लॉक डाउन तब भी था और अब भी है।

पिछले साल भी लॉक डाउन हुआ और हुआ इस साल भी ।

पिछले साल ताली भी पिटी  और पीटी थाली भी।।

लेकिन इस साल न कोई बोल रहा न कोई करने वाला

हर तरफ मौत घूम रही बिना तलवार बिना भाला।।लॉक डाउन छवि

घर में भरा हुआ है मेवा भी और मैदा भी

न बनाया जा रहा अब खाना भी खज़ाना भी।।

तब ज्यादा पता न था बीमारी का न इलाज का ही आईडिया था

तब भी घर में रहकर रामायण देखना ही बढ़िया था।।

इस बार 3-3 वैक्सीन होकर भी एक अनजाना सा डर है

न जाने किस घड़ी किस पल कब किसका नम्बर है।।

पिछले साल कुछ आंकड़े थे  सीनियर सिटीजन थे या थे कुछ नम्बर

कब बदल गए वो अपने ही किसी पड़ोसी, खुद या किसी रिश्तेदार में

भरोसे की उड़ गई धज़्ज़ियाँ हैं यारों

क्या डॉक्टर क्या मरीज़ सब तरफ हालात बिगड़ें हैं।।

ख्वाहिश थी मंगल पे आशियाना बनाने की

अब तो पता ही नहीं धरती पे ठिकाने की।।

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