Nature

क्या अपराजिता ही शंखपुष्पी हैं ??

क्या अपराजिता ही शंखपुष्पी हैं ? जब मैंने इस प्रश्न का उत्तर ढूढ़ना शुरू किया को मुझे इसके बहुत से गुणों ने आश्र्यचकित कर दिया । अपराजिता की बेल जिसे शंखपुष्पी या ब्लूपी भी कहते हैं आमतौर पर जो लोग थोड़ा भी बागवानी का शौक रखते हैं उनके पास ज़रूर मिल जाएगी लेकिन शायद कम लोगों को इसके बहुत सारे फायदे मालूम होंगे । तो आइये बात करते हैं इस अनमोल फूल की । इसका वैज्ञानिक नाम क्लिटोरिआ टेरनटिआ (Clitoria ternatea) है। यह लता यानि बेल की तरह होते हैं और इनमें नीले और सफेद रंग के फूल आते हैं। इसके फूलों का आकार गाय के कान की तरह होते हैं इसलिए इसको गोकर्ण भी कहा जाता है।

इसके पौधे को ज्यादा केअर की ज़रूरत नहीं होती, यह किसी भी तरह की मिट्टी में आसानी से लग जाता है। हाँ गमलों में ड्रैनेज की व्यवस्था ठीक होनी चाहिए।

अपराजिता में दो प्रकार के फूल आते हैं पहला नीला और दूसरा सफेद । सफेद अपराजिता आयुर्वेदिक रूप से ज्यादा फायदेमंद होता है।

इसके फूल को उबालकर चाय बनती है वो कई तरह से फायदेमंद होती है। त्वचा और लिवर, किडनी के साथ ही साथ पेट को भी पूरी तरह साफ करने में मदद करता है।

इसमें कई तत्व पाए जाते हैं जो हमारे शरीर को फायदा करते हैं।

जस्ता, मैग्नेशियम, कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन, विटामिन ए, विटामिन ई, विटामिन सी, जिंक, एंटीऑक्सीडेंट, फायटोन्यूट्रिएंट जैसे बहुत से तत्व हैं जो अपराजिता अपने अंदर छिपाए हुए है।

अपराजिता की जड़ें काफी लाभकारी होती हैं उनका प्रयोग कई रोगों को ठीक करने में हो सकता है जैसे मूत्र सम्बन्धी बीमारियों में, प्लीहा या तिल्ली (Spleen) की बीमारी में इसके साथ ही गठिया रोग, त्वचा सम्बंधित बीमारियों और मधुमेह में भी फायदेमंद है। इलाज के लिये प्रयोग में लाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें क्योंकि इसकी मात्रा और किस तरह प्रयोग करना है यह विशेषज्ञ ही बता सकते हैं साथ ही आपके शरीर का पुराना रिकॉर्ड भी आपके पारिवारिक चिकित्सक  को ही मालूम हो सकता है।

लगातार और ज़रूरत से ज्यादा कोई भी वस्तु नुकसान ही करती है इस बात का खास ख्याल रखें साथ ही स्तनपान कराने वाली माताएं और गर्भवती महिलाएं इसे न ही प्रयोग करें तो अतिउत्तम है।

भारतीय त्योहारों में इस फूल की विशेष महत्ता हैं और नवरात्री और दुर्गा पूजा में माँ काली के आस पास इस फूल को जरूर लगाया जाता हैं ।

तो आशा हैं इस फूल के बारे में पढ़ने के बाद आप जरूर इस अपराजिता तो घर में लाएंगे और इसके गुणों का फायदा उठाएंगे। पोस्ट के बारे में अपने विचार जरूर शेयर करे ।

मानसून बागवानी के लिये बेहतरीन समय-सक्यूलेन्टस के साथ

कोरोना काल में जब सब अपने अपने घर में बंद होकर रह गए हैं। इंसान इंसान को देखकर भाग रहा है ऐसे में प्रकृति प्रेम बहुत से लोगों में बागवानी के शौक के रूप में निकल। रहा उससे दो बातें होती हैं एक तो आपका समय बहुत बढ़िया बीतता है दूसरे छोटा ही सही लेकिन प्रकृति को संतुलित करने का प्रयास हो रहा ।कम से कम जितना ले रहे उसका कुछ प्रतिशत ही देने में कामयाब हो रहे।

जो पहले से बागवानी का शौक रखते हैं उन्हें तो काफी जानकारी भी होती है लेकिन एकदम से शुरू करने वालों को शुरू कहाँ से करें कौन सा प्लांट लगाएं खाद, कैसे दे कौन सी दे और कितनी औऱ कब दें जैसे तमाम जिज्ञासायें होती हैं और इन सबसे ऊपर जाकर कुछ पौधे नर्सरी वालों के बताने पर उठा भी लाए तो कुछ ही दिनों में उनकी दुर्गति देखकर सारा उत्साह ठंडा पड़ जाता है। तो आज हम पौधों के एक ऐसे वर्ग की बात करते हैं जिसको ज्यादा देखभाल की ज़रूरत नहीं होती और न ही ज्यादा खरीदने की ज़रूरत है इसकी एक डंठल से ही आप ढेरों पौधे ऊगा सकते बस थोड़े धैर्य और लगन की ज़रूरत होगी। इन पौधों को स्क्युलेन्ट बोलते हैं।

सक्यूलेन्ट (Succulent)

शब्द स्क्युलेन्ट लैटिन शब्द सकस (Sucus) से आया है जिसका मतलब ही जूस या सैप ( पौधों का रस) होता है। स्क्युलेन्ट पौधों की एक पूरी प्रजाति है जिसमें लगभग 10,000 से भी ज्यादा स्पीशीज पाई जाती है।आज हम उन्हीं में से कुछ के बारे में जानेंगे।

जेड प्लांट Zade plant (Crassula ovata) 

इसका बोटनिकल नाम क्राससुला आवत (Crassula ovata) है। इसको क्रासुला का पौधा भी कहते हैं। यह सक्यूलेन्ट (succulent) प्रजाति का पौधा है।इसको ज्यादा धूप की भी ज़रूरत नहीं पड़ती तो आजकल के मल्टीस्टोरी बिल्डिंग में आसानी से लगाया जा सकता है। इसको ज्यादा देखभाल की ज़रूरत नहीं होती और यह आसानी से बढ़ता रहता है।

Lucky Plantयह आसानी से लग जाता है और इसको लगाने से घर में सुख समृद्धि आती है इसको लक प्लांट या मनी प्लांट भी कहते हैं।

यह घर के अंदर और आसपास की एयर क्वालिटी को बढ़िया करता है।

यह रात को भी co2 ग्रहण करता है।

हर्ट लीफ आइस प्लांट Heart leaf ice (Mesembryanthemum cordifolium(Aptenia cordifolia))

इसका वैज्ञानिक नाम Mesembryanthemum cordifolium(Aptenia cordifolia) है। इसको heart leaf ice हर्ट लीफ आइस प्लांट भी बोला जाता है।

यह मेरी बालकनी में लगा हार्ट लीफ आइस का पौधा है। यह बहुत आसानी से फैलने वाला और बहुत कम देखभाल में पूरे साल भर हरियाली बिखेरता है।

काँटों का ताज  क्राउन ऑफ थोर्न्स  Crown of thorns (Euphoria mili)

यह अपने नाम के अनुसार ही कांटों भरा होता है लेकिन खिलने पर बहुत ही बढ़िया लगता है। इसका पौधा वुडी झाड़ी भरा होता है। यह अपने आप में ही पेस्ट कंट्रोल का काम करता और स्नेल को भगाने के लिए काफी कारगर है। मेडागास्कर से उपजा यह पौधा पूरी तरह धूप में ही रहता है।

फ्लेमिंग काटी Flaming katy (kalanchoe blossfeldiana)

यह भी मुख्य रूप से मेडागास्कर का ही पौधा है।। और इसको ज्यादा धूप चाहिए होता है। और ठंड के लिए बहुत ही सेंसिटिव होता हैं। इसको रेतीली मिट्टी, जिसमें पानी इकट्ठा न हो और हवा भी पास होती रहे चाहिए होती है। यह भी जहरीले पौधे में आता है।

ज़ेब्रा  प्लांट  Zebra plant (haworthia fasciata)

हमारी बालकनी का सबसे नन्हा और नया मेहमान अपने लुक से बच्चों का भी प्यारा बना हुआ है। इनको बहुत ज्यादा नमी की ज़रूरत होती है। Aphelandra squarrosa इन्हें डायरेक्ट धूप में न रखें ये इंडोर प्लांट हो सकते हैं लेकिन इनमें फूल लगने के लिए कुछ धूप की ज़रूरत होती है।

हंस एंड चिक्स (सेम्पेरविवं टेक्टोरूम ) Hens and chicks (Sempervivum tectorum)

थोड़ा सा ध्यान रखकर अगर आप ढेरों पौधे चाहते हैं तो यह पौधा आप ही के लिए है एक बार लग जाने पर इसके बच्चे मुर्गी के चूजों जैसे निकलते ही रहते हैं और ये मुख्य पौधे के आसपास ही उगते हैं इसलिए इसका नाम हेन और चिक पड़ा।

यह यूरोप के पहाड़ों का मूल निवासी है जिसकी वज़ह से इसको ठंड की ज्यादा जरूरत पड़ती है। और ज्यादा गर्मी ये बर्दाश्त नहीं कर पाते। इनको पानी कम ही चाहिए होता है इनके तनों में काफी पानी होता है इसलिए इसको हाउस स्लीक भी कहते हैं।

ग्राप्टोपेटालूम परगुआयेंसे (घोस्ट प्लांट ) Ghost plant   ( Graptopetalum paraguayense)

यह जेड परिवार का ही एक सदस्य है। इसमें स्टार जैसे सफेद फूल भी आते हैं। यह -10 c में भी सुरक्षित रह सकता है लेकिन यह ज्यादा बरसात नहीं चाहिए होता। यह क्रीपर की तरह फैल भी सकता है।

बर्रो ‘स टेल (सेदुम मॉरगनिअनुम)    Burro’s tail (Sedum morganianum)

यह सूखे प्रदेश का पौधा है इसको बहुत ही कम पानी की ज़रूरत होती है। चूंकि यह कैक्टस परिवार से आता है इसलिए उसको रेतीली मिट्टी और अच्छी धूप की आवश्यकता होती है। यह हैंगिंग पॉट्स में बहुत ही बढ़िया ग्रो करता है और देखने में भी बढ़िया दिखता है।

अगर आप को भी बागवानी का शौक है और समय कम है साथ ही साथ आप अपने आसपास ताज़े और अलग अलग वैरिएटी के पौधे देखने का शौक रखते हैं तो सुकुलेंट्स को ज़रूर अपने घर लाएं यकीन मानिये आपको भी इन पौधों और उनकी हरियाली से प्यार हो जाएगा ।

परिंदे के नसीब का खुला आसमान

selective focus of two kingfisher birds on tree branch

हर परिंदे के नसीब में खुला आसमान नहीं होता
शमां में जलने वाला हमेशा परवाना नहीं होता
कहने को दिल में तमन्नाएं बहुत हैं
पर हर तमन्ना पूरी हो ऐसा भी अरमान नहीं होता
पैरों में बेड़ियाँ डालकर उड़ना आसान नहीं होता
और ऐसी उड़ान का कोई अंजाम नहीं होता
तो उड़कर आसमान हो छूना और मंजिल तक पहुंचना
तो पहला कदम उठाना ही काफी नहीं होता

उठो चलो दौड़ो और बेड़ियों को तोड़ दो
अपने हिस्से के आसमान को अपने मुक़द्द्रर से जोड़ लो

सितम्बर स्पेशल बागवानी

सितम्बर का महीना मौसम के परिवर्तन का आगाज़ लिए हुए होता है जिसमें बरसात का मौसम खत्म होने वाला होता है और ठंड की शुरुआत होने को होती है ऐसे में तापमान भी 30 से 35 डिग्री सेल्सियस के आसपास होता है।

बागवानी में हमेशा मौसम से ज्यादा तापमान का ध्यान रखना पड़ता है। उत्तर भारत और दक्षिण भारत के तापमान में काफी अंतर है इसलिए पेड़ पौधों के प्रकार और पैदावार में भी विभिन्नता दिखती है।

पेड़ पौधे हमारे लिए कितने ज़रूरी हैं यह किसी से छुपा नहीं है खासकर कोरोना काल में जब ऑक्सीजन के लिये हाहाकर मचा हुआ था ऐसे में बागवानी का शौक बहुत ही फायदे का साबित हुआ है, एक तो यह आपको बिजी रखता है ज्यादा आगे पीछे सोचने का मौका नहीं देता साथ ही यह कई लोगों को बुरी लतों से भी निकलने में बहुत मददगार हुआ है और पौधे बड़े ही भोले और निष्कपट निश्छल होते हैं जो हमें बहुत अंदर तक शन्ति और सुकून का माहौल देते हैं।

आज हम बात करते हैं उन पौधों की जो घर में आसानी से उग जाते हैं और ठंड़ीयों में आपको ऑर्गेनिक सब्जियों और फूलों के साथ हमें स्वस्थ और चुस्त दुरुस्त रखने में मददगार होता है।

इस लिस्ट में सबसे पहले आता है हर दिल अजीज और हर सब्जी में पड़ने वाला टमाटर और धनिया जिसके बीज़ हर घर में आसानी से मिल जाता है और उगाने में भी आसान है।

अगर आपके घर में साबुत धनिया हो जोकि किचन में खड़े मसाला के रूप में प्रयोग किया जाता है उसको मिट्टी के सही कम्पोजीशन में डाल दें शुरुआत में नमी की मात्रा सही रखें।मिट्टी की सही कंपोजीशन के लिए 30% मिट्टी, 30%रेत और 40% वर्मीकम्पोस्ट होना चाहिये।

उसके बाद आता है हरी मिर्च

हरी मिर्च उगाने के लिए भी अलग से बीज़ खरीदने की ज़रूरत नहीं होती जो मिर्च हम घर में प्रयोग करते हैं वह जब लाल हो जाती है उसको सुखाकर उसके बीज़ मिट्टी की सही कम्पोजीशन में डालकर उसी मिट्टी से ढंककर पानी दें। एक हफ्ते में इसकी छोटी पौध आपको देखने मिल जाएगी।

फिर फूल गोभी और शिमलामिर्च

फूलगोभी और शिमला मिर्च भी बीज़ से ही लगते हैं । इनके लिए भी मिट्टी का उचित अनुपात ज़रूरी होता है। मौसम अनुकूल होने से ये भी जल्द ही अंकुरित हो जाते हैं और ठंड आते आते आपको घर में ही ऑर्गेनिक और फ्रेश सब्जियां घर में ही खाने को मिल जाएंगी।

फूलों में गुलदाउदी और डहलिया का फूल मुख्य रूप से है। ये बीज़ के साथ साथ कटिंग से भी लगते हैं। ध्यान रहे कि बीज़ से निकलने वाले पौधे कटिंग की अपेक्षा फल फूल देने में अपेक्षाकृत समय ज्यादा लगाते हैं।

सितम्बर का महीना पौधों को रिपोटिंग यानी कि छोटे गमले से बड़े गमले में शिफ्ट करने के लिए सबसे उपयुक्त होता है साथ ही आप कुछ पौधों की कटिंग्स लगाकर फ्री में ही अपनी बागवानी का विस्तार कर सकते हैं।मैंने भी कुछ कटिंग्स  अभी ही लगाई हैं  और कुछ पौधे उनके बीज से उगाए हैं उनकी फोटोज नीचे हैं।

इसके साथ ही आप घर में प्रयोग आने वाली सब्जियों के बीजों को ही गमलों में लगाकर उसको ऊगा सकते हैं और उनसे पैदा हुई सब्जियों को एन्जॉय कर सकते हैं उनमें कुछ प्रमुख हैं करैला, लौकी, बैंगन, नीम्बू और पुदीना ।

पौधों को लगाने से पहले उसके बारे में थोड़ा जानकारी ज़रूर ले लेनी चाहिए जैसे कि पौधे को किस तरह की मिट्टी  और खाद की ज़रूरत होती है और कितना पानी पर्याप्त होता है। प्राकृतिक परिवेश और ज़मीन में उगने वाले पौधों की बात अलग होती है लेकिन हम इन पौधों को गमलों में और महानगर की बालकनी में उगाकर अपना शौक पूरा करने के साथ ही पर्यावरण को शुद्ध और स्वच्छ रखने में योगदान दे सकते हैं। बस ध्यान यह रखना है कि हम उनके लिए बहुत सीमित साधन दे पा रहे इसलिए उनको ज्यादा देखभाल की ज़रूरत होती है।

ब्रह्मकमल(Brahmkamal):: एक करिश्माई पुष्प या रहस्यमयी कैक्टस

कमल का फूल कीचड़ से निकलते हुए भी बहुत खूबसूरत और पवित्र होता है। यह हम मनुष्यों को काफी अच्छी सीख देता है कि हम अपने आसपास के वातावरण से विचलित न होकर सच्चाई और सन्मार्ग का पथ चयनित करें। कमल का फूल सच्चाई, सद्भावना और ऐश्वर्य का प्रतीक है और हमारे भारत देश का राष्ट्रीय फूल भी है।

धार्मिक महत्व

हिन्दू धर्म के अनुसार भगवान विष्णु की नाभि से निकले कमल के पुष्प से सृष्टि के सृजनकर्ता ब्रह्मदेव की उत्पत्ति हुई थी और उनका आसन भी कमल का फूल ही माना जाता है। उनके साथ ही साथ लक्ष्मी जी का आसन भी यही है। वैसे तो पानी में पाये जाने वाले कमल के फूल की जानकारी तो आम हैं, इसलिए आज हम बहुत ही चमत्कारी और रहस्यमयी फूल ब्रम्हकमल की जानकारी लेते हैं। वैसे तो कमल भारतवर्ष का राष्ट्रीय पुष्प है लेकिन ब्रह्मकमल कमल के फूल से अलग प्रजाति का पुष्प है जो हिमालय क्षेत्र हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी प्रदेशों में ही प्राकृतिक रूप से पाया जाता है।

दुविधा ब्रम्हकमल के बारे में

मैंने अपने बालकनी में ब्रम्हकमल का पौधा लगाया और उसके फूल को देखकर मन अतिप्रसन्न हो गया। बॉटनी की छात्रा होने के कारण उसके बोटानिकल नाम जानने की इच्छा हुई तो गूगल सर्च किया तब मेरे सामने बड़ी दुविधा वाली स्थिति आ गई। ब्रह्मकमल नाम खोजने पर दो बोटानिकल नाम सामने आए एक सौससुरी ऑब्वल्लता ( Saussurea obvallata ) और दूसरा एपिफिल्लुम ऑक्सिपेटालूम (Epiphyllum oxypetalum). अब दुविधा यह कि एक ही ब्रह्मकमल के दो बोटानिकल नाम कैसे हो सकते हैं नाम के साथ ही इनका परिवार भी अलग है। जहाँ पहला अस्टरसै परिवार का सदस्य है वही दूसरा केक्टसए परिवार का। और खोज बीन के बाद पता चला कि असली ब्रह्मकमल केवल पहाड़ी जगहों पर ही पाया जाता है जबकि हम जिसे ब्रम्हकमल समझकर अपनी बालकनी में लगाए हैं वो नाईट क्वीन या आर्किड कैक्टस है जिसका एक नाम निशिपद्मा भी है। जोकि ब्रह्मकमल की तरह ही रात में कुछ घण्टों के लिए खिलता है और परागण को आकर्षित करने के लिए बहुत स्ट्रांग महक बिखेरता है इसीलिए लोग खासकर दक्षिण भारत में इसको भी ब्रम्हकमल बोल देते हैं। यहाँ मैं क्रमवार फोटो भी दे रही हूँ जिसमें पहली फोटो है उत्तराखंड राज्य के राज्य पुष्प ब्रम्हकमल सौससुरी ऑब्वल्लता ( Saussurea obvallata) की जो यहां के तीर्थस्थान बद्रीनाथ और केदारनाथ में यह पुष्प अर्पित किया जाता है। दूसरी फोटो मेरे बालकनी में लगे हुए एपिफिल्लुम ऑक्सिपेटालूम (Epiphyllum oxypetalum) की।

Brmhkamal vs night queen

क्या है रहस्य

यह शाम को 7 बजे से लेकर रात 1 बजे तक खिलता है इसलिए इन्हें रहस्यमयी फूल कहते हैं क्योंकि कई बार तो इसका फूल कोई देख ही नहीं पाता। ऐसा माना जाता है कि इसके फूल को देखने वाले को सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य सब कुछ प्राप्त होता है। ऐसी मान्यता थी असली ब्राह्म कमल का फूल 14 वर्ष में एक बार आता है और पौधा ही दुर्लभ होता है और इसकी जानकारी भी कम होती हैं। जबकि नाईट क्वीन का प्लांट हमारे जैसे कुछ लोग अपने बालकनी में असली ब्रह्म कमल के नाम पर इसको लगाने लगे हैं और साल में 2,3 बार इसके फूल भी दिख जाते हैं। मुख्य रूप से जुलाई से सितंबर के महीने में इसमें फूल निकलते हैं।

 

नाईट क्वीन, निशिपद्मा या Epiphyllum oxypetalum पौधे की देखभाल

  1. यह पौधा कटिंग से ही लगाया जा सकता है।
  2. अगर इसको लगाना है तो ठन्डियों से तुरंत पहले लगाया जाना चाहिए।
  3. इसको लगाने के लिए इनडाइरेक्ट सूर्य का प्रकाश और उपजाऊ लेकिन पथरीली मिट्टी चाहिए।

यह कैक्टस प्रजाति का पौधा है तो इसको ज्यादा पानी की ज़रूरत नही होती। 2,3 दिनों में एक बार पानी देने पर भी यह बढ़िया रहता है।

इसका पूरा पौधा ही औषधीय गुणों से भरा हुआ हैइसके कुछ औषधीय गुण निम्न हैं::

  1. यह बुखार कम करने के लिए उपयोग में लाया जाता है।
  2. इसके जड़ से लगे हुए फुले हुए भाग (rhizome) और फूल मिलकर इसको जुकाम, खांसी और हड्डियों के दर्द में राहत देते हैं। इसके राइजोम का जूस एंटीसेप्टिक की तरह काम करता है और शरीर पर बने चोट के नीले निशान दूर करता है।
  3. यह स्वाद में कड़वा होता है इसलिए भूख बढ़ाता है।
  4. फूल का कड़वा स्वाद लिवर के स्वास्थ्य के लिए रामबाण माना गया है।
  5. इसका कड़वा स्वाद और औषधीय गुण मूत्र संक्रमण को दूर करने में सहायक होता है।

अपनी बालकनी में हमने आर्किड कैक्टस या नाईट क्वीन लगाया है और उसके फूलों को उसके पूरे रूप में खुलने का रोमांच का अनुभव किया हैं और यहाँ लिखे देखभाल के टिप्स और चित्र सब मेरे खुद का सुखद अनुभव का सार है।

और उत्तराखंड राज्य का राज्य पुष्प ब्रम्हकमल नीचे दिए चित्र में है जिसको बालकनी में नहीं लगाया जा सकता जैसे कि चित्र के पृष्ठभूमि से ही प्रतीत हो रहा कि इसको चट्टानी सतह और काफी ऊंचाई वाला वातावरण चाहिए। इसलिए आपको इसको देखने और जानने के लिए आपको पहाड़ो पर जाना पड़ेगा।

ब्रम्हकमल

अंत में एक और महत्वपूर्ण बात इन करिष्माई ब्रह्म कमल के बारे में यह भी हैं कि ब्रह्म कमल विलुप्तप्राय प्रजाति का पौधा है क्योंकि एक तो यह ऐसे ही बहुत कम मिलते हैं और जो हैं उनको भी इनके औषधीय गुण के कारण लोग बर्बाद कर देते हैं तो जितना हो सके हम सभी को इसका सरंक्षण करना चाहिए और प्रकृति के अनुपम सौंदर्य को एन्जॉय करें।

(आशा हैं आपको मेरा यह छोटा सा प्रयास इन फूलों को ब्लॉग के माध्यम से संरक्षित करने का पसंद आएगा। आपके सुझाव भी आमंत्रित हैं।)


 

Bamboo-Versatile friend with many names & uses

Bamboo  when we hear this word what comes in our mind. It may be  a green jungle of Bamboo or a flute made by  bamboo, either a basket made of bamboo or a stick taken by a old person for his support. But have we all explored our versatile friend Bamboo enough. Not much, you would find this after going through the post.

Its more of culture in many part of south east Asia. It has 1,500 different species all over world. So lets talk a little about Bamboo.

Its versatile character and easily availability  makes it poor man’s timber and green gold.

Some very interesting facts about Bamboo to start with.

Do you know?

  • Origin of word Bamboo comes from  ” Mambu” in malay language of Malaysia and Indonesia. No Chinese connection.
  • That Bamboo is food for 90% of Pandas.
  • Some species of Bamboo can grow up to 1 metre in a day.
  • Bamboo is a natural air conditioner  as it cools down the surrounding air by approx. 8 degrees in summer.
  • Bamboo is drought resistant plant. In drought condition they curl up their leaves.
  • First fire cracker is made from bamboo as when it burns it gives a sound because of air filled in hallow part of bamboo.
  • First bulb made by Thomas Alva Edison has bamboo filament as it is good conductor of electricity.

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Natural Air Purifiers…Lets fight air pollution in green way

As the winter is setting in and we all are getting in festival moods, we have also started to feel the pinch of polluted air, more severe for friends in North India. Do we all are not wanting to get out of choked air to celebrate the Festivals with lot of joy and happiness, but the choices are not available all the time due to various exigencies, so should we accept this noise and air pollution as our fate. Not trying should not be our choice. To reduce such pollution, on individual efforts, we all can add some plants in our balcony which shower on us the uncountable benefits as natural air purifier plants but also the rejuvenating aura they form around us.

An interesting project ” NASA Clean Air Study” to research ways to clean the air in space stations was done by the National Aeronautics and Space Administration (NASA) in association with the Associated Landscape Contractors of America (ALCA). Its results suggested that, in addition to absorbing carbon dioxide and releasing oxygen through photosynthesis, certain common indoor plants may also provide a natural way of removing volatile organic pollutants (benzene, formaldehyde, and trichloroethylene were tested).

The study further suggested that efficient air cleaning is accomplished with at least one plant per 100 square feet (9.3 m2) of space, but was conducted under sealed space station conditions and research conducted since has shown mixed results in the home or office.

So based our own experience, the details of some green natural air purifier plants (with their common name) are being sharing, which you would love to grow in your balconies.

Money Plant (Epipremnum aureum)

A money plant is one of the most common household plants. As their name goes, the money plants are very beneficial in many purposes like it helps in purifying air, showering good health, relieving stress as well as for improvement in sleeping disorders. Money plants are succulents and very good anti radiator. It also cuts away the harmful radiations from electronic devices, so can be kept indoors also. Growing them is just easy, get a well grown branch of the plant, put it in some water bottle or soil pot in good shade area and with very little watering effort, enjoy see them growing in just few days.

Areica Palm (Chrysalidocarpus lutescens)

This plant is just great for large open area. It gives green natural look in entire balcony garden and in elimination of toxins, it is very much effective even for poisonous gas carbon monoxide.

The plant is very easy to grow, can be easilypropagated through dividing the mature grown plants and easy to maintain.

They require normal sunshine and moderate watering as per climate outside.

 

Rubber Plant (Ficus elastica)

Rubber plant is not so domestic but now it is trend to grow it in balcony garden. Although it needs much patience.

Rubber plants can remove airborne toxins and fight tropical diseases and parasites.

From studies it’s proven that it cleans formaldehyde which comes from cleaning supplies and furnitures.

          

Balcony Gardening Fun for Beginners

भारत कृषि प्रधान देश है और यहाँ कृषि युक्त काफी ज़मीन है जिसपे खेती और बागवानी सदियों से होती आ रही है । हम से कई लोग ऐसे हैं जिनके परिवार के कोई न कोई सदस्य आज भी खेती किसानी के काम में लगे होंगे । लेकिन बदलते समय और हमारी बदलती जीवनशैली ने हमें गांव से उठाकर शहरों के छोटे छोटे फ्लैट्स में कैद कर दिया है जहाँ हम बागवानी तो क्या खुलकर साँस भी नही ले पाते लेकिन मन के किसी कोने में यह इच्छा जरूर दबी रहती हैं कि जीवन क़े पुराने हरियाली भरे समय को फिर से जी सके ।

 फिर तो बागवानी का शौक रखने वाले अपनी हरियाली की जगह खोज ही लेते हैं अगर आप भी उन्हीं लोगों में हैं तो ये बालकनी गॉर्डन पर लेख आपके लिए ही है। आज हम ऐसे पौधों और तरीकों के बारे में बात करेंगे जो बालकनी और छत पर आसानी से उगाए जा सकते हैं और उनकी कम देखभाल में भी, हरियाली का आनन्द लिया जा सकता हैं ।

 

बालकनी बागवानी क़े लिए हमें ज़रूरत पड़ेगी:

कुछ प्लास्टिक/ फिबेर/ चीनी मिट्‍टी/ सीमेंट/ मिट्‍टी क़े गमले, घास काटने की कैंची, मैनुअल वीडर्स, ट्रावेल, प्रुनर्स, ग्लव्स, कुदाल, हैंड कल्टीवेटर, नली, सींचने का कनस्तर, गार्डन कार्ट या व्हीलबार, अच्छी क्वालिटी की मिट्टी, खुरपी, कुछ बीज और कुछ नर्सरी से लाए पौधे ।

कुदाल-मिट्टी की खुदाई के लिए यह उपकरण काम आता है।

नली- पौधों को पानी देना बागवानी में महत्वपूर्ण कदम होता है इसलिए एक बढ़िया क्वालिटी का पाइप बहुत ज़रूरी होता है।

सींचने का कनस्तर- छोटे बर्तनों और पौधों के लिए पाइप उतना उपयुक्त नहीं होता इसलिए एक सींचने का कनस्तर ज़रूरी होता है।

Fabulous Five -5 मेडिसिनल प्लांट्स जो मच्छर को रखें घर के बाहर

आप हम सभी जानते हैं कि मच्छर को पनपने के लिए बारिश का मौसम बहुत अनुकूल होता है और इस मौसम में इनकी प्रजनन क्षमता भी तेजी से काम करती है और इनके बढ़ने के साथ ही बढ़ती हैं मलेरिया, डेंगू, चिकनगुनिया जैसी अनेक बीमारियाँ। अपने और अपने परिवार को इन सबसे बचाने के लिए हम हर सम्भव प्रयास करते हैं और उसके लिए न जानें कितने रासायनिक सामानों को लेकर आते हैं और उसका इस्तेमाल भी करते हैं जो कहीं न कहीं हमें नुकसान भी करता है।

आज हम आपको बताने जा रहें हैं कुछ ऐसे पौधे जो आपके बागवानी के शौक को भी पूरा करते हैं साथ ही साथ अनचाहे मच्छरों (Mosquito Repellent) को भी एक हद तक हमारे घर से दूर रखते हैं। शुरुआत करते है हर घर में पाई जाने वाली सदाबहार तुलसी।

 

तुलसी (Tulsi)

तुलसी लामिएसी (Lamiaceae) परिवार का सदस्य और औषधीय गुणों से भरपूर पौधा है। यह हमारे शरीर को तमाम इंफेक्शन से बचाता है साथ ही साथ वायरस से लड़ने में भी मददगार होता है।

तुलसी का पौधा भी मच्छर भगाने वाला होता है। तुलसी का पौधा हर रूप में ही फायदे का होता है इसको दूध में उबालकर काढ़ा पीने से जुकाम, सर्दी ठीक होती है खासकर इस कोरोना टाइम में तो ये और रामबाण जैसा है।

 

मरुआ (Marua)

तुलसी लामिएसी (Lamiaceae) की ही प्रजाति का ये पौधा भी अपनी महक से मच्छरों को भगाने में भी मदद करते हैं। आम बोलचाल की भाषा में इसको मरुआ दोना भी बोलते हैं। इसमें भी कार्तिक अगहन के महीने में तुलसी के जैसे ही मंजरी निकलती है जिसमें सफ़ेद फूल निकलता है। मरुआ दो प्रकार का होता है काला मरुआ और सफ़ेद मरुआ । सफेद मरुआ अपनी औषधीय गुणों के कारण जाना जाता है। काला मरुआ में औषधीय गुण नहीं होता।

 

नीम्बू घास (lemon grass)

नीम्बू घास (Cymbopogon citratus) घास प्रजाति का एक पौधा होता है इसमें औषधीय गुण होते हैं। इसका प्रयोग सिट्रोनेला तेल बनाने में किया जाता है। इस तेल का प्रयोग साबुन, सेंट, मच्छर भगाने वाले अगरबत्ती बनाने में किया जाता है। नींबू घास की बनी चाय भी काफी लोग पसंद की जाती है।

 

गेंदा (Marigold)

गेंदें के फूल से हम सब भली भांति परिचित हैं  तजेतस (Tagetes) जीनस का सूरजमुखी परिवार का यह पौधा आसानी से मिलने वाला और काफी समय तक तरोताजा रहने वाला फूल है। अगर आपको थोड़ा भी बागवानी का शौक है तो आपने अपने गार्डेन में ज़रूर ये पौधा लगाया होगा ये सीजनल पौधा है लेकिन बहुत आसानी से और कम देखभाल में होने वाला पौधा है।

इन सब विशेषताओं के साथ गेंदें में औषधीय गुण भी काफी होते हैं। यह एंटीसेप्टिक होने के साथ-साथ एंटीऑक्सीडेंट, एंटीइंफ्लेमेटरी सभी गुण मिलते हैं।

अल्सर और त्वचा सम्बंधित बीमारियों को ठीक करने के साथ ही साथ ये मच्छर और मक्खियों को भी दूर रखता है।

 

लेवेंडर (Lavender)

पुदीने परिवार लामिएसी ( Lamiaceae) का ये खुशबूदार सदस्य न केवल खुशबू में लाजवाब है बल्कि औषधीय गुणों की भी खान है।

लैवेंडर अवसाद(डिप्रेशन), अनिद्रा की समस्याओं को भगाने के साथ ही आसान और प्रभावी कीट रक्षक भी है।

यह उगाने में आसान और देखभाल करने में भी आरामदायक होते हैं।

इसलिए अगली बार जब आप पौधों की खरीदारी के लिए बाहर जाएं या किसी नर्सरी में जाएँ, तो इन औषधीय पौधों की तलाश करें और अपने प्रियजनों के स्वास्थ्य के साथ-साथ हरियाली फैलाएं।