हल्दी

इम्युनीटी बूस्टर एन्टी पायेरेटिक जड़ी बूटी :: गिलोय

 

आज जबकि कोरोना महामारी से त्रस्त है और चिकित्सा विज्ञान की सभी पद्धतियों ने नेचुरल इम्युनिटी को ही सर्वश्रेष्ठ साबित कर दिया है क्योंकि सभी तरह के ट्रायल में सबकी बॉडी अलग अलग रिएक्शन दे रही। कोई थेरेपी किसी पर काम कर रही तो किसी की जान बचा पाने में असमर्थ हो जाती है।

ऐसे में हमारे पास अपने किचन और अपनी देसी ईलाज़ ही नज़र आते है जो कि काढ़ा,  भाप,और हल्दी, गिलोय,अदरक,इलायची, लौंग जैसी जड़ी बूटियां ही हैं।कोरोना दूसरी लहर में न जाने कितने लोगों ने अपनी जान गंवा दी और जो बचे रह गए हैं वो अभी भी पोस्ट कोविड के लक्षणों से परेशान हैं ।

आज हम इनमें से गिलोय जिसे गुडीची भी कहते हैं, इसके कुछ इफेक्ट्स और साइड इफेक्ट्स दोनों ही समझते हैं।

गिलोय है क्या

गिलोय एक हृदय के आकार की पत्तियों वाली जड़ी बूटी है जिसकी छाल भी उबालकर काढ़े के रुप में प्रयुक्त होती है। इसका वैज्ञानिक नाम टीनोस्पोरा कौडीफ़ोलिया (Tinospora cordifolia) है।

इसको मधुनाशिनी और अमृत भी कहा जाता है। यह इंसुलिन प्रोडक्शन बढ़ाने में सहायक है और ऐसा करके हमारे शरीर के ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करती है इसलिए इसको मधुनाशिनी भी कहते हैं।इसको संस्कृत में अमृतवल्ली या अमृत भी कहा गया है।

इसके उपयोगी भाग

गिलोय का स्टेम काफी उपयोगी माना गया है क्योंकि इसके अंदर काफी स्वास्थ्य वर्धक चीजें होती हैं जैसे कि स्टेरॉइड्स,अल्कालोइड्स , ग्लाइकोसाइड और  काफी सारे कंटेंट होते हैं। इसकी पत्तियां और जड़ भी उपयोग में लाई जाती हैं।

इसको उपयोग कैसे करते हैं

आयुर्वेद के अनुसार गिलोय या तो पाउडर फॉर्म में ले सकते हैं या काढ़ा फॉर्म में या फिर जूस के रूप में भी ले सकते हैं। आजकल बाज़ार में इसकी टेबलेट भी उपलब्ध है।

अलग अलग रोगों के लिए इसको इस्तेमाल करने का तरीका और उसकी मात्रा अलग अलग होती है।

इससे होने वाले फायदे

यह डेंगू, मलेरिया, वायरल बुखार जैसे रोगों के लिए बहुत ही उपयोगी है। किस रोग में कब और कितना लिया जाना है यह सब किसी आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श लेकर आप इस्तेमाल कर सकते हैं

गिलोय बॉडी डिटोक्स का काम बहुत बेहतरीन तरीके से करता है तो लिवर और किडनी की गंदगी आसानी से खत्म कर देता।

यह पाचन प्रक्रिया को भी स्मूथ कर देता है।

घबराहट, थकान,तनाव को भी काफी हद तक दूर करता है।

यह आंखों के लिए भी काफी अच्छा माना गया है।

अर्थराइटिस और गाउट के लिए भी बेस्ट दवाई है।

यह बालों और त्वचा के लिये भी काफी लाभकारी माना गया है।

इससे होने वाले साइड इफेक्ट्स

इससे साधारण तौर पर कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता लेकिन अति किसी भी चीज की बुरी होती है। अगर आप मधुमेह की और दवाओं के साथ गिलोय प्रयोग करेंगे तो शुगर लेवल नार्मल से कम हो सकता है। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी इसका इस्तेमाल नहीं करने की सलाह दी जाती है क्योंकि 5 साल से कम के बच्चों पर इसका प्रभाव टेस्ट नहीं किया गया है।

इसका टेस्ट थोड़ा कड़वा ज़रूर होता है लेकिन इतने फायदों के साथ हल्का कड़वापन कोई ज्यादा दिक्कत नहीं देता।

दवा है हुज़ूर कड़वी तो होगी

आसान नहीं बनके जीना रोगी

खेलने के लिए जीवन की स्वस्थ और लंबी पारी

थोड़ी कड़वे खाने और दोस्तों की यारी

छोटी सी कीमत है नहीं होगी किसी पे भारी।

भारतीय मसाले न सिर्फ खुशबू बढ़ाएँ बल्कि खाने में भी जान डाल दें

भारतीय मसाले जिनका नाम सुनते ही न सिर्फ रंग-बिरंगे मसाले आँखों के सामने नाचने लगते हैं, बल्कि मुँह में भी पानी आ जाता है। ये मसाले किसी बेस्वाद से खाने में भी जान डाल देते हैं। कोई भी भारतीय व्यंजन बिना मसालों के पूरा नहीं होता चाहे मसाले साबुत रूप में प्रयोग किये गए हों या फिर पाउडर के रूप में।

आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि भारत न केवल मसालों का प्रयोग करने में अग्रणी है, बल्कि इसके निर्यात में भी सबसे आगे है। विश्व के कुल मसालों का 70% भारत में पैदा होता है।

ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले पुर्तगाल ने भारत को मसालों की वजह से ही खोज निकाला था और सालों तक दूसरे देश भारत से मसालों का व्यापार करते रहे। हमारे देश के केरल राज्य को States of spice का दर्जा मिला हुआ है और वहाँ के एक शहर कोझिकोड को मसालों का शहर कहते हैं। भारतीय मसाला अनुसंधान केन्द्र (IISRC) भी कोझिकोड में ही है।

मसाले न सिर्फ भोजन का स्वाद बढ़ाते हैं बल्कि इनमें कई औषधीय और रासायनिक गुण भी होते हैं, जिनमें कुछ पर हम अपने लेख में बता रहे।

केसर को मसालों का राजा और धनिया को मसालों की रानी कहते हैं।

अदरक, इलायची, लौंग, काली मिर्च, ज़ीरा, जायफल, जावित्री, तेज़ पत्ता,धनिया, तुलसी, हल्दी, दालचीनी, केसर, लहसुन, सौंफ आदि। ये कुछ ऐसे मसालों के नाम हैं जिनसे हम सब परिचित हैं और अपने रोज़ के खाने में इनका प्रयोग करते हैं। क्या हम इनके सभी फ़ायदों और नुकसान से भी भली-भाँति परिचित हैं ?

मसालों का प्रयोग अगर उचित मात्रा में करें तो न केवल हम खुद और अपने परिवार को स्वस्थ रख पाएँगे बल्कि अपनी इम्युनिटी बढ़ाकर तमाम रोगों से बचे रहेंगे। इसके लिए हमें अपने मसालों में पाए जाने वाले तत्वों और उसके फायदों की जानकारी होना आवश्यक है। जिनके बारे में मैं एक-एक करके अपने ब्लॉग्स के द्वारा समय-समय पर लिखती रहूँगी। आपके सुझाव और सहयोग से मुझे भी सहायता मिलती रहेगी।

 

 

 

 

हल्दी..फायदे और नुकसान

आमतौर पर हर भारतीय रसोई में मिलने वाला पीले रंग का पाउडर जिसको हम हल्दी कहते हैं एक भारतीय वनस्पति है।यह अदरक की प्रजाति का 5-6 फुट तक बढ़ने वाला पौधा है जिसमें जड़ की गाठों में हल्दी मिलती है।औषधि ग्रंथों में इसे हल्दी के अतिरिक्त हरिद्रा, कुरकुमा लौंगा, वरवर्णिनी, गौरी, क्रिमिघ्ना योशितप्रीया, हट्टविलासनी, हरदल, कुमकुम नाम दिए गए हैं।आयुर्वेद में हल्‍दी को एक महत्‍वपूर्ण औषधि कहा गया है।

  • लैटि‍न नाम : करकुमा लौंगा (Curcuma longa)
  • अंग्रेजी नाम : टर्मरि‍क (Turmeric)
  • पारि‍वारि‍क नाम : जि‍न्‍जि‍बरऐसे

हल्दी के कुछ मुख्य गुण:-

हल्दी में जीवाणुओं को मारने की अद्भुत क्षमता होती है, इसलिए इसको जीवाणुरोधी (Antibacterial) भी कहते हैं।यह सूजन रोधी (Anti inflammatory) और Antiseptic भी होती है।

हल्दी में पाए जाने वाले तत्व:-

हल्दी में एक विशेष प्रकार का उड़नशील तेल होता है जिसकी मात्रा 5.8% होती है।इसमें करक्यूमिन नामक पीत रंजक द्रव्य पाया जाता है,इसी की वजह से हल्दी का रंग पीला होता है।यह द्रव्य कैंसर कोशिकाओं पर जबरदस्त असर दिखाता है एवं रक्त की धमनियों में एकत्र कोलेस्ट्रॉल को घोलने की क्षमता रखता है।इसके अतिरिक्त हल्दी में विटामिन ए, प्रोटीन 6.3%, कार्बोहाइड्रेट 69.4% और खनिज तत्व 3.5% मात्रा में होते हैं।

हल्दी के फायदे:-

  1. इसको गर्म दूध में मिलाकर पीने से दर्द से निजात मिलती है चाहे जिस प्रकार का दर्द हो।
  2. दूध में हल्दी मिलाकर पीने से इम्युनिटी बढ़ती है साथ ही साथ शरीर में जमा चर्बी भी पिघलती है।
  3. हल्दी हमारे लिवर को फिट रखने में मदद करती है और हमारे शरीर को डिटॉक्स करती है।
  4. हल्दी गठिया रोगियों के लिए भी लाभकारी है।
  5. अभी खोज में पाया गया कि हल्दी कैंसर के उपचार में भी लाभदायक है।
  6. जैसा कि विदित है कि हल्दी की तासीर गर्म होती है तो उचित मात्रा में और सही तरीके से न ली जाए तो नुकसान भी करती है।
  7. हल्दी त्वचा सम्बन्धित उपचार में भी उपयोगी है।
  8. हल्दी सर्दी-जुकाम में भी काफी लाभकारी है।

हल्दी के नुकसान:-

सिर्फ प्राकृतिक और औषधीय गुणों से युक्त होना ही यह साबित नहीं करता कि यह पूरी तरह सुरक्षित है।गर्भवती महिलाओं एवं गॉल ब्लेडर / किडनी स्टोन वालों को हल्दी बहुत सावधानी से उपयोग करना चाहिए..

कई मामलों में हल्दी में उपस्थित ऑक्सलेट, पथरी का मुख्य कारण पाया गया है।