“शेरनी ” एक जंग इंसान और जानवरों के बीच

शेरनी मूवी बैनर

कोरोना काल में जब सारे सिनेमाघरों पर ताले लगे हुए हैं और सब लोग घरों में बंद हैं ऐसे में ओटीटी प्लेटफार्म फ़िल्म इंडस्ट्री और दर्शक वर्ग दोनों के लिए ही उम्मीद की किरण है। इसी ओटीटी प्लेटफार्म पर 18 जून को मूवी रिलीज़ हुई है” शेरनी” जो जंगल की शेरनी के साथ ही साथ नायिका के संघर्ष को भी बयां करती है।

विद्या बालन स्टारर शेरनी मूवी एक जबरदस्त प्रहार है मनुष्य के प्रकृति से खिलवाड़ के नतीजों को दिखाती हुई। यह बताती है कि जानवर हमारे पास नहीं आ रहे बल्कि हम प्रकृति का दोहन करके उनके प्राकृतिक आवास से छेड़छाड़ करके उनको बाहर निकलने पर मज़बूर कर रहे हैं। इस मूवी में एक डायलाग है कि अगर आप जंगल मे 100 बार जाते हो बाघ देखने तो हो सकता है एकाक बार हमें बाघ दिख जाये लेकिन बाघ ने आपको 99 बार देखा होगा।

फ़िल्म में एक डॉयलोग है “अगर विकास के साथ जीना है तो पर्यावरण को बचा नहीं सकते और अगर पर्यावरण को बचाने जाओ तो विकास बेचारा उदास हो जाता है”।

कुल मिलाकर फ़िल्म निर्माता अमित मसूरकर ने अच्छी कोशिश की है लेकिन कहानी का लय अंत तक ठीक नहीं बैठ पाया है।

क्या है कहानी

फ़िल्म की कहानी विद्या बालन जो इस मूवी में विद्या विंसेट के किरदार को जी रही हैं एक वन विभाग अधिकारी बनी हैं जो 6 साल के डेस्क जॉब के बाद फील्ड में काम करने आई है। उनका प्रोमोशन भी काफी समय से अटका हुआ है। ऊपर से उनके फ़ैमिली में उनके पति की जॉब रेसेशन की वजह से पहले से खतरे में थी तो विद्या अपनी सरकारी नौकरी को छोड़ना अफ़्फोर्ड नहीं कर सकती थी।

लेकिन यहाँ आते ही उनका सामना एक नरभक्षी बाघिन के आतंक से होता है। जिसमे वहाँ के लोकल पॉलिटिकल लोग अपनी पॉलिटिक्स की रोटियाँ भी सेंकने में लगे हैं। विद्या फारेस्ट ऑफिसर के रूप में बाघिन को मारने के पक्ष में बिल्कुल नहीं हैं बल्कि कहीं दूर जंगल में छोड़कर आना चाहती हैं। वहीं उनके सीनियर बंसल ( बृजेन्द्र कला) समस्या से भागते हुए वहां से ट्रांसफर चाहते हैं। पॉलिटिकल लोग मशहूर शूटर पिंटो (शरत सक्सेना) को बुलाकर बाघिन से छुटकारा चाहते हैं।

बाद में पता चलता है कि बाघिन के दो बच्चे भी हैं। विद्या को किसी का भी सपोर्ट नहीं है केवल कॉलेज के प्रोफेसर हसन नूरानी (विजय राज) को छोड़कर।

इसमें ये देखना दिलचस्प होगा कि विद्या बाघिन और उसके बच्चों को बचाते हुए अपनी नौकरी को भी एक ऊंचाई दे पाती हैं या बाघिन भी मरेगी और विद्या भी कहीं नकली जानवरों के साथ काम करती दिखेंगी इसके लिये आपको अमेज़न प्राइम पर यह मूवी देखनी पड़ेगी।

कुल मिलाकर अगर आप विद्या बालन के जबरदस्त फैन हैं और पर्यावरण और पशु सरंक्षण जैसे गंभीर मुद्दे को नजदीक से समझना चाहते हैं तो ये मूवी आपके लिये ही है और अगर केवल मनोरंजन  चाहते हैं तो फिर ये मूवी आपके लिए नहीं है।

Your views matter. Please leave your feedbacks