तुलसी

Balcony Gardening Fun for Beginners

भारत कृषि प्रधान देश है और यहाँ कृषि युक्त काफी ज़मीन है जिसपे खेती और बागवानी सदियों से होती आ रही है । हम से कई लोग ऐसे हैं जिनके परिवार के कोई न कोई सदस्य आज भी खेती किसानी के काम में लगे होंगे । लेकिन बदलते समय और हमारी बदलती जीवनशैली ने हमें गांव से उठाकर शहरों के छोटे छोटे फ्लैट्स में कैद कर दिया है जहाँ हम बागवानी तो क्या खुलकर साँस भी नही ले पाते लेकिन मन के किसी कोने में यह इच्छा जरूर दबी रहती हैं कि जीवन क़े पुराने हरियाली भरे समय को फिर से जी सके ।

 फिर तो बागवानी का शौक रखने वाले अपनी हरियाली की जगह खोज ही लेते हैं अगर आप भी उन्हीं लोगों में हैं तो ये बालकनी गॉर्डन पर लेख आपके लिए ही है। आज हम ऐसे पौधों और तरीकों के बारे में बात करेंगे जो बालकनी और छत पर आसानी से उगाए जा सकते हैं और उनकी कम देखभाल में भी, हरियाली का आनन्द लिया जा सकता हैं ।

 

बालकनी बागवानी क़े लिए हमें ज़रूरत पड़ेगी:

कुछ प्लास्टिक/ फिबेर/ चीनी मिट्‍टी/ सीमेंट/ मिट्‍टी क़े गमले, घास काटने की कैंची, मैनुअल वीडर्स, ट्रावेल, प्रुनर्स, ग्लव्स, कुदाल, हैंड कल्टीवेटर, नली, सींचने का कनस्तर, गार्डन कार्ट या व्हीलबार, अच्छी क्वालिटी की मिट्टी, खुरपी, कुछ बीज और कुछ नर्सरी से लाए पौधे ।

कुदाल-मिट्टी की खुदाई के लिए यह उपकरण काम आता है।

नली- पौधों को पानी देना बागवानी में महत्वपूर्ण कदम होता है इसलिए एक बढ़िया क्वालिटी का पाइप बहुत ज़रूरी होता है।

सींचने का कनस्तर- छोटे बर्तनों और पौधों के लिए पाइप उतना उपयुक्त नहीं होता इसलिए एक सींचने का कनस्तर ज़रूरी होता है।

सूर्य ग्रहण :- कुछ तथ्य कुछ मिथक

 

 

10 जून 2021 को साल का पहला सूर्य ग्रहण लग रहा। भारतीय समयानुसार दोपहर 1.43 पर यह खगोलीय घटना होने वाली है जिसका असर शाम 6 बजकर 41 मिनट पर खत्म होगा। भारत में यह ग्रहण नहीं दिखाई देगा।ये ग्रहण मुख्य रूप से उत्तरी अमेरिका, यूरोप और एशिया में आंशिक व उत्तरी कनाडा, ग्रीन लैंड और रूस में पूर्ण रूप से दिखाई देगा।

2021 का दूसरा सूर्यग्रहण 4 दिसंबर को दिखेगा।

क्या है सूर्यग्रहण

वैसे तो सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है जिसमें चंद्रमा अपनी धुरी पर घूमते हुए सूर्य एवं पृथ्वी के बीच में जाता है और आंशिक या पूर्ण रूप से सूर्य को ढंक लेता है जिससे पृथ्वी पर उसकी छाया दिखाई देती है और पृथ्वी पर कुछ देर के लिए अंधेरा हो जाता है।

सूर्यग्रहण का धार्मिक पक्ष

सूर्य ग्रहण का अपना धार्मिक महत्व भी है। हमारे पुराणों के अनुसार राहु और केतु नाम के दो असुर हैं जो चन्द्रमा और सूर्य के आसपास ही रहते हैं तथा समयसमय पर राहु चंद्रमा को और केतु सूर्य को खाने की कोशिश करते हैं, वही चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण के रूप में सामने आता है। हालांकि इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और जानकारी के अभाव में लोगों ने अपनी एक धारणा विकसित कर ली थी।

क्या करें क्या न करें और क्यों?

सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण के दौरान खाना, पीना, मलमूत्र त्याग करना, सोना आदि वर्जित माना जाता है।हालांकि इसका वैज्ञानिक कारण यह है कि ग्रहण के दौरान हानिकारक विकिरण निकलते हैं जिनके बैक्टीरिया खाने को खराब कर देते हैं और वो पाचनतंत्र में जाकर अनेक रोगों को भी आमंत्रित करते हैं। इस दौरान खाद्य पदार्थों जैसे दूध, सूखे अनाज इन सबमें कुश या तुलसी पत्ता रखने का रिवाज है जिससे सब बैक्टीरिया इसी में चिपक जाएं और ग्रहण के बाद उनको निकाल कर बाहर कर देना चाहिए।

ग्रहण के बाद स्नान आदि करने का भी रिवाज़ है ताकि इस दौरान जो भी हानिकारक विकिरण या बैक्टीरिया हमारे शरीर पर चिपकें वो साबुन और पानी में मिलके बह जाएं।

फिलहाल तो कोरोना नामक ग्रहण पूरी दुनिया पर ही लगा हुआ है इसलिए अपना और अपने परिवार को हानिकारक विकिरणों और बैक्टीरिया वायरस से सुरक्षित रखना हमारा प्रथम कर्तव्य है। सब खुश और स्वस्थ रहें यही ईश्वर से प्रार्थना है।

 

 

मैं तुलसी तेरे आंगन की

तुलसी का हमारे भारतीय समाज खासकर हिन्दू धर्म में बड़ा ही महत्व है l हिन्दुओं में शायद ही कोई ऐसा घर मिले जिसके आँगन या बालकनी में तुलसी का पौधा न मिले। हिन्दुओं के प्रत्येक शुभ कार्य में, भगवान के प्रसाद में तुलसी-दल का प्रयोग होता है । पौराणिक महत्व के अलावा तुलसी वैज्ञानिक महत्व भी रखती है।

प्रचलित पौराणिक कथाओं के अनुसार देव और दानव द्वारा किए गए समुद्र मंथन के समय जो अमृत धरती पर छलका उसी से तुलसी की उत्पत्ति हुई।ब्रह्म देव ने उसे भगवान विष्णु को सौंपा। इसलिए ये विष्णु प्रिया भी कहलाती हैं। वैसे तो वर्ष भर ही तुलसी की पूजा की जाती है लेकिन कार्तिक मास में विशेष तौर से इनको पूजा जाता है और इसी माह में एकादशी को तुलसी विवाह भी सुहागन स्त्रियों द्वारा किया जाता है।

पौराणिक महत्व

1 – तुलसी की माला गले में धारण करने से शरीर में विद्युत शक्ति का संचार अच्छा होता है । जीवन शक्ति बढ़ती है, शरीर में ओज-तेज बना रहता है ।

2 – तुलसी की माला धारण करके किया गया शुभ कर्म अनंत फल देता है ।

3 – तुलसी के निकट रहने से मन शांत रहता है, क्रोध जल्दी नहीं आता ।

4 – मृतक व्यक्ति के मुँह में तुलसीदल और गंगाजल डालने से उसकी सद्गति होती है ।

5 – तुलसी की लकड़ी से शरीर का दाह संस्कार किया जाये तो उसका पुनर्जन्म नहीं होता ।

6 – ‘गरुड़ पुराण’ के अनुसार ‘तुलसी का वृक्ष लगाने, पालन करने, सींचने तथा ध्यान, स्पर्श और गुणगान करने से मनुष्यों के पूर्व जन्मार्जित पाप जलकर विनष्ट हो जाते हैं ।’

7 – मात्र भारत में ही नहीं वरन् विश्व के कई अन्य देशों में भी तुलसी को पूजनीय व शुभ माना गया है । ग्रीस में इस्टर्न चर्च नामक सम्प्रदाय में तुलसी की पूजा होती थी और सेंट बेजिल जयंती के दिन ‘नूतन वर्ष भाग्यशाली हो’ इस भावना से देवल में चढ़ाई गयी तुलसी के प्रसाद को स्त्रियाँ अपने घर ले जाती थीं ।

 

वैज्ञानिक महत्व

विज्ञान के अनुसार घर में तुलसी-पौधे लगाने से स्वस्थ वायुमंडल का निर्माण होता है । तुलसी का वैज्ञानिक नाम औसीमम सैंक्टम है।  मुख्य रूप से दो प्रकार की तुलसी मिलती है जिसे राम तुलसी और श्याम तुलसी कहते हैं। तुलसी से उड़ते रहने वाला तेल आपको अदृश्य रूप से कांति, ओज और शक्ति से भर देता है । अतः सुबह-शाम तुलसी के नीचे धूप-दीप जलाने से नेत्रज्योति बढ़ती है, श्वास का कष्ट मिटता है । तुलसी के बगीचे में बैठकर पढ़ने, लेटने, खेलने व व्यायाम करने वाले दीर्घायु व उत्साही होते हैं । तुलसी उनकी कवच की तरह रक्षा करती है ।

इसमें कई औषधीय गुण पाए जाते हैं जिनमें से कुछ निम्न हैं:-

 1 – सर्दी-खांसी में तुलसी, काली मिर्च, गुड़, हल्दी एवं अदरक या सोंठ को पानी में अच्छे से उबालकर पीने से तुरंत असर दिखता है।

2 – तुलसी त्वचा के लिए काफी लाभदायक होती है। यह कील-मुँहासों में बहुत फायदेमन्द है।

3 – दस्त पड़ रही हो तो तुलसी में जीरा पीसकर पाउडर रूप में लेने से फायदा होता है।

4 – तुलसी की पत्तियों को चबाने से मुँह की बदबू गायब हो जाती है और चूँकि यह प्राकृतिक है तो किसी तरह का नुकसान भी नहीं होता।

5 – तुलसी माहवारी को भी नियमित करती है।

6 – कुछ शोधों में पाया गया है कि तुलसी कैंसर में भी लाभदायक है, हालांकि इसकी पूर्ण पुष्टि नहीं हुई है। कफजन्य रोग, दमा, अस्थमा आदि रोगों में भी तुलसी वरदानस्वरूप है ।

7 – तुलसी के पत्तों को जल में डालने से जल सुगंधित व तुलसी के समान गुणकारी हो जाता है । यदि पानी में उचित मात्रा में तुलसी-पत्ते डालकर उसे शुद्ध किया जाए तो उसके सारे दोष समाप्त हो जाते हैं । यह पानी शरीर को पुष्ट बनाता है तथा मुख का तेज, शरीर का बल एवं मेधा व स्मरण शक्ति बढ़ाता है ।

8 – फ्रेंच वैज्ञानिक डॉ. विक्टर रेसिन ने कहा कि इससे हिमोग्लोबिन बढ़ता है, लिवर नियंत्रित होता है, कोलेस्ट्रोल कंट्रोल होता है । कई प्रकार के बुखार मलेरिया, टाइफाइड आदि दूर होते हैं । हृदय रोगों में विशेष लाभकारी है ।

9 – एक अध्ययन के अनुसार ‘तुलसी का पौधा उच्छ्वास में ओजोन वायु छोड़ता है, जो विशेष स्फूर्तिप्रद है । तुलसी के पत्तों में एक विशिष्ट तेल होता है जो कीटाणुयुक्त वायु को शुद्ध करता है ।

10 – डिफेन्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन के वैज्ञानिकों द्वारा किये गये अनुसंधानों से यह सिद्ध हुआ है कि ‘तुलसी में एंटी ऑक्सीडंट गुणधर्म है और वह आण्विक विकिरणों से क्षतिग्रस्त कोषों को स्वस्थ बना देती है । कुछ रोगों एवं जहरीले द्रव्यों, विकिरणों तथा धूम्रपान के कारण जो कोषों को हानि पहुँचाने वाले रसायन शरीर में उत्पन्न होते हैं, उनको तुलसी नष्ट कर देती है ।’

इस प्रकार तुलसी बड़ी पवित्र एवं अनेक दृष्टियों से महत्वपूर्ण है । यह माँ के समान सभी प्रकार से हमारा रक्षण व पोषण करती है ।  जहाँ तुलसी के पौधे होते हैं, वहाँ की वायु शुद्ध और पवित्र रहती है ।