Nutrition

कुछ रंग अपने चावल के

हमलोग अपने खाने में सामान्यतया दाल चावल रोटी सब्जी ही खाते हैं उन्हीं में से मुख्य अनाज चावल की आज हम बात करने वाले हैं। भारत में कई प्रान्त ऐसे हैं जिनकी सामाजिक जीवन की कल्पना भी चावल के बिना नहीं की जा सकती। चावल पानी वाले इलाकों जैसे बिहार, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, केरला, तमिल नाडु में ही पैदा होता है सूखे इलाकों में इसकी पैदावार नहीं हो सकती।

people riding on brown duck on river

वैसे तो हम सब चावल के प्रकार में उसकी अलग अलग किस्मों के बारे में सुना ही होगा जैसे की सबसे मशहूर किस्म बासमती जिसे तो सभी जानते हैं उसके साथ ही सोनम, मोगरा, ठकुरभोग, विष्णु भोग, काली मुछ जैसे चावल की अनेक किस्में हैं जो या तो किसानों को पता होता है या वैज्ञानिकों को जो लगातार नयी प्रजातियां खोजते रहते हैं।

क्या आपको पता है की हमारे देश में चावल की कई वाइल्ड वैरायटी पाई जाती है जिनको खेत में नहीं बोते बल्कि वो अपने आप खरीफ फसल के मौसम में पानी वाली जगह में उग जाते हैं। हमारे यहां कुछ त्यौहार में यही चावल खाने का रिवाज़ है।

तो आज हम चावल के नाम के अलावा इनके रंग के बारे में कुछ रोचक बाते करते हैं । हम जैसे सामान्य लोग तो सफ़ेद चावल की कुछ किस्मों के अलावा ज्यादा से ज्यादा ब्राउन राइस ही जानते हैं। पर रंगो की बाते इनसे आगे भी हैं तो शुरुआत ब्राउन राइस से ही करते हैं ।

1. भूरा चावल [Brown Rice]-close up photo of brown rice

धान की फसल में से जब उसका बाहरी छिलका उतारते हैं तो अंदर भूरे रंग का ब्रान होता है उस ब्रान के साथ ही जो चावल होता है उसे भूरा चावल कहते हैं जबकि ब्रान को हटा देने पर हमें सफेद चावल मिलता है। आजकल लोग फिटनेस फ्रीक हो रहे इसलिए ब्राउन राइस काफी प्रचलन में आया है । वैसे तो यह देखने और खाने दोनों में ही कुछ खास नहीं होता और इसको चबाना भी बहुत पड़ता है लेकिन इसमें पोषक तत्व भरपूर होते हैं।

यही कारण है कि इसे हेल्दी माना जाता है क्योंकि इसमें बहुत सारे विटामिन और मिनरल्स होते हैं। इसमें थियामाइन (Thiamine) जिसको विटामिन बी1 भी कहते हैं, होता है जो आपके नर्वस सिस्टम के लिए काफी अच्छा होता है। इसी के साथ, ये मसल्स, दिल और अन्य जरूरी ऑर्गन का ख्याल रख सकता है। आपको बताते चलें कि इसमें सफेद चावल की तरह की कैलोरी और कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं। तो अगर आपको लगता है कि सफेद चावल की तुलना में ब्राउन राइस में कैलोरी कम होती है तो ये एक भ्रांति है।

भूरा चावल [Brown Rice] के फायदे-
  • इसमें कैल्शियम और मैग्नीशियम अच्छी मात्रा में होता है जिससे हड्डियां मजबूत होती हैं और साथ ही साथ स्ट्रेस कम होता है।
  • ये थकान मिटाने के लिए काफी मददगार साबित हो सकता है।
  • ये दिल के लिए अच्छा होता है।
  • ब्राउन राइज में ज्यादा फाइबर और प्रोटीन कंटेंट होता है जो लंबे समय तक आपका पेट भरा होने का अहसास करवाएगा।

2. लाल चावल [Red Rice]-

close up photo of assorted rice

मुख्य रूप से असम की ब्रम्हपुत्र की घाटी में बिना रसायन के पैदा होने वाला यह लाल चावल जिसे वहां की भाषा में बाओ -धान भी कहते हैं बहुत ही कमाल का चावल प्रकार है जिसका निर्यात कोविद १९ के दौरान भी नहीं रुका।

लाल चावल  में एक एंटीऑक्सीडेंट होता है जिसे अन्थो सयनिन्स (Anthocyanins) कहा जाता है। ये एंटीऑक्सीडेंट गहरे पर्पल या गहरे लाल रंग के फलों और सब्जियों में होता है। यही एंटीऑक्सीडेंट इसे लाल रंग देता है। ये केमिकल काफी हेल्दी खूबियों के साथ आता है और ये चावल आपकी दैनिक फाइबर और आयरन की जरूरतों को पूरा कर सकता है।

ये चावल उन लोगों के लिए काफी अच्छा हो सकता है जिन्हें वजन कम करना है क्योंकि इसमें ऐसी खूबियां होती हैं जिनसे लंबे समय तक भूख नहीं लगती है। ये धीमें डाइजेस्ट होते हैं।

लाल चावल [Red Rice] के फायदे-
  • इनमें खाने को पचाने वाले फाइबर्स ज्यादा पाए जाते हैं जिससे हृदय की बीमारियों का खतरा कम होता है । और ब्लड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है।
  • जलन, ऐलर्जी और कब्ज़ जैसी समस्याओं से निजात दिलाता है।
  • ये ब्लड शुगर नियंत्रण के लिए भी अच्छा साबित हो सकता है।
  • अन्थो सयनिन्स (Anthocyanins) केमिकल इसलिए अच्छा माना जाता है क्योंकि इसमें एलर्जी से लड़ने वाली खूबियां होती हैं और साथ ही साथ कैंसर से बचाव भी हो सकता है।

3. सफेद चावल [White Rice]-

rice grains on a brown paper

सबसे कॉमन तरह का चावल जो हमारे घरों में मिलता है वो व्हाइट राइज ही होता है। ये सबसे ज्यादा खाया जाता है हालांकि, इसे सबसे अनहेल्दी चावल भी माना जा सकता है क्योंकि ये बहुत ज्यादा रिफाइंड होता है और ये अपने जरूरी मिनरल्स जैसे विटामिन-B और थियामाइन को लूज कर देता है।

सफेद चावल [White Nice ]के फायदे-
    • ये बहुत आसानी से उपलब्ध होता है।
    • इसे कई अलग-अलग वेराइटी में पाया जाता है और ये सस्ता भी होता है।
    • ये एनर्जी के मामले में सबसे ज्यादा हो सकता है क्योंकि इसका स्टार्च कंटेंट बहुत ज्यादा होता है। ये बाकी किसी भी चावल की तुलना में ज्यादा एनर्जी देता है।
    • ये कार्बोहाइड्रेट्स से भरपूर होता है और इसलिए इसे बेहतर माना जाता है।

4. काले चावल [ Black Rice]-

food wood spoon dry

काले चावल की सबसे बड़ी खासियत यह है की ये शुगर फ्री होते हैं और इसको मधुमेह रोगी भी खा सकते हैं। इसमें एंटीऑक्सीडेंट के साथ ही साथ और भी औषधीय गुण भी पाए जाते हैं जो इसको बाकि के चावलों से महंगा कर देते हैं। पूर्वी उत्तरप्रदेश का चंदौली जिला जिसको उत्तरप्रदेश  के धान का कटोरा भी कहा जाता है इस चावल की पैदावार का गढ़ है।

काले चावल का इस्तेमाल कई एशियन फूड्स में होता है और चाइनीज खाने में तो इसे बहुत ज्यादा खाया जाता है।

काले चावल [ Black Rice] के फायदे-
  • इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स, फाइबर, फाइटोकेमिकल्स, फाइटोन्यूट्रिएंट्स होते हैं।
  • इसमें बहुतायत में विटामिन-ई होता है और साथ ही साथ ये प्रोटीन और आयरन से भी भरपूर होता है।
  • काले चावल  के कई हेल्थ बेनिफिट्स होते हैं और एक रिसर्च के मुताबिक इसमें कैंसर के खतरे को कम करने के गुण भी होते हैं।
  • काले चावल की एक सर्विंग में 160 कैलोरी होती हैं जो इसे नॉर्मल व्हाइट राइज की तुलना में काफी हेल्दी च्वाइस बनाती है।

हमारे शरीर में सभी पोषक तत्वों की हमें हमारे शरीर के हिसाब से ज़रूरत होती है और उस मात्रा में हमें उसका उपयोग करना चाहिए किसी की अधिकता या कमी हमें रोगों के भंवरजाल में धकेल सकती हैं इसलिए सतर्क रहकर सभी पोषक तत्वों का उचित मात्रा में सेवन करे और स्वस्थ और खुशहाल रहें। अगर ये जानकारी आपको आपके काम की लगे तो अपने दोस्तों रिश्तेदारों को भी शेयर करें।

मानसून वेजटेबल:: खेस्का,ककोड़ा या कंटोला

 

सीजनल सब्जियां हमेशा से ही सेहतमंद और इकनोमिक रूप से फायदेमन्द होती हैं। आजकल सभी सब्जियां पूरे साल मिलती हैं लेकिन वो ताज़ी और शुद्ध हों ये ज़रूरी नही होता। क्योंकि किसी भी फसल को उगने और बढ़ने के लिए सही सीजन और  प्राकृतिक वातावरण की ज़रूरत होती है उसको बिना सीजन के उगाने के लिए हमें सीमित वातावरण और केमिकल्स की ज़रूरत पड़ती है या तो उसको कोल्ड स्टोरेज में स्टोर करना पड़ता है जो कि उस फसल के साथ ही साथ हमारे भी स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ होता है।

अभी बारिश का मौसम है और हम आज मानसून की एक सब्जी “खेसका”की खासियत जानेंगे जो कि सेहत के साथ ही आंखों को भी बड़ी सुकून देने वाली होती है। यह पूरे भारत में साथ ही साथ साउथ एशिया में भी पाई जाती है। यह पहाड़ी क्षेत्रों में अपने आप ही उग जाती है और 3-4 महीनों तक ही रह पाती है।

इसको विभिन्न जगहों पर विभिन्न नाम से जाना जाता है।

इसका साइंटिफिक नाम  मोमोरदिका डिओइका (Momordica dioica ) है इसको स्पिनी गॉर्ड (spiny gourd) या टीसले गॉर्ड (teasle gourd) भी कहते हैं। हमारे मिर्ज़ापुर में इसको खेस्का बोलते हैं वहीं कुछ जगह इसको कंटोला या ककोड़ा भी कहा जाता है।

जैसा कि इसके नाम से ही साफ है कि यह गॉर्ड फॅमिली  का फ्लोवेरिंग प्लांट है।

इसमें पाए जाने वाले कुछ खास गुण

  1. यह फायटोन्यूट्रिएंट (phytonutrient) ( पौधों में पाया जाने वाले प्राकृतिक उपयोगी रसायन) का बहुत ही अच्छा स्रोत होता है। साथ ही साथ मानसून में पैदा होने के कारण इसमें पानी की मात्रा बहुत होती है।
  2.  इसमें बहुत कम कैलोरी होती है जिसकी वजह से यह वज़न नियंत्रित करने वालों के लिए काफी बढ़िया विकल्प हो सकता है। इसके 100ग्राम के अंदर लगभग 17 कैलोरी ही मिलती है।
  3. मानसून में पैदा होने की वजह से मानसून में होने वाली बीमारियों जैसे फ्लू, रैशेस, एलर्जी इन सबका भी रक्षा कवच है।
  4. इसमें प्लांट इंसुलिन काफी मात्रा में मिलता है जिसकी वजह से यह प्राकृतिक तरीके से ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है।
  5. इसमें फाइबर्स बहुतायात में मिलते है जिसकी वजह से यह पेट की बीमारियों जैसे अपच, गैस और बवासीर की बीमारियों में भी काफी आराम पहुंचाता है।
  6. इसमें कैरोटीनॉयड (Carotenoid) जैसे कि ल्युटिन (leutin) पाए जाते हैं जो आंख के लिए काफी अच्छा होता है।
  7. साथ ही साथ यह सब्जी हृदय की बीमारियों और कैंसर में भी काफी असरदार है क्योंकि इसमें विटामिन सी और प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं इसलिए यह त्वचा सम्बंधित बीमारियों में भी असरदार है।

तो अब जब भी आप मार्किट जाएं और यह हरी भरी कँटीली सब्जी दिखे तो इसको जंगली और बेकार समझ कर छोड़ कर न आएं बल्कि घर लाके ज़रूर आज़माएँ और इसके फायदे उठाये।

इम्युनीटी बूस्टर एन्टी पायेरेटिक जड़ी बूटी :: गिलोय

 

आज जबकि कोरोना महामारी से त्रस्त है और चिकित्सा विज्ञान की सभी पद्धतियों ने नेचुरल इम्युनिटी को ही सर्वश्रेष्ठ साबित कर दिया है क्योंकि सभी तरह के ट्रायल में सबकी बॉडी अलग अलग रिएक्शन दे रही। कोई थेरेपी किसी पर काम कर रही तो किसी की जान बचा पाने में असमर्थ हो जाती है।

ऐसे में हमारे पास अपने किचन और अपनी देसी ईलाज़ ही नज़र आते है जो कि काढ़ा,  भाप,और हल्दी, गिलोय,अदरक,इलायची, लौंग जैसी जड़ी बूटियां ही हैं।कोरोना दूसरी लहर में न जाने कितने लोगों ने अपनी जान गंवा दी और जो बचे रह गए हैं वो अभी भी पोस्ट कोविड के लक्षणों से परेशान हैं ।

आज हम इनमें से गिलोय जिसे गुडीची भी कहते हैं, इसके कुछ इफेक्ट्स और साइड इफेक्ट्स दोनों ही समझते हैं।

गिलोय है क्या

गिलोय एक हृदय के आकार की पत्तियों वाली जड़ी बूटी है जिसकी छाल भी उबालकर काढ़े के रुप में प्रयुक्त होती है। इसका वैज्ञानिक नाम टीनोस्पोरा कौडीफ़ोलिया (Tinospora cordifolia) है।

इसको मधुनाशिनी और अमृत भी कहा जाता है। यह इंसुलिन प्रोडक्शन बढ़ाने में सहायक है और ऐसा करके हमारे शरीर के ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करती है इसलिए इसको मधुनाशिनी भी कहते हैं।इसको संस्कृत में अमृतवल्ली या अमृत भी कहा गया है।

इसके उपयोगी भाग

गिलोय का स्टेम काफी उपयोगी माना गया है क्योंकि इसके अंदर काफी स्वास्थ्य वर्धक चीजें होती हैं जैसे कि स्टेरॉइड्स,अल्कालोइड्स , ग्लाइकोसाइड और  काफी सारे कंटेंट होते हैं। इसकी पत्तियां और जड़ भी उपयोग में लाई जाती हैं।

इसको उपयोग कैसे करते हैं

आयुर्वेद के अनुसार गिलोय या तो पाउडर फॉर्म में ले सकते हैं या काढ़ा फॉर्म में या फिर जूस के रूप में भी ले सकते हैं। आजकल बाज़ार में इसकी टेबलेट भी उपलब्ध है।

अलग अलग रोगों के लिए इसको इस्तेमाल करने का तरीका और उसकी मात्रा अलग अलग होती है।

इससे होने वाले फायदे

यह डेंगू, मलेरिया, वायरल बुखार जैसे रोगों के लिए बहुत ही उपयोगी है। किस रोग में कब और कितना लिया जाना है यह सब किसी आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श लेकर आप इस्तेमाल कर सकते हैं

गिलोय बॉडी डिटोक्स का काम बहुत बेहतरीन तरीके से करता है तो लिवर और किडनी की गंदगी आसानी से खत्म कर देता।

यह पाचन प्रक्रिया को भी स्मूथ कर देता है।

घबराहट, थकान,तनाव को भी काफी हद तक दूर करता है।

यह आंखों के लिए भी काफी अच्छा माना गया है।

अर्थराइटिस और गाउट के लिए भी बेस्ट दवाई है।

यह बालों और त्वचा के लिये भी काफी लाभकारी माना गया है।

इससे होने वाले साइड इफेक्ट्स

इससे साधारण तौर पर कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता लेकिन अति किसी भी चीज की बुरी होती है। अगर आप मधुमेह की और दवाओं के साथ गिलोय प्रयोग करेंगे तो शुगर लेवल नार्मल से कम हो सकता है। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी इसका इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी जाती है क्योंकि 5 साल से कम के बच्चों पर इसका प्रभाव टेस्ट नहीं किया गया है।

इसका टेस्ट थोड़ा कड़वा ज़रूर होता है लेकिन इतने फायदों के साथ हल्का कड़वापन कोई ज्यादा दिक्कत नहीं देता।

दवा है हुज़ूर कड़वी तो होगी

आसान नहीं बनके जीना रोगी

खेलने के लिए जीवन की स्वस्थ और लंबी पारी

थोड़ी कड़वे खाने और दोस्तों की यारी

छोटी सी कीमत है नहीं होगी किसी पे भारी।

16सुपरफूड्स (superfoods)- साल की स्वस्थ शुरुआत

साल 2020 जाते जाते बहुत सी सीख दे गया उसमें से एक यह भी है कि सबसे जरुरी खुद का स्वास्थ्य है। उसके लिए स्वस्थ खान पान और साफ सफाई बहुत जरुरी है। इसलिए नए साल 2021 में, हम बात करेंगे सुपरफूड्स की, जो हमारी सेहत को अच्छा रखने में हमारी मदद कर सकते हैं।

Superfoods

सुपरफूड्स सुनकर हम सबके दिमाग़ में क्या इमेज आती है? ऐसा खाना जो हमारी सारी ज़रूरत पूरी करे और हमको एकदम फिट रखे। जबकि वास्तविकता में ऐसा कुछ नहीं है। सुपरफूड्स नाम मार्केटिंग कंपनियों का फ़ैलाया हुआ जाल है। ऐसा कोई भी फ़ूड नहीं होता जिसमें सारे न्यूट्रीएंट हों और एक ही फ़ूड खाने से हमारे शरीर की ज़रूरत पूरी हो जाए। तब भी हम आज ऐसे कुछ फूड्स की बात करेंगें जिसमें सभी तो नहीं कह सकते पर हाँ ज्यादातर न्यूट्रीएंट होते हों और जो आसानी से उपलब्ध भी हों।

इसमें सबसे पहले आता है:

1. नट्स(NUTS)   

 

नट्स हमारे शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते है। अगर बात करे नट्स की तो बादाम, किशमिश, काजू, पिस्ता, मूंगफली, अखरोट आदि जैसे कई प्रकार के होते है। इसने वो सभी पोषक तत्व मौजूद होते है जो हमारे शरीर को चाहिए। लेकिन इनका फायदा तभी उठाया जा सकता है जब इसका सेवन नियमित मात्रा में किया जाये। ज्यादा मात्रा में इनका सेवन आपकी सेहत को नुकसान भी पंहुचा सकता है।

सबसे अच्छी बात यह है कि इनको आप चलते फिरते कही भी खा सकते है। यह हमारे शरीर को भरपूर उर्जा प्रदान करते है और कई तरह के रोगों से लड़ने में भी मदद करते है। मेमोरी पॉवर को बूस्ट करते है। नट्स प्रोटीन्स, फाइबर, मिनरल्स और अनसैचुरेटिड फैट से भरपूर होते हैं। कई लोगों का यह मानना भी है कि नट्स का सेवन अगर सही ढंग से किया जाए तो यह हमारा वजन घटने में भी मदद करते है।

2.ओट्स (जई)(OATS)

 

ओट्स का नाम तो हम सबने ही सुना होगा यह बनाने में भी आसान होता है और काफी हेल्दी भी होता है। ओट्स में आयरन, कैल्शियम बीटा ग्लूकॉन जैसे बहुत से तत्व मिलते हैं। जो लोग डायबिटीक हैं या जो वसा अनियमितता के शिकार हैं उनके लिये ओट्स काफी कारगर होता है।

3.साबुत अनाज (WHOLE GRAINS)

साबुत अनाज अर्थात दाने के तीनों भागों को खाया जाता है जिसमें रेशा युक्त बाहरी सतह और पोषकता से भरपूर बीज भी शामिल है। साबुत अनाज सेहत से भरपूर्ण होता है। भूसी एवं बीज से विटामिन ई, विटामिन बी और अन्य तत्व जैसे जस्ता, सेलेनियम, तांबा, लौह, मैगनीज एवं मैग्नीशियम आदि प्राप्त होते हैं। इनमें रेशा भी प्रचुर मात्र में पाया जाता है।

सभी साबुत अनाजों में अघुलनशील फाइबर पाये जाते हैं जो कि पाचन तंत्र के लिए बेहतर माने जाते हैं, साथ ही कुछ घुलनशील फाइबर भी होते हैं जो रक्त में वांछित कोलेस्ट्रोल के स्तर को बढ़ाते हैं। साबुत अनाज कार्बोहाइड्रेट का भंडार होता है जो कि स्‍वास्‍थ्‍य के लिहाज से बहुत अच्‍छा होता है।

साबुत अनाज का सेवन करने वाले लोगों को मधुमेह, कोरोनरी धमनी रोग, पेट का कैंसर और उच्च रक्तचाप जैसे रोगों की आशंका कम हो जाती है। साबुत अनाज में पाए जाने वाले फाइबर अंश पेट में गैस बनने की प्रक्रिया कम करते हैं एवं पेट में स्थिरता का आभास होता है, इसलिए ये शारीरिक वजन को कम करने में सहायता करते हैं।

साबुत अनाज और साबुत दालें प्रतिदिन के आहार में अवश्य सम्मिलित करने चाहिये। धुली दाल के बजाय छिलके वाली दाल को वरीयता देनी चाहिये। साबुत ताजे उबले हुए चावलसे बनाए गए इडली, उपमा, डोसा आदि रिफाइन्ड अनाज से बने पैक किए उत्पादों जैसे पस्ता, नूडल्स आदि से कहीं बेहतर होते हैं।

4.दही (DAHI or CURD)

दही का प्रयोग हर घर में होता है। लेकिन क्या आपको पता है दही में कई प्रकार के पौष्टिक तत्व मौजूद होते हैं जिनको खाने से शरीर को फायदा होता है। आइए हम आपको बताते हैं कि दही आपके शरीर के लिए कितना फायदेमंद है। दही में कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन पाया जाता है। दूध के मुकाबले दही सेहत के लिए ज्यादा फायदा करता है। दही में दूध की अपेक्षा ज्यादा मात्रा में कैल्शियम होता है। इसके अलावा दही में प्रोटीन, लैक्टोज, आयरन, फास्फोरस पाया जाता है।

5.बेरीज़ (BERRIES)

बेरीज़ पौष्टिकता का खज़ाना होते हैं। इसमें विटामिन्स, मिनरल्स, फाइबर्स और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में मिलते हैं।

एंटीऑक्सीडेंट क्षमता हृदय सम्बंधित बीमारियों और कैंसर जैसी बीमारियां दूर भगाने के लिये होता है। बेरीज़ इम्युनिटी मज़बूत करने के साथ ही साथ पाचन सम्बंधित समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है।

कुछ कॉमन बेरीज़ :

रस बेरी (RASHBERI)

स्ट्राबेरी (STRAWBERRY)

ब्लूबेरी (BLUBERRY)

ब्लैकबेरी (BLACKBERRY)

6.क्रूज़फेरस सब्जियाँ (CRUCIFEROUS VEGETABLES)

वेजीटेबल जैसे कैबेज, Cauliflower,Broccoli, Sprouts ये फाइबर युक्त होते हैं और ये कैंसर, हार्ट अटैक वगैरह का ख़तरा कम रहता है। इस ग्रुप की सब्जियों में इण्डोल ग्लूकोसिनोलेट होता है जो कि गट में हेल्थी बैक्टीरिया मेन्टेन रखने में मदद करता है।

ये वजन घटाने के साथ डायबिटीज़ और दिल से जुड़ी समस्याओं को भी कम करती है। चूंकि इसमें कैल्शियम पाया जाता है, इससे हड्डियां मजबूत होती है।

7.शकरकंद (SWEET POTATOES)

 

 

  शकरकंद को स्वीट पोटैटो के नाम से भी जाना जाता है और इसमें ऊर्जा का खजाना होता है। अक्सर लोग इसे आलू से जोड़कर देखते हैं लेकिन पोषक तत्वों और स्वास्थ्य के लिहाज से इसके कई फायदे हैं। कुछ कॉमन फायदे:

i. शकरकंद में कैलोरी और स्टार्च की सामान्य मात्रा होती है। वहीं, सैचुरेटेड फैट और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा इसमें न के बराबर रहती है। इसमें फाइबर, एंटी-ऑक्सीडेंट्स, विटामिन और लवण भरपूर पाए जाते हैं।

ii. शकरकंद में भरपूर मात्रा में विटामिन बी6 पाया जाता है, जो शरीर में होमोसिस्टीन नाम के अमीनो एसिड के स्तर को कम करने में सहायक होता है। अगर इस अमीनो एसिड की मात्रा बढ़ने पर बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।

iii. शकरकंद विटामिन डी का एक बहुत अच्छा सोर्स है। यह विटामिन दांतों, हड्ड‍ियों, त्वचा और नसों की ग्रोथ व मजबूती के लिए आवश्यक होता है। ब्लड सेल्स का निर्माण भी ठीक से नहीं होता। शकरकंद आयरन की कमी को दूर करने में मददगार रहता है।

8.ज्‍वार (JOWAR)

भारत में बड़े स्‍तर पर ज्‍वार की खेती की जाती है। ज्‍वार फाइबर, पोटाशियम और फास्‍फोरस से भरपूर होता है। पोटाशियम और फास्‍फोरस कोलेस्‍ट्रोल को कम करता है और हाई ब्‍लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में मदद करता है जबकि पाचन के लिए बहुत जरूरी होता है। डायबिटीज के मरीजों के लिए तो ज्‍वार का आटा बहुत ज्‍यादा फायदेमंद होता है।

क्या करें जब बच्चा दूध पीने में करे आनाकानी

दूध हमारे शरीर के लिए कितना ज़रूरी है ये हम सब बहुत अच्छी तरह जानते हैं कोई भी इसके फायदे आसानी से गिना सकता है। यह अपने आप में एक संपूर्ण आहार होता है। शुरुआत में 6 महीने तो बच्चा माँ के दूध पर ही निर्भर रहता है। धीरेधीरे ठोस आहार शुरू होता है और शुरू होते हैं बच्चों के दूध पीने के हज़ार बहाने। हम आज दूध के पोषण विषय पर बात भी नहीं कर रहे हम तो इस विषय पर बात कर रहे कि सब कुछ जानते हुए भी हम अपने नन्हें मुन्नों को इसका पोषण कैसे दें। आज की पीढ़ी जो पिज़्ज़ा बर्गर से ऊपर ही नहीं उठ पा रही उनको हम हेल्दी खाना कैसे दें विशेष तौर पर दूध जिसको देखते ही बच्चे मुँह बना लेते हैं। जिनके आहार में प्रोटीन के और विकल्प हैं जैसे मीट, अंडा आदि। उनका तो फिर भी ठीक है लेकिन जो शुद्ध शाकाहारी हैं और जिनके बच्चे दूध में भी नाटक करें ऐसे बच्चों को संपूर्ण आहार देना नई माताओं की सबसे बड़ी समस्या है और मैं भी इस समस्या से अछूती नहीं हूँ। मेरे भी 2 बच्चे हैं और मेरा आधे से ज्यादा समय अपना खाने का मेनू डिसाइड करने में ही चला जाता है, कि ऐसा क्या बनाया जाए जिसमें सभी पौष्टिक तत्व भी मिल जाएं और बच्चे आसानी से खत्म भी कर लें।

अगर आपका बच्चा भी खानेपीने में ऐसे ही नाटक करता है और आप परेशान हैं कि ऐसे में उसका नैसर्गिक विकास कैसे होगा तो कुछ बातों का ध्यान रखें आप देखेंगे कि कुछ दिनों में ही फर्क पड़ रहा और बच्चा खाने में रुचि ले रहा है।

1 – अगर बच्चा सीधे दूध नहीं पी रहा तो दूध के प्रोडक्ट्स जैसे दही, पनीर, छांछ, लस्सी ट्राई करके देखिए हो सकता है बच्चे को ये चीजें ज्यादा पसंद आएं। आपको माथापच्ची भी करनी पड़े और दूध का पोषण भी मिल जाए।

2 – खाने में वेरिएशन ले आएं। एक ही प्रकार का खाना खाकर कोई भी उकता जाता है। दूध से कई मिठाइयां भी बनती हैं। अगर आपके बच्चे को मीठा ज्यादा पसंद हो तो आप वो भी ट्राई कर सकती हैं।

3 – बाजार में कई तरह के खाद्य पदार्थ उपलब्ध हैं जो दावा करते हैं कि उनको दूध में मिला लेने से दूध का पूरा पोषण मिल जाता है। उनके दावे में कितनी सच्चाई है मुझे ये तो नहीं मालूम लेकिन वो दूध का स्वाद ज़रूर बदल देते हैं और कई बच्चे तो अपनी मनपसंद रंग और स्वाद देखकर ही पूरा दूध खत्म कर लेते हैं जो पहले दूध की तरफ देखना भी नहीं चाहते थे।

4 – एक बार में ही एक गिलास दूध खत्म करवाने के बजाय आधाआधा गिलास करके 2,3 बार में दें।

5 – कभीकभी बच्चों को शामिल करके खाना बनाने या उसके इंग्रिडिएंट्स के फायदे नुकसान बताते रहें, जिससे उसको खाने में मिलने वाले पोषक तत्व की जानकारी मिलती रहे।

 

 

शुद्ध शाकाहारी खाद्य में प्रोटीन विकल्प

 

प्रोटीन हमारी मांसपेशियों को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। शायद इसलिए इसको शरीर का बिल्डिंग ब्लॉक भी कहा जाता है। मांसाहारी भोजन में तो प्रोटीन के बहुत से विकल्प हैं लेकिन शुद्ध शाकाहारी लोगों के लिए ये काफी सीमित हैं। वो भी ऐसे समय में जब काफी लोग भूख से मर रहे और कोरोना का आतंक फैलता ही जा रहा है, सभी पौष्टिक तत्वों से भरपूर भोजन आसानी से मिल पाना बहुत ही मुश्किल हो गया है। ऐसे में अपने को चुस्त- दुरुस्त रखते हुए परिवार और देश को स्वस्थ और सुरक्षित रखना सबकी नैतिक जिम्मेदारी है। आज हम शाकाहारी भोजन में प्रोटीन के अन्य विकल्पों पर चर्चा करेंगे।

सोयाबीन
सोयाबीन प्रोटीन का बहुत ही उम्दा स्रोत है। थायराइड विकार से ग्रस्त लोगों को छोड़कर बाकी लोग इसका उपयोग ज़रूर करें।

राजमा
राजमा भी प्रोटीन का बढ़िया स्रोत है और खाने में भी स्वादिष्ट होता है।

चिया
चिया प्रोटीन का अच्छा विकल्प है और ये आसानी से मिल भी जाता है। बेकिंग में ये अंडे का अच्छा विकल्प है। पनीर, दूध और दूध से निर्मित चीजें प्रोटीन का अच्छा स्रोत होते हैं। इनको अपने आहार में ज़रूर शामिल करें।

टोफू
आजकल ये भी बाज़ार में बड़ी आसानी से मिल जाता है और प्रोटीन से भरपूर होता है।


गर्मी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है इसलिए ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन करने की कोशिश करें और बहुत ज़रूरी न हो तो घर से न निकलें। स्वस्थ रहें मस्त रहें।

Gluten..all About to know

7 Gluten Free Grains You Should Know About

 There is no shortage of grains which can provide healthy alternatives for a diet free in gluten, the problem lies in the cross contamination. Most people who suffer from Celiac disease can become uncomfortable even when a small amount of gluten is eaten. This may happen despite them buying and eating ‘gluten-free’ foods because most places of production do not exercise the highest standards of hygiene and the chances of cross-contamination remain high. A list of gluten free :

1.Rice. Rice has a large variety like brown rice, red rice, black rice and wild rice found in various parts of the world. In a gluten free diet rice is a mother grain and can be used as is or used to make flour that can be used to make rotis, cakes and cookies.
 
2. Sorghum
Sorghum is a genus of plants in the grass family. In India it is called ‘Jawar’ or ‘Jowar’ and it is easily available at a local store. Jowar can be milled to make flour to make rotis and it is used as a blend in the gluten free flour to make cookies and all.
 


3. Millet
Millets are a group of highly variable small-seeded grasses. Millet is found in three varieties – Pearl Millet is called Bajra, Finger Millet is called Ragiand Proso Millet is called Barri in Hindi. Millets can be cooked in the grain form and can be milled to make excellent flour that is multipurpose in nature from rotis to patties, breads.
 

4. Amaranth
Most of the Amaranthan species are summer annual weeds and are commonly referred to as pigweed. In India, Amaranth seed is called ‘ramdana’. It is very easily available and is an excellent grain that can be substituted as starch in a gluten free cooking. Replace corn-starch with powdered amaranth.


5. Buckwheat Buckwheat is not a grass and is not related to ‘wheat’. It is also referred as a pseudo cereal. Buckwheat in India is known as ‘kuttu’ and is eaten during the Navaratri festival. Buckwheat is used to make gluten free beer. The ways of using buckwheat are many – from roti to pancakes, cakes and cookies


6. Corn or Maize Maize kernels are often used in cooking as starch. Corn is known as ‘Bhutta’ in India, it is easily available as fresh, dried and can be milled to make flour. Corn is the most popular grain in the world. I love corn in all its forms, from the fresh ones to the milled.

7. Quinoa is the common name for Chenopodium Quinoa of the flowering plant family Amaranthaceous. It is grown as a grain crop primarily for its edible seeds. It is a pseudo cereal rather than a true cereal, due to the fact that quinoa is not a grass. Quinoa is closely related to the edible plants beetroot, spinach and amaranth. Quinoa is found in Peru, Bolivia and Chile.



Being gluten free, the biggest challenge isn’t the shortage of grains. Once you begin to see life beyond ‘roti’, there are many healthy alternatives available.