उत्तराखंड जिसको देवभूमि भी कहा जाता है वहीं हिमालय की कुमायूँ पहाड़ियों की तलहटी में स्थित है बड़ा ही रमणीक और प्राकृतिक खूबसूरती से लबरेज़ प्यारी सी जगह नैनीताल
नैनीताल में नैनी शब्द का अर्थ आंखों से है जो नैना देवी शक्तिपीठ से लिया गया है।ऐसी मान्यता है इस जगह पर देवी सती की आँखें गिरी थी और यह 52 शक्ति पीठ में एक है
ताल का मतलब ही जलाशय या झील होता है नैनीताल भी अपनी झील के लिये ही मशहूर है। अगर अपनी भागदौड़ वाली और बोरिंग ज़िन्दगी से राहत कहते हैं और अपने फेफड़ों मेंकुछ ताज़ी हवा भरना चाहते हैं तो नैनीताल आपके लिए बेस्ट चॉइस है
हमारे पुराणों के अनुसार महाराज प्रजापति दक्ष की पुत्री देवी सती का विवाह महादेव के साथ हुआ था। एक बार महाराज प्रजापति दक्ष ने एक विशाल यज्ञ किया उसमें सभी देवी देवताओं और अपने सम्बन्धियों को बुलाया सिवाय भोलेनाथ के यह बात देवी सती को पसंद नहीं आई और इस बात का जवाब मांगने और अपने सम्बन्धियों से मिलने वो स्वयं यज्ञ वाली जगह पहुंची जहाँ उन्होंने अपने पति का अपमान सहन नहीं हुआ और वो उसी यज्ञ की अग्नि में समाहित हो गईं जब शिव शंकर ने यह बात सुनी तो वह बहुत ही गुस्से में वहाँ पहुंचे और देवी सती का मृत शरीर लेकर तांडव शुरू कर दिया ऐसे में सृष्टि को विनाश से बचाने के लिए श्री हरि विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र देवी सती के शरीर को कई भागों में बांट दिया ऐसा करने से देवी सती के शरीर के विभिन्न अंग धरती पर विभिन्न स्थान पर गिर गए। जिन जिन स्थान पर उनके शरीर के अंग गिरे उनको शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है।
नैनीताल के प्रमुख आकर्षण
नैनी झील
सात अलग-अलग पहाड़ों की चोटियों से चारों तरफ से घिरी हुई यह झील कुमायूँ क्षेत्र की सबसे खूबसूरत झील है। इस झील का पानी साल की तीनों ऋतुओं में 3 अलग रंग में दिखाई देता है और ठंड के मौसम में यह सामान्य से गर्म होता है और गर्मी में यह सामान्यतया ठंडा रहता है। यहाँ बोटिंग का एक अपना ही रोमांच है। झील में एक किनारे पर मछलियों का पूरा झुंड ही मिलता है पर्यटक उनको खाने के लिये भी कुछ डालते दिख जाते हैं ।
इको केव गार्डन
संगीत से सराबोर फव्वारों और हैंगिंग गार्डन के लिए प्रसिद्ध यह गुफा 6 छोटी गुफाओं से मिलकर बना हुआ है प्रचलित गुफायें टाइगर केव,पैंथर केव, ऐप्स केव, बैट केव और फ्लाइंग फॉक्स केव है।
नन्दा देवी मंदिर
यहाँ की इष्ट देवी नन्दा देवी हैं और उनका मंदिर झील के किनारे ही है।
हनुमान गढ़ी
यह एक आध्यात्मिक जगह है जो मन को सुकून देती है।
मॉल रोड
यहां पर ताल के दोनों तरफ रोड होने से काफी खुशनुमा से माहौल रहता है। ताल का मल्ला भाग मल्लीताल और नीचला भाग तल्ली ताल कहलाता है।
पंडित वल्लभ पंत ज़ू
काफी ऊंचाई पर और जानवरों को उनके अनुकूल वातावरण मिलने की वजह से यहाँ रहने वाले पशु काफी स्वस्थ और खुश दिखाई देते हैं ।
टिफिन टॉप
चारों तरफ चीड़,ओक व देवदार से घिरी यह जगह मन को एक अलग ही शांति व सुकून देती है। यहाँ से आप पूरा नैनीताल देख सकते हैं।
स्नो व्यू पॉइंट
समुद्र तल से 2270 मीटर ऊँचा यह पॉइंट मन को लुभाने वाले कई दृश्य दे जाता है। अक्टूबर नवंबर के महीने में यह जगह बर्फ से ढंक जाती है यहाँ पहुंचकर ऐसा लगता है कि हाथ ऊपर करके आसमान मुट्ठी में आ सकता है।
जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क
यह भारत का सबसे प्राचीन राष्ट्रीय पार्क है । 1936 में बंगाल टाइगर को विलुप्त होने से बचाने के लिए हैली नेशनल पार्क के रूप में स्थापित हुआ बाद में इसके संस्थापक के नाम पर इसको जिम कार्बेट नेशनल पार्क का नाम दे दिया गया। अगर आप दिल्ली से होकर नैनीताल जा रहें हैं तो मुरादाबाद होते हुए रामनगर पहुँचेंगे वहीं यह पार्क है। यहाँ आकर आपको कुछ विलुप्त प्राय पक्षियों और पशुओं को भी देख सकते हैं।
नैनीताल में बारिश में जाएं तो पूरी तैयारी से जाएँ क्योंकि वहाँ सितम्बर अंत तक बारिश और तूफान पूरे जोश में रहते हैं और बिना तैयारी के जाने पर आपको सबसे पहले छतरी और गर्म कपड़े ही खरीदना पड़ेगा। तो बिना देर किए अपनी अगली छुट्टी नैनीताल में एन्जॉय करें और अपना अनुभव हमसे जरूर साझा करें।