क्या करें जब बच्चा दूध पीने में करे आनाकानी

दूध हमारे शरीर के लिए कितना ज़रूरी है ये हम सब बहुत अच्छी तरह जानते हैं कोई भी इसके फायदे आसानी से गिना सकता है। यह अपने आप में एक संपूर्ण आहार होता है। शुरुआत में 6 महीने तो बच्चा माँ के दूध पर ही निर्भर रहता है। धीरेधीरे ठोस आहार शुरू होता है और शुरू होते हैं बच्चों के दूध पीने के हज़ार बहाने। हम आज दूध के पोषण विषय पर बात भी नहीं कर रहे हम तो इस विषय पर बात कर रहे कि सब कुछ जानते हुए भी हम अपने नन्हें मुन्नों को इसका पोषण कैसे दें। आज की पीढ़ी जो पिज़्ज़ा बर्गर से ऊपर ही नहीं उठ पा रही उनको हम हेल्दी खाना कैसे दें विशेष तौर पर दूध जिसको देखते ही बच्चे मुँह बना लेते हैं। जिनके आहार में प्रोटीन के और विकल्प हैं जैसे मीट, अंडा आदि। उनका तो फिर भी ठीक है लेकिन जो शुद्ध शाकाहारी हैं और जिनके बच्चे दूध में भी नाटक करें ऐसे बच्चों को संपूर्ण आहार देना नई माताओं की सबसे बड़ी समस्या है और मैं भी इस समस्या से अछूती नहीं हूँ। मेरे भी 2 बच्चे हैं और मेरा आधे से ज्यादा समय अपना खाने का मेनू डिसाइड करने में ही चला जाता है, कि ऐसा क्या बनाया जाए जिसमें सभी पौष्टिक तत्व भी मिल जाएं और बच्चे आसानी से खत्म भी कर लें।

अगर आपका बच्चा भी खानेपीने में ऐसे ही नाटक करता है और आप परेशान हैं कि ऐसे में उसका नैसर्गिक विकास कैसे होगा तो कुछ बातों का ध्यान रखें आप देखेंगे कि कुछ दिनों में ही फर्क पड़ रहा और बच्चा खाने में रुचि ले रहा है।

1 – अगर बच्चा सीधे दूध नहीं पी रहा तो दूध के प्रोडक्ट्स जैसे दही, पनीर, छांछ, लस्सी ट्राई करके देखिए हो सकता है बच्चे को ये चीजें ज्यादा पसंद आएं। आपको माथापच्ची भी करनी पड़े और दूध का पोषण भी मिल जाए।

2 – खाने में वेरिएशन ले आएं। एक ही प्रकार का खाना खाकर कोई भी उकता जाता है। दूध से कई मिठाइयां भी बनती हैं। अगर आपके बच्चे को मीठा ज्यादा पसंद हो तो आप वो भी ट्राई कर सकती हैं।

3 – बाजार में कई तरह के खाद्य पदार्थ उपलब्ध हैं जो दावा करते हैं कि उनको दूध में मिला लेने से दूध का पूरा पोषण मिल जाता है। उनके दावे में कितनी सच्चाई है मुझे ये तो नहीं मालूम लेकिन वो दूध का स्वाद ज़रूर बदल देते हैं और कई बच्चे तो अपनी मनपसंद रंग और स्वाद देखकर ही पूरा दूध खत्म कर लेते हैं जो पहले दूध की तरफ देखना भी नहीं चाहते थे।

4 – एक बार में ही एक गिलास दूध खत्म करवाने के बजाय आधाआधा गिलास करके 2,3 बार में दें।

5 – कभीकभी बच्चों को शामिल करके खाना बनाने या उसके इंग्रिडिएंट्स के फायदे नुकसान बताते रहें, जिससे उसको खाने में मिलने वाले पोषक तत्व की जानकारी मिलती रहे।