संगमरमरी शहर संस्कारधानी जबलपुर

क्या आपने “धुंआधार “ के बारे में सुना हैं, जहाँ पर पानी की तेज धार सफ़ेद मार्बल पथरो पर गिरने के बाद जोरदार गर्जना के साथ धुँआ धुँआ हो जाता हैं और देखने वाले रोमांचित हो जाते हैं। यह बहुत सुन्दर जल प्रपात भारत के दिल मध्य प्रदेश के संगमरमरी शहर जबलपुर में है ।

Bhedagat Water Fall
“Smoke That Thunders”

यह संस्कारधानी के नाम से भी मशहूर है। पहाड़ों पर बसा यह शहर आदिकाल से ही कई ऋषि मुनियों की तपस्थली रहा है वैसे तो यहां के धुआंधार जलप्रपात की वजह से काफी लोग इस शहर को सभी जानते ही हैं लेकिन हम आज यहां के और भी आकर्षण की बात करेंगें ।

जबलपुर नाम क्यों पड़ा ?

ऐसी मान्यता है की महर्षि जाबालि यहीं निवास करते थे इसलिए इसको पहले जाबालिपुरम कहा जाता था बाद में इसका नाम जबलपुर हो गया। दूसरी मान्यता ये है की इंग्लिश में जबल मतलब टीले या पहाड़। यह शहर पहाड़ों पर ही बसा हुआ है इसलिए ब्रिटिश इसको Jabbalpore बोलते थे जो बाद में जबलपुर हो गया।
जबलपुर को मध्य प्रदेश की न्यायिक राजधानी भी कहा जाता है। मध्य प्रदेश के आग्नेय दिशा के भाग को महाकौशल कहते हैं और जबलपुर महाकौशल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

रमणीक स्थल

नर्मदा नदी के किनारे बसा यह शहर सुबह शाम अपनी नर्मदा आरती के लिए मशहूर है ग्वारी घाट में नर्मदा नदी के किनारे होने वाली आरती में जाकर बड़ा ही सुकून मिलता है जिसको सिर्फ महसूस किया जा सकता है शब्दों में वर्णन हो ही नहीं सकता। भेड़ाघाट के पंचवटी में पूर्ण चाँद के दूधिया प्रकाश में नहाते हुए संगमरमरी पत्थरों की छटा बड़ी ही मनमोहक होती है ऐसे में प्रेम कहानियां बन जाती हैं इस दौरान बोटिंग का लुत्फ़ लेने वालों की भरमार होती है। सुप्रसिद्ध फिल्म अशोका के कुछ भाग इन्हीं मनमोहक दृश्यों का परिणाम हैं।

Puja at Gwarighat
Har Har Narmade

जबलपुर को तालाबों का शहर कहना कोई अतिश्योक्ति न होगी। ऐसी मान्यता है की इस शहर छोटे बड़े कुल मिलाकर 132 तालाब हैं समय के साथ अभी कुछ तो सुख भी गए हैं लेकिन तब भी आधारताल, मढ़ाताल, हनुमानताल, भंवरताल, रानीताल, सूपाताल, चेरीताल, भानतलैया जैसे और भी नाम आपको इस शहर में मिल जाएंगें वो चाहे तालाब के रूप में मिले या किसी सोसाइटी के रूप मे।

View at Paatbaba Mandir
Peaceful Bliss
त्रिपुरसुन्दरी और चौसठयोगिनी जैसे धार्मिक स्थल की वज़ह से भी जबलपुर जाना जाता है। पाट बाबा भी काफी ऊंचाई पर स्थित मनोरम धार्मिक स्थल है। जबलपुर में कचनार सिटी में भगवन भोलेनाथ की विशाल मूर्ति के दर्शन अवश्य करियेगा साथ ही वहां पर देश के विभिन्न हिस्सों से लाये गए १२ ज्योतिर्लिंगों को प्रदर्शित करते १२ शिवलिंग आपको भक्तिमय माहौल में पहुँचाने के लिए काफी हैं।
यह शहर रानी दुर्गावती की शहादत को अपनी यादों में रखते हुए रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय और संग्रहालय दोनों इन्हीं के नाम पर है।
जनजातीय इतिहास और पुराने शासको के मेमोरी को सम्हाले यहां का संग्रहालय आपको जरूर अपने देश में हुए बाहरी हमलों से हुई क्षति को दर्शाता हुआ अपनी बदहाली के किस्से सुनाएगा।
Rani Durgavati Museum
Relics from Past

मुंबई चौपाटी की याद दिलाती सदर चौपाटी आपको लाजवाब और मुँह में पानी लाने वाले स्ट्रीट फ़ूड के साथ ही खुशनुमा माहौल भी दिखाएगा जो आपकी कॉलेज वाले दिन याद दिला देंगें।

आपको गंजीपुरा, सदर बाजार, गोरखपुर, घंटाघर, बड़ा और छोटा फुहारा मार्किट जैसे इलाके मिलेंगें जो आपको आपके बजट के हिसाब से सामान मुहैया करेंगें। जबलपुर की खोए की बर्फी और कहीं भी आपको नहीं मिलेगी इसलिए इसको जरूर खाकर आएं और जबलपुर जाएँ तो पोहा जलेबी भी अवश्य खाकर लौटें।

Poha & Jalebi
Jabalpur Special-Delicious Poha & Jalebi

यहां के अन्य आकर्षण बैलेंसिंग रॉक्स, भेड़ाघाट में धुआंधार जलप्रपात और उसके थोड़ा आगे नर्मदा नदी में बोटिंग, बरगी डैम, मदन महल फोर्ट, डुमना नेचर रिज़र्व पार्क, पिसनहारी की मढ़िया आदि प्रमुख हैं।

कनेक्टिविटी 

जबलपुर शहर की कनेक्टिविटी काफी अच्छी है पूरे देश में आप कही से भी आप चाहे रेलयात्रा करें या फिर वायुमार्ग का चयन करें साथ ही सड़क मार्ग भी NH30 (Old NH7) द्वारा जुड़ा हुआ है। रेल मार्ग के लिए जबलपुर रेलवे जंक्शन हैं जहाँ हर दिशाओ की ट्रेंने रुका करती हैं। इसके अतिरिक्त वायुमार्ग के लिए डुमना एयरपोर्ट भी हैं जो वर्तमान में मुंबई इंदौर और दिल्ली से हवाई मार्ग से जुड़ा हैं ।

जैव विविधता और हिल स्टेशन

इस शहर के एक खासियत यह भी हैं की मध्य में होने के कारण यहाँ से कई पर्यटन स्थलों तक पंहुचा जा सकता हैं । कान्हा किसली अभ्यारण्य, पेंच नेशनल पार्क जैसे जगह आपको रुडयार्ड किपलिंग की किताब जंगल बुक के एक एक दृश्य की याद दिलाते नज़र आएंगें।

लगभग 250km की दुरी पर यहां का खूबसूरत हिल स्टेशन पचमढ़ी है जिसको देखकर आप अलग ही दुनिया में खो जाएंगें तो जब भी जबलपुर के लिए प्लान बनाये थोड़ा समय निकलकर जाएँ क्यूंकि यहां की प्रकृति ने हीरों के साथ ही साथ बहुत कुछ अपने गर्भ में छिपा रखा है जिसको आप इत्मीनान के साथ ही आत्मसात कर सकते हैं और यकीन मानिये की यह एक सप्ताह आपको कम से कम ६ माह तक पूरे जोश से भागदौड़ की लिए तैयार कर देगी।

मातृ भूमि पर न्योछावर होने वाले वीर सपूतों की ये धरा

मातृ भूमि पर न्योछावर होने वाले वीर सपूतों की ये धरा आजादी के आंदोलन से लेकर अब तक कई इतिहास को समेटे हुए है। देश में पहली बार टाउन हॉल में तिरंगा फहराया गया थागोंड वंश के राजा शंकर शाह और उनके बेटे रघुनाथ शाह ने उस समय अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंक दिया था, जब बड़ी-बड़ी रियासतें अंग्रेजों के सामने कमजोर साबित हो रही थीं।

तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा जैसे क्रांतिकारी नारे देने वाले नेताजी सुभाषचंद्र बोस अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए हथियार उठाने में भरोसा रखते थे । नेताजी का जबलपुर शहर से खास रिश्ता रहा है और उनसे जुड़ी कई यादें अब भी यहां संजोकर रखी गई हैं। 1931 से 1933 के बीच दो बार यहां के सेंट्रल जेल में रहने से लेकर 1939 के त्रिपुरी अधिवेशन तक, जिसमें वे कांग्रेस अध्यक्ष चुने गए, उसके बाद फिर अध्यक्ष पद से इस्तीफा, 1939 में ही नेताजी ने ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक का गठन भी किया था।

Photo of Netaji
Netaji Subhash Chandra Bose

नेताजी ने कुल 6 महीने 29 दिन जबलपुर सेंट्रल जेल में गुजारे जिसे आज उनके ही नाम पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस केंद्रीय जेल के नाम से जाना जाता है। केवल नाम ही नहीं, इस जेल में उनकी कई यादें अब भी सुरक्षित रखी हैं। जेल के जिस बैरक में उन्हें रखा गया था, उसे अब एक स्मारक का रूप दे दिया गया है। इस कमरे में कई चीजें मौजूद हैं जिनका इस्तेमाल कैदी के रूप में नेताजी ने किया था। इसमें अनाज पीसने की चक्की से लेकर उन्हें पहनाई गई बेड़ियां तक शामिल हैं। जानकार बताते हैं कि नेताजी जब भी जबलपुर आते थे, वो कुछ समय जबलपुर के तिलवारा घाट पर जरूर बिताते थे।

इसके अतिरिक्त प्रशानिक और रक्षा क्षेत्र में यहाँ स्थित गन कैरिज फैक्ट्री, व्हीकल फैक्ट्री, गन आयरन फॉउंडरी, आर्मी कैंटोनमेंट, वेस्टर्न सेंट्रल रेलवे जोन, कैट ट्रिब्यूनल आदि का अभुत्पुर्ण्य योगदान रहा हैं । शिक्षा के क्षेत्र में जबलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज, नेताजी सुभाष मेडिकल कॉलेज, रानी दुर्गावती विश्व विद्यालय, होम साइंस कॉलेज, साइंस कॉलेज आदि भी प्रसिद्ध हैं ।

सांस्कृतिक और न्यायिक राजधानी ने काफी कुछ अपने अंदर छिपाया हुआ है जिसके लिए एक ब्लॉग पर्याप्त नहीं है लेकिन फिर भी मैंने गागर में सागर भरने की कोशिश की है। उम्मीद है आपको पसंद आएगा अपने बहुमूल्य सुझाव जरूर दें और अपने व्यस्त समय में से थोड़ा समय निकालकर इसको पढ़ने के लिए धन्यवाद।