ऐसी कोई भी वस्तु जिसे खाने, छूने या साँस लेने पर कुछ लोग बीमार हो जाते हैं उसको एलर्जेंस कहते हैं और एलर्जेंस से होने वाले असर को एलर्जी कहते हैं।
हमारे शरीर में एक रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है जो हमारे शरीर के सम्पर्क में आने वाले कुछ पदार्थ या किसी कीड़े से निकलने वाले केमिकल के प्रति संवेदनशील होती है इसी को हम एलर्जी कहते हैं।
थायराइड हमारे गर्दन के निचले हिस्से में तितली के आकार की ग्रन्थि होती है, जो हमारे शरीर के मेटाबोलिक नियंत्रण में अहम भूमिका निभाती है। इस ग्रन्थि से थायरॉक्सिन नाम का हार्मोन निकलता है जो हमारे शरीर में कई गतिविधियों के नियंत्रण में अहम भूमिका निभाता है – जैसे कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण, शरीर के तापमान का नियंत्रण, वज़न नियंत्रण और याददाश्त को ठीक रखना आदि।
हमारे आज की जीवनशैली और रहन-सहन ने बहुत कुछ बदलाव ला दिया है और इस वजह से कई बीमारियों को हम अनायास ही न्यौता दे देते हैं और हमें खुद भी इसका एहसास नहीं होता, थायराइड भी उन्हीं बीमारियों में एक है।
प्रकार
जब थायरॉक्सिन हार्मोन का लेवल कम या ज्यादा होने लगता है तभी इसकी शुरुआत हो जाती है। यह दो तरह का होता है।
1 – जब हार्मोन का स्राव ज्यादा होता है, उसको हाइपर थायराइड कहते हैं।
2 – जब हार्मोन का स्राव कम होता है, उसको हाइपो थायराइड कहते हैं।
कारण
अनियमित जीवन शैली, असंतुलित खानपान, गर्भावस्था के समय हार्मोनल असन्तुलन इसके मुख्य कारणों में है। कई बार व्यक्ति को पता भी नहीं चलता कि वो थायराइड विकार से ग्रस्त है।
लक्षण
वज़न का अचानक से घटना या बढ़ना, हाथ-पैर ठंडे पड़ जाना, हृदयगति ज्यादा या कम होना, घबराहट होना, पसीना ज्यादा होना या बिल्कुल न होना, मितली जैसा लगना, बाल झड़ना, असमय बाल सफेद होना, चक्कर आना इसके प्रमुख लक्षण हैं।
बचाव
अगर आपको इन लक्षणों में से कुछ भी दिख रहे हों तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें, खासकर इंडोक्रिनोलॉजिस्ट से, खुद से कोई प्रयोग न करें नहीं तो इसके परिणाम गम्भीर हो सकते हैं।
अपनी जीवनशैली नियमित रखें। संतुलित भोजन ग्रहण करें और व्यायाम या कम से कम आधे घण्टे के लिए नियमित रूप से पैदल ज़रूर चलें।
समय-समय पर अपना टेस्ट करवाते रहें और डॉक्टर से सलाह लेते रहें।
आयोडीन युक्त नमक ही खाएं।
क्या न करें
जितना सम्भव हो सोयायुक्त चीजों से परहेज़ करें।
गोभी, ब्रोकली, मोमोज़ और तले हुए खाद्य पदार्थ से परहेज़ करें।
साधारण सफेद नमक न ग्रहण करें।
अपना उपचार स्वयं न करें। बिना विशेषज्ञ के सलाह से कुछ भी न लें।
कोरोना आज के समय की मुख्य समस्या एवं एक गंभीर बीमारी है, जिसकी न तो कोई दवा है और न ही कोई उपचार, न कोई खास लक्षण और न ही कोई खास उपाय जिससे हम और आप इस बीमारी से बच पाएँ । लोगों से दूर रहना यानि सोशल डिस्टेंसिंग या यूँ कहिए कि एक तरह की समाधि ले लेना ही इसका एकमात्र उपाय है । यह एक वैश्विक महामारी घोषित हो चुकी है। हम इस पर दो-तीन चरणों में बात करेंगे इसलिए लगातार संपर्क में बने रहिए मेरे ब्लॉग्स के माध्यम से ।
कारण
सबसे पहले आइए हम जानते हैं कि कोरोना होता कैसे है?
कोरोना एक विषाणु (वायरस) जनित रोग है । कोरोना वायरस विषाणुओं का एक बड़ा समूह है, जो इंसानों में सामान्य जुकाम से लेकर श्वसन तंत्र की गंभीर समस्या तक पैदा कर सकता है। इसके अलावा कोरोना वायरस से कई और गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं। यह वायरस जानवरों से इंसानों तक पहुँचा यह शोध में सिद्ध हो चुका है। यह वायरस मुख एवं नाक के माध्यम से हमारे शरीर में प्रवेश करता है और 3-4 दिनों तक हमारे गले में रहकर सर्वप्रथम अपनी संख्या बढ़ाता है। उसके पश्चात यह हमारे फेफड़ों की ओर बढ़ता है। इस प्रक्रिया के दौरान जब यह हमारे श्वासनली से होकर गुजरता है तो श्वासनली में सूजन आ जाती है, जिसकी वजह से फेफड़ों से वायु का आवागमन प्रभावित हो जाता है तथा व्यक्ति को साँस लेने में तकलीफ होने लगती है और वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है।
लक्षण
कोरोना बीमारी का मुख्य लक्षण सर्दी, सूखी खाँसी और बुखार ही है । शुरुआत इन्हीं लक्षणों से होती है, धीरे-धीरे यह भयावह रूप ले लेती है। कोरोना पॉजिटिव होने के कुछ लक्षण निम्न हैं –
1 – बुखार
2 – सूखी खाँसी
3 – ज्वाइंट पेन
4 – नाक बहना
5 – गले में खराश और दर्द
6 – थकान और उल्टी महसूस होना
7 – सिरदर्द
8 – निमोनिया
जैसे लक्षण कोरोना से सम्बन्धित हो सकते हैं, लेकिन यह ज़रूरी नहीं कि अगर ये लक्षण दिख रहे हैं तो कोरोना होगा ही। अभी तो कई ऐसे मरीज़ भी मिले हैं जिनके अन्दर इनमें से कुछ लक्षण दिखाई दिए लेकिन टेस्ट में कोरोना निगेटिव पाए गए।
बचाव
कोरोना के केस में अभी तक बचाव ही उपाय है क्योंकि अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बनी है जो इसको ठीक कर सके। कुछ बचाव के तरीके निम्न हैं –
1 – कोरोना छूने से फैलने वाला रोग है तो कोशिश कीजिए कि लोगों से सम्पर्क कम से कम हो और बाहर की कोई वस्तु या किसी व्यक्ति को न छुएं क्योंकि हमें नहीं पता कौन व्यक्ति अथवा वस्तु संक्रमित है।
2 – वायरस एक लिपिड तत्व है (लिपिड प्राकृतिक रूप से बने अणु होते हैं, जिनमें वसा, मोम, स्टेरॉल, वसा-घुलनशील विटामिन जैसे विटामिन ए, डी, ई एवं के तथा मोनोग्लिसराइड, डाईग्लिसराइड, फॉस्फोलिपिड एवं अन्य आते हैं) जो अघुलनशील होता है, इसको साबुन से धुल सकते हैं । इसलिए बार-बार अपने हाथों को साबुन और पानी से धुलते रहें। जहाँ पानी न मिले वहाँ सैनिटाइजर का प्रयोग करें।
3 – अपने हाथों से मुख एवं नाक को कदापि न छुएं अथवा हाथों को अच्छी तरह से साबुन और पानी से धोने के पश्चात ही स्पर्श करें।
4 – कोशिश करें कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट और पब्लिक प्लेसेस पर न जाएँ।
5 – मास्क और ग्लोव्स का उपयोग करें।
6 – कोरोना विषाणु है और विषाणुओं को बढ़ने के लिये ज़िंदा होस्ट (जीव-जन्तु एवं वनस्पति) की ज़रूरत होती है। किसी सतह या वस्तु पर ये कुछ घण्टों के लिये ही जीवित रह सकते हैं, इसलिए जब भी बाहर से कुछ लाएँ उसको बाहर ही कम से कम 10 घण्टे के लिये छोड़ दें जहाँ उसको कोई न छुए और अगर तुरंत प्रयोग करना है तो उसको साबुन के घोल से धोएं। इसके विपरीत खाने वाली वस्तुएँ जैसे सब्जी, फल आदि को गरम पानी अथवा पानी में थोड़ा सफेद सिरका डालकर धो लें।
7 – छींकते या खाँसते समय अपनी कोहनी का प्रयोग करें। सीधे हाथों का प्रयोग कदापि न करें।
8 – गरम पानी में नमक डालकर गरारे करें एवं गरम पानी ही पिएं और ठंडे पेय पदार्थों से परहेज करें।
9 – घर के बड़े-बुजुर्गों और 10 साल से कम उम्र के बच्चों का ज्यादा ध्यान रखें और ज़रूरत पड़ने पर डॉक्टर से सम्पर्क करें।
10 – कोरोना बीमारी श्वास से सम्बन्धित है तो अस्थमा के रोगी और धूम्रपान करने वाले लोग ज्यादा सावधानी बरतें और अगर हो सके तो धूम्रपान छोड़ने की कोशिश करें.. आखिर जान है तो जहान है।
11 – सबसे ज़रूरी बात घबराएँ नहीं क्योंकि कोरोना होना ही मौत की वज़ह नहीं है, इसमें मृत्यदर काफी कम है और बहुत से लोग इस बीमारी से ठीक होकर घर जा चुके हैं।
यह विषय काफी बड़ा है और एक ब्लॉग में सब लिखना सम्भव नहीं है, इसलिए हम अपने अगले ब्लॉग में भी इसी विषय को आगे बढ़ाएँगे। तब तक स्वस्थ रहें, मस्त रहें और सकुशल घर में रहें।