फायटोन्यूट्रिएंट

क्या अपराजिता ही शंखपुष्पी हैं ??

क्या अपराजिता ही शंखपुष्पी हैं ? जब मैंने इस प्रश्न का उत्तर ढूढ़ना शुरू किया को मुझे इसके बहुत से गुणों ने आश्र्यचकित कर दिया । अपराजिता की बेल जिसे शंखपुष्पी या ब्लूपी भी कहते हैं आमतौर पर जो लोग थोड़ा भी बागवानी का शौक रखते हैं उनके पास ज़रूर मिल जाएगी लेकिन शायद कम लोगों को इसके बहुत सारे फायदे मालूम होंगे । तो आइये बात करते हैं इस अनमोल फूल की । इसका वैज्ञानिक नाम क्लिटोरिआ टेरनटिआ (Clitoria ternatea) है। यह लता यानि बेल की तरह होते हैं और इनमें नीले और सफेद रंग के फूल आते हैं। इसके फूलों का आकार गाय के कान की तरह होते हैं इसलिए इसको गोकर्ण भी कहा जाता है।

इसके पौधे को ज्यादा केअर की ज़रूरत नहीं होती, यह किसी भी तरह की मिट्टी में आसानी से लग जाता है। हाँ गमलों में ड्रैनेज की व्यवस्था ठीक होनी चाहिए।

अपराजिता में दो प्रकार के फूल आते हैं पहला नीला और दूसरा सफेद । सफेद अपराजिता आयुर्वेदिक रूप से ज्यादा फायदेमंद होता है।

इसके फूल को उबालकर चाय बनती है वो कई तरह से फायदेमंद होती है। त्वचा और लिवर, किडनी के साथ ही साथ पेट को भी पूरी तरह साफ करने में मदद करता है।

इसमें कई तत्व पाए जाते हैं जो हमारे शरीर को फायदा करते हैं।

जस्ता, मैग्नेशियम, कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन, विटामिन ए, विटामिन ई, विटामिन सी, जिंक, एंटीऑक्सीडेंट, फायटोन्यूट्रिएंट जैसे बहुत से तत्व हैं जो अपराजिता अपने अंदर छिपाए हुए है।

अपराजिता की जड़ें काफी लाभकारी होती हैं उनका प्रयोग कई रोगों को ठीक करने में हो सकता है जैसे मूत्र सम्बन्धी बीमारियों में, प्लीहा या तिल्ली (Spleen) की बीमारी में इसके साथ ही गठिया रोग, त्वचा सम्बंधित बीमारियों और मधुमेह में भी फायदेमंद है। इलाज के लिये प्रयोग में लाने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें क्योंकि इसकी मात्रा और किस तरह प्रयोग करना है यह विशेषज्ञ ही बता सकते हैं साथ ही आपके शरीर का पुराना रिकॉर्ड भी आपके पारिवारिक चिकित्सक  को ही मालूम हो सकता है।

लगातार और ज़रूरत से ज्यादा कोई भी वस्तु नुकसान ही करती है इस बात का खास ख्याल रखें साथ ही स्तनपान कराने वाली माताएं और गर्भवती महिलाएं इसे न ही प्रयोग करें तो अतिउत्तम है।

भारतीय त्योहारों में इस फूल की विशेष महत्ता हैं और नवरात्री और दुर्गा पूजा में माँ काली के आस पास इस फूल को जरूर लगाया जाता हैं ।

तो आशा हैं इस फूल के बारे में पढ़ने के बाद आप जरूर इस अपराजिता तो घर में लाएंगे और इसके गुणों का फायदा उठाएंगे। पोस्ट के बारे में अपने विचार जरूर शेयर करे ।

मानसून वेजटेबल:: खेस्का,ककोड़ा या कंटोला

 

सीजनल सब्जियां हमेशा से ही सेहतमंद और इकनोमिक रूप से फायदेमन्द होती हैं। आजकल सभी सब्जियां पूरे साल मिलती हैं लेकिन वो ताज़ी और शुद्ध हों ये ज़रूरी नही होता। क्योंकि किसी भी फसल को उगने और बढ़ने के लिए सही सीजन और  प्राकृतिक वातावरण की ज़रूरत होती है उसको बिना सीजन के उगाने के लिए हमें सीमित वातावरण और केमिकल्स की ज़रूरत पड़ती है या तो उसको कोल्ड स्टोरेज में स्टोर करना पड़ता है जो कि उस फसल के साथ ही साथ हमारे भी स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ होता है।

अभी बारिश का मौसम है और हम आज मानसून की एक सब्जी “खेसका”की खासियत जानेंगे जो कि सेहत के साथ ही आंखों को भी बड़ी सुकून देने वाली होती है। यह पूरे भारत में साथ ही साथ साउथ एशिया में भी पाई जाती है। यह पहाड़ी क्षेत्रों में अपने आप ही उग जाती है और 3-4 महीनों तक ही रह पाती है।

इसको विभिन्न जगहों पर विभिन्न नाम से जाना जाता है।

इसका साइंटिफिक नाम  मोमोरदिका डिओइका (Momordica dioica ) है इसको स्पिनी गॉर्ड (spiny gourd) या टीसले गॉर्ड (teasle gourd) भी कहते हैं। हमारे मिर्ज़ापुर में इसको खेस्का बोलते हैं वहीं कुछ जगह इसको कंटोला या ककोड़ा भी कहा जाता है।

जैसा कि इसके नाम से ही साफ है कि यह गॉर्ड फॅमिली  का फ्लोवेरिंग प्लांट है।

इसमें पाए जाने वाले कुछ खास गुण

  1. यह फायटोन्यूट्रिएंट (phytonutrient) ( पौधों में पाया जाने वाले प्राकृतिक उपयोगी रसायन) का बहुत ही अच्छा स्रोत होता है। साथ ही साथ मानसून में पैदा होने के कारण इसमें पानी की मात्रा बहुत होती है।
  2.  इसमें बहुत कम कैलोरी होती है जिसकी वजह से यह वज़न नियंत्रित करने वालों के लिए काफी बढ़िया विकल्प हो सकता है। इसके 100ग्राम के अंदर लगभग 17 कैलोरी ही मिलती है।
  3. मानसून में पैदा होने की वजह से मानसून में होने वाली बीमारियों जैसे फ्लू, रैशेस, एलर्जी इन सबका भी रक्षा कवच है।
  4. इसमें प्लांट इंसुलिन काफी मात्रा में मिलता है जिसकी वजह से यह प्राकृतिक तरीके से ब्लड शुगर को कंट्रोल करता है।
  5. इसमें फाइबर्स बहुतायात में मिलते है जिसकी वजह से यह पेट की बीमारियों जैसे अपच, गैस और बवासीर की बीमारियों में भी काफी आराम पहुंचाता है।
  6. इसमें कैरोटीनॉयड (Carotenoid) जैसे कि ल्युटिन (leutin) पाए जाते हैं जो आंख के लिए काफी अच्छा होता है।
  7. साथ ही साथ यह सब्जी हृदय की बीमारियों और कैंसर में भी काफी असरदार है क्योंकि इसमें विटामिन सी और प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं इसलिए यह त्वचा सम्बंधित बीमारियों में भी असरदार है।

तो अब जब भी आप मार्किट जाएं और यह हरी भरी कँटीली सब्जी दिखे तो इसको जंगली और बेकार समझ कर छोड़ कर न आएं बल्कि घर लाके ज़रूर आज़माएँ और इसके फायदे उठाये।