Lifestyle

नव वर्ष में खुशियां हों, गम सारे छोड़ आए बीते साल में

 

woman sits on brown wooden swing bench on yellow petaled flower field

बीते हुए साल ने जाते जाते भी बहुत कुछ सीखा दिया

पहली दूसरी के बाद तीसरी कोरोना लहर भी ला दिया
मुश्किलें जब आई जीवन पर
तो कौन अपना कौन पराया बता दिया बीते साल ने
कई घरों के चिराग बुझे कइयों को अंतिम विदाई भी न मिली बीते साल में
जो चले गए उनकी याद हमेशा आएगी और गुजरी यादें हमें रुलाएंगी
लेकिन मुश्किलों से लड़कर जीतने की ताकत भी दे जाएंगीं
इतनी मुश्किलों में भी कुछ अच्छा भी था बीते साल में
लॉक डाउन ने हमको आत्मनिर्भर बनाया
हम खुद अपने सबसे बड़े मदगार हैं ये बताया बीते साल ने
परिवार के साथ और अपनों के बीच
रहने का सुअवसर दिया बीते साल ने
लाख मुश्किलें हो लेकिन जीने का ज़ज़्बा रखना है
सबको खुश रखकर खुद भी स्वस्थ और खुश रहना है

नव वर्ष में खुशियां हों, गम सारे छोड़ आए बीते साल में
इन्ही शुभकामनाओं के साथ नूतनवर्ष मंगलमय हो।

Everything you need to know about reindeers of Santa

shallow focus photography of white deer christmas tree ornament
 

Merry Christmas to all. Today when my 6 years daughter was listening a song Rudolph the red nosed reindeer in her online classes, then she asked me mammaa Santa Claus has many reindeer in his vehicle why only one is mentioned in this song and whats name of others reindeer. Ever thought about it.

The child curiosity and as being believer in all religions, this question forced me think about getting the details. After some research i found some interesting answer. so thought about sharing with you all.

Santa originally had 8 reindeers named Dasher, Dancer, Prancer, Vixen, Comet, Cupid, Donner, Blitzen and it was until 1939 that Rudolph came into the scene to make 9.

brown deers
Dasher
Reindeer Personality trait Skill
Dasher He loves to go fast! Sewing
Dancer Completely extroverted All kinds of dance
Prancer A bit vain, though affectionate Prancing
Vixen Slightly tricky Magic
Comet Handsome and easy-going Good with kids
Cupid Affectionate Bringing people together
Donner Loud Singing
Blitzen Fast as a bolt! Can electrify others
Rudolph A little down on himself Nose glows
So isn’t it interesting.
Now here goes another.
Are Santa’s Reindeer Female or Male?
Santa’s reindeer are typically portrayed as male in pop culture (Rudolph is referred to as a “him” in the song), but according to two professors at the University of Edinburgh, Santa’s reindeer are actually all female because male reindeer shed their antlers during the winter, while female reindeer retain their antlers, and Santa’s reindeer are always depicted with antlers. Male reindeer also lose nourishment and vitality during the winter months, so only the females are strong and healthy enough to pull a sleigh full of toys.

Now my further interest brought to interesting revelations for Santa Claus, also known as Father Christmas, Saint Nicholas, Saint Nick, Kris Kringle, or simply Santa, is a legendary character originating in Western Christian culture who is said to make lists of children throughout the world, categorizing them according to their behavior, and bringing gifts on Christmas Eve of toys and candy to well-behaved children,and coal to naughty children. He is said to accomplish this with the aid of Christmas elves, who make the toys in his workshop at the North Pole, and flying reindeer who pull his sleigh through the air.

The modern character of Santa Claus was based on traditions surrounding the historical Saint Nicholas (a fourth-century Greek bishop and gift-giver of Myra), the British figure of Father Christmas, and the Dutch figure of Sinterklaas (also based on Saint Nicholas). Like other gift-bearing figures of the season, Santa Claus also absorbed elements of the Germanic deity Odin, who was associated with the pagan midwinter event of Yule and led the Wild Hunt through the sky.

person wearing santa claus outfit while holding christmas gifts
Santa Claus is generally depicted as a portly, jolly, white-bearded man, often with spectacles, wearing a red coat with white fur collar and cuffs, white-fur-cuffed red trousers, red hat with white fur, and black leather belt and boots, carrying a bag full of gifts for children. He is commonly portrayed as laughing in a way that sounds like “ho ho ho”. This image became popular in the United States and Canada in the 19th century due to the significant influence of the 1823 poem “A Visit from St. Nicholas.” Caricaturist and political cartoonist Thomas Nast also played a role in the creation of Santa’s image.

So every festival have marvelous characters and even more interesting stories behind them. And they gives us reasons to be joyous and share time with our dear ones. So let the winter and mood of festival over take you and enjoy the eve with loved ones. Again Merry Christmas to all.

डायरी के पन्नों से

 

है बारिश का मौसम और वीरानी सी डगर

डरता है दिल कैसे पूरा होगा सफ़ऱ

है मज़बूत इच्छाशक्ति और पैनी नज़र

पर फिर भी न जाने कैसा है ये डर

झूठा ही सही कोई साथ तो दे इस कदर

तुम चलो  हर कदम पर साथ है तुम्हारा हमसफर

ममता की मूरत और प्यार का समंदर

फिर भी प्यासा है मेरा मन अति भयंकर

कुछ लोगों का न होना भी अहसास कराता है उनकी फ़िकर

और कुछ लोग साथ होकर भी कितने  होते हैं बेफिकर

आज तक खुद को खुद से जगाते आए हैं

बड़ी मुद्दतों के बाद वो मेरे दर पर जगाने आए हैं

कहते हैं खुश हैं वो अपनी ज़िंदगी में

हम तो खुश हैं केवल उनकी बंदगी में।

कैसे मानूँ मैं की प्यार एक बार होता है ज़िंदगी में

मैंने तो जब जब देखा उन्हें हर बार पिछली बार से ज्यादा चाहा।

कुछ चाहतों के मुकद्दर में बस डायरी के पन्ने होते हैं

जख्म भी खुद के होते हैं और इलाज़ भी खुद से होते हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

कुछ अधूरे से ख्वाब

कुछ अनकहे अनसुने से फ़क़त बन्द आँखों में

उभरी कुछ लकीरों तक ही रह गए

कुछ अनबुने अधूरे से वो ख्वाब

कई कई बार अधूरी नींद में मांगते वो मुझसे जवाब

जो जुनून में थे शामिल जिनके लिए

हद से गुज़र जाने की थी तमन्ना

आज भागते फिरते हैं उनकी एक परछाई से

न जाने कौन से मोड़ पर सामने हो कोई

दूर मंजिल लम्बा सफर है

साथ केवल मैं और मेरी ही परछाई

नसीब में मेरे अपनों की है रुसवाई

शिकायत और किससे ही करू मैं

नहीं कोई कहीं भी है मेरी सुनवाई

दोष किसका भी नहीं और न ही कोई है पुछवाई

अब है केवल बढ़ते रहना

एक मंजिल ना सही रास्ते और भी हैं

खुद से सोचो खुद को समझो

है बहुत से और भी तरीके

खुद को जिस दिन जान लोगे

अपनी कुछ ठान लोगे

होगी पूरी कायनात संग

जीत जाओगे तुम फिर हर जंग

मैट्रेस पसंद करते समय की कुछ आवश्यक बातें

आज की भागदौड़ की ज़िंदगी में जहाँ रुकना बिल्कुल ही मना है ऐसे में इंसान मशीन बनकर रह गया है और अगर रात न हो तो आराम भी न करे। ऐसे में रात को इत्मीनान की नींद बहुत ही ज़रूरी है और इत्मीनान की नींद के लिये मैट्रेस की क्वालिटी बहुत ज़रूरी है। कितनी अजीब बात है न कि अपनी लाइफ का चौथाई भाग हम सोने में बिताते हैं और सोने के लिये मैट्रेस पसंद करते समय हमारा गाइड होता है दुकान का सेल्समैन जिनका हमारी ज़रूरत और बजट से कोई लेना देना नहीं होता उसको तो अपना प्रोडक्ट बेचना होता है। तो अगली बार मैट्रेस खरीदने से पहले थोड़ा होमवर्क ज़रूर करें क्योंकि यह न केवल आपके सेहत से जुड़ा है बल्कि आपके बजट और साथ ही साथ 7-8 साल के लिए बेफिक्र होना होता है।  मैट्रेस खरीदने से पहले कुछ चीज़ें ध्यान रखेंगे तो आपकी रात इत्मीनान से बीतेगी। तो हम मैट्रेस के लिए कुछ आवश्यक बातें करते हैं:
  • आपके सोने की आदत
  • सोने वाले का वजन
  • मैट्रेस का मटेरियल और टाइप
  • मैट्रेस का लाइफ जिसका मतलब है वारंटी / गारंटी
  • और आख़िर में आपका बजट
किसी को भी आपकी नींद की स्थिति का विश्लेषण करने की आवश्यकता होती है, जैसे कुछ पीठ के बल सोना पसंद करते हैं, कुछ लोग साइड के बल आराम से सोते हैं, जबकि कुछ कछुए की तरह पेट के बल लेटकर अधिक खुश होते हैं। तो आपकी नींद की स्थिति गद्दे की कोमलता और कठोरता तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अधिक वजन वाले लोगों को अधिक कठिन और मोटे गद्दे का विकल्प चुनना चाहिए जबकि दुबले लोग नरम गद्दे का आनंद ले सकते हैं। सबसे पहले तो ध्यान देने की बात ये है कि क्या रियली में आपको नये मैट्रेसज़ की ज़रूरत है भी की नहीं। कई लोग अपना मैट्रेस कुछ सालों में बदलते रहते हैं ये उनकी लाइफस्टाइल और बजट को सूट करता है तो सही है या गलत इस पर कुछ नहीं कहा जा सकता। आमतौर पर 7-8 साल में मैट्रेस  बदल देना चाहिए। और अगर आपको बैक और नेक में दर्द होता हो तो हो सकता है आपके सोने की पोजीशन या आपके मैट्रेस में दिक्कत हो। बाजार में, विभिन्न प्रकार के मैट्रेस उपलब्ध हैं, टाइप्स ऑफ मैट्रेसज़ बातें करते हैं
  1. Cotton Mattress:

ये सबसे पुराने और पारंपरिक गद्दे हैं। कपास प्राकृतिक सामग्री है, स्वस्थ नींद के लिए अच्छा विकल्प है, यह छोटी जगह में रखा जा सकता है और ज्यादा पसीना बहाने वाले लोगों के लिए यह अच्छा विकल्प है। लेकिन गद्दे की मोटाई को बनाए रखने के लिए इन्हें बदलने या फिर से भरने की जरूरत होती है क्योंकि यह दबाव के साथ ही पतला होता जाता है। Cotton Mattress
  1. Coir (कॉयर) Mattress

ये भी प्राकृतिक नारियल के कॉयर से बने पारंपरिक गद्दे हैं। गद्दा थोड़ा सख्त और काफी टिकाऊ होता है और यह उन लोगों के लिए अच्छा है जो पीठ के बल सोना पसंद करते हैं या दर्द से पीड़ित हैं और सोने के लिए थोड़ी सख्त सतह की आवश्यकता होती है। इसे पानी से बचाने और कुछ एलर्जी की समस्या होने पर इससे बचने की जरूरत है। Coir Mattress
  1. Innerspring (इनरस्प्रिंग) Mattress

यह सबसे ट्रेडिशनल मैट्रेस प्रकार है। लेकिन धीरे धीरे यह अपना महत्व खोता जा रहा है क्योंकि मार्केट में अभी ढेरों वेरायटीज और हेल्थी ऑप्शन आ गए हैं। इनरस्प्रिंग अपने कॉइल्स और अफोर्डेबल प्राइस के कारण भी मशहूर है। थोड़ा फैंसी लुक में ok कम्फर्ट के साथ स्प्रिंग मैट्रेस अच्छी चॉइस हो सकता है। Innerspring Mattress
  1. Memory Foam (मेमोरी फोम) Mattress

मेमोरी फोम मैट्रेसज़ साइड स्लीपर्स के लिए बेस्ट माना जाता है। चूंकि साइड स्लीपर्स अपने जॉइंट्स पर प्रेसर देकर सोते हैं इसलिए उनको ऐसा मैट्रेस चाहिए होता है जो सॉफ्टनेस के साथ स्प्रिंग नेचर का भी हो। अगर आराम और बैक सपोर्ट चाहिए  क्योंकि यह सोने वाले के हिसाब से अपना शेप ले लेता है तो ज्यादा खर्च न करते हुए तो मेमोरी फोम मैट्रेसज़ बेस्ट होते हैं। Memory foam Mattress

  1. Latax (लेटैक्स) Mattress

ये मैट्रेस अपने कूलिंग नेचर और आराम के लिये जाना जाता है। इन मैट्रेसज़ में एक बाउंसी और रेस्पॉन्सिव गुण भी मिलता है और सबसे खास बात यह एक प्राकृतिक पदार्थ से बनता है। लैटेक्स एक पेड़ Hevea-Brasilensis के व्हाइट लिक्विड से निकाला जाता है। OK कंफर्ट और बैक सपोर्ट के साथ थोड़ा एक्सपेंसिव मैट्रेस लेना है तो लैटेक्स मैट्रेस के साथ जा सकते है। Latex Mattress
  1. Hybrid (हाइब्रिड) Mattress

हायब्रिड मैट्रेसज़ नेचुरल और आर्टिफिशियल दोनों प्रकार के मटेरियल को मिलाकर बनता है। इसके अंदर इनर स्प्रिंग की buoyancy के साथ ही साथ मेमोरी फोम का मोशन आइसोलेशन (अगर बेड के एक साइड कोई सो रहा हो तो दूसरे साइड में सोने वाला इस साइड को बिना डिस्टर्ब किये सो सकता है  क्यूंकि इसके स्प्रिंग आपस में जुड़े नहीं होते हैं) गुण होते हैं। Hybrid Mattress
  1. Waterbeds (वाटरबेड्स) Mattress

वाटरबेड्स दो प्रकार के साइड्स के साथ होते हैं एक साइड थोड़ा सॉफ्ट होता है दूसरा साइड थोड़ा हार्ड होता है। इस टाइप के बेड्स अर्थराइटिस और बैकपेन के रोगियों के लिए बहुत उपयोगी होते हैं। Water bed Mattress
  1. Polyfoam (पोलीफोंम) Mattress

पोलीफोंम सबसे सस्ते और लोवेस्ट क्वालिटी मैट्रेसज़ होते हैं। अगर आपका कम्फर्ट से ज्यादा सरोकार नही है और बजट ही प्रायोरिटी है तो आप पोलीफोंम मैट्रेस के साथ जा सकते हैं। Polyfoam Mattress
  1. Airbeds (ऐरबेड्स) Mattress

एयर बेड्स बेसिकली हवा भरे हुए या फोम वाले गद्दे होते हैं। इन मैट्रेसज़  मे पाली विनाइल chlorides  या टेक्सटाइल reinforced उरेथन प्लास्टिक के बने होते हैं। एयर मैट्रेसज़ कैम्पिंग या गेस्ट के लिए उपयोगी होते हैं क्योंकि lightweight की वजह से इनको कहीं लाना ले जाना आसान होता है बस इनको कटने से खासकर चूहों के काटने से बचाना पड़ता है। Airbeds Mattress बजट एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है कोई भी सामान लेने में खासकर मिडिल क्लास फैमिली में। महँगा है तो बेहतर है ये हर बार ही फिट नहीं होता और ज्यादा सस्ते के चक्कर में कई बार हम तुरंत तो बाज़ी मार लेते हैं लेकिन साल दो साल में ही इसके दुष्परिणाम दिखने लगते हैं। ये तो हुई मैट्रेस की बातें, अगर आपको मैट्रेस खरीदना है तो कुछ बातें जो आपको जरूर याद रखनी चाहिए:
  1. अपने बेड के आकार के संदर्भ में गद्दे के आकार की जांच करें। गद्दे के विभिन्न मानक आकार Single /double/queen/king size बाजार में उपलब्ध हैं, बेड और मैट्रेस साइज बेमेल होने के परिणामस्वरूप आपको असुविधा हो सकती है और  यह देखने में भी ठीक नहीं लगेगा।
  2. इसके अलावा सिंगल साइज गद्दा उठाना और संभालना बहुत आसान है, जबकि डबल साइज गद्दे continuous होने से आगे पीछे नही होते और  किंग और क्वीन साइज़ के बेड के लिए सोने में सतही निरन्तरता प्रदान करते हैं लेकिन यदि आपके पास स्टोरेज बिस्तर है तो डबल साइज के गद्दे के साथ संभालना थोड़ा मुश्किल है खासकर उसको खोलने और बंद करने के लिए आपको पूरा का पूरा गद्दा उठाना पड़ेगा।
  3. गद्दा कंपनी द्वारा प्रदान की जाने वाली वारंटी / गारंटी की जाँच करें। आजकल की परीक्षण अवधि भी कंपनियों द्वारा दी जाती है, लेकिन आप निश्चित रूप से गद्दे को बदलने के अनुभव और हैसेल के माध्यम से जाना पसंद नहीं करेंगे। इसलिए स्पष्ट चुनाव करें।
  4. अपने भारी आकार के कारण घर से दुकान तक गद्दे का परिवहन शुल्क भी आपके बजट में शामिल होता है इसको जरूर डिस्कस कर लें। इसके अलावा यह और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है यदि आप खरीदारी करते समय अपने पुराने गद्दे को बदल रहे हैं वो भी ख़रीददारी से पहले दुकानदार से डिस्कश करें हो सकता है कि उसके साथ आपको कुछ डिस्काउंट मिल जाये।
ये तो हुई मेरी एनालिसिस जो मैंने अपना मैट्रेस लेते वक्त सीखा बाकी इसमें कुछ बचा रह गया हो तो आपके सुझाव हमेशा ही हमें उत्साहित करते हैं। तो सुझाव देते रहें स्वस्थ रहें और अपनी पसंद के मैट्रेस के साथ भरपूर सेहत के साथ एन्जॉय करें जो आपके बजट और सेहत दोनों में फिट होती हो।

Mind teasers for Fun-फन के लिए माइंड टीज़र

कई वर्षों से, हम जानते हैं कि शारीरिक व्यायाम हमारे शरीर को मजबूत रखता है, उसी प्रकार अब वैज्ञानिक प्रमाण बताते हैं कि मानसिक व्यायाम हमारे दिमाग को युवा रखता है। शोध मे यह व्यापक रूप से पाया गया है कि मस्तिष्क या इसके वजन की मात्रा 40 की उम्र के बाद उम्र के साथ लगभग 5% प्रति दशक की दर से घटती है और संभवतः 70 वर्ष से गिरावट की वास्तविक दर आयु के साथ अधिक तेजी से बढ़ जाती है।

ऐसे में हम सभी लोगो को खास तौर पर बच्चों और अधिक उम्र के लोगो को अपने मस्तिष्क को आकार में रखने और अपनी मानसिक शक्ति को बनाए रखने लिये, अपने फिटनेस रेजिमेंट में दैनिक ब्रेन टीज़र या मानसिक व्यायाम जोड़ने की सलाह माननी चहिये ।

मानसिक व्यायाम के तरीकों में एक तरीका पहेलियाँ या माइंड टीजर्स साल्व करना । ये दिमाग को सक्रिय रखने के साथ ही अच्छा टाइम पास भी होता है क्योंकि गेम, पज़ल, रीडिंग और बातचीत आदि से रोज की ज़िंदगी की बोरियत भी दूर होती हैं । तो आइये इस बार नीचे दिये गये कुछ माइंड टीजर्स के साथ अपने दिमाग को दौड़ाते हैं और कुछ स्वस्थ समय को दोहराते हैं।

विजुअल इमेजेस जो आपको बाद में जरूरी जानकारी को याद करने के मदद करते हैं, वो आपकी मेमोरी क्षमताओं को भी ते़ज करता हैं ।

यह मेरी तरफ से आप सभी को मानसिक गेम और अभ्यास से परिचित कराने का एक छोटा सा प्रयास था जो आपके तंत्रिका सर्किटों (neural circuit-learning tough word is also part of mental exercise) को सक्रिय करेगा और आपके मानसिक कौशल को बढ़ाएगा।

साथ ही साथ कुछ देर के लिए अपने आसपास देश दुनिया जीव जगत के बारे में थोड़ा सा ज्ञान और बढ़ेगा। आशा है आपको मेरी पोस्ट पढने में मज़ा आया होगा। अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रियाएँ जरूर साझा करें। धन्यवाद।

 

Buying Guide for the Ubiquitous devices…Mobiles

The communication has always been fundamental to human progress and has changed drastically from big cumbersome but elegant plain old telephone sets to modern flashy handsets.

The mobile telephony with animal spirited innovations has added rocket pace to journey of communication, so much so that it has subsumed lot of contemporary devices in its laps like  Radio, Analog Cameras, Walkman, Tape recorder, Light Torches even the televisions and desktop screens are being at the threat with mobiles being viewed as first interface devices for millions for internet with advancement of networking  technology from 2G, 3G, 4G etc.

Now, we are in stage of evolution that mobiles have become basic need of everyone for all types of our daily works and mobile telephony penetration seen as index of development. In the after world of Corona pandemic, the online life without mobiles is hard to imagine.

With so many mobile set options available in market and launch of new models every other day and flash sales, choosing the right one for ones need and budget can sometime become nightmare. So let me try to offer some help, though not a tech geek, based on personal experience and collected information, i thought to share few details of mobile sets that one must give thought before finalizing the set in ones hand.

So we start by talking little about mobile phones essentials.

The mobiles can be broadly classified as Feature Phone & Smart Phone based on their features and capabilities. We shall talk both one by one.

FeaturePhone:

These are simple mobile sets with simple features for good old voice communication. They are recognized by their traditional keypad with small screen and light weight in their design. The sets comes with standard features like FM radio, Light torch, Simple Camera.

With voice calling and text messaging as the key services, these sets having simplicity in handling are generally very good for senior citizens, students or working blue collar workers with their long battery backup, so you don’t need to run for charging the sets all the time. And also these are good sets to feel nostalgic about monotonic ring tones and snake ladder games.

SmartPhones:

These are mobile phone which are capable of performing lot of complicated work on the move like laptops but some limitation more like mini computers. With the advance of fabrication technology and ecosystem of apps for each purpose, the smart phone has become a way of life.

The features of smart phones are getting updates on hourly and daily basis, its very difficult to catch hold of innovations but still if we don’t embrace the changes then there is real danger of being left out of the trend. So its wise to go little details of major part of smart phones, so that you may pick the set of your choice and need as every thing comes at price tag attached.

Network-2G, 3G, 4G & coming 5G:

A key part of any mobile phone specification is its operating frequency bands. 1G, 2G, 3G, 4G and coming 5G represent the five generations of mobile networks where G stands for ‘Generation’ and the numbers 1, 2, 3, 4 and 5 represent the generation number. Right from 2G to 5G , the evolution offers faster & higher data transfer speeds and greater capacity allowing many more devices to be connected at the same time.

Processor:

Today’s smartphones can do more than just call or message. They are equipped with features like Bluetooth, Wi-Fi, NFC, USB connectivity, accelerometer, gyro sensor, GPS, proximity sensor and over the top plethora of apps. Every action you perform on your smartphone goes straight to the processor. You can compare it to the brain of the human body.

One can say that the ultimate prize in the smartphone arms race is still Processor speed. You would notice when apps lag or when swiping takes an eternity. The speed at which a processor processes a certain action depends on a number of factors like the number of processor cores, the clock speed is another important aspect.  A processor with a 1-Gigahertz (GHz) clock speed can process 1 billion instructions per second. The general rule is that higher clock speeds make for faster phones. The number of cores ensures actions are always processed on time.  So next time, don’t just look at the amount of cores, but also at the clock speed.

Operating system:

A operating system is most important software that helps to run other application software on mobile devices. It is the same kind of software as the famous computer operating systems like Linux and Windows, but they are light and simple to some extent, as it combines the beauty of computer and mobility of hand use devices.

Most popular mobile operating systems include Apple iOS (OS 1, 2, 3….14) and Google Android ( Cupcake, Donut, Eclair…Nougat, Oreo, Pie). With increasing processor capacity, having latest OS is always better but it comes with cost. Also deciding OS for your phone, do look for apps availability, both iOS and Android platforms are fairly similar with millions apps in the Google Play Store and Apple App Store respectively.

Battery:

Your smartphone could have a shrink-ray or turn lead into gold and it would still be useless without energy. There are ways to boost the battery life of your gadget, but at the end of the day a larger battery is going to last you longer. Now days in modern cell phones there are only two types of batteries used Lithium Polymer and Lithium Ion. Li-Poly are ultra-lightweight, do not suffer from memory effect, on the other side Lithium Ion cell phone batteries are expensive, but they have higher energy density and better overheating performance compared to Li-Polymer.

Few key common features: Battery Capacity, Battery Life and Battery Size.

A common way to measure battery capacity is through mAH an abbreviation for “milliampere hour,”. Higher the mAH, the higher the mileage of your smart phone.

Another feature that distinguishes different mobile batteries is its usage part – replaceable and non-replaceable.

Also don’t forget about good mobile charger (with ports USB-C, Micro-USB or wireless ) that are durable and perform well in every environment conditions as it is charger which provides the traction energy to batteries because in our price-sensitive market, chargers often receive low priority and get the “after-thought” status. Chargers are commonly identified by their charging speed.

Display:

Smartphones are as much about enjoying media as they are about communicating. You watch movies, play games and view photos on your mobile screen and you want the crispest display around. There are many display types used in smartphones: LCD, OLED, AMOLED, Super AMOLED, TFT, IPS, TFT-LCD. Each having their own specialties and short comings, so much for technicalities. Normal features that should come to user mind while comparing different displays are display size (in inches from 4.7 to 6.5), viewing angles and outdoor readability, color reproduction, refresh rate and of course resolution or pixels per inch (ppi) figure, which is referred to as pixel density (HD, Full HD, QHD/2K, 4K/Ultra HD). All comes with pinch of salt i.e concerns about power, as larger, higher-resolution displays demand evermore battery sizes.

Of course in last comes Gorilla Glass, a special strong glass shield with exceptional damage resistance that helps protect mobile displays from scratches, drops and bumps of everyday use as replacing a damaged display really cost a lot dear.

RAM:

RAM which stands for random access memory is short term storage that hold all data of your phone like apps, photos, videos, and music while running or when it’s not using it, but might in the near future and it helps your smartphone perform and feel fast. But having more RAM inside in our phone, only allows for more apps to run in the background or call it multitasking. The real performance also depend upon how efficiently the phone controls its own processors and tightly controls its software. So don’t always fall for mobile giants gimmicks for bigger RAM.

Storage:

Most smartphones come with anywhere between 16 and 32 gigabytes of in built storage, high-end models featuring 256GB or 512GB.  The operating system of phones generally takes up about 4GB to 8GB of storage and need to factor about the same for all your apps. Videos and photos take up a lot of storage space. But if you like taking a lot of photos and videos then you should consider bigger storage or check if your phone has expandable storage, so that you may buy a microSD card for extra inserted external storage into your phone.

But in the end, Extra space is a nice luxury, these days you’ll be saving most of your media in the cloud and portable hard disk can also be better & safer options.

Camera:

You don’t have to be a pro photographer to see the difference between modern phone cameras and the ones on your old flip-phone. A great camera is important for more than just great photos. You can use your camera for some surprising other things, like visual search.

It allows you adjust or control every parameter of you shot. But believe me most of features like Resolution, White balance, Shutter speed, Focus, ISO, Photography Modes are never fully understood by common folks like us and adjusting any is daunting task  but lot of information over net is available  which can be perused by photography enthusiast to explore their mobile cameras. For mortals like us can look for features like Camera Lens, Zoom, Megapixels, Camera Flash, Smart Image Processing, High quality Videos.

Safety features:

Water resistant, Screen Lock, Sim card locker, Bio metric Recognition, Locate you phone or GPS, Data Backup protection are some of safety features that one may like to look depending on individual usage of phones. The after sales services also play good part in ensuring the longevity of these fallible devices, though modern unwritten design mantra of companies is for changing the models more frequently.
 And finally the user is the king, so reading the review and experiences of genuine buyers also help in knowing the pros and cons of various models, their after sales service supports and may guide in zeroing on the final purchase among the choices.
If we little rewind of our recent flash back time, the two major changes that happened in year 2016 that changed mobile telephony for ever. Many Chinese and others began manufacturing smartphones in India and introduced entry-level smart phones models within pocket friendly cost bringing within the buying limit of masses. The same year, telecom company Reliance Jio launched a new service with free nationwide voice and data for one year and competition among incumbent service provider ensured plunging of the cost of data and made calling free to almost zero.
The Corona Pandemic further pushed the digitization and thereby the reach and penetration of mobiles. With advent of ever going new technologies the mobile usage are bound to increase. So we are not escaping from these ubiquitous mobile devices any time soon in future also. The need is to figure out the pocket friendly ones for our requirements. Though we have just scratched the tip of iceberg called mobile communication, hope you find this buying guide useful in finalizing in you purchase. Thanks for reading and do share your valuable feedback.

स्वस्थ्य किचन : इन्हें किचन से रखें दूर रहें और स्वस्थ्य रहे भरपूर

आजकल की भागदौड़ भरी ज़िन्दगी में जहाँ थककर बैठना भी मना हो, क्या आपको पता है कि हम अनजाने में ही कई ऐसे बीमारियों का शिकार हो जा रहें हैं जो ज्यादातर हमारे गलत खान पान या किचन से सम्बंधित गलत आदतों से होती हैं। ऐसे में अगर आप गलती से भी बीमार पड़ जाए या भगवान न करें कोई लाइलाज बीमारी आपको हो जाए तो आप सपने में भी नहीं सोच सकते कि आपका और आपके परिवार का क्या हाल होगा । तो आज हम उन्हीं कुछ बुरी आदतों को समझते हैं और कोशिश करते हैं कि जिन परिस्थितियों को हम सपनें में भी नहीं देखना चाहते उनसे रियल लाइफ में कैसे कोसो दूर रखें।

जब हम अपने किचन में देखते हैं तो पाते हैं कि हम लाख कोशिश कर लें लेकिन कुछ चीजें जैसे प्लास्टिक, नॉनस्टिक बर्तन, ऐलुमिनियम के बर्तन ऐसे उदाहरण हैं जो चाहें न चाहे हमारे मोड्यूलर किचन का हिस्सा बन गए हैं लेकिन हमें इनका विकल्प जल्द से जल्द ढूढ़ लेना चाहिए नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब थाइरोइड, PCOD, कैंसर जैसी घातक बीमारियां हमारे सामने मुँह बाए खड़ी होंगी। आज की परिस्थितियों को देखते हुए, अपने लेख द्वारा इसके कुछ उदाहरण आज हम लाए है :

1. पॉलीथिन का प्रयोग बंद करें खासकर खाने पीने की चीजों के लिए। पॉलीथिन बनता है PVC मतलब Polyvenylechloride जो गर्म चीजों के सम्पर्क में आने पर हानिकारक विकिरण निकालता है। इसकी जगह पे हमें वुडेन बॉक्सेस, स्टेनलेस स्टील कंटेनर्स इस्तेमाल करने चाहिए।

वैसे आजकल पत्तों को प्रेस क़रके बनए गये डिस्पोजल प्लेट्स और कटोरी भी काफी फेमस होते जां रहे हैं जों use and throw purpose क़े लिये प्लास्टिक का अच्छा विकल्प हैं और environment friendly भी हैं ।

2.ऐलुमिनियम फॉयल को न करे। क्या आपको पता है कि ऐलुमिनियम फॉयल में गर्म चीजें रखने से गर्म चीजें उससे रिएक्शन करके ज़हरीली गैस निकालते हैं और साथ ही साथ ये decompose भी नहीं होते तो एनवायरनमेंट को भी नुकसान पहुंचाते हैं।इसकी जगह पे हमें बटर पेपर या cedar wrap, Beeswax food wrap, सिलिकॉन फ़ूड covers इस्तेमाल कर सकते हैं ।

3.स्टेनलेस स्टील बर्तन इस्तेमाल करें अलुमिनियम के बर्तन की जगह- ऐलुमिनियम के बर्तन हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं हालांकि ये सस्ते तो होते हैं लेकिन लगातार प्रयोग से ये घिसते हैं और इनसे निकलने वाला तत्व खाने के साथ हमारे शरीर के अंदर जाता है जोकि स्लो पाइजन का काम करता है और हमें तमाम तरह की बीमारियों से ग्रसित करता है। क्या आपको पता है कि ऐलुमिनियम के बर्तनों का इस्तेमाल अंग्रेजों ने कैदियों को खाना देने के लिए किया था ताकि इन बर्तनों से निकलने वाले धीमे ज़हर से आहिस्ता आहिस्ता कैदी खुद ही मर जाए।

4.नॉनस्टिक का इस्तेमाल तुरंत बंद करें ।  90% घरों में आजकल नॉनस्टिक बर्तन इस्तेमाल होते हैं । नॉनस्टिक बर्तनों की कोटिंग polytetrafluoroethylene (PTFE) से की जाती है जो गर्म होने पर कई हानिकारक गैसें निकालता है जिनसे हम आजीवन बीमार रह सकते हैं। इसकी जगह पे हमें कास्ट आयरन के बरतन का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि हमें खाने के साथ आयरन की भी पर्याप्त मात्रा मिलती रहे।

5.पीतल और कांसे के बरतन भी खाना बनाने और खाने के उपयोग में लाए जा सकते हैं लेकिन जैसा कि सबको ही मालूम है एसिडिक चीजों यानी खट्टी चीजों से ये दोनों ही धातुएँ रिएक्शन करके हानिकारक पदार्थ निकालती हैं तो ऐसे बरतनों का उपयोग करते समय ये ध्यान रखना पड़ता है।

वैसे तो प्राचीन काल में राजा महाराजा लोग खाने पीने के लिये सोने और चाँदी के बर्तन इस्तेमाल करते थे क्योंकि ऐसा माना जाता था कि सोने के बर्तन में खाने से सोने का अंश हमारे शरीर में जाता है जो हमारी बौद्धिक क्षमता को तेज करता है और चाँदी मन की शीतलता लाती है ये बर्तन वैसे आज भी सर्वश्रेष्ठ माने जाते हैं लेकिन जब हम सोने चाँदी के बर्तन में खाने योग्य बजट रखें तब क्या बात है।

 

ऐसे में हमारे लिए मिट्टी के बर्तन अगर उपलब्ध हों तो हमारे लिए बड़े काम के होते हैं इनमें खाना भी धीरे धीरे पकता है जोकि स्वास्थ्य के हिसाब से श्रेष्ठ प्रक्रिया होती है।

तो हमे जल्दी से जल्दी अपने और अपने परिवार के स्वास्थ्य के लिए इन बुरी आदतों को बदलना चाहियें और आने वाले त्योहार जैसे धंनतेर्स और दीपावली से अच्छे मौके क्या हो सकते हैं। (Can buy directly from AMAZON by clicking on image links)

 

साड़ी-Special 26 all ladies like to have in wardrobe

बचपन में संदेह अलंकार का एक उत्कृष्ट उदाहरण हम सभी ने अवश्य ही सुना होगा :

नारी बीच सारी है कि सारी बीच नारी है
नारी की ही सारी है या सारी की ही नारी है।।

महाभारत के द्रौपदी चीरहरण से जुड़ा यह प्रसंग अपने आप में ही एक पूरी कथा समेटे हुए है लेकिन ये भी यथार्थ है कि नारी और साड़ी दोनो ही एक दूसरे के बिना अधूरी हैं खासकर हमारे देश भारत में तो कोई भी त्यौहार बिना साड़ी के पूरा नही होता। भारत विविधताओं से भरा देश है यहाँ बोली भाषा, धर्म, त्यौहार और भोजन, रहने के तरीके सब देश क़े अलग अलग हिस्सों में एक दूसरे से भिन्न भिन्न होते हैं, वैसे ही हर प्रदेश के हिसाब से साड़ी का फैब्रिक और पहनने का तरीका दोनों ही बदल जाते है।

हम आज बात करते हैं भारत में पाई जाने वाली मुख्य साड़ियाँ और उनसे जुड़े कुछ तथ्य  और रोचक जानकारियाँ,  साथ ही में विभिन्न वैरायटी की साड़ी का कलेक्शन भी बनाया है । तो शुरूआत करते हैं भारत के दक्षिणी छोर से जहाँ की कांजीवरम साड़ियां काफी मशहूर हैं।

1. कांजीवरम साड़ियां-

काजीवरम साड़ियां तमिलनाडु केे कांचीपुरम में बनी शुद्ध रेशम की साड़ी है। एक वास्तविक कांचीपुरम सिल्क साड़ी में  मेन पार्ट और बॉर्डर को अलग-अलग बुना जाता है और फिर एक साथ अच्छे से जोड़ लिया जाता है।  यह साडियाँ अपनी wide contrast borders से पहचानी जाती हैं और ये साड़ी वजन में भी भारी होती हैं । मन्दिर की borders, धारिया और पुष्प (बटास) कांचीपुरम साड़ियों पर पाए जाने वाले पारंपरिक डिज़ाइन हैं। कांजीवरम साड़ी को पहचानने का सबसे बढ़िया तरीका है कि जब आप इसके ज़री को हल्का स्क्रैच करेंगें तो लाल रंग उभरता हुआ दिखेगा। kanziwaram Saree

 

 

. कोनराड साड़ी –

तमिलनाडु से ही  टेम्पल साड़ी के रूप में लोकप्रिय, कोनराड साड़ियों को मूल रूप से मंदिर के देवताओं के लिए बुना जाता था। साड़ी कपड़े में आम तौर पर धारियाँ या चेक और एक विस्तृत बॉर्डर होता है। जानवरों और प्राकृतिक तत्वों के रूपांकनों के साथ बॉर्डर इस साड़ी को इतना खास बनाती है।

Konrad Saree

 

 

3. कसावु साड़ी –

केरला से कसावु साड़ी को मूल रूप से ‘मुंडुम नेरेयाथम’ के नाम से जाना जाता था। गोल्डन बॉर्डर वाली ऑफ-व्हाइट कलर की सिंपल कॉटन साड़ियां, केरल की कसावु साड़ियां अपने आप में आइकॉनिक हैं। कासावु साड़ी शान, सादगी और परंपरा का प्रतीक है। ये साड़ियाँ अपनी गोल्ड और ताँबे की ज़री के बॉर्डर की वजह से काफी मशहूर हैं। केरला में कुछ पारम्परिक पूजा और शादी विवाह तो इन साड़ियों के बिना हो नहीं सकते, विष्णु पूजा और ओणम ऐसे ही कुछ खास मौके हैं। सोने की ज़री प्रयोग होने से इसके दाम ज्यादा ही होते हैं। लाइट में डिफरेंट एंगल पे इनकी डिफरेंट चमक इनको अद्भुत बनाती है। इनकी विशेषता यह होती है कि इसी डिज़ाइन की जेंट्स की धोती भी तैयार की जाती है जिसको केरला की पारंपरिक भाषा में मुंडू बोलते हैं। इनका रख रखाव भी थोड़ा अलग होता है इनको किसी भी प्रकार के केमिकल से दूर रखना चाहिए। कोई लिक्विड चीज साड़ी पर न गिरने पाए इसका भी खास ख्याल रखना चाहिए। सिल्क साड़ियों को ड्राई क्लीन ही करवाना ही उचित होता है।

Kasavu Saree

 

4. पोचम्पली साड़ी-

पंचमपल्ली साड़ी या पोचमपल्ली इकत साड़ियों की उत्पत्ति तेलंगाना से हुई है और इसमें जटिल ज्यामितीय (Geometry) पैटर्न हैं जो रंगाई की इकत शैली के साथ बनाए गए हैं। कुशल बुनकरों द्वारा निर्मित, ये साड़ियां रंग से भरपूर होती हैं। पोचमपल्ली साड़ी रेशम और महीन कपास के मिश्रण से बनाई जाती है। इन साड़ियों को चमक देंने के लिए वैक्स का भी उपयोग किया जाता है। साड़ी वजन में हल्की होती हैं और इनमें चमक होती है, इसलिए अगर आपको नियमित रूप से साड़ी पहनने की आदत नहीं है, तो यह साड़ी आपके सभी पसंद के लिए सही विकल्प होनी चाहिए, खासकर गर्म भारतीय गर्मियों में।

Pochampoli Saree

 

Dishwasher (डिशवाशर)- Ek nayi jarurat


भारत में बर्तन धोने की मशीन बहुत प्रचलित नहीं है क्योंकि यहाँ हाउसहेल्पर्स आसानी से अवेलेबल हैं लेकिन कामकाजी महिलाओं के बढ़ते प्रचलन और समय सामंजस्य न बिठा पाने की वजह से अभी डिशवाशर का प्रचलन बढ़ रहा है खासकर कोरोना काल में जब सभी लोग अपने घरों में बंद हो गए हैं और सारी बर्तन धोने की सुविधाएं एकदम से बंद हो जाने से डिश वॉशर की मांग एकाएक बढ़ गई और जो डिशवाशर थे वो मार्किट से गायब ही हो गए।

हमने भी डिशवाशर खरीदते समय जो पड़ताल किया वो आपसे शेयर कर रहे है।

मध्यम वर्ग परिवार के लिए बजट, बिजली खपत और मशीन की क्षमता ये तीनों चीजें ही बहुत मायने रखती हैं। कोई भी मशीन खरीदते समय हम ये ज़रूर ध्यान रखते हैं।

भारत में बिजली खपत भी एक गम्भीर मुद्दा है तो डिशवाशर खरीदते समय ये भी दिमाग में रखना पड़ता है।

डिशवाशर का डिटर्जेंट (Detergent) भी आम डिटर्जेंट से अलग होता है। डिटर्जेंट के अलावा, इसमें गंदे बर्तन साफ ​​करने के लिए Salt और Rinse- Softener (पानी की कठोरता के आधार पर) भी होता है
जो गर्म पानी
साथ में हाई प्रेशर को बर्तनों पर डालता है जिससे बर्तन साफ होते हैं। ये बर्तनों को साफ करके सुखाने के काम भी करता है।

डिशवॉशर में विभिन्न प्रकार के बर्तन जैसे प्लेट, ग्लास, चम्मच आदि के लिए अलग-अलग प्रकार के बास्केट होती है । डिशवाशर के अंदर अलग तरह के गंदे बर्तनों को साफ करने के लिए अलग प्रक्रिया होती है, सामान्य तौर पर मुख्य मोड हैं:

इंटेंसिव मोड- इस मोड में बहुत गन्दे और चिकनाई युक्त बर्तन साफ करने और सुखाने का प्रावधान है यह 170-200 मिनट्स का समय भी लेता है जो सबसे ज्यादा टाइम पीरियड होता है इस मशीन के अंदर।

इकोनॉमिक मोड- समय तो इस मोड में भी 170-200 मिनट्स ही लगते हैं लेकिन यह बिजली की खपत और पानी की खपत को नियंत्रित करके काम करता है इसलिए उसको इकोनॉमिक मोड कहते हैं।

60-90 मिनट्स मोड-60-90 मिनट्स मोड भी एक अच्छा विकल्प है डिशवाशर के अंदर जब आप 170 मिनट्स का समय बर्तन धोने के लिए नहीं देना चाहते और बर्तन गन्दे भी हों ।

नार्मल 30-45 min मोड- ये नॉर्मल प्रकार के बरतनों के लिए होता है जैसे थाली, कटोरी और प्लेट्स। ज्यादा गन्दे बर्तन इस मोड में नहीं साफ हो पाते।

 

Oven (ओवन)- रचनात्मक जरूरत

Grill Oven

ओवन का नाम लेते ही आपके दिमाग में क्या तस्वीर आती है ये तो आप ही बता सकते हैं लेकिन मेरे दिमाग में एक आयताकार बॉक्स की आकृति आती है जो बिना किसी झंझट के कई खानों को आसानी से बनाने में मदद करता है। इसका महत्व लॉक डाउन के दौरान और समझ आया जब हम सब घरों में बंद हो गए थे और बहुत ज़रूरी ज़रूरत के सामान छोड़कर सब कुछ मिलना बन्द हो गया था।ऐसे में अगर आपके पास भी छोटे बच्चे हो तो ज़रूर दिक्कत समझ आई होगी कि अगर घर में ओवन हो और इंटरनेट की सुविधा तो बच्चों की पसंद का कोई भी व्यंजन आसानी से घर पर बनाया जा सकता है, घर में उपलब्ध सामान के साथ भी, जो आपके बच्चों के लिए हेल्थी भी होगा और उसके इंग्रेडिएंट्स आपने अपनी पसंद से डाले होंगें तो आपको तसल्ली भी रहेगी। आप अपने हिसाब से एक्सपेरिमेंट्स भी कर सकते हैं जैसे केक, पेस्ट्री बनाने के लिए आप मैदे की जगह आटा उपयोग में ला सकते जो आपके बच्चे के लिए हेल्थी ऑप्शन होगा। माइक्रोवेव वेजेटेरियन और नॉन वेजेटेरियन दोनों तरह के खाने को कम घी तेल में तैयार कर देता है जो आज के भागदौड़ की ज़िंदगी में हर महिला की ज़रूरत बनता जा रहा क्योंकि अब महिलाओं की ज़िंदगी बस किचन तक ही सिमटकर नहीं रह गई है ।और ओवन आपको घर पर रचनात्मक होने का मौका देता है।

योग से रहें निरोग

भारत में योग की परंपरा हज़ारों साल पुरानी है। योग आत्मा और शरीर के बीच सामंजस्य रखने का विज्ञान है। सन् 2015 से ही 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित करके सम्पूर्ण विश्व को योग के बारे में जागरूक करने की मुहिम चल रही।

21 जून को उत्तरी गोलार्ध में सबसे बड़ा दिन होता है इसलिए योग दिवस 21 जून को ही मनाया जाता है।

योग शरीर के साथ-साथ मन को भी मज़बूत करता है। श्वसनतंत्र को मज़बूत करने में योग का महत्वपूर्ण योगदान होता है। ऐसे में जब सम्पूर्ण विश्व कोरोना नामक महामारी से जूझ रहा है, योग एक अच्छा विकल्प हो सकता है क्योंकि कोरोना भी श्वसन संबंधी बीमारी है।

योग कई प्रकार के होते हैं प्रत्येक अंग को ध्यान में रखते हुए योग क्रियाएँ विकसित की गई हैं लेकिन अगर आपने इससे पहले योग नहीं किया है तो योग शुरू करने से पहले कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें।

  1. योग करने के लिए सूर्योदय और सूर्यास्त का समय उपयुक्त होता है। वैसे तो योग किसी भी समय किया जा सकता है बशर्ते योग करने से 2 घण्टे पहले ही कुछ खाया हो। पेट खाली रहना अनिवार्य होता है योग शुरू करने से पहले।
  2. योग ज़मीन पर दरी या चटाई बिछाकर ही करना चाहिए और ज़मीन समतल होना चाहिए।
  3. शुरुआत में हो सकता है कि आपके शरीर में उतना लचीलापन और दृढ़ता न हो जितना योग की मुद्रा के लिए चाहिए तो शुरुआत आसान मुद्राओं से करें।
  4. योग के लिए शांत मन और एकाग्रचित्त होना बहुत ही ज़रूरी है।
  5. योग के लिए संयम और निरंतरता भी उतनी ही आवश्यक है। अगर पहली बार में कोई आसन नहीं बन रहा तो उसका निरंतर अभ्यास करते रहें, उसको छोड़ें नहीं।
  6. योग का परिणाम दूरगामी होता है उसका असर तुरन्त नहीं दिखता तो धैर्य बनाएं रखें।
  7. किसी एक्सपर्ट की निगरानी में और अपने शरीर के मेडिकल कंडीशन को ध्यान में रखकर ही योगाभ्यास करें नहीं तो उसके दुष्परिणाम भी मिल सकते हैं।
  8. सबका शरीर एक जैसा नहीं होता तो एक योग सबको एक जैसा परिणाम दे ऐसा भी सम्भव नहीं, इसलिए किसी की नकल से बचें।
  9. योग बच्चे, बूढ़े, जवान सभी के लिए उपयोगी है बस केवल कुछ ज़रूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए।

 

 

स्वस्थ रहने के लिए स्वस्थ खान-पान के कुछ आसान टिप्स

अभी ऐसा समय चल रहा है जिसमें लगभग सबको ही ये अहसास हो गया है कि स्वस्थ रहने के लिए स्वास्थ्यवर्धक खाना वो भी जितना संभव हो घर में पका हुआ, हेल्दी लाइफस्टाइल, कुछ फिजिकल एक्सरसाइज और अपना घर एवं अपनी मिट्टी ही अंत तक साथ देती है, बाकी सब मोह माया है।

आज ये समझ में गया कि बिना शॉपिंग मॉल गए, बिना बाहर का खाना खाए और बिना जिम में पसीना बहाए, बिना थिएटर गए भी हम खुशीखुशी ज़िंदा रह सकते हैं और अपना समय और पैसा दोनो बचा सकते हैं।

 
 

 

 
 
 

आज हम कुछ ऐसे आसान टिप्स की चर्चा करेंगे जिनको इस्तेमाल करके हम अपने घर के खाने को हेल्दी और टेस्टी बना सकते हैं।

हम सभी जानते हैं कि सलाद स्वास्थ्य वर्धक होता है लेकिन उसको क्रीम, स्पाइस और चाट मसाला पाउडर डालकर हम उसकी वैल्यू कम कर देते हैं। इसलिए कोशिश करिए सलाद सिर्फ ओलिव ऑयल और काली मिर्च के साथ बहुत हल्का नमक डालकर ही ड्रेसिंग करें तभी वास्तव में यह हेल्दी ऑप्शन होगा।

बादाम फाइबर एवं प्रोटीन युक्त ड्राई फ्रूट है जो दिमाग को तेज रखने में मदद करता है। इसको कुछ घण्टे पानी में भिगोकर उसका छिलका उतारकर प्रयोग करने से ये उत्तम परिणाम देता है।

शाकाहारी भोजन सर्वोत्तम माना गया है। अगर आप मांसाहारी भी हैं तब भी कोशिश करें कि सप्ताह में 4 दिन शाकाहारी भोजन लें।

अगर आप मशरूम खाते हैं तो उसको अच्छे से पकाकर ही खाएं ताकि उसमें जो हानिकारक तत्व हों वह निकल जाएं।

कैल्शियम हमारी हड्डियों के लिए बहुत ही ज़रूरी है इसलिए अपने रोज़ के खाने में कैल्शियम युक्त भोजन जैसे दूध, दही, छांछ, पनीर और घी ज़रूर लें।

हरी सब्जियां आसानी से उपलब्ध और सभी स्वास्थ्य वर्धक गुणों से भरपूर होती हैं इसलिए रोज़ के खाने में इसे ज़रूर शामिल करें।

फल भी पोषण से भरपूर प्राकृतिक उपहार हैं उनको ऐसे खा पाएं तो स्मूथी या फ्रूट चाट भी अच्छा विकल्प हो सकता है।

घर पर आटे से बना और सब्जियों से भरपूर पिज़्ज़ा भी आपको कुछ टेस्ट चेंज करने के साथ हेल्दी रखने में मदद करेगा।

अगर ब्रेड उपयोग करना ही हो तो आटा ब्रेड का उपयोग करें।

मैदे और रसायन युक्त खाने से जितना हो सके परहेज़ रखें।

प्रोटीन के लिए मीट ही ज़रूरी नहीं है शाकाहारी भोजन में भी दाल, राज़मा, बीन्स और चना जैसे ढेरों ऑप्शन मिल जाएंगे।

आप अपना एक कदम हेल्दी खाने की तरफ बढ़ाएंगे तो आप उसके कई फायदे खुद देखेंगे। इन फायदों में निखरी त्वचा, पाचन में आसानी और चैन की नींद मुख्य हैं।

 

एरोबिक्स …. कुछ अनछुई बातें

आज की भाग-दौड़ भरी जिंदगी में जहाँ रुकना मना है वहीं लोग अपने लिए कोई समय नहीं निकाल रहे जिससे समय से पहले ही बहुत सी बीमारियों से घिर जा रहे।

इन सबसे बचने के लिये हमें अपनी शारीरिक गतिविधियों पर ज़रूर ध्यान देना चाहिए।उन्हीं गतिविधियों में से एक एरोबिक्स है।

एरोबिक व्यायाम एक शारीरिक गतिविधि है, जिसमें प्रत्येक अंग और कई मांसपेशियों का समूह एक साथ कार्य करते हैं। यह कार्डियोवैस्क्युलर एक्टिविटी होती है क्योंकि इसको करने से ऑक्सीजन तेज़ी से शरीर में अवशोषित होता है।

इसके विभिन्न प्रकार आपको फिट रहने में मदद करते हैं l रस्सी कूदना, डम्बल पुशअप, तैराकी, जॉगिंग, दौड़ना,स्टेपर पर स्क्वायर बनाना ये सब एरोबिक्स का ही हिस्सा है।

मैं खुद वीक में 5 दिन 1 घण्टे नियमित एरोबिक्स करती हूँ।

एरोबिक्स के फायदे:-

1 – इम्युनिटी बढ़ जाती है एवं रोग प्रतिरोधक क्षमता तो कमाल की बढ़ती है।

2 – स्टेमिना में वृध्दि होती है। जहाँ मैं पहले सीढ़ी चढ़ने और घर के कामों में थक जाती थी अब बाहर के और काम भी कर लेती हूँ।

3 – वज़न नियंत्रण l ये एक मुख्य कारण था मुझे एरोबिक्स तक ले जाने का और आप यकीन नहीं करेंगे मैंने 3 महीनों में 10 किलो वजन कम किया l पेट की चर्बी भी पिघल गई।

4 – एरोबिक्स से हमारे शरीर के विषैले पदार्थ निकल जाते हैं तो नई ऊर्जा मिलती है।

5 – शरीर में लचीलापन आ जाता है।

6 – पसीना बहाने के बाद त्वचा पर जो निखार आता है वह किसी सौंदर्य प्रसाधन से नहीं मिलता।

7 – तनाव छूमंतर हो जाता है l आज की जीवन शैली में तनाव एक गंभीर समस्या है।

8 – कोलेस्ट्रॉल लेवल नियंत्रित करता है।

9 – बहुत सी समस्याओं से अपने आप छुटकारा मिल जाता है जैसे कि थायराइड, घुटने के दर्द, मांसपेशियों की समस्या।

एरोबिक्स शरीर के प्रत्येक अंग पर अलग-अलग कार्य करता है और इसका परिणाम आप खुद देख सकते हैं नहीं तो आपके आसपास रहने वाले तो ज़रूर आपको बता देंगे l भले तारीफ हो या ईर्ष्या।

 

फिट रहें फिट रखें

आजकल कोरोना के आतंक से जहाँ लोग घरों में कैद हैं वहीं गृहिणियों का काम दुगुना हो गया है।जहाँ एक तरफ कामवालियों की बंदी वहीं दूसरी तरफ स्कूल भी ऑनलाइन शुरू हो गए हैं।

ऐसे में पूरी दिनचर्या ही अस्त-व्यस्त हो गई है।कोरोना आज नहीं तो कल चला जाएगा लेकिन अगर हम लोग अपनी दिनचर्या नहीं सुधारेंगे तो आगे बहुत दिक्कत आने वाली है।कहते हैं न औरत घर की धुरी होती है वो बैठ जाए तो घर रुक जाता है l इसलिए सबको फिट रखने के लिए सर्वप्रथम खुद को समय दें और फिट रहें तभी सबको फिट रख पाएँगी l

1.इसके लिए ये ज़रूरी है कि आप अपने लिए कुछ समय ज़रूर निकालें l ये वो समय होना चाहिए जिसमें केवल अपनी पसंद का काम करें ताकि फिर से एक नई ऊर्जा का प्रवाह शुरू हो सके बाकी कामों के लिए, साथ ही साथ आधा घण्टा ही सही व्यायाम के लिए भी ज़रूर समय निकालें।

ऐसे में अगर आप खुद कुछ नहीं कर पा रहीं तो ऑनलाइन क्लासेज भी जॉइन कर सकती हैं जिसमें आप उतने टाइम पर एक्सरसाइज करेंगी ही ये कमिटमेंट हो जाती है।

2. आप सुपर पावर नहीं हैं कि सबकुछ आप ही कर लेंगी इसलिए परिवार के सभी सदस्यों से मदद मांगे और सबके काम बांटे, बज़ाय इसके की खुद ही सारे काम की ज़िम्मेदारी लेकर बीमार हो जाएं या तनावग्रस्त रहें l

3.संतुलित आहार लें कई बार होता है कि पूरे परिवार का ध्यान रखने में गृहिणियां अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाह हो जाती हैं l जो बचा है खा लिया नहीं बचा तो ऐसे ही सही, ये बिल्कुल नहीं होना चाहिए l शरीर की ज़रूरत सबकी एक जैसे होती है। ऐसा बिल्कुल नहीं कि आपका बच्चा या पति संतुलित आहार लेंगे तो उसके पौष्टिक तत्व आपके शरीर में जाएंगे l

4 .सुबह का नाश्ता स्किप न करें l रात भर पेट खाली रहता है और उसके बाद काम की जल्दबाजी में अगर आपने नाश्ता छोड़ने की आदत बना रखी है तो इसके गंभीर नतीजे भुगतने को तैयार रहिये । मधुमेह, एसिडिटी, ब्लॉटिंग, अपच, वज़न बढ़ना इसी लापरवाही के कुछ नतीजे हैं l

5.बेवजह का तनाव न लें l खुद खुश रहें और परिवार को भी खुश रखे l

6.लॉक डाउन में परिवार के साथ क़्वालिटी टाइम ज़रूर बिताएँ, वो टाइम या तो कोई इनडोर गेम खेलते हुए बिता सकते हैं, बच्चों के साथ कोई एक्टिविटी या फिर कुछ और जो आपको ठीक लगे।

7. मी टाइम ज़रूर रखें इसमें वो करें जो करना आपको सुकून देता हो वो आपका कोई पुराना शौक हो सकता है बागवानी हो सकती है किताब पढ़ना कुछ भी..इसके बाद आप अपने को तरोताजा महसूस करेंगीं।

8.किसी और से खुद की तुलना न करें l ये दुखी होने का एक बड़ा कारण हो सकता है। हर इंसान का अलग स्टेमिना और लेवल होता है।

9. रोज़ अपने जीवन मे घटी 3 खुशी की घटनाएं डायरी में लिखें। सकारात्मक सोंचे और सकारात्मकता बांटे। ज्यादा दुःख बताने वालों से लोग अपने आप दूर होते जाते हैं।

10. अपने दोस्तों और माता पिता से दिन में कम से कम एक बार ज़रूर फोन पर वार्तालाप कर लें, सुकून रहता है l

 


 

 

 

Stay fit live long

To stay fit first of all we must follow discipline in our life.

8 hours of sleep and 1 hour of workout without tension and sometimes living like kids is secret of long and cheerful life.

For healthy life our diet must be according to our body needs and we must insure that all nutrients and supplements are included in our daily diet.

As it said ” When diet is wrong, medicine is no use. When diet is correct, medicine is of no need”-Ayurvedic Proverb.

 

During lock down we all are in our homes so well aware about how much good health and strong immunity is needed to keep ourselves live and happy.Here are some tips to stay happy and healthy as well :-

1 – Eat three healthy meals a day ( breakfast, lunch, and dinner)

There is one very important line that take breakfast like a king, lunch like a prince and dinner like a pauper.

2 – Get enough sleep

Poor sleep can drive insulin resistance,disrupt your appetite hormones and reduce your physical and mental performance.

3 – Take care of your gut health with probiotics and fibre

The bacteria in your gut are incredibly important for overall health.It’s disruption is linked to some of the world’s most serious chronic diseases like obesity, corona and many others.

Good ways to improve gut health include eating probiotic food like yogurt and sauerkraut and a lot of fibres.

4 – Drink plenty of water specially before meals

Drinking enough water can have numerous benefits like detoxification, glowing skin, helps in calories burn so in loosing weight etc.

5 – Eat vegetables and fruits

Vegetables and fruits are loaded with prebiotic fibres, vitamins, minerals and many antioxidants which give many good effects on our body.

6 – Make sure to eat enough protein

As proteins are building blocks of our body and they can boost metabolism so we should include protein rich substance like all type of pulses, meat, eggs, beans and milk to our diet.

7 – Minimize your sugar intake and junk food

More sugar intake causes weight gain and tooth decay.On the other side,junk foods are only taste buster’s having no nutritional value.So as much as possible keep away from all of such foods.

8 – Add cardio or any type of physical exercise

Aerobic exercise also known as cardio is one of the best things you can do for your better physical and mental health.If you are not interested in cardio you can do any type of physical activity like Cycling, jogging, running, swimming etc.

9 – Avoid skipping food or following any type of diet which is not according to your body needs

As we all know our body requires all elements in a healthy food so try to eat healthy food including all nutritional supplements rather than skipping food or dieting to maintain your body weight. Eat according to requirement of body, not according to your taste of tongue.

10 – Take care of your relationship

Last but not least for your mental well being, keep contacting to all your dear ones, you will feel happy and refreshing.