धनिया

सितम्बर स्पेशल बागवानी

सितम्बर का महीना मौसम के परिवर्तन का आगाज़ लिए हुए होता है जिसमें बरसात का मौसम खत्म होने वाला होता है और ठंड की शुरुआत होने को होती है ऐसे में तापमान भी 30 से 35 डिग्री सेल्सियस के आसपास होता है।

बागवानी में हमेशा मौसम से ज्यादा तापमान का ध्यान रखना पड़ता है। उत्तर भारत और दक्षिण भारत के तापमान में काफी अंतर है इसलिए पेड़ पौधों के प्रकार और पैदावार में भी विभिन्नता दिखती है।

पेड़ पौधे हमारे लिए कितने ज़रूरी हैं यह किसी से छुपा नहीं है खासकर कोरोना काल में जब ऑक्सीजन के लिये हाहाकर मचा हुआ था ऐसे में बागवानी का शौक बहुत ही फायदे का साबित हुआ है, एक तो यह आपको बिजी रखता है ज्यादा आगे पीछे सोचने का मौका नहीं देता साथ ही यह कई लोगों को बुरी लतों से भी निकलने में बहुत मददगार हुआ है और पौधे बड़े ही भोले और निष्कपट निश्छल होते हैं जो हमें बहुत अंदर तक शन्ति और सुकून का माहौल देते हैं।

आज हम बात करते हैं उन पौधों की जो घर में आसानी से उग जाते हैं और ठंड़ीयों में आपको ऑर्गेनिक सब्जियों और फूलों के साथ हमें स्वस्थ और चुस्त दुरुस्त रखने में मददगार होता है।

इस लिस्ट में सबसे पहले आता है हर दिल अजीज और हर सब्जी में पड़ने वाला टमाटर और धनिया जिसके बीज़ हर घर में आसानी से मिल जाता है और उगाने में भी आसान है।

अगर आपके घर में साबुत धनिया हो जोकि किचन में खड़े मसाला के रूप में प्रयोग किया जाता है उसको मिट्टी के सही कम्पोजीशन में डाल दें शुरुआत में नमी की मात्रा सही रखें।मिट्टी की सही कंपोजीशन के लिए 30% मिट्टी, 30%रेत और 40% वर्मीकम्पोस्ट होना चाहिये।

उसके बाद आता है हरी मिर्च

हरी मिर्च उगाने के लिए भी अलग से बीज़ खरीदने की ज़रूरत नहीं होती जो मिर्च हम घर में प्रयोग करते हैं वह जब लाल हो जाती है उसको सुखाकर उसके बीज़ मिट्टी की सही कम्पोजीशन में डालकर उसी मिट्टी से ढंककर पानी दें। एक हफ्ते में इसकी छोटी पौध आपको देखने मिल जाएगी।

फिर फूल गोभी और शिमलामिर्च

फूलगोभी और शिमला मिर्च भी बीज़ से ही लगते हैं । इनके लिए भी मिट्टी का उचित अनुपात ज़रूरी होता है। मौसम अनुकूल होने से ये भी जल्द ही अंकुरित हो जाते हैं और ठंड आते आते आपको घर में ही ऑर्गेनिक और फ्रेश सब्जियां घर में ही खाने को मिल जाएंगी।

फूलों में गुलदाउदी और डहलिया का फूल मुख्य रूप से है। ये बीज़ के साथ साथ कटिंग से भी लगते हैं। ध्यान रहे कि बीज़ से निकलने वाले पौधे कटिंग की अपेक्षा फल फूल देने में अपेक्षाकृत समय ज्यादा लगाते हैं।

सितम्बर का महीना पौधों को रिपोटिंग यानी कि छोटे गमले से बड़े गमले में शिफ्ट करने के लिए सबसे उपयुक्त होता है साथ ही आप कुछ पौधों की कटिंग्स लगाकर फ्री में ही अपनी बागवानी का विस्तार कर सकते हैं।मैंने भी कुछ कटिंग्स  अभी ही लगाई हैं  और कुछ पौधे उनके बीज से उगाए हैं उनकी फोटोज नीचे हैं।

इसके साथ ही आप घर में प्रयोग आने वाली सब्जियों के बीजों को ही गमलों में लगाकर उसको ऊगा सकते हैं और उनसे पैदा हुई सब्जियों को एन्जॉय कर सकते हैं उनमें कुछ प्रमुख हैं करैला, लौकी, बैंगन, नीम्बू और पुदीना ।

पौधों को लगाने से पहले उसके बारे में थोड़ा जानकारी ज़रूर ले लेनी चाहिए जैसे कि पौधे को किस तरह की मिट्टी  और खाद की ज़रूरत होती है और कितना पानी पर्याप्त होता है। प्राकृतिक परिवेश और ज़मीन में उगने वाले पौधों की बात अलग होती है लेकिन हम इन पौधों को गमलों में और महानगर की बालकनी में उगाकर अपना शौक पूरा करने के साथ ही पर्यावरण को शुद्ध और स्वच्छ रखने में योगदान दे सकते हैं। बस ध्यान यह रखना है कि हम उनके लिए बहुत सीमित साधन दे पा रहे इसलिए उनको ज्यादा देखभाल की ज़रूरत होती है।

भारतीय मसाले न सिर्फ खुशबू बढ़ाएँ बल्कि खाने में भी जान डाल दें

भारतीय मसाले जिनका नाम सुनते ही न सिर्फ रंग-बिरंगे मसाले आँखों के सामने नाचने लगते हैं, बल्कि मुँह में भी पानी आ जाता है। ये मसाले किसी बेस्वाद से खाने में भी जान डाल देते हैं। कोई भी भारतीय व्यंजन बिना मसालों के पूरा नहीं होता चाहे मसाले साबुत रूप में प्रयोग किये गए हों या फिर पाउडर के रूप में।

आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि भारत न केवल मसालों का प्रयोग करने में अग्रणी है, बल्कि इसके निर्यात में भी सबसे आगे है। विश्व के कुल मसालों का 70% भारत में पैदा होता है।

ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले पुर्तगाल ने भारत को मसालों की वजह से ही खोज निकाला था और सालों तक दूसरे देश भारत से मसालों का व्यापार करते रहे। हमारे देश के केरल राज्य को States of spice का दर्जा मिला हुआ है और वहाँ के एक शहर कोझिकोड को मसालों का शहर कहते हैं। भारतीय मसाला अनुसंधान केन्द्र (IISRC) भी कोझिकोड में ही है।

मसाले न सिर्फ भोजन का स्वाद बढ़ाते हैं बल्कि इनमें कई औषधीय और रासायनिक गुण भी होते हैं, जिनमें कुछ पर हम अपने लेख में बता रहे।

केसर को मसालों का राजा और धनिया को मसालों की रानी कहते हैं।

अदरक, इलायची, लौंग, काली मिर्च, ज़ीरा, जायफल, जावित्री, तेज़ पत्ता,धनिया, तुलसी, हल्दी, दालचीनी, केसर, लहसुन, सौंफ आदि। ये कुछ ऐसे मसालों के नाम हैं जिनसे हम सब परिचित हैं और अपने रोज़ के खाने में इनका प्रयोग करते हैं। क्या हम इनके सभी फ़ायदों और नुकसान से भी भली-भाँति परिचित हैं ?

मसालों का प्रयोग अगर उचित मात्रा में करें तो न केवल हम खुद और अपने परिवार को स्वस्थ रख पाएँगे बल्कि अपनी इम्युनिटी बढ़ाकर तमाम रोगों से बचे रहेंगे। इसके लिए हमें अपने मसालों में पाए जाने वाले तत्वों और उसके फायदों की जानकारी होना आवश्यक है। जिनके बारे में मैं एक-एक करके अपने ब्लॉग्स के द्वारा समय-समय पर लिखती रहूँगी। आपके सुझाव और सहयोग से मुझे भी सहायता मिलती रहेगी।