तीर्थों का तीर्थ-रामेश्वरम.
आंध्र प्रदेश के भ्रमण के बाद हमने रुख किया और दक्षिण तमिलनाडु की तरफ जहाँ हम पूरे परिवार के साथ पहुँचते हैं रामनाथपुरम क्यूंकि यहां रुककर हमे दर्शन करने हैं हिन्दू धर्म के पवित्रतम चार धामों में एक रामेश्वरम के। ऐसी मान्यता है की भगवान राम ने श्रीलंका पर चढाई करने से पहले अपने हाथों से भगवान भोलेनाथ को यह स्थापित किया था। यह रामेश्वरम द्वीप पर स्थित है जो भारत की मुख्य भूमि से पम्बन जलसंधि द्वारा अलग है। और श्री लंका के मन्नार द्वीप से 40km दूर है। यही रामसेतु का निर्माण हुआ था और धनुषकोड़ी भी यही पर है।अभी कुछ दिनों पहले 22 जनवरी को अयोध्या में भगवन राम के भव्य मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा के पहले हमारे प्रधान मंत्री भी रामेश्वरम गए थे और उनकी अग्नि कुंड, 22 कुए में स्नानऔर शिवलिंग दर्शन की बहुत सारी तस्वीरें मीडिया में आयी थी इससे आप इस तीर्थ स्थान का महत्व समझ सकते हैं। तो आइये यात्रा शुरू करते हैं ।
पम्बन ब्रिज (Pamban Bridge)
पम्बन ब्रिज (Pamban Bridge), 2.2 कि.मी. लम्बाई वाला पुल, जो रामेश्वरम द्वीप और मुख्य भूमि को जोड़ता है, किसी खाड़ी पर बना हुआ भारत का सबसे लम्बा पुल है। इस प्रकार द्वीप को जोड़ने वाला रेलवे कैंची पुल समुद्र के माध्यम से जहाजों को पार करने के लिए जाना जाता है। अभी नए ब्रिज का कंस्ट्रक्शन पुरे जोरो से चल रहा हैं I ब्रिज को पैदल पार करने का अपना की रोमांच हैं जो वीडियो के माध्यम से महसूस कर सकते हैं
यात्रा को आगे बढ़ाते हुए हम रामेश्वरम पहुंचे । पुराणों में रामेश्वरम् का नाम गंधमादन है। वास्तव में, रामेश्वर का अर्थ होता है भगवान राम और इस स्थान का नाम, भगवान राम के नाम पर ही रखा गया। यहां स्थित प्रसिद्ध रामनाथस्वामी मंदिर, भगवान राम को समर्पित है। इस मंदिर में हर साल लाखों श्रद्धालु यात्रा करने आते है और ईश्वर का आर्शीवाद लेते है।
रामेश्वरम मंदिर
तमिलनाडु राज्य के रामनाथपुरम जिले में स्थित यह रामेश्वरम मंदिर पौराणिक समय में निर्मित खूबसूरत वास्तुकला एवं सुंदर नक्काशी वाला हिंदू धर्म से जुड़ा एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। इस मंदिर की खूबसूरती एवं कलाकृति देखने में काफी ज्यादा अचंभित करने वाली लगती है।
इस मंदिर के दीवारों पर अलग-अलग कलाकृतियों को काफी सुंदर तरीके से नक्काशा गया है। यहां पर जाने के उपरांत आप इस मंदिर के दीवारों पर बने अलग-अलग देवी-देवताओं के प्रतिमाओं के अलावा और भी बहुत सारी खूबसूरत नक्काशी वाली प्रतिमाओं को देख सकते हैं।
इस मंदिर की बड़े गलियारे की लंबाई 3850 फिट है, जो कि दुनिया का सबसे बड़े गलियारे के रूप में जाना जाता है। इस रामेश्वरम मंदिर के अंदर मुख्य दो लिंग देखा जा सकता है, जिममें एकलिंग भगवान श्री राम एवं सीता के द्वारा स्थापित किया गया था जिसे रामलिंगम के नाम से जाना जाता है। दूसरा हनुमान जी के द्वारा कैलाश से लाए गए शिवलिंग को देखा जा सकता है,
अग्नि तीर्थम
अग्नितीर्थम सबसे महत्वपूर्ण तीर्थों में से एक है और हर दिन बड़ी संख्या में पर्यटकों द्वारा इसका दौरा किया जाता है। यह श्री रामनाथस्वामी मंदिर के समुद्र तट पर स्थित है। अग्नितीर्थम मंदिर परिसर के बाहर स्थित एकमात्र तीर्थम है और भारत में 64 पवित्र स्नान में से एक। संस्कृत भाषा में, अग्नि शब्द का अर्थ है अग्नि; जबकि तीर्थम शब्द का अर्थ पवित्र जल होता है। तीर्थम आने वाले भक्त देवता की पूजा करते हैं और पवित्र जल में डुबकी लगाकर अपने पापों का प्रायश्चित करते हैं।
इस प्राचीन समुद्र तट के तट पर मृत पूर्वजों के लिए समग्र अनुष्ठान किए जाते हैं। पवित्र स्नान करने के इच्छुक तीर्थयात्रियों को पहले यहां डुबकी लगानी चाहिए और फिर रामेश्वरम मंदिर के अंदर स्नान के लिए आगे बढ़ना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस समुद्र में स्नान करने से उसके पापों से मुक्ति मिलती है और वह शुद्ध हो जाता है। अमावस्या और पूर्णिमा के दिन यहां स्नान करना सबसे शुभ माना जाता है। इस स्थान पर रावण को मारने के बाद राम द्वारा अपने पापों के प्रायश्चित की कहानी के बाद, भक्तों ने अग्नितीर्थम के पवित्र जल में डुबकी लगाकर अपने पापों का प्रायश्चित किया।
22 कुंड –
श्री रामेश्वर मन्दिर में परिसर के भीतर ही चौबीस कुँओं का निर्माण कराया गया है, जिनको ‘तीर्थ’ कहा जाता है। इनके जल से स्नान करने का विशेष महत्त्व बताया गया है। इन कुँओं का मीठा जल पीने योग्य भी है। मन्दिर के बाहर भी बहुत से कुएँ बने हुए हैं, किन्तु उन सभी का जल खारा है। मन्दिर-परिसर के भीतर के कुँओं के सम्बन्ध में ऐसी प्रसिद्धि है कि ये कुएं भगवान श्रीराम ने अपने अमोघ बाणों के द्वारा तैयार किये थे। उन्होंने अनेक तीर्थों का जल मँगाकर उन कुँओं में छोड़ा था, जिसके कारण उन कुँओं को आज भी तीर्थ कहा जाता है। उनमें कुछ के नाम इस प्रकार हैं– गंगा, यमुना, गया, शंख, चक्र, कुमुद आदि। श्री रामेश्वरधाम में कुछ अन्य भी दर्शनीय तीर्थ हैं, जिनके नाम हैं– रामतीर्थ, अमृतवाटिका, हनुमान कुण्ड, ब्रह्म हत्या तीर्थ, विभीषण तीर्थ, माधवकुण्ड, सेतुमाधव, नन्दिकेश्वर तथा अष्टलक्ष्मीमण्डप आदि।
सभी २२ तीर्थों में स्नान के पश्चात हमने अपने वस्त्र बदले। हम अपने और अपने परिवार के लोगों के एक एक जोड़ी कपड़े अपने साथ लेकर गए थे। और सूखे और स्वच्छ वस्त्र पहनकर हम मंदिर में लाइन में लग गए वहां हमने देखा ३ तरह की लाइन लगी हुई थी एक लाइन सामान्य भक्तों के लिए दूसरी लाइन उन भक्तों के लिए जिन्होंने १०० रूपये का शुल्क दिया था और तीसरी लाइन उन भक्तों की थी जिन्होंने २०० रूपये का शुल्क दिया था। हम बिना शुल्क वाली लम्बी लाइन में लगकर धीरे धीर बढ़ते हुए आख़िरकार उस क्षण तक पहुँच ही गए जिसकी अभिलाषा लेकर हम दिल्ली से रामेश्वरम की इतनी लम्बी यात्रा किये थे। उस क्षण मनो वक़्त थम सा ही गया था भगवान की अलौकिक छवि हमारे नेत्रों के सामने थी वाकई तीर्थों का राजा कहा जाना चरितार्थ करती है।
भगवान भोलेनाथ के दर्शन उपरांत हम माता पारवती के दर्शन अभिलाषा लिए मंदिर प्रांगण में ही दूसरी तरफ रुख करते हैं और माँ का सौंदर्य तो वर्णन ही नहीं किया जा सकता। सभी जगह दर्शन उपरांत हम अपने होटल गए जहाँ हम अपनी यात्रा के दौरान रुके हुए थे हुए २ घंटे विश्राम करने के पश्चात रामेश्वरम नगर भ्रमण के लिए निकले
और ये कुछ कलाकृतियां हमको इतनी मंत्रमुग्ध कर गई की हम इन्हे बिना ख़रीदे वहां से आगे बढ़ ही नहीं पाए।
अगर आप रामेश्वरम जाते हैं, तो आपको समुद्री जीवों से बनी चीजें जरूर खरीदनी चाहिए। शंख, घोंघे और कस्तूरी कवच की वस्तुएं बहुत सुंदर और सस्ती होती हैं।
रामेश्वरम में और क्या धार्मिक स्थान प्रसिद्ध हैं?
गंधमाधन पर्वतम्
विलुंडी तीर्थम
नंबू नयागियाम्मन मंदिर
जटायु तीर्थम मंदिर
विभीषण मंदिर
यदि आप रामेश्वरम में हैं और आपके पास समय हैं तो इन्हे अवश्य देखना चाहिए।
हनुमान मंदिर
रामेश्वरम के दर्शनों के बाद हम लोग पंचमुखी हनुमान – मंदिर पहुंचे जहाँ अखंड ज्योति और एक हनुमान प्रतिमा देखने को मिलती है जिसके बारे में दावा किया जाता है कि यह 700+ वर्ष पुरानी है।
आपके पास तैरते पत्थर का डेमो दिखाने वाला एक व्यक्ति भी है।म्यू जियम में तैरते हुए पत्थरों को देखने का अवसर मिला जिसको देखकर विज्ञान और आस्था दोनों पर ही विश्वास और दृढ हो गया।
इतना सब करने के बाद हम निकले अपने अगले पड़ाव धनुष्कोडी की ओर रास्ते में जो समुद्रतटीय दृश्य था वो अत्यंत मनोहारी और आँखों के साथ ही साथ मन को भी सुकून दे रहा था।
धनुष्कोडी
भारत के दक्षिण पूर्वी सिरे पर अंतिम बिंदु पर स्थित धनुषकोडी, रामेश्वरम से एक घंटे से भी कम की ड्राइव पर है। यह वर्तमान में निर्जन है और तीन तरफ से समुद्र से घिरा हुआ है। यह वह स्थान भी है जहां बंगाल की खाड़ी हिंद महासागर में मिलती है। यहां पर्यटकों की थोड़ी भीड़ हो सकती है और पार्किंग क्षेत्र अव्यवस्थित है। समुद्र तट काफी साफ है और पास में एक पुराने ब्रिटिश चर्च और एक रेलवे स्टेशन के खंडहर हैं।
रामेश्वरम की पूरी यात्रा में एक ही कमी रह गयी की हम समय के आभाव और वरिष्ठ नागरिको के साथ होने के कारण डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के स्मारक संग्रहालय नहीं पहुंच पाए । डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (1931-2015), भारत के 11वें राष्ट्रपति (2002-2007), का जन्म और पालन-पोषण रामेश्वरम में हुआ और वे एक वैज्ञानिक बने और डीआरडीओ और इसरो के लिए काम किया। बच्चों को प्रेरित करने के लिए घूमने लायक अच्छी जगह हैं। इसमें कई पेंटिंग, मॉडल, उनके द्वारा उपयोग की गई वस्तुएं और महान व्यक्ति के जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं का चित्रण है। समय निकल के अवश्य जाएँ।
इसके बाद हमलोग कन्याकुमारी की तरफ बढ़ने लगे क्यूंकि वहां पहुंचकर हमे वहां का सूर्यास्त और उसके बाद सूर्योदय भी देखना था जो हम अपने अगले ब्लॉग में आपसे साझा करेंगे तब तक के लिए अलविदा। आशा है आपको मेरा यह थोड़ा धार्मिक और प्राकृतिक व्याख्यान से भरपूर ब्लॉग पसंद आया होगा और दी गई जानकारिया आपको भी यात्रा का प्लान करने में मदद करेंगी । आपके सुझाव और प्रशंसा हमारे उत्साह को दुगुना करने का काम करती है। तो अपना बहुमल्य समय और सुझाव ज़रूर दें। धन्यवाद।