आयरन

करोंदा:: खट्टा मीठा टैंगी

 

भारत में जून जुलाई में मानसून शुरू हो जाता है और इस मानसून में यहां लोग खाने पीने में कुछ नया प्रयोग करते रहते हैं। गर्मियों में यहाँ लोग तरह तरह के अचार, पापड़ बनाकर सुखाकर रख लेते हैं और उसको साल भर इस्तेमाल करते हैं। ऐसे में करोंदा भी एक बढ़िया विकल्प होता है अचार और चटनी के लिये।

इसका साइंटिफिक नाम कैरिस्सा करंदुस (carissa carandus) है। अलग अलग भाषाओं में इसको अलग अलग नाम से जाना जाता है। तमिल में इसको “kilakkai” और बंगाली में “koromcha” बोलते हैं। इसको बंगाल करान्त(bengal currant), क्राइस्ट थोर्न (christ thorn) भी कहा जाता है।

आधे सफेद और गुलाबी रंग लिया हुआ यह फल कच्चे में काफी खट्टा होता है लेकिन पक जाने पर यह खट्टा मीठा  हो जाता है।

यह आयरन का बहुत अच्छा स्रोत होता है इसलिए एनीमिया के रोगियों के लिए काफी लाभकारी होता है

मैग्नीशियम, विटामिन्स और ट्राइप्टोफान मिलकर सेरोटोनिन नामक हार्मोन सीक्रेट करते हैं जोकि दिमाग को शांत रखने में कारगर है।

यह बुखार कम करने में और एलर्जी, मानसून की बीमारियों के लिए काफी फादेमंद होता है।

पेट के लिए भी इसका चूर्ण काफी अच्छा माना जाता है। कब्ज, डायरिया में यह काफी असरदार होता है।

हफ्ते में 2 से तीन बार इसका जूस हमारे हृदय को स्वस्थ रखता है।

हमारे लिवर को हेल्थी रखने में भी यह काफी असरदार होता है क्योंकि यह बाईल जूस को एक्स्ट्रा नहीं निकलने देता।

यह एनाल्जेसिक का काम करता है और इंफ्लामेसन दूर करता है।

यह भूख बढ़ाता है प्यास कम करता है।

इसकी लकड़ियां जलाने के काम आती हैं।

 

यह ब्लड प्रेसर नियंत्रित करता है।

करौंदे के बहुत से फायदे हैं उसी तरह अति हर चीज़ की बुरी होती है तो ये बात जरूर ध्यान रखें।

 

 

क्या अपराजिता ही शंखपुष्पी हैं ??

क्या अपराजिता ही शंखपुष्पी हैं ? जब मैंने इस प्रश्न का उत्तर ढूढ़ना शुरू किया को मुझे इसके बहुत से गुणों ने आश्र्यचकित कर दिया । अपराजिता की बेल जिसे शंखपुष्पी या ब्लूपी भी कहते हैं आमतौर पर जो लोग थोड़ा भी बागवानी का शौक रखते हैं उनके पास ज़रूर मिल जाएगी लेकिन शायद कम लोगों को इसके बहुत सारे फायदे मालूम होंगे । तो आइये बात करते हैं इस अनमोल फूल की । इसका वैज्ञानिक नाम क्लिटोरिआ टेरनटिआ (Clitoria ternatea) है। यह लता यानि बेल की तरह होते हैं और इनमें नीले और सफेद रंग के फूल आते हैं। इसके फूलों का आकार गाय के कान की तरह होते हैं इसलिए इसको गोकर्ण भी कहा जाता है।

इसके पौधे को ज्यादा केअर की ज़रूरत नहीं होती, यह किसी भी तरह की मिट्टी में आसानी से लग जाता है। हाँ गमलों में ड्रैनेज की व्यवस्था ठीक होनी चाहिए।

अपराजिता में दो प्रकार के फूल आते हैं पहला नीला और दूसरा सफेद । सफेद अपराजिता आयुर्वेदिक रूप से ज्यादा फायदेमंद होता है।

इसके फूल को उबालकर चाय बनती है वो कई तरह से फायदेमंद होती है। त्वचा और लिवर, किडनी के साथ ही साथ पेट को भी पूरी तरह साफ करने में मदद करता है।

इसमें कई तत्व पाए जाते हैं जो हमारे शरीर को फायदा करते हैं।

जस्ता, मैग्नेशियम, कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन, विटामिन ए, विटामिन ई, विटामिन सी, जिंक, एंटीऑक्सीडेंट, फायटोन्यूट्रिएंट जैसे बहुत से तत्व हैं जो अपराजिता अपने अंदर छिपाए हुए है।

अपराजिता की जड़ें काफी लाभकारी होती हैं उनका प्रयोग कई रोगों को ठीक करने में हो सकता है जैसे मूत्र सम्बन्धी बीमारियों में, प्लीहा या तिल्ली (Spleen) की बीमारी में इसके साथ ही गठिया रोग, त्वचा सम्बंधित बीमारियों और मधुमेह में भी फायदेमंद है। इलाज के लिये प्रयोग में लाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें क्योंकि इसकी मात्रा और किस तरह प्रयोग करना है यह विशेषज्ञ ही बता सकते हैं साथ ही आपके शरीर का पुराना रिकॉर्ड भी आपके पारिवारिक चिकित्सक  को ही मालूम हो सकता है।

लगातार और ज़रूरत से ज्यादा कोई भी वस्तु नुकसान ही करती है इस बात का खास ख्याल रखें साथ ही स्तनपान कराने वाली माताएं और गर्भवती महिलाएं इसे न ही प्रयोग करें तो अतिउत्तम है।

भारतीय त्योहारों में इस फूल की विशेष महत्ता हैं और नवरात्री और दुर्गा पूजा में माँ काली के आस पास इस फूल को जरूर लगाया जाता हैं ।

तो आशा हैं इस फूल के बारे में पढ़ने के बाद आप जरूर इस अपराजिता तो घर में लाएंगे और इसके गुणों का फायदा उठाएंगे। पोस्ट के बारे में अपने विचार जरूर शेयर करे ।