थायराइड हमारे गर्दन के निचले हिस्से में तितली के आकार की ग्रन्थि होती है, जो हमारे शरीर के मेटाबोलिक नियंत्रण में अहम भूमिका निभाती है। इस ग्रन्थि से थायरॉक्सिन नाम का हार्मोन निकलता है जो हमारे शरीर में कई गतिविधियों के नियंत्रण में अहम भूमिका निभाता है – जैसे कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण, शरीर के तापमान का नियंत्रण, वज़न नियंत्रण और याददाश्त को ठीक रखना आदि।
हमारे आज की जीवनशैली और रहन-सहन ने बहुत कुछ बदलाव ला दिया है और इस वजह से कई बीमारियों को हम अनायास ही न्यौता दे देते हैं और हमें खुद भी इसका एहसास नहीं होता, थायराइड भी उन्हीं बीमारियों में एक है।
प्रकार
जब थायरॉक्सिन हार्मोन का लेवल कम या ज्यादा होने लगता है तभी इसकी शुरुआत हो जाती है। यह दो तरह का होता है।
1 – जब हार्मोन का स्राव ज्यादा होता है, उसको हाइपर थायराइड कहते हैं।
2 – जब हार्मोन का स्राव कम होता है, उसको हाइपो थायराइड कहते हैं।
कारण
अनियमित जीवन शैली, असंतुलित खानपान, गर्भावस्था के समय हार्मोनल असन्तुलन इसके मुख्य कारणों में है। कई बार व्यक्ति को पता भी नहीं चलता कि वो थायराइड विकार से ग्रस्त है।
लक्षण
वज़न का अचानक से घटना या बढ़ना, हाथ-पैर ठंडे पड़ जाना, हृदयगति ज्यादा या कम होना, घबराहट होना, पसीना ज्यादा होना या बिल्कुल न होना, मितली जैसा लगना, बाल झड़ना, असमय बाल सफेद होना, चक्कर आना इसके प्रमुख लक्षण हैं।
बचाव
अगर आपको इन लक्षणों में से कुछ भी दिख रहे हों तो डॉक्टर से सलाह जरूर लें, खासकर इंडोक्रिनोलॉजिस्ट से, खुद से कोई प्रयोग न करें नहीं तो इसके परिणाम गम्भीर हो सकते हैं।
अपनी जीवनशैली नियमित रखें। संतुलित भोजन ग्रहण करें और व्यायाम या कम से कम आधे घण्टे के लिए नियमित रूप से पैदल ज़रूर चलें।
समय-समय पर अपना टेस्ट करवाते रहें और डॉक्टर से सलाह लेते रहें।
आयोडीन युक्त नमक ही खाएं।
क्या न करें
जितना सम्भव हो सोयायुक्त चीजों से परहेज़ करें।
गोभी, ब्रोकली, मोमोज़ और तले हुए खाद्य पदार्थ से परहेज़ करें।
साधारण सफेद नमक न ग्रहण करें।
अपना उपचार स्वयं न करें। बिना विशेषज्ञ के सलाह से कुछ भी न लें।