ज़िन्दगी यादों की गुल्लक है

गुल्लक यानि पिगी बैंक जिसमें हम अपनी बचत को जोड़ते हैं ठीक उसी तरह हमारी ज़िंदगी के भी बीते लम्हे हम जमा करते हैं अपनी यादों में।

कुछ ऐसा ही कॉन्सेप्ट है सोनी लिव पे प्रसारित हुए वेबसेरीज़ गुल्लक का। काफी समय के बाद एक ऐसी मनोरंजक वेबसेरीज़ देखने को मिली जो हिंसा और अश्लीलता से अलग हमारे जीवन में घटने वाले छोटे छोटे किस्सों को जोड़कर बनी हुई हो। इसे एक नॉर्मल मिडिल क्लास फैमिली की रोज़मर्रा ज़िन्दगी में घटने वाली घटनाओं को बड़ी ही खूबसूरती से फिल्माया गया है। और कोई भी मिडिल क्लास फैमिली इस पुरे पिक्चर में अपने आपको सेट कर सकता है कई बार तो कुछ घटनाएं खुद पे ही बीती हुई सी लगती है।

कहानी

कहानी तो यह है ही नहीं इसमें हैं छोटे छोटे किस्से क्योंकि कहानी का तो एन्ड होता है जबकि किस्से यादें बनकर गुल्लक में इक्कट्ठे हो जाते हैं। और इस वेबसेरीज़ को बताने वाला भी गुल्लक ही है।

किस्से की शुरुआत होती है एक मिडिल क्लास फैमिली जिसमें एक गृहिणी है जिसके घर को रेनोवेट कराने से लेकर बेटे की नौकरी लगने और घर में इनवर्टर लगवाने जैसे छोटे छोटे सपने हैं। एक नार्मल नौकरीपेशा आदमी जो अपनी एक फिक्स सैलरी में अपनी बीवी और दो बच्चों के सपने पूरे करने की भरपूर कोशिश कर रहा है। दो भाई हैं जिनकी नोक झोक और झगड़े के बीच एक दूसरे के लिए प्यार और अपनापन आपको अपने बचपन की याद दिला सकता है।

इस कहानी में पड़ोसियों के बीच अपना वर्चस्व दिखाने की होड़ के साथ साथ दूसरे पड़ोसी की चुगली के अलावा बेरोजगारी का गम्भीर मुद्दा भी है। साथ ही साथ ये भी देखने को मिलता है कि मां बाप बच्चों को कितना भी डाँट लें लेकिन जब बात उनके खैरियत की होती है तो वो किसी भी चीज़ से समझौता कर सकते हैं।

पूरा किस्सा समझने के लिए तो आपको परिवार के साथ मिलके इसे देखना पड़ेगा और यकीन मानिए आप इसको देखके निराश तो बिल्कुल नहीं होंगे और हँसी के कुछ लम्हे आपकी गुल्लक में जुड़ जायेगे।

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