जिला मिर्ज़ापुर…….लिखने और देखने लायक यहाँ पर बहुत कुछ है
उत्तर प्रदेश का एक छोटा सा जिला मिर्ज़ापुर जो प्राकृतिक सौंदर्य से तो लबालब है लेकिन इसके पर्यटन पर सरकार कुछ खास ध्यान नहीं दे पाई है। यह धार्मिक रूप से भी काफी महत्वपूर्ण स्थान रखता है क्योंकि जगत जननी माँ विंध्यवासिनी का धाम भी यही है साथ ही साथ ये दोनों ओर से दो महत्वपूर्ण धार्मिक नगरों ( एक तरफ पवित्र संगम नगरी प्रयागराज तो दूसरी तरफ बाबा भोलेनाथ की नगरी काशी) से जुड़ा हुआ है।
लॉक डाउन के दौरान मिर्ज़ापुर सीरीज देखने का मौका मिला तो दिल दहल गया, सीरीज तो हमसे पूरी देखी भी नहीं गई। ये किस मिर्जापुर की बात कर रहे। जिस मिर्जापुर को मैं जानती हूँ और जहाँ अपना बचपन जिया है वो तो बिल्कुल ऐसा नहीं है।
हाँ, बेरोजगारी, अशिक्षा और गरीबी ज़रूर बहुत ज्यादा है वो भी माननीय लोगों की लापरवाही और भ्रष्टाचार की वज़ह से लेकिन उसको गुंडाराज नही बोल सकते। यहाँ कालीन और पीतल का व्यसाय मुख्य रूप से किया जाता है यह सच है। गरीबी और बेरोजगारी की वजह से नक्सलवाद को एक हद तक बढ़ावा मिला है लेकिन जिस तरह वेब सीरीज में मर्डर दिखांए गए ऐसा तो नही होता कहीं भी।
मिर्जापुर की प्राकृतिक छटा निराली है और बरसात में तो यह और भी खूबसूरत हो जाता है। कुछ प्राकृतिक सौंदर्य में सिरसी बाँध, लखनिया दरी, सिद्धनाथ दरी, कुशियरा फॉल, टाण्डा फाल, विंढम फॉल, ददरी-हलिया जंगल मुख्य हैं। अगर प्रशासन ध्यान दे तो इनको और भी खूबसूरत बनाकर पर्यटन बढ़ाया जा सकता है जिससे रोज़गार के अवसर बढेंगें।
विंध्याचल के नाम से काफी तीर्थयात्रियों का आना होता है लेकिन उनमें से कम को ही मालूम होगा कि माँ विंध्यवासिनी का दर्शन अकेले करने से पूरा पुण्य नहीं मिलता । पूरा पूण्य प्राप्त करने के लिए त्रिकोण पूरा करना होता है इस त्रिकोण में काली खोह और अष्टभुजा मंदिर शामिल हैं। काली खोह से करीब 8 km दूर ही IST सेन्टर है जहाँ से पूरे देश का समय निर्धारित होता है।
अगर आप 30 साल के आसपास उम्र समूह में हैं तो आपने देवकीनन्दन खत्री की चंद्रकांता सीरियल दूरदर्शन पर ज़रूर देखी होगी। तिलिस्म और मनोरंजन से भरपूर यह धारावाहिक चुनार के किले के बिना अधूरा है। और चुनार और चुनार का किला दोनो ही मिर्ज़ापुर जाकर देखा जा सकता है।
मिर्जापुर का नाम लो और गंगा घाट का नाम न आए ये तो जल बिन मछली वाली बात हो जाएगी। यहाँ तमाम गंगा घाट अपनी नक्काशीदार बनावट और खूबसूरती के लिए मशहूर हैं ये अलग बात है कि उचित रख रखाव न होने से फिलहाल धूल चाट रहे हैं। जिनमें कुछ प्रमुख घाट हैं पक्केघाट, बरियाघाट, नारघाट। पक्केघाट का लेडीज मार्केट भी काफी फेमस हैं । सभी त्योहारों में से, कजरी महोत्सव संभवतह सबसे भव्य तरीके से मनाया जाता है।यहाँ का कालीन तो बहुत ही मशहूर है।
स्थानीय मिर्ज़ापुरी बोली ( भोजपूरी) के अलावा, ग्रामीण मिर्ज़ापुर की पोशाक भी काड़ा (ब्रेसलेट), बाजु बैंड (आर्म बैंड), हंसूली (मोटी गर्दन के छल्ले), बिछिया (पैर की अंगुली के छल्ले), करधनी (सिल्वर बेल्ट) जैसी पारंपरिक आभूषण पहनने वाली महिलाओं के साथ काफी अलग है। पुरुषों को ज्यादातर गमछा और कुर्ता में देखा जाता है।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, साउथ कैंपस (बरकछा), 1104 हेक्टेयर क्षेत्रफल के साथ राबर्ट्सगंज उच्च मार्ग (मानचित्र) पर मिर्जापुर शहर के लगभग 8 किमी दक्षिण पश्चिम में स्थित है। वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन ने उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े 101 मेगावाट के सौर ऊर्जा संयंत्र का मिर्जापुर जिले के दादर कला गांव में का उद्घाटन किया।
अन्त में यही हैं की मिर्जापुर पर लिखने और देखने लायक यहाँ पर बहुत कुछ है बशर्ते देखने वाले के पास समय और खूबसूरती देखने का नज़रिया और हुनर हो। तो अब अगली बार जब भी मौका मिले माँ विंध्यवासिनी धाम ज़रूर पधारें और खुद अपना नज़रिया बनाएँ मिर्ज़ापुर के लिए।