटीन, वसा, शुगर, मिनरल्स, विटामिन्स भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।इसमें विटामिन ए,बी,सी,ई सभी थोड़ी-थोड़ी मात्रा में मिलते हैं।
दालचीनी के फायदे:-
1 – गर्म दूध में दालचीनी मिलाकर पीने से हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता तो बढ़ती ही है साथ ही साथ नींद भी बहुत अच्छी आती है..आजकल नींद न आने की समस्या से ज़्यादातर लोग पीड़ित हैं।
2 – दालचीनी खूबसूरत बालों और त्वचा के लिए उपयोगी है।
3 – दूध में मिलाकर पीने से हड्डियाँ मजबूत होती हैं।
4 – दूध में दालचीनी मिलाकर पीने से पाचन शक्ति मज़बूत होती है।
5 – देखा गया है कि दूध में दालचीनी मिलाकर पीने से ब्लड शुगर लेवल भी नियंत्रित रहता है।
6 – दालचीनी में एन्टी फंगल गुण होता है तो यह हमारे शरीर को फंगल संक्रमण से बचाने में भी मदद करता है।
7 – दालचीनी के घरेलू उपयोग को मस्तिष्क के लिए काफी फायदेमंद पाया गया।यह ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करके मस्तिष्क को स्वस्थ बनाता है।
8 – चूहों पर किए गए एक शोध में पाया गया कि दालचीनी में कैंसर की कोशिकाओं के विकास को कम करने और फैलने से रोकने के तत्व मिलते हैं।
9 – दालचीनी वज़न नियंत्रण में भी काफी कारगर है।
10 – श्वसन संबंधित कई बीमारियों जैसे ब्रोंकाइटिस में इसके फायदे दिखे हैं।
दालचीनी के नुकसान:-
दालचीनी को ज्यादा मात्रा में खाने से कई नुकसान भी होते हैं।जिसमें से कुछ निम्न हैं –
1 – दालचीनी की ज्यादा मात्रा शरीर का ग्लूकोज स्तर कम कर सकती है जिससे व्यक्ति ऊर्जाहीन महसूस करता है।
2 – लिवर संबंधित समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है।
3 – पेट संबंधी बीमारियां भी हो सकती हैं।
4 – दालचीनी की तासीर अम्लीय होती है जिससे हमारे दाँत प्रभावित होते हैं।
5 – कई लोगों को दालचीनी से एलर्जी भी होती है।