हमारे भारत देश की परम्परायें, संस्कृति, रहन सहन, खान पान और त्यौहार सभी के पीछे कुछ न कुछ धार्मिक और वैज्ञानिक कारण ज़रूर होता है। यही कारण है कि प्राचीन काल से हम ऋषि मुनियों और कृषि आधारित परिवेश में पल बढ़कर कई तरह की औषधियों और रोग प्रतिरोधक क्षमता को विकसित करने के लिए उचित खान पान अपने निजी जीवन में अपने आप ही सम्मिलित किये हुए हैं।
ऐसे ही आज यानी 14 मई 2021 को वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है जिसको अक्षय तृतीया भी कहतेहैं।अक्षय तृतीया नाम तो हममे से सबने ही सुना होगा आज हम इसके महत्व और इसकी विशेषता के बारे में जानते हैं।
अक्षय तृतीया एक ऐसी तिथि है जिसपर आप कोई भी शुभ कार्य जैसे शादी, मुण्डन, गृह प्रवेश, कर्ण छेदन, यज्ञोपवीत आदि बिना पंचांग देखे कर सकते हैं।
हिन्दू मान्यता के अनुसार पूरे साल में 4 ऐसी अबूझ तिथियां होती हैं जिस दिन कोई शुभ कार्य करने के लिये किसी विचार, विमर्श की ज़रूरत नहीं होती। ये चार तिथियां हैं अक्षय तृतीया(वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि), भड़ली नवमी(आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष नवमी तिथि),देव उठनी एकादशी(कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी) और बसन्त पंचमी। इनको अबूझ तिथियां भी कहा जाता है।
इस दिन से जुड़ी कुछ घटनाएं
1.अक्षय तृतीया ही वह तिथि है जिस दिन सतयुग से त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी।
2.इसी दिन भगवान विष्णु के छठवें अवतार भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। परशुराम सप्तर्षियों में से एक ऋषि जमदग्नि तथा रेणुका के पुत्र थे। यह ब्राह्मण कुल में जन्में।
3.इसी दिन मां गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थी।
4.इस दिन मां अन्नपूर्णा का भी जन्मदिन मनाया जाता है। मां अन्नपूर्णा के पूजन से रसोई का अन्न भंडार अक्षय रहता है।
5.अक्षय तृतीया के दिन ही महर्षि वेदव्यास ने महाभारत लिखना आरम्भ किया था।
6.अक्षय तृतीया के दिन ही पांडव पुत्र युधिष्ठिर को अक्षय पात्र की प्राप्ति भी हुई थी।उसकी विशेषता यह थी कि इसमें कभी भी भोजन समाप्त नहीं होता था।
7.अक्षय तृतीया के दिन ही चार धामों में एक बद्रीनाथ के कपाट खुलते हैं और जगन्नाथ पुरी रथयात्रा भी शुरू होती है।
ऐसी मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन किये गए कोई भी पुण्य कार्य, दान, पूजा पाठ कई गुना रूप में आपको अगले जन्म तक मिलते रहेंगें।
चूँकि भगवान विष्णु ने इस दिन अपना एक अवतार लिया था इसलिए इस दिन विष्णु प्रिया लक्ष्मी जी की पूजा आराधना का विशेष प्रयोजन है साथ ही साथ भारतीय संस्कृति में इस दिन सोना खरीदने का भी रिवाज़ है ताकि उनका धन धान्य हमेशा भरा रहे अक्षय मतलब शाश्वत इसलिए लोग अपने जीवन में समृद्धि लाने के लिए कार, महंगे इलेक्ट्रॉनिक सामान वगैरह भी खरीदते हैं।
अक्षय तृतीया के दिन का अपना एक वैज्ञानिक कारण भी है कि इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों अपने अधिकतम विकिरण के साथ अपने उच्चतम स्थान पर होते हैं जोकि ज्योतिष के अनुसार एक शुभ संयोग होता है और ऐसे में किये गए सभी कार्य शुभ फल देते हैं।
फिलहाल तो कोरोना महामारी का भयंकर प्रकोप देखते हुए घर में रहे सुरक्षित रहें और घर में रहते हुए अपने रीति रिवाज और त्यौहार समझते हुए कोरोना से लड़ने के लिए अपनी इम्युनिटी मज़बूत करते रहें और हौसला मज़बूत रखें।