पुरी दर्शन के बाद अगले दिन हम सुबह ही होटल से चेकआउट करके निकले चिलिका झील के लिए , चिल्का भारत की सबसे बड़ी तटीय झील है जो उड़ीसा में स्थित है यहां खारे पानी की एक लैगून झील है!चिल्का झील उड़ीसा के सबसे खास पर्यटक स्थलों में से एक है। यह झील उड़ीसा की आकर्षक जगह है, यहाँ पर दूर-दूर से लोग छुट्टियाँ बिताने के लिए आते हैं। चिल्का एशिया की सबसे बड़ी खारे पानी की झील है
चिलिका झील 70 किलोमीटर लम्बी तथा 30 किलोमीटर चौड़ी है। यह समुद्र का ही एक भाग है जो महानदी द्वारा लायी गई मिट्टी के जमा हो जाने से समुद्र से अलग होकर एक छीछली झील के रूप में हो गया है। दिसम्बर से जून तक इस झील का जल खारा रहता है किन्तु वर्षा ऋतु में इसका जल मीठा हो जाता है। इसकी औसत गहराई 3 मीटर है। चिलिका झील 70 किलोमीटर लम्बी तथा 30 किलोमीटर चौड़ी है। यहां पर ३ घंटे की बोट राइडिंग करवाई जाती है और इसके चार्जेज भी ज्यादा हैं।
चिलिका झील में कई विजिटिंग पॉइंट्स बने हुए हैं जहाँ नाविक स्टॉपेज पॉइंट बनाए हुए हैं और वो जेम्स जो समंदर अपनी गहराइयों में छुपाये हुआ है उसको आप लाइव देख सकते हैं। कई मछुआरे आपके सामने ही सीप में से मोती ,नवरत्न, मूंगा सब निकालकर दिखाएंगे अब ये असली है या नकली ये आपकी बुद्धि और विवेक पर निर्भर करता है।
चिलिका झील में करने के लिए चीजें
नलाबना पक्षी अभयारण्य में पक्षी देखने का अनुभव:
कालीजाई द्वीप के लिए नाव की सवारी:
सतपाड़ा में डॉल्फ़िन देखना:
चिलिका वन्यजीव अभयारण्य की यात्रा करें:
कनकपुरा द्वीप यात्रा:
चिलिका झील, अपने विविध पारिस्थितिकी तंत्र और अनगिनत आकर्षणों के साथ, यात्रियों को प्रकृति की सुंदरता में डूबने के लिए आमंत्रित करती है। पक्षी देखने से लेकर डॉल्फिन क्रूज़ तक, चिलिका में प्रत्येक अनुभव अद्वितीय प्राकृतिक सौंदर्य की कहानी का एक अध्याय है। जब आप इस यात्रा पर निकलते हैं, तो शांतिपूर्ण परिदृश्यों, जीवंत पक्षियों की मौजूदगी, और उस अनोखी आभा के प्रति आकर्षित होने के लिए तैयार रहें, जो चिलिका झील को ओडिशा के पर्यटन के ताज में एक रत्न बनाती है।
कोणार्क सूर्य मंदिर भारत के ओड़िशा के पुरी जिले में समुद्र तट पर पुरी शहर से लगभग 35 किलोमीटर (22 मील) उत्तर पूर्व में कोणार्क में एक 13 वीं शताब्दी सीई (वर्ष 1250) सूर्य मंदिर है। मंदिर का श्रेय पूर्वी गंगवंश के राजा प्रथम नरसिंह देव को दिया जाता है। सन् १९८४ में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी है।
भारतीय सांस्कृतिक विरासत के लिए इसके महत्व को दर्शाने के लिए भारतीय १० रुपये का नोट के पीछे कोणार्क सूर्य मंदिर को दर्शाया गया है।भगवान सूर्यदेव को जीवन और प्रगति के साथ ही साथ निरंतरता का प्रतीक माना गया है। उनके उगने और डूबने का समय रोज ही लगभग वही है और उनके बिना कुछ भी सम्भव नहीं । कई रोग सिर्फ सूर्यदेव के सानिध्य में कुछ देर लगातार रहने से ही ठीक हो जाते है । ऐसे जीते जागते देव को जितना धन्यवाद दिया जाये कम है।
कोणार्क का सूर्य मंदिर के बारे में रोचक तथ्य –
- सूर्य देव को ऊर्जा और जीवन का प्रतीक माना जाता है। कोणार्क का सूर्य मंदिर रोगों के उपचार और इच्छाओं को पूरा करने के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।
- कोणार्क का सूर्य मंदिर ओडिशा में स्थित पांच महान धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है जबकि अन्य चार स्थल पुरी, भुवनेश्वर, महाविनायक और जाजपुर हैं।
- कोणार्क के सूर्य मंदिर की विशेषता यह है कि इस मंदिर के आधार पर 12 जोड़ी पहिए स्थित हैं। वास्तव में ये पहिये इसलिए अनोखे हैं क्योंकि ये समय भी बताते हैं। इन पहियों की छाया देखकर दिन के सटीक समय का अंदाजा लगाया जा सकता है।
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इस मंदिर में प्रत्येक दो पत्थरों के बीच में एक लोहे की चादर लगी हुई है। मंदिर की ऊपरी मंजिलों का निर्माण लोहे की बीमों से हुआ है। मुख्य मंदिर की चोटी के निर्माण में 52 टन चुंबकीय लोहे का उपयोग हुआ है। माना जाता है कि मंदिर का पूरा ढाँचा इसी चुंबक की वजह से समुद्र की गतिविधियों को सहन कर पाता है।और मंदिर के हर दो पत्थर लोहे की प्लेटों से सुसज्जित हैं। कहा जाता है कि मैग्नेट के कारण मूर्ति हवा में तैरती हुई दिखायी देती है।यह मैगनेट पास के समुद्री मार्ग से गुजरने वाले जहाजों के मार्ग में भटकाव कर देता था जिससे व्यापर में नुकसान होता था इसलिए उस मैगनेट को ही हटा दिया गया जिस से कलाकृतियां और मंदिर भी काफी हताहत हुए। इसके अलावा एक मत यह भी है की आक्रमणकारियों ने मंदिर में तोड़ फोड़ किया है जिस से मूर्ति खंडित हो गई और वहां पूजा पाठ बंद कर दिया गया। और यह नायब धरोहर उपेक्षित सी हो गई लेकिन हमारी श्रद्धा आस्था और अपनी धरोहर को सम्हालने की कला आज भी इसको उतनी ही जीवंत की हुई है।
- माना जाता है कि कोणार्क मंदिर में सूर्य की पहली किरण सीधे मुख्य प्रवेश द्वार पर पड़ती है। सूर्य की किरणें मंदिर से पार होकर मूर्ति के केंद्र में हीरे से प्रतिबिंबित होकर चमकदार दिखाई देती हैं।
- कोणार्क सूर्य मंदिर के प्रवेश द्वार के दोनों और दो विशाल शेर स्थापित किए गए हैं। इन शेरों द्वारा हाथी को कुचलता हुआ प्रदर्शित किया गया है प्रत्येक हाथी के नीचे मानव शरीर है। जो मनुष्यों के लिए संदेश देता हुए मनमोहक चित्र है।
इतनी अच्छी सांस्कृतिक धरोहर की मधुर स्मृतियाँ लिए हम आगे भुबनेश्वर भ्रमण के लिए रवाना हो चले जहां नंदन कानन और लिंगराज महाराज के दर्शन को मेरी लेखनी द्वारा पढ़ने के लिए मेरे अगले ब्लॉग को जरूर देखिएगा।