मथुरा.. नगरी कंस की लेकिन जयकार कन्हैया की

अगर आप दिल्ली में रहते हैं और वीकेंड में कहीं घूमने की सोच रहे हैं एवं बजट भी ज्यादा नहीं है।साथ ही साथ घर में माता-पिता भी हैं तो पावन नगरी मथुरा ज़रूर होकर आइए l मथुरा दिल्ली से लगभग 300 km है वाया रोड एक्सप्रेस-वे से 3-4 घण्टे में अपनी गाड़ी से आराम से पहुँच सकते हैं।वाया ट्रेन भी मथुरा जंक्शन आराम से पहुंचा जा सकता है।

वहाँ पहुँच कर कोशिश करिए की 12 बजे से पहले गर्भगृह और द्वारिकाधीश दर्शन कर लीजिए क्योंकि 12 बजे से 4 बजे तक सभी मंदिर बन्द हो जाते हैं तब आपके पास मार्केट घूमने, जलपान वगैरह करने के अलावा वहाँ कोई अन्य विकल्प नहीं रहेंगे।

इस दौरान आप गोकुल या वृंदावन जा सकते हैं l इसमें आपको खाली बैठना नहीं पड़ेगा और जब तक मंदिर खुलने का समय होगा आप दूसरे गंतव्य तक पहुँच जाएँगे l

श्रीकृष्ण भगवान मथुरा के कारागार में पैदा हुए थे जिसको गर्भगृह कहा जाता है l जैसा कि ज्यादातर लोग जानते हैं कृष्ण जी,देवकी जी और वासुदेव जी की आठवीं संतान थे l कंस जो देवकी का भाई था उसको आकाशवाणी हुई कि जिस बहन को तुम इतने प्यार से शादी करके विदा कर रहे उसी का आठवां पुत्र तुम्हारी मृत्यु का कारण होगा l इस जानकारी का सचित्र विवरण गर्भगृह की दीवारों पर उकेरा हुआ है।

कंस इसी डर से दोनों लोगों को जेल में बंद कर देता है और एक-एक करके सब संतानों को खत्म करवा देता है।

जब कृष्ण जी पैदा हुए तो कारागार के सभी प्रहरियों को नींद आ गई और कारागार के सभी ताले स्वयं खुल गए।उसी समय वासुदेव कृष्ण को लेकर गोकुल के लिए निकल गए l गोकुल में उनके दोस्त नन्द और यशोदा जी के यहाँ एक कन्या हुई थी उसको ले आए और कृष्ण जी को छोड़ आए।

गोकुल की रज़ में खेलकर कान्हा बड़े हुए।वहाँ की रेत में लोटकर और खेलकर आज भी बड़ा सुकून मिलता है l आज भी वहाँ सब कुछ वैसा ही है शांत और प्राकृतिक l कहते हैं गोकुल में कलयुग का प्रवेश नहीं हो पाया l

वहाँ से निकलकर वृन्दावन जा सकते हैं l वृन्दावन राधा जी का निवास है।राधा-कृष्ण का प्यार आज भी बेमिसाल और अद्भुत है l इसमें न किसी को पाने की लालसा थी न किसी को खोने का डर।निःस्वार्थ प्यार क्या होता है ये सीखने को मिलता है l

मंदिर तो वहाँ बहुत हैं लेकिन बाँके बिहारी, प्रेम मंदिर आदि मुख्य हैं बाकी आपके पास जैसा समय हो उस हिसाब से प्लान कर सकते हैं।

निधिवन भी ज़रूर घूमें वहाँ जाकर आपको बड़ा सुकून मिलता है l लोगों का मानना है कि आज भी वहाँ राधा रानी का श्रृंगार होता है और रात में उस वन में कोई नहीं जा सकता l